Thursday 23 February 2017

Vivah me gun kaise milaye / विवाह में कुंडली कैसे मिलाये

Posted by Dr.Nishant Pareek

Vivah me gun kaise milaye                                                           






 विवाह में कुंडली कैसे मिलाये
आजकल देखा जाता है की विवाह करने हेतु गुण मिलाने की परिपाटी एक औपचारिकता ही रह गई है बोलते नाम से गुण मिला कर विवाह कर दिया जाता है और विवाह के बाद परेशानी होने पर ज्योतिष को दोष दिया जाता है परंतु व्यक्ति खुद यह नही सोचता कि उसने कुंडली मिलान की प्रक्रिया को पूर्ण रूप से सम्पन्न ही नही किया तो वास्तविक तथ्यों का पता कैसे लगता कि वर वधु के बीच किस प्रकार का विचार सामंजस्य रहेगा।  नाम से गुण  मिलाना एक सामान्य प्रकिया है यदि वास्तविकता ही ज्ञात करनी है तो गुण  के साथ दोनों की कुंडली के ग्रहों का भी सुक्ष्म अध्ययन करना चाहिए जिससे दोनों के संबंधों की वास्तविक स्थिति का ज्ञान हो सके
          
            उपरोक्त विषय में कुंडली मिलाते समय निम्न बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए जिससे दाम्पत्य जीवन में आगे किसी प्रकार की समस्या नही आये :-

  •  नाम से गुण मिलाने के अलावा सोनो की कुंडली में लग्न और चन्द्रमा के परस्पर शुभ संबंध होने पर वर वधु एक दूसरे पर पूरा विश्वास करेंगे
  • कुंडली में बारहवें  के मालिक का भी अध्ययन करना चाहिए क्योकि इससे ही शैय्या सुख का ज्ञान होता है यदि यह पापी अवस्था में है तो व्यक्ति को अनेक प्रकार से शैय्या सुख प्राप्त होता है इसलिए यदि गुण मिलान के अलावा ये भी देखा जाये तो अच्छा जीवन व्यतीत हो सकता है 
  • दोनों की कुंडली में सप्तम भाव तथा उसके स्वामी को पूर्ण रूप से पाप मुक्त होना चाहिए तथा दोनों की कुंडली में इस भाव व उसके मालिक का परस्पर जितना अच्छा सम्बन्ध होगा दाम्पत्य जीवन उतना ही अच्छा होता है 


  • दोनों की कुंडली में आठवां भाव तथा उसके मालिक पर भी नजर डालनी चाहिए यह भाव अनेक तरह से प्रमुख होता है इस भाव से जीवन साथी की आयु देखी जाती है साथ ही इस भाव तथा बारहवें भाव से विदेश यात्रा भी देखी जाती है 




  • दोनों की कुंडली में लग्न भाव व उसके स्वामी तथा रोग अर्थात छठे भाव व उसके स्वामी का भी विशेष अध्ययन करना चाहिए इन भावों के स्वामी व भाव किसी भी पाप ग्रह के प्रभाव में नही होना चाहिए अथवा दोनों को किसी गंभीर बीमारी होने की सम्भावना तो नही है. कोई भी ज्योतिषी इस बात पर ध्यान नही देता है।  
  • लड़के लड़की की कुंडली में पंचम तथा नवम भाव तथा इनके स्वामी का भी विचार करना चाहिए यदि ये दोनों पाप ग्रह से पीड़ित हो तो संतान सम्बन्धी बाधा  के साथ भाग्य में भी रूकावट आती है 
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