Showing posts with label Tula Rashi. Show all posts
Showing posts with label Tula Rashi. Show all posts

Thursday, 2 September 2021

Shukra ka tula rashi me gochar aapke liye kaisa rahega ? शुक्र का तुला राशि में गोचर आपके लिए कैसा रहेगा ? जानिए इस लेख में

Posted by Dr.Nishant Pareek

Shukra ka tula rashi me gochar aapke liye kaisa rahega ?


शुक्र का तुला राशि में गोचर आपके लिए कैसा रहेगा ? जानिए इस लेख में 

                 विलासिता का कारक, महान ग्रह शुक्र 5 सितंबर की मध्यरात्रि 12ः50 मिनट पर अपनी नीच राशि कन्या कन्या से निकलकर स्वयं की राशि तुला में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि पर ये 2 अक्टूबर प्रातः 9ः46 मिनट तक रहेंगे उसके बाद वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। जिन जातकों की जन्मकुंडलियों में ये केंद्र और त्रिकोण में भ्रमण कर रहे होंगे उनके लिए तो किसी वरदान से कम नहीं है। अपनी राशि में पहुंचकर ये पञ्चमहापुरुष योगों में से महान मालव्य योग का निर्माण करेंगे। जिनकी जन्मकुंडली में अशुभ भाव में रहेंगे उनको शुभ फल कम मिलेंगे। 

शुक्र विलासितापूर्ण जीवन, ऐश्वर्य, जैविक संरचना, फिल्म उद्योग, स्त्री जाति, कॉस्मेटिक, केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में उच्चपद दिलाने वाले ग्रह हैं। ये वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं। कन्या राशि इनकी नीच राशि तथा मीन राशि उच्च राशिगत संज्ञक है। तुला राशि में इनके प्रवेश का अन्य राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।


 मेष- 

  इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके सातवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह स्त्रियों के कारण उत्पन्न हुई परेशानियों के समय का द्योतक है । स्त्रियों के साथ किसी भी मुकदमेबाजी से दूर रहें व पत्नी के साथ मधुर सम्बन्ध बनाएं रखें । यह ऐसी महिलाओं के लिए विशेष रुप से अस्वस्थता का समय है जिनकी जन्मपत्री में शुक्र सातवें भाव में है । आपकी पत्नी अनेक स्त्री रोगों, शारीरिक पीड़ा, मानसिक तनाव आदि से ग्रसित हो सकती हैं ।  धन की दृष्टि से भी समय अच्छा नहीं है । वित्तीय नुकसान न हो अतःस्त्रियों के सम्पर्क से बचें ।  आपको यह आीास भी होसकता है कि कुछ दुष्ट मित्र आपका अनिष्ट करने की चेष्टा कर रहे हैं। व्यर्थ की महिलामंडली के साथ उलझाव संताप का कारण बन सकता है । यह भी संभावना है कि किसी महिला से सम्बन्धित झगड़े में पड़कर आप नए शत्रु बना लें ।  इस समय आपके मानसिक तनाव, अवसाद व क्रोध से ग्रसित होने की संभावना है । स्वास्थ्य का ध्यान रखें क्योंकि आप यौन रोग, मूत्र-नलिका में विकार अथवा दूसरे छोटे-मोटे रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं ।  व्यावसायिक रुप में भी यह समय सुचारु रुप से कार्य - संचालन का नहीं है । दुष्ट सहकर्मियों से दूर रहें क्योंकि वे उन्नति के मार्ग में रोड़े अटका सकते हैं । आपको अपने उच्च पदाधिकारी द्वारा सम्मान प्राप्त हो सकता है । 



वृष-

    इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके छठे भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह गोचर आपके लिए कुछ कठिन समय ला सकता है । आपके प्रयासों में अनेक परेशानियाँ आ सकती हैं । शत्रुओं के बढ़ने की संभावना है और आपका अपने व्यावसायिक साझेदार से झगड़ा हो सकता है । यह भी संभव है कि आपको अपनी इच्छा के विरुद्ध शत्रुओं से समझौता करना पड़े ।  इस दौरान पत्नी व बच्चों से किसी भी प्रकार के विवाद से बचें । आपको यह भी सलाह दी जाती है कि लम्बी यात्रा से बचें क्योंकि दुर्घटना की संभावना है । स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि आप रोग, मानसिक बेचैनी, भय तथा असमय यौन इच्छा से ग्रसित हो सकते हैं ।  समाज में प्रतिष्ठा व कार्यालय में सम्मान बनाए रखने का इस समय भरसक प्रयास करें नहीं तो आपको अपमान, व्यर्थ के विवाद व मुकदमेबाजी झेलना पड़ सकता है ।


मिथुन-

    इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके पाँचवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह अधिकांश समय आमोद - प्रमोद में व्यतीत होने का सूचक है । वित्तीय रुप में भी यह अच्छा समय है क्योंकि आप अपने धन में वृद्धि कर सकेंगे ।  यदि आप राजकीय विभाग द्वारा आयोजित किसी परीक्षा में परीक्षार्थी हैं तो बहुत करके आपको सफलता मिलेगी ।  यदि सेवारत हैं तो पदोन्नति की संभावना है । आप सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि की भी आशा रख सकते हैं । आपके मित्रों, आपके बड़ों व अध्यापकों की भी आप पर कृपा दृष्टि रहेगी व आपके प्रति अच्छे रहेंगे ।  सम्बन्धों के मधुरता से निर्वाह होने की आशा है और अपने प्रिय के साथ अत्यधिक उत्तेजना व जोशीला परिणय रहने की आशा है । आप दाम्पत्य जीवन के सुख अथवा किसी विशेष विपरीत लिंग वाले से शारीरिक सम्पर्क की आशा कर सकते हैं । आप परिवार के किसी नए सदस्य से मिल सकते हैं । यहाँ तक कि नए व्यक्ति को परिवार में ला सकते हैं ।  इस समय स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा । इस अवधि में आप अच्दे भोजन का आनन्द उठाएँगे, धन लाभ होगा और जिन वस्तुओं की आपने कामना की थी वे मिलेंगी । 


कर्क- 

    इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके चतुर्थ भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह अधिकतर वित्तीय वृद्धि का द्योतक है । आप समृद्धि बढ़ने की आशा कर सकते हैं । यदि आप कृषि व्यवसाय में है तो यह कृषि संसाधनों, उत्पादों आदि पा लाभ मिलने के लिए अच्छा समय हो सकता है ।  घर में आपका बहुमूल्य समय पत्नी/पति व बच्चों के साथ महत्तवपूर्ण विषयों पर बातचीत करने में व्यतीत होने की संभावना है । साथ ही आप बढ़िया भोजन, उत्तम शानदार वस्त्र व सुगंधियों का आनन्द उठाएँगे ।  सामाजिक जीवन घटनाओं से परिपूर्ण रहेगा । आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी व नए मित्र बनने की संभावना है । आपके नए - पुराने मित्रों का साथ सुखद होगा और आप घर से दूर आमोद - प्रमोद में कुछ आनन्दमय समय बिताने के बारे में सोच सकते हैं । इसमें विपरीत लिंग वालों के साथ का आनन्द उठाने की भी संभावना है ।  स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आप अपने भीतर शक्ति महसूस करेंगे । इस विशेष समय में ऐशोआराम के उपकरण खरीदने के विषय में आप सोच सकते हैं ।


सिंह- 

    इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके तृतीय भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह आपके लिए सुख व संतोष का सूचक है । आप अपनी विवित्तीय स्थिति में लगातार वृद्धि की आशा व वित्तीय सुरक्षा की भी आशा कर सकते हैं ।  व्यवसाय की दृष्टि से यह समय अच्छा होने की संभावना है व आप पदोन्नति की आशा कर सकते हैं । आपको अधिक अधिकार प्राप्त हो सकते हैं । आपको आपके प्रयासों का लाभ भी मिल सकता है ।  सामाजिक दृष्टि से भी समय सुखद है और आपके अपनी चिन्ताओं व भय पर विजय पा लेने की आशा हैं । आपके सहयोगी व परिचातों का रवैया सहयोगपूर्ण व सहायतापूर्ण रहेगा । इस विशेष समय में मित्रों का दायरा बढ़ने की व शत्रुओं पर विजय पाने की संभावना है ।  अपने स्वयं के परिवार से आपका तालमेल अच्छा रहेगा और आपके भाई - बहनों का समय भी आपके साथ आनन्दपूर्वक व्यतीत होगा । आप इस समय अच्छे वस्त्र पहनेंगे व बहुत बढ़िया भोजन ग्रहण कर सकते हैं । आपकी धर्म में रुचि बढ़ेगी व एक मांगलिक कार्य आपको आल्हादित कर सकता है ।  स्वास्थ्य के अच्छे रहने की संभावना है । यदि विवाह योग्य है तो विवाह के सम्बन्ध में सोच सकते हैं क्योंकि यह समय आदर्श साथी खोजना का है । आपमें से कुछ परिवार में नए सदस्य के आगोचर की आशा कर सकते हैं ।  फिर भी संभव है यह समय इतना अच्छा न हो । आपमें से कुछ को व्यापार में वित्तीय हानि होने का खतरा है । शत्रु भी इस समय समस्याएँ पैदा कर सकते हैं । हर प्रकार के विवाद व गलतफहमियों से दूर रहें ।


कन्या-    

    इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके द्वितीय भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह आर्थिक लाभ का समय है । इसके अतिरिक्त यह समय जीवनसंगी व परिवार के साथ अत्यंत मंगलमय रहेगा । यदि आप पर लागु हो तो परिवार में नए शिशु के आने की आशा की जा सकती है ।  आर्थिक रुप से आप सुख - चैन की स्थिति में होंगे व आपके परिवार की समृद्धि में निरन्तर वृद्धि की आशा है । व्यक्तिगत रुप से आप बहुमूल्य पोशाक व साथ के सारे साज सामान जिनमें बहुमूल्य रत्न भी शामिल हैं । अपने स्वयं के लिए क्रय कर सकते हैं । कला व संगीत में आपकी रुचि बढ़ेगी । आप उच्च पदाधिकारियों अथवा सरकार से अनुग्रह की आशा कर सकते हैं ।  स्वास्थ्य बढ़िया रहने की आशा है साथ ही सौंदर्य में भी वृद्धि हो सकती है


तुला-         

    इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके प्रथम भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह आपके लिए भौतिक व ऐन्द्रिक भो विलास सुख का सूचक है । आप व्यक्तिगत जीवन में अनेक घटनाओं की आशा कर सकते हैं । यदि आप अविवाहित हैं तो आपको आदर्श साथी मिलेगा । आपमें से कुछ परिवार में ए कनए सदस्य के आने की आशा भी कर सकते हैं । सामाजिक रुप से नए लोगों से मिलने व विपरीत लिंग वालों का साथ पाने हेतु यह अच्छा समय है । समाज में आपको सम्मान मिलने व प्रतिष्ठा बढ़ने की संभावना है । आपको सुस्वादु देशी-विदेशी बढ़िया भोजन का आनन्द उठाने के ढ़ेर सारे अवसर मिलेंगे । इस दौरान जीवन को और ऐश्वर्ययुक्त व मादक बनाने हेतु आपको वस्तुएँ व अन्य उपकरण उपलब्ध होंगे । आप वस्त्र, सुगन्धियाँ (छत्रादि), सौंदर्य प्रसाधन व वाहन का भी आनन्द उठा सकते हैं ।  वित्तीय दृष्टि से यह समय निर्विघ्न है । आपकी आर्थिक दशा में भी सुधार होगा ।  यदि आप विद्यार्थी हैं तो ज्ञानोपार्जन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने हेतु यह उत्तम समय है ।  आप इस समय विशेष में शत्रुओं के विनाश की आशा कर सकते हैं । ऐसे किसी भी प्रभाव से बचें जो आपमें नकारात्मक आक्रोश जगाए । 


 वृश्चिक-              

    इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके बारहवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह जीवन में प्रिय व अप्रिय दोनों प्रकार की घटनाओं के मिश्रण का सूचक है । एक ओर जहाँ इस दौरान वित्तीय लाभ हो सकता है वहीं दूसरी ओर धन व वस्त्रों की अप्रत्याशित हानि भी हो सकती है । यह अवधि विदेश यात्रा पर पैसे की बर्बादी व अनावश्यक व्यय की भी द्योतक है ।  इस समय आप बढ़िया वस्त्र पहनेंगे जिनमें से कुछ खो भी सकते हैं । घर में चोरी के प्रति विशेष सतर्कता बरतें ।  यह समय दाम्पत्य सुख भोगने का भी है । यदि आप अविवाहित हैं तो विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के साथ सुख भोग सकते हैं ।  मित्र आपके प्रति सहयोग व सहायता का रवैया अपनाएँगे व उनका व्यवहार अच्छा होगा ।  नुकीले तेज धार वाले शस्त्रों व संदेहात्मक व्यतियों से दूर रहें । यदि आप किसी भी प्रकार से कृषि उद्योग से जुड़े हुए हैं तो विशेष ध्यान रखें क्योंकि इस समय आपको हानि हो सकती है । 


धनु- 

इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके ग्यारहवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह मूल रुप से वित्तीय सुरक्षा व ऋण से मुक्ति का द्योतक है । आप अपनी अन्य आर्थिक समस्याओं के समाधान की भी आशा कर सकते हैं ।  यह समय आपके प्रयासों में सफलता प्राप्त करने का है । आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी व प्रतिष्ठा निरन्तर ऊपर की ओर उठेगी ।  आपका ध्यान भौतिक सुख, भोग - विलास के साधन व वस्तुएँ, वस्त्र, रत्न व अन्य आकर्षक उपकरणों की ओर रहने की संभावना है । आप स्वयं का घर लेने के विषय में भी सोच सकते हैं ।  सामाजिक रुप से यह समय सुखद रहेगा । मान - सम्मान में वृद्धि होगी तथा मित्रों का सहयोग मिलता रहेगा ।  विपरीत लिंग वालों के साथ सुखद समय व्यतीत होने की आशा कर सकते हैं । यदि विवाहित है तो दाम्पत्य जीवन में परमानन्द प्राप्त होने की आशा रख सकते हैं । 


मकर- 

    इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके दसवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह समय मानसिक संताप, अशान्ति व बेचैनी लेकर आया है । इस दौरान शारीरिक कष्ट भोगना पड़ेगा । धन के विषय में विशेष सतर्क रहें तथा ऋण लेने से बचें क्योंकि इस पूरे समय आपकी ऋण में डूबे रहने की संभावना है । शत्रुओं से सावधान रहें तथा अनावश्यक व्यर्थ के विवाद से दूर रहें क्योंकि इससे कलह बढ़ सकता है व शत्रुओं की संख्या में वृद्धि हो सकती है । समाज में बदनामी व तिरस्कार न हो, इसके प्रति सचेत रहें ।  अपने सगे सम्बन्धियों व महिलाओं के प्रति व्यवहार में विशेष सतर्कता बरतें क्योंकि मूर्खतापूर्ण गलतफहमी शत्रुओं की संख्या बढ़ा सकती है । अपने वैवाहिक जीवन में स्वस्थ संतुलन बनाए रखने हेतु अपनी पत्नी/पति से विवाद से दूर ही रहें ।  आपको अपने उच्चाधिकारी अथवा सरकारजनित परेशानी का सामना करना पड़ सकता है । अपने समस्त कार्यों को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने हेतु आपको अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ सकता है ।


कुम्भ- 

    इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके नवम् भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह आपकी मंजूषा में नए वस्त्र संचित करने का सूचक है । इसके अतिरिक्त यह शारीरिक व भौतिक सुख व आनन्द का परिचायक है ।  वित्तीय लाभ व मूल्यवान आभूषणों का उपभोग भी इस समय की विशेषता है । व्यापार अबाध गति से चलेगा व संतोषजनक लाभ होगा ।  यह समय शिक्षा में सफलता भी इंगित करता है । स्वास्थ्य अच्छा रहेगा ।  घर परिवार में आपको भाई - बहनों का सहयोग व स्नेह पहले से भी अधिक मिलेगा । आपके घर कुछ मांगलिक कार्य सम्पन्न होंगे और यदि अविवाहित हैं तो विवाह करने का निर्णय ले सकते हैं । आपको आपका मनपसन्द जीवन साथी मिलेगा जो सौभाग्य लेकर आएगा ।  यह समय सामाजिक गतिविधियों के संचालन का है अतः आपके नए मित्र बनाने की संभावना है । आपको आध्यात्म की राह दिखाने वाला पथ - प्रदर्शक भी मिल सकता है । कला में आपकी अभिरुचि इस दौरान बढ़ेगी । आपके सद्गुणों सत्कृत्यों की ओर स्वतः ही सबका ध्यान आकृष्ट होगा । अतः आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा में चार चाँद लगेंगे ।  इस समय मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी व शत्रुओं की पराजय होगी । यदि आप किसी प्रकार के तर्क - वितर्क में लिप्त हैं तो आपके ही जीतने की ही संभावना है । आप इस दौरान लम्बी यात्रा पर जाने का मानस बना सकते हैं । 


मीन-

   इस अवधि में शुक्र चन्द्रमा से आपके आठवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह अच्छे समय का प्रतीक है । इस विशेष समय में आप भौतिक सुख-साधनों की आशा कर सकते हैं तथा पूर्व में आई विपत्तियों पर विजय पा सकते हैं । आप भूमि जायदाद व मकान लेने के विषय में विचार कर सकते हैं ।  यदि आप अविवाहित युवक या युवती हैं तो अच्छी वधू / वर मिलने की आशा है जो सौभाग्य भी लाएगी / लाएगा । आप मनोहारी व सुन्दर महिलाओं का साथ पाने की आशा रख सकते हैं ।  स्वास्थ इस दौरान अच्छा रहेगा ।  यदि आप विद्यार्थी हैं तो और अधिक उन्नति करेंगे । आपकी प्रखरता की ओर सबका ध्यान जाएगा अत: सामाजिक वृत्त में  आपका मान व प्रतिष्ठा बढ़ेगी ।  व्यवसाय हेतु अच्छा समय है । व्यापार व व्यवसाय शुभ - चिन्तकों व मित्रों की सहायता से फूलेगा। किसी राजकीय पदाधिकारी से मिलने की संभावना है 


Read More

Saturday, 27 February 2021

Tula rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge / तुला राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिये

Posted by Dr.Nishant Pareek

Tula rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge


तुला राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिये


तुला - मेषः-

यह मेल मेष अग्नि और तुला वायु तत्व का मेल है। किंतु कंुडली में ये राशियां एक दूसरे के आमने सामने होने के कारण उनके बीच में आकर्षण और विकर्षण दोनों हो सकते है। इनमें प्रबल शारीरिक या भावनात्मक आकर्षण रहता है। यदि उनमें टकराव होता है तो मेष की जीत होती है और तुला हार जाता है। जहां तक हो सके इस संबंध को टालना ही चाहिये। क्योंकि यह रिश्ता बहुत कमजोर नींव पर खडा होता है। 

यह भी देखें - तुला राशि का संपूर्ण परिचय जानने के लिये क्लिक करे।

यदि पति मेष हो और पत्नी तुला हो तो आरंभ में तो पत्नी उसके दबदबे से प्रसन्न होती है, किंतु उसकी प्रसन्नता अधिक समय तक नही रहती। तुला पत्नी संबंधों की समानता में विश्वास रखती है। शीघ्र ही उसे पता चल जाता है कि मेष पति घर का एकछत्र स्वामी बनना चाहता है। तब उसका सारा उत्साह भंग हो जाता है। तुला पत्नी में अपने को अभिव्यक्त करने की स्वाभाविक प्रतिभा होती है। जबकि मेष पति प्यार के दो शब्द बोलना कमजोरी की निशानी समझता है। पत्नी अपने पिछले संबंधों पर विचार करना चाहती है या भावी संबंधों की योजना बनाना चाहती है। पति इसमें सहयोग करने से मना कर देता है और पत्नी के मन में भविष्य के प्रति असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है।  पत्नी दूसरों की, विशेषकर संकट में पडे लोगों की सहायता करना चाहती है। पति इसे समय की बर्बादी समझता है। उसे मैं से आगे कुछ नहीं दिखता। कभी कभी वह पत्नी की हीन भावनाओं का भी लाभ उठाने का प्रयास करता है। पत्नी के स्वतंत्र होने की इच्छा उसे चोट पहुंचाती है। यौन संबंधों में भी पत्नी की ओर से पे्रम की पहल का मेष पति गलत मतलब निकाल सकता है। इसे अपने पौरूष को चुनौती समझ सकता है। 

also read - इस प्रकार के अंगों वाली औरत होती है भाग्यशाली। जानने के लिये क्लिक करे।

यदि पत्नी मेष हो और पति तुला हो तो पति के रंगीले स्वभाव के कारण काफी कठिनाई पैदा हो सकती है। मेष जातक में विपरीत लिंगियों के लिये भारी आकर्षण पाया जाता है। इसका लाभ उठाकर वह एक सप्ताह किसी लडकी के साथ खिलवाड भी कर सकता है। उसके पे्रम के वादों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिये। मेष पत्नी इसे सहन नहीं करती है और झगडा होता है। इसका परिणाम पति के उठकर चले जाने में होता है। कभी कभी पति कमजोर वर्गों की वकालत भी करने लगता है, जिसे पत्नी समय की बर्बादी समझती है। 



स्ंाबंधों में अधिक तनाव आ जाने पर तुला पति अपना रौद्र रूप भी दिखा सकता है। ऐसे समय में पत्नी को उसके साथ विवादों में नहीं पडना चाहिये। क्योंकि दोनों में से कोई भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होता। यौन संबंधों में तुला पति पत्नी से रोमांस की अपेक्षा रखता है। वह चाहता है कि पत्नी उत्तेजक वस्त्र धारण करे। घर के वातावरण को रोमांस पूर्ण बनाए और उसके साथ हर समय रोमांस के लिये तैयार रहे। मेष पत्नी के लिये इसे करना कठिन होता है। 

Also read - कालसर्प दोष कैसे बनता है कुंडली में। जानिये इस लेख मे।

तुला - वृषः- 

 पृथ्वी तत्व और वायु तत्व में कोई मेल नहीं है, किन्तु दोनों राशियों का स्वामी शुक्र ही है। अतः यह संबंध भावनाओं पर निर्भर करेगा, जिसमें सौन्दर्य भावना की परख भी है। दोनों राशियों शांति और प्रेम से रहना चाहती है, अतः कोई पक्ष विवाद में पडना नहीं चाहेगा। कूटनीति कुशल तुला जातक जिददी वृष जातक से नीति पूर्वक निभा ले जा सकता है। दोनों को आनंद और भोग चाहिये। जिसके लिये बजट में व्यवस्था करनी होगी। 

इसके बाद भी यदि पत्नी वृष है और पति तुला है तो नित्य जीवन में पति पत्नी को उसकी सहन शक्ति की सीमा से अधिक नाराज कर सकता है। एक सप्ताह वह अपने काम में इतना व्यस्त रहता है कि उसे पत्नी के अस्तित्व तक का भान नहीं रहता और दूसरे सप्ताह वह पूरे आलस में डूब जाता है और कोई काम नहीं करता। वृष जातिका योजनाबद्ध तरीके से अपना जीवन चलाना चाहती है, जबकि तुला जातक एक घंटे से आगे की नहीं सोचता। उसे कुरेदने का अर्थ दोनों के बीच तीव्र झडप ही हो सकता है।  तुला जातक में एक हरजाईपन पाया जाता है। जिसका कोई इलाज नहीं हो सकता। इसके पीछे आत्म तुष्टि का ही कारण रहता है। वृष जातिका की ईष्र्या इसे सहने की अनुमति नहीं देती। फिर भी तुला जातक आम तौर पर उसके उबाल को पचा जाता है। प्रारंभ में प्रबल यौनाकर्षण के कारण उनकी व्यक्तित्व संबंधी समस्याएं उभर कर सामने नहीं आ पाती। धीरे धीरे यह आकर्षण कम होता जाता है। लेकिन उसके रहते वे तरह तरह के परीक्षणों के दौर से गुजरते है। 

यदि पति वृष जातक है और पत्नी तुला है तो केवल कलाएं और सौंदर्य बोध उन्हें आपस में बांध कर रखने के लिये पर्याप्त नहीं होगा। पति पत्नी को घर में रखना चाहता है। कुछ समय तक पत्नी को यह दर्शन अच्छा लग सकता है। परंतु अधिक दिन तक यह नहीं चल सकता। उसका स्वतंत्रता प्रेमी मन शीघ्र भटकने लगता है। पति पत्नी के बीच तनाव बढता जाता है। पति को पत्नी के चरित्र पर संदेह होने लगता है। धन की दृष्टि से भी दोनों के विचारों में बहुत अंतर होता है। पति में सुरक्षा की भावना मुख्य होती है तथा वह भविष्य के लिये बचाकर रखना चाहता है। पत्नी केवल तात्कालिक आवश्यकताओं की बात सोचती है और व्यय की अधिक चिन्ता नहीं करती। तुला जातिका वृष जातक को पति पाकर आरंभ में तो बहुत प्रसन्न रहती है। वृष जातक की यौन की भूख प्रबल होती है। बाद में पत्नी अनुभव करती है कि पति केवल अपनी भूख मिटाने में ही विश्वास रखता है। जबकि उसे स्वयं मानसिक उत्तेजना चाहिये। उसके मन में विद्रोह जन्म ले सकता है और वह उससे सहयोग से इन्कार कर सकता है। यदि पति अपने रूख पर अडा रहा तो वह अन्यत्र भी संतुष्टि की तलाश कर सकती है। दोनों की जोडी काफी तूफानी रहने की संभावना है। 

Also read - कालसर्प शांति के सरल उपाय जानने के लिये क्लिक करे।

तुला - मिथुन:- 

दो वायु तत्वों का यह एक अच्छा मेल है जिसमें मस्तिष्क का ग्रह बुध प्रेम तथा भावनाओं के प्रतीक शुक्र के साथ गठजोड करता है। दोनों एक दूसरे के परिष्कृत, कलात्मक, सुंदर, मिलनसार, दिलचस्प, और जानकारी से पूर्ण दृष्टिकोणों की सराहना करते है। मिथुन जातक तुला जातक के साथ विचारों का आदान प्रदान कर प्रसन्नता अनुभव करता है। तुला जातक मिथुन जातक के साथ मिलकर स्वयं को पूर्ण समझता है। 

मिथुन पत्नी और तुला पति घर में सम स्तर होते है। दोनों व्यक्ति की स्वतंत्रता की आवश्यकता को अनुभव करते है। वे सक्रिय सामाजिक जीवन और निरंतर परिवर्तनशीलता की भावना को सहर्ष स्वीकार करते है। तुला पति घर के काम में सहायता न करना, उसकी पत्नी को कुछ नाराज कर सकता है और पत्नी का बचकाना स्वभाव दिखाना पति को नापसंद हो सकता है। किन्तु अधिकांश समय उनके सबंधं अच्छे रहेंगें। तुला पति में संभोग की इच्छा प्रबल होती है। वह पत्नी को उसकी इच्छा भर मानसिक संतोष प्रदान कर सकता है। वह पत्नी की प्रशंसा करते थकता नहीं। लेकिन ये ही बातें वह अपनी अन्य प्रेमिकाओं से भी दोहरा सकता है। वह अत्यंत कुशल प्रेमी होता है और प्रेम का उसका अनुभव भी प्रचुर रहता है। अतः इन दंपत्तियों का जीवन कभी नीरस नहीं हो सकता। 

यदि पति मिथुन हो और पत्नी तुला हो तो नवीनता और उत्तेजना की खोज उन्हें एक दूसरे से बांध कर रखती है। प्यार का उन्माद कुछ कम होने पर पत्नी का ध्यान पति के अनुत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार और आर्थिक स्थिति की ओर जा सकता है। लेकिन घर में स्थायित्व लाने का दायित्व भी उसे ही संभालना होगा। इसमें वह झुंझला सकती है। फिर भी प्यार का आकर्षण इतना अधिक होगा कि झुकने को सहज ही तैयार हो जायेगी। यदि पत्नी कोई व्यापार चलाती है तो उसमें पति से पूर्ण सहयोग मिलेगा। पति पत्नी दोनों यात्रा के भी शौकीन होंगे और प्रायः बिना पूर्व कार्यक्रम के छोटी छोटी यात्राओं पर चल जायेंगे। यौन संबंधों में दोनों एक दूसरे की आवश्यकताओं को समझते है। उनका साथ साथ रहना ही दोनों को उत्तेजित किये रहता है। ऐसी संभावना कम ही है कि कोई तीसरा व्यक्ति उनके संबंधों में दरार पैदा कर सके। क्योंकि दोनों ही थोडी बहुत उंच नीच को महत्व नहीं देते। 

Also read - नवग्रहों के सरल उपाय एक ही स्थान पर जानने के लिये क्लिक करे।

तुला - कर्कः- 

जल और वायु में अधिक तालमेल नहीं है, किन्तु दोनों राशियों के स्वामी चन्द्र और शुक्र में अनेक बातें समान हैं और उनकी निभ जाती है। कर्क जातक के मन को बहुत जल्दी चोट पहुंचती है, लेकिन तुला जातक उत्तेजना दिलाए बिना जानबूझकर संघर्ष पैदा करने वाला कोई काम नहीं करेगा। हां, तुला जातक भावना और तर्क के बीच सन्तुलन पसन्द करता है, अतः कर्क जातक की अत्यधिक भावना से कभी-कभी परेशान हो सकता है।

यदि पत्नी कर्क जातिका है और पति तुला जातक तो उनके बीच किसी निर्णय पर पहुंचना कठिन होगा। पति बात को आगे बढ़ाता है जबकि पत्नी उसे टालती है । तुला जातक साझेदारी निभाने की चुनौती को स्वीकार कर इस दिशा में काफी प्रयास करेगा। वह नारी की इच्छाओं का पूरा पारखी होता है। किन्तु उसे अपना बनाए रखने के लिए कर्क पत्नी को अपनी बुद्धि का विकास करना होगा। तुला जातक बहुत शीघ्र बेचैन हो उठता है और ऊब जाता है । उसकी आंखें हमेशा नए शिकार की खोज में रहती हैं। अतः उसे वश में रखने के लिए कर्क पत्नी को सदा आकर्षक बने रहना होगा। तुला पति के लिए यौनाचार का भारी महत्व है और पत्नी उसे इस दिशा में व्यस्त रख सकती है। उसका रंगीला दृष्टिकोण ही काफी नहीं होगा। तुला पति को तरह-तरह की यौन विकृतियों के विचार से उत्तेजना मिल सकती है जबकि कर्क पत्नी का मन उनके प्रति विद्रोह करेगा।

यदि पति कर्क जातक है और पत्नी तुला जातिका, तो पत्नी का सामाजिक जीवन के प्रति प्रबल उत्कंठा पति के घरेलू जीवन में आनन्द लेने की प्रवृत्ति से टकराएगी। जितना पत्नी पति को घर से बाहर खींचने का प्रयास करेगी, उतना ही पति और अपनी जिद पर अड़ता जाएगा। अन्त में पत्नी सामाजिक जीवन में आनन्द लेना प्रारम्भ कर देगी और पति अपनी उदास घड़ियां घर में बिताएगा। बहस का भी कोई लाभ नहीं होगा। पति भावना से काम लेगा और पत्नी बुद्धि से। कर्क पति को तुला पत्नी का कपड़ों तथा साज-श्रृंगार पर व्यय भी पसन्द नहीं आएगा। उसकी समझ में यह बात नहीं आएगी कि इससे पत्नी का अहम् सन्तुष्ट होता है और उसमें अधिक नारी-भाव का विकास होता है, न यह कि साज- श्रृंगार उसके व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण अंग है। कर्क पति की रुचि किसी खेल में हो सकती है लेकिन पत्नी को घण्टों खड़े-खड़े उसका खेल देखना नहीं भाएगा।

उसका यौन-जीवन दिल और दिमाग का निरन्तर टकराव होगा। तुला पत्नी कर्क पति की भावना को नहीं समझ सकती और कर्क पति मानसिक उत्तेजना के लिए तुला पत्नी की आवश्यकता को नहीं समझ पाएगा।

Also read - मांगलिक दोष का संपूर्ण वैज्ञानिक विवेचन जानने के लिये क्लिक करे।

तुला - सिंह:- 

आग का वायु से मेल बैठ जाता है। इन दो राशियों के जातकों में जीवन के अनेक आनन्द समान रूप से भोगने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है । तुला जातक हर बात में संतुलन चाहता है । सिंह जातक उसे अत्यधिक खर्चीला, उदार, आत्मश्लाघी दिखाई देता है। सिंह जातक में प्रभुता की भावना होती है, किन्तु तुला जातक अपनी चतुराई से उसे अपना मन चाहा करा लेता है।

पत्नी सिंह जातिका और पति तुला जातक होने पर पत्नी मतभेद दूर करने तथा तनाव कम करने के लिए जहां बहस में विश्वास करती है वहां पति को उसके उबाल अप्रिय तथा असंतुलित लगते हैं। मतभेदों पर शाति से चर्चा करते समय उसे सिंह पत्नी के ज्वालामुखी का सामना करना पड़ता है। निर्णय लेने के प्रश्न पर भी दोनों में मतभेद हो सकता है। जब तक आवश्यक न हो पति किसी भी निर्णय से बचना चाहता है और पत्नी उसे उत्तरदायित्वहीन समझने लगती है। तुला जातक स्वभावतः रूप-पिपासु होता है। कोई भी सुन्दर नारी पास से गुजरे, वह उसकी ओर आकर्षित होगा और उसे लुभाने का प्रयास करेगा। पत्नी की आयु में बड़ा अन्तर होने पर यह बात और भी खुलकर सामने आती है । तुला जातक को यह अहसास चाहिए कि यौवन ढलना शुरू होने पर भी उसकी मोहिनी शक्ति कम नहीं हुई। सिंह पत्नी की दृष्टि से उसकी यह प्रवृत्ति छिपी नहीं रहती। पति-पत्नी दोनों में कठोर परिश्रम की क्षमता होती है, किन्तु बीच-बीच में वे लम्बे समय तक निष्क्रिय भी रहते हैं । यह प्रवृत्ति दोनों में मिलती है, फिर भी वे एक-दूसरे पर आलसी होने का आरोप लगाते हैं

यौन सम्बन्धों में उनकी भूख लगभग समान होते हुए भी उसमें अन्तर होता है । पति को पत्नी में चमक-दमक तथा कल्पना चाहिए जबकि पत्नी का रवैया अधिक उदार तथा सीधा-सादा होता है। निदान पति अन्यत्र सन्तोष की खोज करने लगता है।

जब पति सिंह जातक हो और पत्नी तुला जातिका तो पत्नी पति के पौरुष से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती। उसके मन को चोट तब पहुंचती है जब पति को निष्क्रियता का दौरा पड़ता है । शीघ्र ही वह समझने लगती है। कि चापलूसी की एक अच्छी खुराक उसे पुनः गतिशील बना सकती है। धीरे धीरे वह पति की प्रमुख भावना से भी समझौता करने लगती है। लेकिन जब पति अपनी गलती होने पर भी उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं होता तब उसकी न्याय-भावना को आघात लगता है।

यह युगल अपनी मित्र-मंडली में बहुत लोकप्रिय रहेगा। सिंह पति मित्रों को खिलाने-पिलाने में विश्वास करता है और तुला-पत्नी उत्तम अतिथि-सत्कारक सिद्ध होती है। यदि वे समझदारी से काम नहीं लेते तो अच्छी-अच्छी वस्तुओं पर खर्च करने का उनका स्वभाव उन्हें अल्प समय में ही धनहीन बना सकता है। ऐसी स्थिति में आर्थिक दायित्व पति को ही सम्भालना पड़ सकता है । पत्नी अपनी असहायता का नाटक कर उसे इसके लिए तैयार कर सकती है। सिंह जातक में आमतौर से ईष्र्या नहीं होती। किन्तु यदि पत्नी अपने व्यवसाय में उससे अधिक सफल होने लगती है तो पति की ईष्र्या जागे बिना नहीं रह सकती। अतः अच्छा हो कि पत्नी अपनी सफलता की बात पति को न बताए ।

यौन-व्यवहार में पति पत्नी को व्यस्त और प्रसन्न रखेगा। दोनों के लिए अपने प्रेम का प्रदर्शन करना और एक-दूसरे को संतुष्ट रखना कठिन नही है। दोनों के सम्बन्ध जोशीले और अच्छे रहेंगे। 

Also read - एक गोत्र में विवाह क्यों नही करना चाहिये ? जानिए वैज्ञानिक कारण इस लेख में

तुला - कन्याः- 

दोनों राशियों के स्वामी, मस्तिष्क तथा भावना के प्रतिनिधि, बुध तथा शुक्र एक-दूसरे के पूरक होने के कारण इस योग में पृथ्वी तत्व और वायु तत्व का बेमेलपन अधिक नहीं खटकेगा। दोनों पूर्णता प्राप्त करना चाहते हैं। तुला जातक का लक्ष्य सन्तुलन तथा सौन्दर्य की खोज है, अतः वह कन्या जातक के आलोचक पक्ष से नहीं टकराएगा।

कन्या पत्नी को तुला पति अत्यन्त आकर्षक, मिलनसार और रूमानी प्रतीत होगा। वह प्रशंसा से पत्नी का सहज में ही दिल जीत लेगा, लेकिन पत्नी यह समझने में असफल रहेगी कि उससे इस प्रकार की प्रशंसा प्राप्त करने वाली वह इस वर्ष की बीसवीं महिला है। कुछ दिन तक वह अपना भ्रम पाले रहेगी, किन्तु कभी-न-कभी तो उसे तथ्यों का सामना करना ही होगा। उसी समय से उनके सम्बन्धों में मोड़ आने लगेगा। पत्नी द्वारा अपने व्यक्तित्व की बहुत अधिक छीछालेदार किए जाने से तुला पति की न्याय-भावना आहत होगी। कन्या पत्नी के मन में उसकी इस भावना के प्रति जरा भी सहानुभूति नहीं जागेगी। वह भावना से नहीं, बुद्धि से काम लेना चाहती है। पति के किसी बहस में पड़ने से इन्कार करने पर पत्नी को निराशा हो सकती है। तुला जातक की यौन-भावना नित्य बदलती रहती हैं। एक दिन उसके मन में पत्नी के प्रति अचानक प्यार उमड़ आएगा और दूसरे दिन वह उसे घण्टों तक बहकाता रहेगा। कन्या जातिका प्रेम-प्रदर्शन के मामले में अधिक सीधी होती है और उसे यह सब नाटक लगता है।

यदि पति कन्या जातक है और पत्नी तुला जातिका, तो पति की नकारात्मक दृष्टि से परेशान होने की बारी पत्नी की है। तुला पत्नी अपने पति से अधिक सामाजिक होगी। पति इसे उसकी उत्तरदायित्वहीनता समझ सकता है। दोनों का प्रेम-प्रदर्शन का ढंग भी अलग-अलग होगा। पति चाहेगा कि पत्नी उसके कार्यों से उसके प्रेम को समझे न कि बातों से । पत्नी के स्वभाव को इससे निराशा होगी।

कन्या पति एक-एक पैसे के खर्च का हिसाब चाहेगा। यदि उसे सन्देह हो गया कि पत्नी फिजूलखर्ची कर रही है तो वह उसे एक पैसा नहीं देगा। पत्नी के पालतू पशु-पक्षियों को पति तब तक सहन करेगा जब तक वे शान्त रहेंगे, अन्यथा इस प्रश्न पर भी वह बखेड़ा खड़ा कर सकता है। ऐसे भी अवसर आ सकते हैं जब पत्नी घण्टों खर्च कर शानदार भोजन तैयार करे और प्लेट में एक जरा-सी दरार पति का सारा मूड बिगाड़ दे।

यौन-सम्बन्धों के प्रति पति-पत्नी के अन्तर को पाटना अत्यन्त कठिन होगा। पति के लिए यह एक सामाजिक कर्तव्य है, जबकि पत्नी के लिए जीवन का आवश्यक अंग । यह मेल अच्छा नहीं कहा जा सकता।

Also read - चोरी हुई वस्तु या गुम हुआ व्यक्ति कहां है ? जानिये इस लेख से

तुला - तुला:- 

वायु और वायु के मिलाप से कोई टकराव नहीं होता। दोनों का स्वामी शुक्र है। जो कि पे्रम, शांति व सौहार्द का प्रतीक है। अतः ज्यादातर बातों में दोनों सहमत हो जाते है। किसी तरह का टकराव होता है तो तुला जातक परेशान हो जाता है। दोनों ही टकराव पैदा करने वाली बातों को अनदेखा कर देते है या बीच में छोड़ देते है। दोनों आराम पसंद होते है। अच्छा जीवन जीना पसंद करते है। उनमें संघर्ष की भावना नहीं होती। इससे यह जोड़ी ज्यादा उन्नति नहीं करती। क्योंकि इनसे मेहनत नहीं होती। घर का वातावरण निश्चय ही उनकी रुचियों का परिचायक होगा।

दोनों जोड़ीदारों में यौवन का जोश छलक रहा होगा और वे अपने प्रेमपात्रों से भारी अपेक्षाएं रखेंगे। कोई भी अधिक समय तक घर से बंधे रहना पसन्द नहीं करेगा। उनकी प्रसन्नता के लिए ढेर सारी बाहरी रुचियां होनी चाहिएं । ऐसा न होने पर उनमें नैराश्य भावना छा जाएगी। प्रबल न्याय भावना होने के कारण उनके घर में मित्रों तथा परिचितों की लडाइयां हल के लिए आएंगी। उनका घर आवारा और भूखे पशुओं का चिड़िया-घर भी बन सकता है।

दोनों के बीच अत्यधिक यौनाकर्षण रहेगा और वे एक-दूसरे को प्रसन्न करने के नए-नए उपाय सोचेंगे। उनके जीवन में तीसरा व्यक्ति भी प्रवेश कर सकता है, लेकिन इसे वे हलके मन से स्वीकार कर लेंगे।

Also read - अपनी कुंडली में खुद देखें पितृ दोष है या नहीं और खुद करें उपाय। जानने के लिये क्लिक करे।

तुला-वृश्चिक-

इस जोड़ी में वायु का पानी से मेल होना सम्भव है। तुला का स्वामी शुक्र और वृश्चिक का स्वामी मंगल प्रबल शारीरिक, भावनात्मक और यौन आकर्षण पैदा कर सकते हैं। किन्तु कभी-कभी विनम्र तुला जातक को वृश्चिक जातक की तेजी बहुत अधिक मालूम हो सकती है। तुला जातक में इतनी नीति-कुशलता अवश्य होती है कि वृश्चिक जातक को डंक मारने के लिए उत्तेजित न करे। तुला जातक की मोहिनी और वृश्चिक जातक के यौनाकर्षण में परस्पर खिंचाव रहता है।

तुला पत्नी को वृश्चिक पति की प्रेमाभिव्यक्ति कुछ समय के लिए आकर्षित कर सकती है। उसके बाद वह खिचने लगती है। इस पर पति उसे अधिक कठोरता से जकड़ने और उसके घर से बाहर आने-जाने पर अंकुश लगाने का प्रयास करता है । फलतः पति-पत्नी के सम्बन्ध बिगड़ते जाते हैं।

दोनों में यौन की गहरी भूख रहती है, लेकिन जहां यह भूख पति में वासना के रूप में प्रकट होती है, वहां पत्नी को उसकी शान्ति के लिए मानसिक उत्तेजना चाहिए।

यदि पति तुला जातक है तो उसे वृश्चिक पत्नी के जटिल स्वभाव को समझने में काफी समय लगेगा। उसे पत्नी के बारे में नित नई-नई बातों का पता चलेगा। यह उसके चुनौतीप्रिय स्वभाव को आकर्षित करेगा। कठिनाई घरेलू जीवन के प्रति उनके विरोधी दृष्टिकोणों से पैदा होगी। पति घर से बंधा रहना नहीं चाहेगा और पत्नी के उसे बांधे रखने के प्रयास का प्रतिरोध करेगा। पत्नी का भावनात्मक उबाल उसे अरुचिकर लगेगा। उसे अपने आस-पास सौहार्द और सौन्दर्य चाहिए। वह बहस या टकराव में नहीं फंसेगा और उठकर घर से बाहर चल देगा। वह तभी लौटेगा जब उसके विचार से पत्नी अधिक शांत मानसिकता में हो। इस प्रकार की हर घटना दोनों की खाई को चैड़ा करती जाएगी और ऐसा भी समय आएगा जब पति रात-रातभर घर से गायब होगा। तुला पति धन की भी अधिक चिन्ता नहीं करेगा। उसकी इस प्रवृत्ति से वृश्चिक पत्नी के मन में आर्थिक असुरक्षा का भय बढ़ेगा।

पति के यौन-जीवन में मानसिक उत्तेजना, चमक-दमक, नवीनता और रूमानीपन की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। पत्नी को ये बातें उलझन में डाल सकती हैं। किन्तु उसका जिद्दीपन उसे झुकने से रोक सकता है । जब उसे पता चलेगा कि पति अपनी तृप्ति के लिए अन्य महिला के पास जाने लगा है तो पत्नी की ईष्र्या जागकर उनके सम्बन्धों को तार-तार कर देगी।

Also read - क्यों होती है उपरी बाधा और क्या है उसका निवारण, जानने के लिये क्लिक करे ।

तुला-धनु-

इस योग में हवा के साथ आग का अच्छा तालमेल रहेगा। उनके स्वामी ग्रह शुक्र तथा गुरु प्रेम, प्रसन्नता, सफलता तथा आनन्द के गुणों की और वृद्धि करेंगे । नीति कुशल तुला जातक धनु जातक को उसकी प्रिय स्वतन्त्रता की छूट दे देगा। उदार धनु जातक तुला जातक को कुछ आनन्द और विलास भोगने देगा।

दोनों के मन में कोई वर्जना न होने से तुला जातिका और धनु जातक को प्रेम-पाश में आबद्ध होने में समय नहीं लगता। उनके सम्बन्ध मैत्री पर आधारित होते हैं। तुला पत्नी और धनु पति भी इसे आवश्यक समझते हैं, पत्नी पति की हर योजना में प्रोत्साहन देती है, भले ही वह पागलपन से भरी हो। योजना विफल हो जाने पर भी उसके माथे पर शिकन नहीं पड़ती।

धनु पति प्रायः अपने ईष्र्या-रहित स्वभाव का दम्भ कर सकता है, किन्तु तुला पत्नी से उसे अवश्य मात खानी पड़ेगी। भोजों और मिलन समारोहों में प्रायः वही आकर्षण का केन्द्र रहती है। दोनों में से किसी के व्यावहारिक न होने से इस युगल की आर्थिक स्थिति काफी अराजक हो सकती है। दोनों ही गतिशील जीवन को पसन्द करते हैं। उनके यौन सम्बन्धों में भी कुछ-न-कुछ विशेषता अवश्य होगी। पति अपनी बातों से पत्नी को रातभर गुदगुदाने का प्रयास करेगा और पत्नी रस ले-लेकर उसकी बातें सुनती रहेगी। इससे उसके यौन को भारी मानसिक तृप्ति मिलती है। पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे में खोए रहेंगे।

पति तुला जातक और पत्नी धनु जातिका होने पर भी दोनों एक दूसरे के स्वभाव से आकर्षित हुए बिना न रहेंगे। कठिनाई इस बात से होगी कि दोनों की मित्र-मंडलियां अलग-अलग ढंग की होंगी। पति पत्नी से कुछ अधिक सजने संवरने की अपेक्षा भी कर सकता है। आर्थिक स्थिति इस युगल की भी गड़बड़ ही रहने की सम्भावना है। अन्ततः पति को ही उसे सम्भालने का दायित्व उठाना होगा।

दोनों के बीच प्रबल आकर्षण रहेगा और उनकी यौन की भूख प्रायः समान होगी। तुला पति को अपनी पत्नी को संतुष्ट करने में आनन्द आएगा। वह पत्नी में समा जाने का प्रयास करेगा।

Also read - कोर्ट केस हो या टोना टोटका, शत्रु पीडा हो या और कोई संकट, भैरव नामावली है सबका निवारण। संपूर्ण प्रक्रिया जानने के लिये क्लिक करे ।

तुला-मकर-

वायु का पृथ्वी से मेल सरलता से नहीं होता । मकर जातक में खुलकर अपना प्रेम प्रदर्शित करने का स्वभाव नहीं होता जबकि तुला जातक की यह आवश्यकता है । तुला जातक आराम और भोग-विलास का जीवन पसन्द करता है। मकर जातक जीवन को गम्भीरता और दायित्व से लेता है। मितव्ययिता उसके स्वभाव का अंग है।

यदि पत्नी तुला जातिका हो और पति मकर जातक तो कुछ समय तक पत्नी को पति के व्यावसायिक अतिथियों का स्वागत-सत्कार करने में प्रसन्नता होगी। पति भी पत्नी के इस गुण से प्रसन्न होगा। लेकिन आर्थिक मतभेद उनके जीवन को कठिन बना देंगे। पति योजना बनाकर चलता है और एक-एक पैसा बचाने में विश्वास करता है, जबकि आराम का जीवन पसन्द करने वाली पत्नी को उसका यह व्यवहार काटता-सा है। उसे यह बताते देर नहीं लगेगी। इस बारे में दोनों के बीच कोई समझौता नहीं हो सकता। काम के प्रति मकर जातक का दृष्टिकोण भी समस्याएं पैदा कर सकता है। पति का हर समय काम में व्यस्त रहना तुला पत्नी को पसन्द नहीं आएगा। उसे पति के मुंह से प्यार के बोल चाहिएं। कुछ समय वह धैर्य रख सकती है, किन्तु अन्ततः वह पति पर रूखा और भावनाहीन होने का आरोप लगाए बिना नहीं रह सकती।

उनके यौन जीवन से तनाव और बढ़ने की आशंका है। पति का दिमाग अपने धंधे की बातों में व्यस्त रहेगा और वह पत्नी का उतना ध्यान नहीं रख पाएगा। पत्नी उसे आकर्षित करने के लिए नारीगत गुणों से काम लेगी लेकिन पति उसके संकेतों को नहीं समझ पाएगा। यह बात तुला पत्नी को उससे विमुख कर सकती है।

यदि पति तुला जातक है और पत्नी मकर जातिका, तो पत्नी का सामाजिक जीवन में रुचि के अभाव से घबराने की बारी पति की है। पति में रंगीलापन बना रहता है जबकि पत्नी अपनी भावनाओं को बहुत गंभीरता से लेती है । गृह-कार्यों में पत्नी की कुशलता की ओर पति का ध्यान न जाना टकराव पैदा करेगा। पति अपनी समस्याओं की उपेक्षा कर बाहरी लोगों के लिये न्याय की लड़ाई लड़ रहा होगा।

यौनाचरण में पति को मानसिक भोजन चाहिए। विविधता के लिए उसकी खोज से पत्नी में रूखापन पैदा होगा। यह मेल बुद्धिमानी का नहीं होगा।

Also read - आप भी रोज पढते होगें अखबार या टीवी का राशिफल ? ये सच होता है या झूठ, जानिये इस लेख में ।

तुला-कुम्भ-

वायु का वायु से तालमेल है। इन दोनों राशियों के जातक स्वभावतः मित्रता में विश्वास करते हैं और उन्हें अन्य लोगों का साथ चाहिए। दोनों मिलकर इस आनन्द को बांट सकते हैं। तुला जातक का प्रेम व्यक्तिपरक होता है जबकि कुम्भ जातक का विश्वपरक। जब कुम्भ जातक विरक्त या रहस्यमय होने लगता है तो तुला जातक उसे आकर्षित करने के लिए रोष के स्थान पर नीति से काम लेता है। दोनों की एक दूसरे से कोई असम्भव अपेक्षा नहीं होगी, फिर भी तुला जातक को कुम्भ जातक के सामाजिक कार्यों के लिए छूट देनी होगी।

यदि पत्नी तुला जातिका है और पति कुम्भ जातक, तो पत्नी पति के परोपकारी कार्यों में पूरी रुचि लेगी, यद्यपि दोनों के बीच कभी-कभी कुछ अनखनाहट हो सकती है। यह तब होगा जब पत्नी की भावना पति के तर्कों से टकराए । जहां तक यौन सम्बन्धों का प्रश्न है, केवल तुला पत्नी ही कुम्भ पति के वैरागी स्वभाव को बदल सकती है। वह उसे बता सकती है कि थोड़ा-सा दिमाग लगाने से यौन सम्बन्ध कितने मधुर हो सकते हैं।

यदि पति तुला जातक है और पत्नी कुम्भ जातिका, तो पति को तब तक पत्नी की स्वतंत्रता से कोई आपत्ति नहीं होगी जब तक वह सजी-संबरी नारी बनी रहे। वह अपने सम्बन्धों को स्थायी रूप से रूमानी बनाए रखने का प्रयास करेगा। पत्नी भी इससे प्रसन्न रहेगी। कभी-कभी दोनों इधर-उधर मुंह मारने को भी आपत्तिजनक नहीं समझेंगे।

वायु जातकों की भावनाएं तथा इच्छाएं आमतौर से सत्य ही होती है। किन्तु मन से उत्तेजना पाकर इस युगल में यौन भूख प्रबल हो सकती है। अपने यौन सम्बन्धों में वे उस क्षण के मूड, विविधता, नयापन और नए-नए परा से प्रभावित होंगे। वे साफ मन से किसी तीसरे व्यक्ति को भी अपने जीवन में ला सकते हैं।

तुला-मीन-

इन राशियां के स्वामी शुक्र तथा गुरू के बीच सौहार्द वायु तथा जल तत्वों के अन्तर को पाटने में सहायक होता है। दोनों का स्वभाव भिन्न होने पर भी कला, मनोरंजन सौहार्द, विनम्रता, प्रेम, साहचर्य, रूमानीपन आदि में समान विश्वास उन्हें एक दूसरे के समीप ला सकता है । तुला जातक में संतुलन तथा निष्पक्षता की अंतरंग प्रवृत्ति मीन जातक की उलझन, अनिर्णय और व्यवहार शून्यता का जवाब हो सकती है।

यदि पत्नी तुला जातिका है और पति मीन जातक, तो देर सवेर पत्नी यह महसूस करने लगेगी कि पति जीवन को अत्यधिक गम्भीरता से लेता है । वह हर समय खिलाड़ीपन के मूड में रहती है और पति आमतौर से गहरी संवेदनाओं से ग्रस्त रहता है । पत्नी यदि उसे गुदगुदाने का प्रयास करती है तो पति खिलखिलाने के बजाय और उबाल खा जाता है। पत्नी को आश्चर्य होता है कि इस व्यक्ति में क्या परिहास-भावना बिल्कुल नहीं है।

मीन जातक प्रायः अपने मन की बात को प्रकट न करने वाला होता है । तुला पत्नी के लगातार कुरेदते रहने पर उसकी यह प्रवृत्ति और बलवती हो उठती है। पत्नी की समझ में यह बात नहीं आती और दोनों के सम्बन्धों में टकराव बढ़ने लगता है। यौन सम्बन्धों में मीन जातक पहल करना पसंद करता है । अतः तुला पत्नी के लिए उससे अत्यधिक अपेक्षा न कर और स्वयं पहल न कर उसे इसकी छूट देना बेहतर रहेगा।

यदि पति तुला जातक है और पत्नी मीन जातिका तो और सब तो ठीकठाक रहेगा, किन्तु कठिनाई पत्नी की ईष्र्या से पैदा हो सकती है। मीन जातिका एक समय में एक ही व्यक्ति से प्रेम करने में विश्वास करती है जबकि तुला जातक का स्वभाव हरजाईपन का होता है। तुला पति मीन पत्नी को अपना निजी जीवन अपनाने में सहायता करेगा और उस पर घर का बोझ नहीं डालेगा। अपना भोजन स्वयं तैयार करने में भी उसे कोई हिचक नहीं होगी। किन्तु आर्थिक समझ दोनो में से किसी एक में न होने से इस क्षेत्र में कठिनाई हो सकती है। यह बात पति को ही सम्भालनी होगी।

दोनों की यौन-भूख प्रायः समान होगी और उन्हें एक दूसरे की आवश्यकताओं को समझने तथा संतोष प्रदान करने में समर्थ होना चाहिए। दोनों कल्पना और खिलवाड़ के शौकीन होते हैं और अपने यौन जीवन में भी नए-नए खेल खेलकर जीवन का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।


Read More

Friday, 12 February 2021

Tula rashi ka parichay / तुला राशि का संपूर्ण परिचय

Posted by Dr.Nishant Pareek

Tula rashi ka parichay



 तुला राशि का संपूर्ण परिचय

तुला राशि के अंतर्गत आने वाले नामाक्षर निम्न हैः- रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते। 

तुला राशि, राशिचक्र की सातवीं राशि है। सप्तम के अलावा इसे निम्न नामों से भी जाना जाता है- जूक, तौलि, धट, पिचु, यूक, वणिक, नैगम, आपणिक, तुुलाधर, धटगति, पण्याजीव, सार्थवाह, क्रय- विक्रयक, वणिगधिपति। अंगे्रजी में इसे लीब्रा कहते है। 

यह भी पढें - स्त्री के अंग इस तरह के हो तो बनाते है उसे पति की प्यारी और सौभाग्यशाली

तराजू के दो पलडे़ - तुला राशि का प्रतीक है। इस राशि का विस्तार राशिचक्र के 180 अंश से 210 अंश तक है। शुक्र ग्रह इसका स्वामी है। वायु तत्व है। इसके तीन द्रेष्काणों के स्वामी क्रमशः शुक्र, शनि तथा बुध है। इसके अंतर्गत चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण तथा चैथे चरण, स्वाती के चारों चरण तथा विशाखा के तीन चरण आते है। इन चारों चरणों के स्वामी क्रमशः इस प्रकार है-  चित्रा तीसरा चरण- मंगल शुक्र, चैथा चरण - मंगल मंगल, स्वाति पहला चरण- राहु गुरू, विशाखा पहला चरण - गुरू मंगल, दूसरा चरण - गुरू शुक्र, तीसरा चरण - गुरू बुध। इन चरणों के नामाक्षर इस प्रकार है - रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते। 

त्रिशांश विभाजन में 0 से 5 डिग्री मंगल मेष के, 5 से 10 डिग्री शनि कुंभ के, 10 से 18 डिग्री गुरू धनु के, 18 से 25 डिग्री बुध मिथुन के, और 25 से 30 डिग्री शुक्र तुला के है। 

यह भी पढें- किसी भी तरह के शत्रु परेशान करते हो तो यह उपाय देगा आपके सभी शत्रुओं को मात। जानिए क्या है यह उपाय

जिन लोगों के जन्म के समय निरयण चंद्रमा तुला राशि में भ्रमण करता है, उनकी राशि तुला होती है। उन्हें गोचर में अपने फल इसी राशि के अनुसार देखने चाहिये। जन्म के समय लग्न तुला राशि में होने से भी यह अपना असर दिखाती है। सायन सूर्य 23 सितंबर से 22 अक्टूबर तक तुला राशि में रहता है। यही समय शक संवत् के अश्विन मास का है। इन तिथियों में कुछ आगे पीछे जरूर हो सकता है। जिन लोगों की जन्म तारीख इस अवधि के बीच आती है, वे पश्चिमी ज्योतिष के अनुसार फलादेश तुला राशि का देख सकते है। निरयण सूर्य लगभग 18 अक्टूबर से 16 नवंबर तक तुला में रहता है। 



जिन लोगों की कुंडली नही है या जन्म विवरण पता नहीं है, वे अपने प्रसिद्ध नाम के पहले अक्षर के अनुसार अपनी राशि देख सकते है। 

यह भी पढें- चोरी हुई वस्तु का पता कीजिये इस तरह

इस तरह तुला राशि के व्यक्तियों को हम चार भागों में विभाजित कर सकते है- चंद्र तुला, लग्न तुला, सूर्य तुला तथा नाम तुला। इन चारों भागों में तुला राशि की कुछ न कुछ प्रवृतियां जरूर मिल जाती है। ग्रह मैत्री चक्र के अनुसार तुला राशि बुध व शनि के लिये मित्र राशि, चंद्र व मंगल के लिये सम राशि तथा सूर्य व गुरू के लिये शत्रु राशि है। इस राशि में शनि अपनी उच्च अवस्था में तथा सूर्य अपनी नीच अवस्था में होता है। मंगल के लिये यह अस्त राशि है। 

प्रकृति और स्वभाव:-  

तुला सौन्दर्य और सन्तुलन की राशि है। रूप और सौन्दर्य का राजा शुक्र ग्रह इस राशि का स्वामी है। अतः सौन्दर्य की साधना तुला जातक का मूल गुण है। यों शुक्र के स्वामित्व वाली एक अन्य राशि वृष भी है। किन्तु वृष के शुक्र में और तुला के शुक्र में भारी अन्तर है। जहां वृष में शुक्र का भौतिक प्रेम वाला पक्ष उभरकर आगे आता है, वहां तुला में उसका कलात्मक पक्ष मुखर होता है । तुला जातक एक सुन्दर वृक्ष को या मनोरम प्रकृति को देखकर, एक सुन्दर चित्र का अवलोकन कर अथवा एक मनोहारी गीत सुनकर उसी प्रकार आकर्षित होता है जिस प्रकार एक सुन्दर नारी की रूप मोहिनी से। यही कारण है कि तुला जातक को अपने आस-पास सदा एक सुरम्य वातावरण चाहिए और वह न मिलने पर उसका मन बुझा-बुझा-सा हो जाता है । यह वातावरण तुला के दोनों पलड़ों में सन्तुलन से ही आ सकता है । जरा-सा सन्तुलन बिगड़ा और सब कुछ अस्त-व्यस्त हुआ। वे जीवन को पूरे आनन्द के साथ भोगने में विश्वास करते हैं।

यह भी पढें- विवाह में कुंडली कैसे मिलायें। जानिए सही और सरल तरीका

मानसिक रूप से तुला जातक अच्छे न्यायाधीश, पंच, शांतिदूत हो सकते हैं। उनमें हर बात को तर्क की कसौटी पर कसने की प्रबल भावना है। इसमें वे स्वयं को भी नहीं बख्शते। इस प्रवृत्ति के कारण बड़ी संख्या में तुला जातक कानून के अध्ययन की ओर उन्मुख होते हैं। सार्वजनिक जीवन में भाग लेकर वे कानूनों की रचना में भी भाग ले सकते हैं । भाषा पर उनका पूरा अधिकार होता है। अपनी बात को वे प्रायः छोटे-छोटे वाक्यों में और बोधगम्य भाषा में कहने में विश्वास करते हैं।

यह भी पढें- गुण मिलान की वैज्ञानिकता को समझें बिल्कुल सरल तरीक से।

अपने में काफी कुछ सीमित रहते हुए भी तुला जातक अपनी मित्र मंडली में काफी लोकप्रिय होते हैं। वे विवादों-झगड़ों से यथासम्भव दूर रहते हैं । उनकी सुरुचि का परिचय उनके वस्त्रों से भी मिलता है। उदात्त आदर्शवाद और उच्च नैतिक सिद्धान्त उनके चरित्र का आधार हैं । स्वभावतः वे वर्तमान में ही जीना पसन्द करते हैं। उन्हें विगत की कम और भविष्य की भी कम चिन्ता होती है। एक बार अपना मार्ग चुन लेने पर वे सफलता की ओर अग्रसर होते जाते हैं। लेकिन तात्कालिक वातावरण तथा परिस्थितियों का उनके मन पर भारी प्रभाव पड़ता है और उनके अनुसार वे आशा तथा निराशा के झूले में झूलते रहते हैं।

यह भी पढें- वैवाहिक जीवन को कौनसे ग्रह सुखी और दुखी करते है, जानिए इस लेख में

तुला जातकों में एक विशेष गुण यह होता है कि वे हर बात को करने से पहले उसके सभी पक्षों को अच्छी प्रकार से तोल लेना चाहते हैं। इसमें समय लगना स्वाभाविक है । यह बात उनके चिन्तन तथा आयोजन के बारे में भी है। फलस्वरूप, जो लोग त्वरित निर्णय लेने के पक्ष में होते हैं, वे इसे अनिर्णय भावना समझकर अधीर हो सकते हैं। साथ ही तुला जातकों में एक दुर्बलता यह पाई जाती है कि वे चाहे जब तुला के एक पलड़े से दूसरे पलड़े में कूदकर अपना पक्ष बदल सकते हैं। अभी-अभी उनका ध्यान किसी एक बात पर केन्द्रित हो और अभी वे उसे एकदम भूलकर भिन्न दृष्टिकोण अपनाने लगें।

यह भी पढें- नाड़ी दोष को समझें सरल तरीके से, इस लेख में

अवसर के अनुरूप वे काफी नीति-कुशल हो सकते हैं, क्योंकि उनमें समस्या के दोनों पक्षों को देख पाने की योग्यता होती है। अपनी मोहिनी-शक्ति के साथ इस गुण का उपयोग कर वे अन्य लोगों द्वारा स्थिति को समझ पाने से पहले ही अपना लक्ष्य प्राप्त कर ले जाते हैं। उनमें प्रबल न्याय-भावना होती है और व अन्याय होते नहीं देख पाते।

कुवृत्तियों का विकास होने पर तुला जातक अनेक दिशाओं में भटकने लगते हैं और शायद ही किसी कार्य में सफलता प्राप्त करते है। जातिकाओं में भी प्रायः वे सभी गुण पाए जाते हैं जो तुला जातको में मिलते हैं। उनके सामने सबसे बड़ी कठिनाई यह होती है कि उनके मुंह से ना नहीं निकल पाता और इससे अनेक समस्याएं तथा तनाव पैदा हो जाते हैं।

यह भी पढें- कौन होते है पतिव्रता और पत्नीव्रता लोग, जानिए ज्योतिष के योग से

तुला राशिचक्र में मेष के सामने की राशि है। इस राशि में जन्म लेने वाले नेता जीवन भर लोकप्रिय बने रहेंगे, जबकि मेष जातक सुदिनों में ही सत्ता में आएंगे और कुदिनों में पता भी नहीं चलेगा, वे कहां हैं।


आर्थिक गतिविधियां और कार्यकलाप:-

भौतिक मामलों में तुला जातक प्रायः सफल रहते हैं। वे मकान या भूमि के रूप में सम्पत्ति अर्जित कर सकते हैं। वे चतुर व्यापारी बनकर धन और यश कमा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे जो भी व्यवसाय या वृत्ति चुनें उसमें पूरा सामंजस्य रखते हैं । सुन्दर और भव्य वस्तुएं खरीदने में वे कितना भी धन खर्च कर सकते हैं। उनके लिए धन का अधिक महत्व नहीं होता। भारतीय ज्योतिष में इसे व्यापारी राशि भी कहा जाता है।

यह भी पढें- ज्योतिष में व्याभिचारिणी योग बताता है आपका चरित्र

ये लोग अच्छे वकील और न्यायविद् तो बनते ही हैं, उनमें से कुछ विशेष अध्ययन या शोध कार्य में अपना जीवन लगा सकते हैं। कुछ उत्तम वैज्ञानिक और डाक्टर बनते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी तुला जातक धन तथा यश दोनों कमाते देखे गए हैं। किन्तु बहुत कम ऐसे होते हैं जो बुढ़ापे अथवा भविष्य के लिए उसे बचा कर रख पाते हैं। कुछ उल्लेखनीय उदाहरण अभिनेत्री सारा बर्नहार्ट, नाटककार औस्कर वाइल्ड, श्रीमती एनीबेसेंट, भूतपूर्व प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री आदि के हैं। एक अन्य सुप्रसिद्ध तुला जातक के रूप में महात्मा गांधी का नाम लिया जा सकता है।

यह भी पढें- कैसे पुरूष व्याभिचारी होते है ? जानिए इस लेख में

औषधि-विक्रय, चित्रकारी, कहानी तथा नाटक लेखन, भवन-निर्माण, बायुसेना, बिक्री-एजेंसी आदि कुछ अन्य व्यवसाय हैं जिनमें तुला जातक सफल हो सकते हैं। उनके शौकों में फोटोग्राफी, बागवानी, चित्रकारी, कसीदाकारी, संगीत आदि हो सकते हैं। तुला चर राशि होने के कारण उनके शौक प्रायः बदलते रहते हैं।

मैत्री, प्रेम, विवाह-सम्बन्ध:-

तुला जातक अच्छे मित्र होते हैं। वास्तविकता यह है कि मित्र मंडली बना उनका जीवन दूभर हो जाता है। अपनी मित्र मंडली में वे लोकप्रिय भी बहुत होते हैं। 

यह भी पढें- कुंडली में देखें लडका होगा या लडकी ?

उनके जीवन में प्रेम का सर्वोपरि महत्व होता है। बुढ़ापे तक प्रेम में उनकी रुचि बनी रहती है। उनके साथ एक वास्तविक भय यह रहता है कि जहां कोई सुन्दर महिला देखी, उसी से प्रेम का प्रस्ताव न कर बैठे। बाद में कभी उन्हें पछताना पड़ सकता है। प्रायः उनके अनेक प्रेम-प्रसंग चलते रहते हैं। यौन की उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, किन्तु उससे ३. धेक आनन्द उन्हें प्रेम का नाटक रचने में आता है। उनका यह नाटक छोटी आयु से ही प्रारम्भ हो जाता है।

यह भी पढें- इस वजह से होती है लव मैरिज। जानिए कारण

वैसे प्रेम सम्बन्धों में वे बहुत दिखावा करने वाले नहीं होते, बल्कि बाल की खाल निकालने वाले होते हैं। उन्हें तौलते समय वे यह भूल जाते हैं कि प्यार के पंखों को सूक्ष्मदर्शक यन्त्र से नहीं देखा जाता। फलस्वरूप वे प्रायः भ्रम और निराशा के शिकार होते हैं। वे अपने प्रेम-पात्रों को अधिक समय तक सन्तुष्ट रखने या बांधे रखने में विफल रहते हैं। तुला-प्रेमी अपने प्रेम-पात्र के साथ ऐसा व्यवहार करता है मानो वह कोई गुलदस्ता हो या कोई सुन्दर चित्र हो। कौन इसे स्वीकार करेगा ?

यह भी पढें- कौन लोग करते है दूसरी जाति में विवाह, जानिए सच्चाई

अतः तुला जातक की पत्नी को अपने पति के रंगीलेपन पर सदा चैकसी रखनी होगी और स्वयं भी आकर्षक बने रहना होगा। ऐसा जीवन साथी मिल जाने पर फिर सुखमय वैवाहिक सम्बन्धों की अनन्त सम्भावनाएं खुल जाती हैं। तालमेल बनाए रखने के लिए तुला जातक या जातिका कोई भी त्याग कर सकती है।


स्वास्थ्य और खानपान:-

तुला जातकों का स्वास्थ्य उत्तम रहता है, शर्त यह है कि उनका संतुलन बना रहना चाहिए। संतुलन बिगड़ जाने पर उनको अनेक स्नायु रोग हो सकते हैं और शरीर का गठन भी बिगड़ सकता है। उनका मुंह हृदय की शकल का होता है और उस पर मुसकान खेलती रहती है। ठोडी में गड्ढा होता है। शरीर लम्बा और सुगठित होता है। खाया-पीया लगने पर भी उसमें मोटापा नहीं होता। हाथ पैर पतले किन्तु दृढ़ होते हैं। नासिका तोते जैसी होती है । बुढ़ापे में सिर के बाल उड़ने लगते हैं।

यह भी पढें- मांगलिक योग, कितना भ्रम और कितना सच। जानिए इस लेख में

तुला जातिका का शरीर मध्यम आकार का और लोचदार होता है। उसके वक्ष बड़े, टांगें सुडौल, बाल हलके भरे, जबड़ा वर्गाकार, आंखें पीली तथा मुंह हृदय की शक्ल का होता है। गालों में गड्ढे पड़ते हैं। इन लोगों का स्वर सुरीला और हंसी गुंजायमान होती है। उनकी त्वचा प्रायः गोरी होती है।

यह भी पढें- कैसे बनते है कुंडली में मांगलिक योग, जानिए सरल भाषा में

कालपुरुष के शरीर में तुला राशि गुर्दो, कटि तथा रीढ़ के निचले भाग का प्रतिनिधित्व करती है। तुला जातकों को अपेंडीसाइटिस तथा कमर में दर्द जैसे रोगों की आशंका रहती है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि तुला राशि में स्थित हो उन्हें गुर्दे में पथरी बनने का रोग हो सकता है। नैराश्य की स्थिति में इन लोगों को अपने भोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए और काव्य, संगीत, अथवा अन्य किसी कला में अपना ध्यान लगाना चाहिए।

द्रेष्काण, नक्षत्र, त्रिशांश:-

प्रथम द्रेष्काण में लग्न होने पर उस पर शुक्र का दुहरा प्रभाव होता है। ऐसे व्यक्ति का सौन्दर्य-बोध विशेष रूप से विकसित होता है और वह कलाओं का पारखी होता है। द्वितीय द्रेष्काण में लग्न होने पर जातक शुक्र और शनि के दुहरे प्रभाव में होता है। उसकी प्रवृत्तियां व्यक्ति की अपेक्षा समाज की ओर अधिक उन्मुख होती हैं । तृतीय द्रेष्काण में लग्न होने पर जातक की कल्पना में मानसिकता की भी पुट आती है और वह एक अच्छा कवि, लेखक अथवा कलाकार बन सकता है।


चन्द्र अथवा नामाक्षर चित्रा के तृतीय चरण में होने पर जातक में भावावेश का भी कुछ पुट आता है। चैथा चरण उसे और अधिक आवेशमय आर आत्मपरक बनाता है। वह अपने मन की बात छिपाने का भी प्रयास करता है। राहु का प्रथम चरण उसकी स्वच्छन्दता में वृद्धि करता है। द्वितीय चरण उसे गंभीर बनाता है। तीसरा चरण उसमें परोपकार की भावना बढ़ाता है। चतुर्थ चरण उसे न्यायप्रियता के साथ कल्पनाशीलता भी प्रदान करता है। विशाखा का प्रथम चरण उसे महत्वाकांक्षी बनाता है। द्वितीय चरण उसे कवि अथवा साहित्यकार बना सकता है। तृतीय चरण भी उसकी मानसिकता में वृद्धि कर साहित्य के प्रति उसकी रुचि बढ़ाता है।

तुला जातिका का लग्न गंगल के त्रिशांश (०°-५) में होने पर उसका स्वभाव कलहप्रिय होता है। शनि के त्रिशांश (५-१०°) में होने पर पति के साथ सम्बन्ध विच्छेद की आशंका है अथवा सम्बन्ध टूटकर पुनः विवाह हो सकता है। गुरु के त्रिंशांश (१०-१८) में होने पर वह पति के प्रति अनुरक्त रहेगी। बुध के त्रिंशांश (१८-२५°) में होने पर वह विभिन्न कलाओं में प्रवीणता प्राप्त करेगी। शुक्र के त्रिंशांश (२५-३०) में होने पर वह रूपवती तथा लोकप्रिय होती है तथा उसका पति भी प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है । 

अन्य ज्ञातव्य बातें:-

भारतीय आचार्यों ने तुला राशि का वर्ण नील कहा है। इसके स्वामी शुक्र का वर्ण कुर्बुर (मिश्रित) अथवा श्वेत है। शुक्र का रत्न हीरा है जिसे चांदी में धारण किया जाना चाहिए ।

तुला राशि पश्चिम दिशा की द्योतक है। तुला राशि के स्वामी शुक्र का मूलांक ६ है। यह अंक सौन्दर्य बोध तथा रुचि का प्रतीक है। तुला जातक के जीवन में यह अंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे उसमें कलाओं के प्रति रुचि उत्पन्न होती है। वारों में तुला राशि शुक्रवार का प्रतिनिधित्व करती है।

तुला राशि निम्न वस्तुओं, स्थानों तथा व्यक्तियों की संकेतक है-कपास, सूती, रेशमी तथा टेरीलीन के वस्त्र, गेहूं, पटसन, गन्ना, अनाज, पशु, वाहन, विलास सामग्री आदि।

हवा चक्कियों के पास की भूमि, कोठियों के बाहरी क्वार्टर, अंतरग कमरा, पहाड़ियों के पार्श्व, शुद्ध हवा वाले स्थान, पर्वतों की चोटियां आदि।

वकील, न्यायाधीश, समीक्षाकार, औषधि-विक्रेता, चित्रकार, परिवहन अथवा नौसेना कर्मचारी, रेस्तरां मालिक, दुग्ध या दुग्ध पदार्थ विक्रेता, फल विक्रता, कहानी तथा नाटक लेखक, संगीतज्ञ, शिल्पी, सम्पर्क अधिकारी, स्वागत अधिकारी, सेल्समैन आदि ।


Read More
Powered by Blogger.