Showing posts with label Meen rashi ki shadi. Show all posts
Showing posts with label Meen rashi ki shadi. Show all posts

Friday, 16 April 2021

Meen rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge / मीन राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिए इस लेख में-

Posted by Dr.Nishant Pareek

Meen rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge


 मीन राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिए इस लेख में-

मीनः- मेष -

अग्नि और जल एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत है। दोनों के बीच समानता खोज पाना कठिन है। ओजपूर्ण मेष, मीन की रहस्यमय गहराई को मापने में असफल रहता है। उसके लिये मीन सौम्य या अनिश्चय वाली राशि है। यह संबंध लेन देन की भावना से ही सफल होता है। 

मेष जातक मीन जातिका के विचित्र और बदलते मूड को समझने में हमेशा असमर्थ होता है। किंतु इसे वह अधिक महत्वपूर्ण नहीं समझता। उसका संरक्षणात्मक रवैया मीन जातिका को परेशान कर सकता है। हो सकता है उस समय बीतने के साथ वे अपने को एक दूसरे के अनुकूल ढाल सकें। लेकिन उनके बीच पूर्ण समझ कभी स्थापित नही हो सकती है। मेष पति अनेक बार अपने कार्य में परिवर्तन कर सकता है और नये कार्य में पूरे उत्साह से लग सकता है। मीन पत्नी को इससे कितनी ही परेशानी हो, पति उससे समर्थन की आशा ही करेगा। जिससे तनाव पैदा होगा। पत्नी की वृत्ति पर पति का कोई ध्यान नहीं होता। 

दोनों के बीच यौन संबंधों में भी गलतफहमी हो सकती है। क्योंकि पत्नी रोमांटिक भ्रमों को बनाये रखना चाहती है। पति को पत्नी के साथ अधिक कोमलता बरतनी होगी। और अपनी स्वार्थी भावनाओं को नियंत्रण में रखना होगा। अन्यथा पत्नी की वैवाहिक संबंधों में रूचि समाप्त हो जायेगी। 

मेष जातिका और मीन जातक के संबंध जटिल हो सकते है। पति को निराशा या थकान में पत्नी की शक्ति और सहारे की आवश्यकता होती है। किन्तु ज्यों ही वह उसे दुलारने के लिये स्वयं को तैयार करती है, अचानक पति का पौरूष जाग जाता है और वह संरक्षक पति की भूमिका ग्रहण करने लगता है। कभी कभी मीन पति किसी समस्या को लेकर अपने खोल में घुस जाता है। और पत्नी उससे कट जाती है। वैसे वह अधिकांश निर्णय पत्नी पर छोड देता है। लेकिन यदि पत्नी के निर्ण उसकी योजनाओं से मेल न खाये तो वह उनकी उपेक्षा कर देता है। 

यौन संबंधों में मीन पति स्थिति के अनुसार अपने को ढाल सकता है। किन्तु वह बहुत संवेदनशील होता है और कोई आलोचना सहन नहीं कर सकता। लडकों के साथ शराब पीने की उसकी प्रवृति से कभी कभी उसके यौन जीवन पर प्रभाव पडता है। पत्नी स्वयं को उपेक्षित महसूस करती है। वैसे उनके लिये ये आनंद के क्षण होते हैं।   

मीन - वृष - 

पृथ्वी तत्व और जल तत्व का यह मेल बहुत अनुकूल रह सकता है। इन राशियों के स्वामी शुक्र और वरूण में कोई टकराव नहीं है। वृष जातक तथा मीन जातक दोनों सौन्दर्य, कला, आनंद, भोग आदि को पसंद करने वाले है। वृष व्यावहारिक है जबकि मीन प्रायः बादलों में विहार करता है। इनका मेल यथार्थवादी और स्वप्नदर्शी का मेल है। जब उनके बीच समस्याएं पैदा होती है तो भावनाओं का वेग स्पष्ट चिंतन को ढक लेता है।  

पत्नी वृष हो और पति मीन हो तो पत्नी को आरंभ में ऐसा लगता है कि पति उसकी हर बात मानने को तैयार है। बाद में उसे पता चलता है कि एक क्षण वह कुछ चाहता है और दूसरे ही क्षण उससे विपरीत मांग रखता है। पति अपने अतिरिक्त किसी दूसरे की राय सुनना पसंद ही नहीं करता। जब समस्याएं खडी हो जाती है तो मीन पति उन पर समझदारी से चर्चा करने की बजाय पीछा छुडाकर भागता है और उम्मीद करता है कि वह समस्या स्वयं ही हल हो जाये। तनाव बढने पर वह किसी शांत स्थान की तलाश करता है। अपने गम भुलाने के लिये नशा करने लगता है। निरंतर दो विरोधी विचारधाराओं में झूलते रहने के कारण वह कोई भी निर्णय करने में असमर्थ रहता है। वृष पत्नी को इसके लिये तैयार रहना चाहिये। 

lifetime kundli in 300 rs only


यौनसंबंधों में मीन पति अपनी वृष पत्नी की इच्छाओं के प्रति बहुत संवेदनशील रहता है औरउसे प्रसन्न करने का पूरा प्रयास करता है। इस पर भी यदि वह विफल रहे और पत्नी की आलोचना का शिकार बने तो शयया से उठकर चल देता है। 

यदि पति वृष और पत्नी मीन हो तो पत्नी का रोमांस प्रिय मन पति के यथार्थवाद से टकरायेगा। दूसरे की समस्याओं में स्वयं को उलझा लेने की उसकी प्रवृति से कठिनाइयां पैदा हो सकती है। विशेषकर जहां रूपये पैसे का सवाल होता है। जिस पर भी दया आ जाये, वह उसकी आर्थिक सहायता के लिये तैयार रहती है। व्यावहारिक पति को यह कैसे सहन हो सकता है ? यदि पत्नी की वृत्ति का उसके गृहस्थ जीवन पर प्रभाव पडता हो तब भी वृष पति की ईष्र्या और जिद आडे आ सकती है। पत्नी के स्वतंत्र होने के प्रयास से उसके पौरूष को चोट पहंुचती है। इससे स्थिति कभी कभी अत्यन्त तनावपूर्ण हो उठती है। यौन जीवन में भी ऐसी समस्याएं आ सकती है। जब पत्नी रोमांटिक मूड में हो और पति का प्रेम करने का ढंग एकदम पशु समान हो तो पत्नी की संवेदनशीलता हो आघात लगता है। कठिनाई यह है कि वृष पति किसी भावनात्मक परिवर्तन को स्वीकार नहीं करता और पत्नी की ओर से चमत्कार की आशा लगाए रहता है। 

मीन - मिथुन -

वायु और जल की प्रतिकूलता मिथुन और मीन जातक के स्वभाव या विचार में भी स्पष्ट दिखाई देती है। मिथुन जातक तर्कपूर्ण, तथ्यपूर्ण तथा बौद्धिक विचारों वाला होता है। जबकि मीन जातक कल्पनाशील होता है। खयाली पुलाव पकाता है। हमेशा सपने देखता रहता है और संवेदनशील होता है। भावना और अतीन्द्रिय ज्ञान ही उसका जीवन है। मीन जातक के तर्क रहित रंग ढंग में मिथुन जातक को कोई समझदारी दिखाई नहीं देती। मिथुन जातक व्यावहारिक, क्षिप्र, और कुशल होता है। किन्तु मीन जातक प्रायः ढुलमुल रवैये वाला तथा दोराहे पर सवार होता है। 

वास्तव में ये दोनों द्विस्वभाव राशियां है। अतः इस संबंध में दो स्थानों पर चार व्यक्तित्व विद्यमान रहते है। यदि पत्नी मिथुन है और पति मीन है तो एक दिन तर्कपूर्ण और नए नए विचारों से उत्साहित दिखाई देता है, और दूसरे ही दिन अपने में सिमटा हुआ, तर्कहीन लगता है। पत्नी उसके एक पक्ष को प्रेम कर सकती है तथा दूसरा पक्ष उनके बीच संघर्ष को ही जन्म दे सकता है। अच्छे संबंध बनाए रखने के लिये पत्नी को पति के और पति को पत्नी के दोनों रूप समझने होंगें। यौन संबंध उनके बीच समस्या नहीं होने होने चाहिये। दोनों को कभी कभी सहारे की जरूरत होती है। दोनों में ही मस्ती की गहरी भावना होती है। मीन पति विचित्र कल्पनाओं में खोया रहता है। दूसरों के असामान्य यौन व्यवहार से उनके मन में भी गुदगुदी पैदा हो सकती है। अतः यौन संबंध साहित्य या चित्र उसमें कामेच्छा जगाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते है। पत्नी को इसकी उपेक्षा कर देनी चाहिये। 

यदि पति मिथुन है और पत्नी मीन हो तो पत्नी के मन में पति के हरजाईपन से ईष्र्या हो सकती है तथा पति पत्नी की अधिकार भावना के विरूद्ध विद्रोह कर सकता है। दबाव का उस पर विपरीत प्रभाव ही रहेगा। पति पत्नी दोनों ही मूड वालेे और परिवर्तनशील है, अतः उनके संबंध थकाने वाले और जटिल हो सकते है। दोनों अपने पृथक व्यक्तित्व को बनाए रखना चाहते है और आर्थिक क्षेत्र में स्वतंत्रता रखेंगें। आर्थिक मामलों में दोनों का टकराव हो सकता है। क्योंकि कोई भी उत्तरदायित्व उठाने को तैयार नहीं होगा और कर्जदार उनके दरवाजे पर खडे रहेंगे। जिससे उनकी शांति भंग होगी। 

पत्नी की कल्पनाशीलता पति को बौद्धिक प्रोत्साहन प्रदान करेगी। वे अपनी समस्याएं शयन कक्ष में सुलझाने का प्रयास कर सकते है, किन्तु सुबह होते ही यथार्थ उनके संबंधों पर चोट करता मिलेगा। इस स्थिति में उनके टूटने का पूरा खतरा है। 

मीन - कर्क-

यह मेल दो जल राशियों का है, अतः उनके सम्बन्धों में तर्क और समझदारी के स्थान पर भावनाओं और अतीन्द्रिय ज्ञान का अधिक बोलबाला रहेगा। व्यावहारिक आवश्यकताएं उलट-पुलट सकती हैं। दोनों बहुत रूमानी हैं और प्यार पाना तथा करना उनकी बुनियादी जरूरत है।

पत्नी कर्क जातिका और पति मीन जातक होने पर दोनों के लिए एकदूसरे को बिना अधिक प्रयास के समझना सरल होगा। मीन पति के मन में हर संकटग्रस्त प्राणी के लिए सहानुभूति उमड़ पड़ेगी। फलस्वरूप उनका घर आवारा कुत्तों, बिल्लियों या निराश्रित पशु-पक्षियों का चिड़ियाघर बन सकता है।

निराशा के दौर में मीन पति में पीने तथा धुआं उड़ाने की प्रवृत्ति पनप सकती है तथा उसे काफी देखभाल की आवश्यकता है। यह सब अधिक वितंडावाद के बिना होना चाहिए। कर्क पत्नी में विद्यमान ममता की भावना का इसमें सदुपयोग हो सकता है।

यौन-व्यवहार में कल्पना की महत्वपूर्ण भूमिका रहने की सम्भावना है। उसका उपयोग रूमानी ढंग से होगा जो दोनों के बीच प्रबल शारीरिक आकर्षण पैदा कर सकता है।

पति कर्क जातक और पत्नी मीन जातिका होने पर भी उनके बीच घनिष्ठ सम्बन्धों के लिए अच्छा आधार रहता है। दोनों को सुखी घरेलू जीवन चाहिए। उनका काफी समय अपने घर की साज-संवार में और उसे अधिक सुविधाजनक बनाने में बीतेगा। कल्पना उन्हें और निकट लाएगी क्योंकि वे एकदूसरे की आशाओं तथा सपनों में भागीदार हो सकते हैं।

उनका यौन-जीवन कोमल भावनाओं से पूर्ण होगा, जिसमें पाशविक इच्छा के बजाय रूमानीपन की प्रेरणादायी शक्ति रहेगी। इस युगल की सफलता की भारी सम्भावनाएं हैं।

मीन - सिंह-

आग और पानी का अन्तर इन दो राशियों में स्पष्ट दिखाई देता है। सिंह सबसे अधिक स्पष्टवादी और बहिर्मुखी राशि है। मीन की प्रकृति रहस्यपूर्ण है। उसकी गहराई को माप पाना प्रायः सम्भव नहीं होता। सिंह जातक मीन जातक को समझने में असफल रहता है। दोनों की अलग-अलग दुनिया है।

सिंह पत्नी के लिए मीन पति का अस्थिर तथा परिवर्तनशील स्वभाव सदा रहस्य बना रहता है। अन्ततः वह उसके असंगत व्यवहार से ऊबकर उद्दड हो सकती है, और पति भी उसे अपने मन से और शरीर से पूरी तरह दूर कर सकता है । यौन-व्यवहार पर भी इन क्षण-क्षण बदलते मूडों का प्रभाव पड़ता है। किन्तु अति कामी सिंह पत्नी इस अवसर पर उन्हें सहने की बेहतर स्थिति होती है। दोनों पक्षों के लिए यौनाचार महत्वपूर्ण है और इसी पर उनके सम् बने रहना या टूटना निर्भर है। सिंह पत्नी यदि ईमानदारी से एक दुर्बल पति को स्वीकार कर सके तो उनके सम्बन्ध अच्छे बने रहेंगे, अन्यथा पति के आशानुरूप सिद्ध न होने पर उसके दुःख का ठिकाना नहीं रहेगा। दोनों के सम्बन्ध जटिल रहने की सम्भावना है।

यदि पति सिंह जातक हो और पत्नी मीन जातिका, तो पत्नी शीघ्र पति का अपने पर भारी दबाव महसूस करने लगेगी। पति चाहेगा कि छोटे मोटे काम करते हुए भी वह बराबर सजी-संवरी और सुन्दर दिखाई दे। पति के बड़े-बड़े सौदे और दांव लगाने की प्रवृत्ति पत्नी को भयभीत कर सकती है। वह आर्थिक मामलों में प्रायः पति पर निर्भर रहती है और पति की वित्तीय स्थिति में उतारचढ़ाव से उसका चिन्तित होना स्वाभाविक है, यद्यपि वह कर कुछ नहीं सकती।

ये तनाव उनके यौन सम्बन्धों को भी प्रभावित करते हैं। सिंह पति मीन पत्नी की रूमानी तथा कल्पनाशील इच्छा को पूरा तो बाद में करेगा, उन्हें समझ भी नहीं पाएगा। लेकिन वह गहराई और भावुकता से प्यार अवश्य कर सकता है और पत्नी को दर्द सहकर भी इसी से समझौता करना होगा। पति मन से तो पत्नी को चोट पहुंचाना नहीं चाहेगा, किन्तु उसकी आवश्यकताओं की उपेक्षा कर और अपनी आवश्यकताएं उस पर थोपकर वह करेगा यही । अतः इस साझेदारी से यथासम्भव बचना चाहिए।

मीन - कन्याः-

राशिचक्र में ये दोनों राशियां आमने सामने स्थित होकर एक दूसरे की पूरक हो जाती है। वैसे तो पृथ्वी का जल से मेल होता है। फिर भी दोनों के देखने का ढंग अलग अलग ही है। दोनों एक दूसरे के लिये रहस्य सिद्ध हो सकते है। कन्या जातक तर्क, विश्लेषण, तथ्यों और बुद्धि से परिपूर्ण पे्ररित होता है। मीन जाते भावनाओं तथा अतीन्द्रिया ज्ञान से निर्देशित होता है। कन्या जातक मीन जातक के पागलपन को व्यवस्थित करता है। मीन जातक के रूमानीपन तथा कल्पनाशीलता अन्य जातक के जीवन में रंग ला सकते है। 

मीन पति कन्या पत्नी के मूड में हर परिवर्तन का पूर्वानुमान लगा सकता है। वह उसके रूखे तथा आलोचक स्वभाव को भी समझ सकता है। लेकिन इन गुणों से आकर्षित नहीं होता और उनकी ओर से अपनी आंखें मूंद लेता है। वह हर निर्णय पत्नी पर छोड देता है। यदि वह कोई गलती करेगी तो उसका ध्यान आकर्षित करने से नहीं चूकेगा। आर्थिक मामले भी पत्नी को ही सम्हालने होंगे। मीन पति को पैसा काटता है और वह प्रयास करने पर भी व्यावहारिक नहीं हो पाता। कन्या पत्नी अपने मतभेदों पर चर्चा करना चाहेगी। मीन पति उससे कुछ नहीं बोलेगा। लेकिन अपने निजी निष्कर्ष निकालेगा और पत्नी को बता देगा। दोनों के बीच विचारों का आदान प्रदान कठिन होगा। कन्या औरत आमतौर पर भावनात्मक रूप से सरल होती है। किन्तु पति की निराशा या परेशानी के समय उसमें ममता उमड सकती है। 

यौन व्यवहार में मीन पति हर प्रकार की कल्पना कर सकता है। उसकी बातों या विचारों को पत्नी यौन विकार समझने लगती है। 

कन्या पति मीन पत्नी के लिये एक चुनौति बन सकता है। उसकी आलोचना का उत्तर वह उससे न बोलकर देगी। पति व्यवस्थित जीवन अपनाना पसंद करता है और पत्नी मूड के अनुसार चलती है। वह पति को पे्रम के अयोग्य भी समझ सकती है। क्योंकि कन्या पति के लिये अपने मन की भावनाओं को व्यक्त कर पाना कठिन होगा। आर्थिक मामलों में भी पत्नी की उदारता पति की सावधानी से टकरायेगी। 

यौन जीवन में पति के दिमाग और पत्नी के दिल के बीच टकराव होना निश्चित है। घडी देखकर काम करने का पति का स्वभाव उसके यौन व्यवहार में भी परिलक्षित होगा। पत्नी इस एकरसता से उबने लगेगी। उस समय उनके जीवन में किसी तीसरे व्यक्ति की संभावनाएं काफी बढ जायेगी। 

मीन - तुलाः-

इन राशियां के स्वामी शुक्र तथा गुरू के बीच सौहार्द वायु तथा जल तत्वों के अन्तर को पाटने में सहायक होता है। दोनों का स्वभाव भिन्न होने पर भी कला, मनोरंजन सौहार्द, विनम्रता, प्रेम, साहचर्य, रूमानीपन आदि में समान विश्वास उन्हें एक दूसरे के समीप ला सकता है । तुला जातक में संतुलन तथा निष्पक्षता की अंतरंग प्रवृत्ति मीन जातक की उलझन, अनिर्णय और व्यवहार शून्यता का जवाब हो सकती है।

यदि पत्नी तुला जातिका है और पति मीन जातक, तो देर सवेर पत्नी यह महसूस करने लगेगी कि पति जीवन को अत्यधिक गम्भीरता से लेता है । वह हर समय खिलाड़ीपन के मूड में रहती है और पति आमतौर से गहरी संवेदनाओं से ग्रस्त रहता है । पत्नी यदि उसे गुदगुदाने का प्रयास करती है तो पति खिलखिलाने के बजाय और उबाल खा जाता है। पत्नी को आश्चर्य होता है कि इस व्यक्ति में क्या परिहास-भावना बिल्कुल नहीं है।

मीन जातक प्रायः अपने मन की बात को प्रकट न करने वाला होता है । तुला पत्नी के लगातार कुरेदते रहने पर उसकी यह प्रवृत्ति और बलवती हो उठती है। पत्नी की समझ में यह बात नहीं आती और दोनों के सम्बन्धों में टकराव बढ़ने लगता है।

यौन सम्बन्धों में मीन जातक पहल करना पसंद करता है । अतः तुला पत्नी के लिए उससे अत्यधिक अपेक्षा न कर और स्वयं पहल न कर उसे इसकी छूट देना बेहतर रहेगा।

यदि पति तुला जातक है और पत्नी मीन जातिका तो और सब तो ठीकठाक रहेगा, किन्तु कठिनाई पत्नी की ईष्र्या से पैदा हो सकती है। मीन जातिका एक समय में एक ही व्यक्ति से प्रेम करने में विश्वास करती है जबकि तुला जातक का स्वभाव हरजाईपन का होता है।

तुला पति मीन पत्नी को अपना निजी जीवन अपनाने में सहायता करेगा और उस पर घर का बोझ नहीं डालेगा। अपना भोजन स्वयं तैयार करने में भी उसे कोई हिचक नहीं होगी। किन्तु आर्थिक समझ दोनो में से किसी एक में न होने से इस क्षेत्र में कठिनाई हो सकती है। यह बात पति को ही सम्भालनी होगी।

दोनों की यौन-भूख प्रायः समान होगी और उन्हें एक दूसरे की आवश्यकताओं को समझने तथा संतोष प्रदान करने में समर्थ होना चाहिए। दोनों कल्पना और खिलवाड़ के शौकीन होते हैं और अपने यौन जीवन में भी नए-नए खेल खेलकर जीवन का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।

मीन - वृश्चिक- 

इन दो राशियों के बीच एक चुम्बकीय आकर्षण है। मिलकर वे गहन भावनात्मक सम्बन्ध को जन्म देंगी। वृश्चिक में प्रभुत्व की जन्मजात भावना होती है । मीन झुकने का आभास दे सकती है । मीन वृश्चिक के आंतरिक तनावों और बलवती भावनाओं को शान्त कर सकती है। दोनों में एकदूसरे के भावों, आवश्यकताओं, आशंकाओं और दोषों को महसूस करने का सहज ज्ञान होता है । लेकिन यदि उनके बीच विवाद हुआ तो भावना की अधिकता के कारण समझौते में बाधा आएगी।

मीन - धनुः-

आग और पानी का यह मेल जटिलताओं और अनेक सम्भावनाओं से पूर्ण है । कुछ युगलों में दर्शन, धर्म, रहस्यवाद, लोकोपकार, यात्रा या अन्य उच्च आदर्शों के बारे में विचारों की समानता हो सकती है । अन्य युगलों में उलझन, अनिश्चय या कल्पनाओं के लम्बे दौर चल सकते हैं। कुछ मामलों में दोनों एक दूसरे से अलग अपनी-अपनी दुनिया में रहे आएंगे। धनु जातक की स्वतंत्रता-भावना का मीन जातक की कल्पना में अत्यंत बुरा चित्र बनेगा । धनु जातक मूलतः उदार, दयालु और सहायक होते हुए भी मीन-जातक को वैसा कोमल और प्रेमपूर्ण व्यवहार प्रदान नहीं कर सकता जैसा उसके अति संवेदनशील मन को चाहिए । मीन जातक में अनिर्णय, अव्यावहारिकता और उलझन की प्रवृत्ति धनु जातक को अधीर बना सकती है, जो हर काम को शीघ्रता तथा कुशलता से करने में विश्वास करता है।

यदि पत्नी धनु जातिका है और पति मीन जातक, तो पति के अपने रहस्यमय लोक में जा छिपने पर पत्नी की भावनाओं को ठोस पहुंचेगी। वह उसे उसकी उस दुनिया से बाहर निकालने का प्रयास करेगी, लेकिन पति उसकी ओर कोई ध्यान नहीं देगा। पत्नी का आशावादी मन और पति का निराशावाद भी तनाव में वृद्धि करेंगे। दोनों के लिए एक दूसरे की भावना को समझ पाना असम्भव होगा। वित्तीय कठिनाइयां इन असमानताओं को और बढ़ाएंगी। दोनों में से किसी में उनका सामना करने की क्षमता नहीं होगी। पति अरुचिकर यथार्थ से अपनी आंखें मूंद लेगा और पत्नी अपने आशावाद में यह स्वीकार नहीं करेगी कि स्थिति वास्तव में बुरी है।

यौन दोनों के लिए महत्वपूर्ण होगा और उन्हें निकट ला सकता है। पत्नी पति की कल्पना की उड़ान में उसका साथ देगी। किन्तु केवल भौतिक सम्बन्ध अधिक दिन तक कायम नहीं रह सकते और वे अन्यत्र प्रसन्नता की खोज कर सकते हैं।

दूसरी ओर धनु पति का मीन पत्नी की निकटता में दम घुटता मालूम होगा । इस सम्बन्ध में पत्नी की ईष्र्या-भावना की प्रमुख भूमिका रहेगी और उसके उबाल खाने पर पति अधिकाधिक घर से बाहर रहने लगेगा। पत्नी घर के कामों में और अपनी वृत्ति में ध्यान लगाकर अपने मन को शांत करने का प्रयास करेगी, किन्तु यह अधिक समय तक नहीं चल सकता। मीन-पत्नी को अपने संतोष के लिए स्थायी भावनात्मक सम्बन्ध चाहिए। बार-बार के वित्तीय संकट इस नाटक को और बढ़ाएंगे। यह आशा करना व्यर्थ है कि उनमें से कोई अधिक दायित्वपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएगा।

उनका यौन जीवन उनकी अनेक समस्याओं को सरल करने में योग देगा । धनु पति निपुण प्रेमी होता है और पत्नी की हर इच्छा को पूरी करने में गर्व अनुभव करता है । फिर भी अंततः बाहरी तनाव उनके जीवन में प्रवेश कर उनकी यौनेच्छाओं को ठंडा कर देंगे।

मीन - मकरः- 

पानी का पृथ्वी से तालमेल है। इन दो राशियों के जातको में भारी अंतर होते हुए भी वे एक-दूसरे के पूरक हैं। मीन जातक को सुरक्षा चाहिए जो उसे मकर जातक से मिल सकती है। मीन जातक अत्यधिक सक शील, भावनात्मक, रूमानी और भावुक होता है । वह मकर जातक की चुपड़ी बातों में आ सकता है। मकर जातक की महत्वाकांक्षाओं को भी मीन जातक से कोई खतरा नहीं दिखाई देता । मकर जातक की प्रबंध-कुशलता और व्यवहारबुद्धि से संवेदनशील मीन जातक को जीवन के कुछ कठोर यथार्थों मे बचत मिलेगी।

फिर भी मीन पति कभी अपने मूड में मकर पत्नी के उस पर हावी होने के प्रयासों के विरुद्ध विद्रोह का झंडा उठा सकता है। इस स्थिति में उसके मन का गुप्त पक्ष सामने आने लगेगा। वह कई-कई दिन के लिए मौन-व्रत धारण कर लेगा। मकर पत्नी लाख प्रयास करने पर भी अलगाव की इस दीवार को नहीं तोड़ पाएगी। आर्थिक मामलों में पत्नी को पहल अपने हाथों में लेनी होगी, क्योंकि मीन पति निर्णयों से अथवा जीवन के अरुचिकर पक्ष से परेशान होना पसंद नहीं करेगा।

उनके यौन सम्बन्ध गहरे रहने की सम्भावना है यद्यपि इसमें भी मूड आड़े आ सकते हैं । मीन पति अपनी समस्याओं से ध्यान हटा सकता है जबकि मकर पत्नी नहीं हटा सकती और पति को पत्नी का रूखापन अख र सकता है। लेकिन नैराश्यभावना से मुक्त होने पर वे खुलकर एक-दूसरे को प्यार कर सकेंगे । वस्तुतः उनके सम्बन्ध अत्यंत जटिल रहेंगे।

इससे उलट होने पर, अर्थात् जब पति मकर जातक हो और पत्नी मीन जातिका, तो पति के लिए पत्नी के अनिर्णय वाले और क्षण-क्षण बदलते स्वभाव को समझ पाना कठिन होगा। मूड बदलने के साथ-साथ पत्नी की इच्छाएं भी बदलेंगी। विशेषकर यौन-व्यवहार में पत्नी जब भावुक हो रही हो, पति अपनी पाशविक प्रवृत्तियों का प्रदर्शन कर सकता है। पति के व्यवहार से पत्नी में रोष और निराशा पैदा हो सकती है।

मीन - कुुंभ -

वायु प्रधान कुम्भ और जल प्रधान मीन- इससे अधिक असाधारण जोड़ी मिलना कठिन है। इनके स्वामी अपने जातकों को ऐसे गुण प्रदान करते हैं जो अन्य राशियों के जातकों में नहीं मिलते। इन राशियों के जातकों की पटरी इन्हीं राशियों के जातकों के साथ बैठ सकती है । इस जोड़ी के कम से कम दो पक्ष होंगे-सम्बन्धों की ऊपरी पर्त बहुत सामान्य दिखाई देगी जबकि मनोवैज्ञानिक शक्तियों का गुप्त अंतः सम्बन्ध अत्यन्त जटिल होगा। दीर्घकाल तक साथ रहने पर भी दोनों के लिए एक दूसरे की गहराई अथाह रहेगी।

मीन जातक का चरित्र जटिल होता है। आमतौर से उसकी अभिलाषा अपनी पत्नी के जीवन का केन्द्र-बिन्दु बनने की होगी । कुम्भ पत्नी के लिए यह समझ पाना अत्यन्त कठिन है। उसे अपने ही व्यक्तित्व का विकास चाहिए। मीन पति भावुक होता है । जब वह महसूस करता है कि पत्नी उसकी भावात्मक आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकती तो वह उससे अलग रहकर अपनी भावी दिशा के बारे में सोचने लगता है। पत्नी के गैर परम्परागत विचारों से उसे आघात पहुंच सकता है और पति के व्यवहार से पत्नी अकेलापन महसूस कर सकती है। आर्थिक पक्ष की दोनों उपेक्षा करना चाहेंगे लेकिन आमतौर से कुम्भ जातक इस दिशा में अधिक समझदार न होने से अन्ततः पत्नी को ही यह भार उठाना होगा।

कुम्भ पत्नी की शारीरिक भूख मीन-पति जितनी प्रबल नहीं होती और उसका व्यवहार पति को असुविधाजनक और अधूरा लग सकता है।

दूसरी ओर, यदि पति कुम्भ-जातक है और पत्नी मीन जातिका तो पति की विरक्ति पत्नी की तीव्र भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है और अंततः वह महसूस करने लगेगी कि पति उसे उतना प्यार नहीं करता जितना वह पति को करती है। पति को प्रेम के लम्बे-चैड़े वादों के बजाय पत्नी की मित्रता चाहिए। किसी एक को दूसरे से विदा लेने में अधिक समय नहीं लगेगा। कुम्भ-जातक भौतिकवादी नहीं होता, किन्तु जब वह आर्थिक मामलों में पत्नी को एकदम उत्तरदायित्वहीन पाएगा तो यह भार स्वयं सम्भाल लेगा। दोनों का यौन-जीवन भी सुखी रहने की आशा नहीं है।

मीन-मीन-

भावनाएं, कल्पनाएं, अतीन्द्रिय ज्ञान, संवेदनशीलता, दिवा स्वप्न आदि इस सम्बन्ध में प्रमुख भूमिका निभाते हैं और तर्क तथा समझदारी पीछे पड़ जाते हैं। दोनों की अपनी-अपनी सपनों की एकांत दुनिया होती है जिसमें वे आवश्यकता पड़ने पर छिप सकते हैं । बिना एक शब्द बोले दोनों एक-दूसरे के मन की गंध पा जाते हैं। दोनों उलझन सार अनिर्णय के शिकार हो सकते हैं, जिसमें उनका बहुत समय नष्ट होगा। भावुक और संवेदनशील होने से दोनों दुःख-सुख दोनों में आंसू बहाएंगे।

उनके समान गुण ही उनमें टकराव को भी जन्म दे सकते हैं। कभी वे एक दूसरे को प्रसन्न करने के लिए हर प्रकार का प्रयास करेंगे और कभी उनके बीचह हफ्तोंतक बोलचाल भी बंद रहेगी। दोनों एक-दूसरे को बहुत ढुलमुल समझकर अधिक दृढ़ साथी की इच्छा कर सकते हैं। दोनों अपनी-अपनी वृत्तियां अपनाने के लिए स्वतंत्र होंगे, किन्तु उनमें इतने खो सकते हैं कि एक-दूसरे के अस्तित्व को ही एकदम भूल जाएं । आर्थिक निर्णय लेने प्रायः असम्भव होंगे।

यौन-जीवन में दोनों अपनी कल्पनाशीलता से रूमानीपन को बनाए रखना चाहेंगे। इसके कारण उनके प्रेम का मुख्य आधार शारीरिक आकर्षण रहेगा। किसी तीसरे व्यक्ति के उनके जीवन में आने पर उनके सम्बन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना है।


Read More

Meen rashi ka sampurn parichay / मीन राशि का संपूर्ण परिचय जानने के लिये क्लिक करे।

Posted by Dr.Nishant Pareek

Meen rashi ka sampurn parichay


मीन राशि का संपूर्ण परिचय जानने के लिये क्लिक करे।

मीन राशि के अंतर्गत आने वाले नामाक्षर निम्न हैः- दी, दू, थ, झ, ण, दे, दो, चा, चो।

मीन राशि चक्र की बाहरवीं और अंतिम राशि है। अंतिम, अंत्यम्, अंत्यभ, अन्त्यगम, अन्त्य राशि के अतिरिक्त इसके कुछ अन्य पर्याय इस प्रकार हैं -

कन्द, झष, तिमि, प्रोष्ठी, मत्स्य, शक्ली, अंडज, इत्थसि, तुरष्क, पाठीन, पाठीर, मीनालि, विसार, शफरी, अनिमिष, अनिमेष, अवसान, जलचर, तिमिद्वय, तिमियुग, पृथुरोमा, वैसारिण, अभ्रसौका, नीरनिकेत, घनरसचर, पानीयनिकेत, पुष्करागार राशि, वलाहकरसागर । अंग्रेजी में इसे पिसीज कहते हैं।

मीन राशि का प्रतीक दो मछलियां हैं जिनके मुख एक-दूसरे की विपरीत दिशा में हैं। इस राशि का विस्तार राशिचक्र के 330 अंश से 360 अंश तक है। इसका स्वामी भारतीय ज्योतिष के अनुसार गुरु और पश्चिमी ज्योतिष के अनुसार नेप्चून है। यह स्त्री राशि है। यह द्विस्वभाव है। इसका तत्व जल है । इसके तीन द्रेष्काणों के स्वामी क्रमशः गुरु, चन्द्र तथा मंगल हैं। इसके अंतर्गत पूर्वा भाद्रपद का अंतिम चरण, उत्तरा भाद्रपद के चारों चरण तथा रेवती के चारों चरण आते हैं। इन चरणों के स्वामी क्रमशः इस प्रकार हैं-पूर्वा भाद्रपद चतुर्थ चरण के स्वामी गुरु-चन्द्र, उत्तरा भाद्रपद प्रथम चरण के स्वामी शनि-सूर्य, द्वितीय चरण के स्वामी शनि-बुध, तृतीय चरण के स्वामी शनि-शुक्र, चतुर्थ चरण के स्वामी शनि-मंगल। रेवती प्रथम चरण के स्वामी बुध-गुरु, द्वितीय चरण के स्वामी बुध-शनि, तृतीय चरण के स्वामी बुध-शनि, चतुर्थ चरण के स्वामी बुध-गुरु। इन चरणों के नामाक्षर इस प्रकार हैं रू दी दू थ झ ण दे दो चा ची।

ALSO READ - पहले भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

त्रिशांश विभाजन में 0-5 शुक्र (वृष) के, 5-12 बुध (कन्या) के, 12-20 गुरु (मीन) के, 20-25 शनि (मकर) के तथा 25-30 मंगल (वृश्चिक) के हैं।

जिन व्यक्तियों के जन्म के समय निरयण चन्द्र मीन राशि में संचरण कर रहा होता है उनकी जन्म राशि मीन मानी जाती है। उन्हें गोचर के अपने फलादेश इसी राशि के अनुसार देखने चाहिए। जन्म के समय लग्न मीन राशि में होने पर भी यह अपना प्रभाव दिखाती है। सायन सूर्य 16 फरवरी से 20 मार्च तक मीन राशि में रहता है। यही अवधि शक सम्वत् के फाल्गुन मास की है । ज्योतिषियों के मतानुसार इन तिथियों में दो-एक दिन का हेर फेर हो सकता है। जिन व्यक्तिया की जन्मतिथि इस अवधि के बीच है, वे पश्चिमी ज्योतिष के आधार पर फलादेशों को मीन राशि के अनुसार देख सकते हैं। निरयण सूर्य लगभग 15 मार्च से 14 अप्रैल तक मीन राशि में रहता है।

जिन व्यक्तियों के पास अपनी जन्म कुंडली नहीं है अथवा वह नष्ट हो चुकी है, तथा जिन्हें अपनी जन्मतिथि और जन्म काल का भी पता नहीं है, वे अपने प्रसिद्ध नाम के प्रथम अक्षर के अनुसार अपनी राशि स्थिर कर सकते हैं। मीन राशि के नामाक्षर हैं- दी दू थ झ ण दे दो चा ची।

ALSO READ - दूसरे भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

इस प्रकार मीन जातकों को भी हम चार वर्गों में बांट सकते हैं-चन्द्र-मीन, लग्न-मीन, सूर्य-मीन तथा नाम-मीन। इन चारों वर्गों में मीन राशि की कुछ-न-कुछ प्रवृत्तियां अवश्य पाई जाती हैं।

ग्रह-मैत्री चक्र के अनुसार मीन राशि सूर्य तथा मंगल के लिए मित्र राशि और चन्द्र, बुध, शुक्र तथा शनि के लिए सम राशि है। इस राशि में शुक्र अपनी उच्च स्थिति में होता है तथा बुध नीच स्थिति में। बुध के लिए यह अस्त राशि भी है।

प्रकृति और स्वभावः-

मीन राशिचक्र की एक अत्यंत जटिल राशि है । इसका दुहरा स्वभाव जातक को विरोधी दिशाओं में खींचता है। परिणाम यह होता है कि उसकी समझ में नहीं आता कि उसे क्या करना चाहिए अथवा वह करना क्या चाहता है । इस मानसिक उलझन के कारण वह प्रायः यह सोचने लगता है कि सभी कुछ गलत है। किन्तु वह यह नहीं बता पाता कि क्या गलत है।

ALSO READ - तीसरे भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

मीन जातक अत्यंत संवेदनशील होते हैं और उन पर दूसरों की छाप सहज ही पड़ जाती है। कमरे में घुसते ही वे वहां की हवा की गंध पा जाते हैं । कठिनाई यह है कि वे शीघ्र दूसरे लोगों के प्रभाव में आ जाते हैं, अतः उनके लिए सही लोगों के सम्पर्क में आना बहुत महत्वपूर्ण है। अन्यथा वे दूसरों की नकल करने लगते है और उन्हीं की भांति सोचने लगते हैं।

lifetime kundli in 300 rs only


मीन जातक अत्यंत भावुक होते हैं और व्यक्तियों तथा परिस्थितियों के प्रति उनकी प्रतिक्रिया में भावना की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अपने अतीन्द्रिय ज्ञान से वे अकारण किसी व्यक्ति से प्रेम या घृणा करने लग सकते हैं। उनके इस कार्य में तर्क का कोई स्थान नहीं होता। उनमें सहानुभूति भी कूट-कूट कर भरी होती है। दूसरों को हानि पहुंचाने वाला कोई काम नहीं करना चाहेंगे । जब भी किसी व्यक्ति को कठिनाई में देखते हैं अथवा उसे दुखी या रोगी पाते हैं तो तत्काल उसकी सहायता को दौड़ पड़ना चाहते हैं, लेकिन समझ नहीं पाते कि क्या सहायता करें। कुछ लोग उनकी इस प्रवृत्ति का अनुचित लाभ उठा सकते हैं।

ALSO READ - चौथे भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

उनकी कल्पना-शक्ति काफी बिकसित होती है। वे मूलतः आदर्शवादी होते हैं और दुनिया के कठोर यथार्थ से भागकर अपनी सपनों की दुनिया में खो जाना चाहते हैं। यही कारण है कि अनेक महान कवि, लेखक और संगीतज्ञ मीन जातक ही थे । लेकिन उन विचारों और कल्पना का क्या लाभ जिन्हें व्यावहारिक रूप न दिया जा सके । यहीं मीन जातक मात खा जाते हैं क्योंकि आत्म-विश्वास की कमी से वे स्वयं को प्रकाश में नहीं ला पाते। जरा-सा विरोध होने से उनका दिल टूट जाता है। मीन जातकों की सम्पूर्ण प्रकृति नकारात्मक होती है। उनका स्वभाव अस्थिर और क्षण-क्षण में बदलने वाला होता है तथा उनके मूड पर निर्भर रहता है। वे स्वयं कोई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लेना चाहते और प्रायः दूसरे व्यक्ति से निर्णय लेने को कहेंगे।

खेल-कूदों का आनन्द लेने या दुनिया की मौज-मस्ती में भाग लेने के बजाय मीन जातकों में घर में शान्ति और आराम से बैठे रहने की प्रवृत्ति होती है। इससे उनमें आलसीपन पनप सकता है। जल के प्रति उनका विशेष मोह होता है । उनका डरपोकपन बात-बात पर क्षमा मांगने या निरंतर बहाने बनाने की प्रवृत्ति को जन्म देता है।

ALSO READ - पांचवें भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

मीन जातक मूलतः द्विस्वभावी होते हैं। सवाल यह है कि वे कौन-सा मार्ग अपनाते हैं। सबसे दृढ़ और सबसे दुर्बल चरित्र उनमें मिल सकते हैं। कुछ भावनाओं में बहकर भोग-विलास का मार्ग अपना लेते हैं, वातावरण के दास बन जाते हैं या झूठे मित्रों के चक्कर में फंस जाते हैं। कुछ मादक पदार्थों या शराब के आदी हो जाते हैं। लेकिन यदि उन्हें कोई जीवन का लक्ष्य मिल जाए तो अवसर के अनुकूल अपने को ढाल लेते हैं। अपने स्वभाव में आकस्मिक परिवर्तन से कभी वे मित्रों को आश्चर्य में डाल देते हैं। एक क्षण में ही अपनी दुर्बलता या आत्म-रति को उतार फेंक आत्म-विश्वास की किसी सीमा तक उठ सकते हैं।

मीन जातकों में गुप्त विद्याओं के प्रति आकर्षण मिलता है । अज्ञात, दार्शनिक या रहस्यमय की खोज करना उन्हें पसन्द है, किन्तु लोग उन्हें प्रायः अंधविश्वासी समझते हैं, जबकि वस्तुतः वे भाग्यवादी होते हैं।

ALSO READ - छठे भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

मीन जातिका का बाह्य रूप पूर्णतः एक नारी का होता है और उसकी यह विशेषता पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित करती है। अन्दर से वह कठोर जीवन अपनाने में भी सक्षम हो सकती है। दीन-दुखियों के प्रति उसका प्रेम उसके घर का पालतू पशुओं तथा बच्चों का संग्रहालय बना सकता है ।

आर्थिक गतिविधियां और कार्यकलापः-

मीन जातकों की दृष्टि में रुपए-पैसे का कोई मूल्य नहीं है। उनके लिए वह साधन है, सिद्धि नहीं। किन्तु उनके मन में गरीबी का एक अज्ञात भय समाया रहता है। इसलिए अपनी उदारता को वे तब तक हावी नहीं होने देते जब तक उनका कोई प्रियपात्र उसके लिए आग्रह न करे। फिर तो वे अपना सर्वस्व तक निछावर कर सकते हैं। वे बुरे दिनों के लिए पैसा बचाने की भी चिन्ता नहीं करते, जिससे उनका बुढ़ापा प्रायः आर्थिक कष्ट में बीतता है।

ALSO READ -सातवें भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

आर्थिक मामलों में मीन जातकों को बार-बार उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ सकता है। किन्तु एक बार अपने अस्थिर स्वभाव पर नियंत्रण पा लेने के बाद ऐसा कोई पद नहीं जिसे वे प्राप्त न कर सकें। माल-ढुलाई, विदेशों से। व्यवसाय, आयात-निर्यात या समुद्री व्यापार में वे अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। नर्स, रेस्तरां-संचालक, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, लेखपाल, साहूकार आदि के व्यवसाय भी उनकी रुचि के हो सकते हैं। वे अच्छे लेखक और चित्रकार भी बनते हैं। व्यवसाय में उनके लिए किसी साझेदार के साथ मिलकर काम करना बेहतर रहेगा।

मैत्री, प्रेम, विवाह-सम्बन्धः-

मीन जातकों को मित्रों की कोई कमी नहीं होती। इसका कारण न केवल उनका स्वभाव वरन् उनकी मोहिनी-शक्ति भी है। मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए और उनका दुःख-दर्द बांटने के लिए वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं । वे इसके प्रतिदान की भी आशा नहीं करते। फल यह होता है कि अधिकांश लोग उनकी इस उदारता का लाभ उठाने के लिए ही उनके आस-पास आ मंडराते हैं। समय पड़ने पर वे उनसे एकत्र की गई जानकारी का उन्हीं के विरुद्ध और उन्हें बदनाम करने में उपयोग कर सकते हैं।

ALSO READ - आठवें भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

जहां तक प्रेम की बात है, मीन जातक अत्यन्त भाबुक और रूमानी होते हैं। वे रूप के लोभी भी होते हैं और हर नई सूरत देखकर उनका दिल मचलने लगता है। मंदिरों में काम की मूर्तियां और बड़ी-बड़ी दुकानो पर प्रदर्शित नमुने उनके लिए भारी आकर्षण होते हैं। उनके इस स्वभाव का प्रभाव उनके घर पर भी पड़ता है जहां पत्नी के साथ वे पति से अधिक प्रेमी की भूमिका निभाना पसंद करते हैं। किन्तु दिल पर जरा-सी चोट पहुंचते ही वे तिलमिला उठते है। 

ऐसी स्थिति में प्रकटतः वे कुछ नहीं कहते और कई-कई दिन मौन धारण कर मनही-मन कुछ सोचते रहते हैं। अपने जीवन-साथी के प्रति वे संदेहशील स्वभाव के भी हो सकते हैं। वैसे इस क्षेत्र में भी वे अपने दूहरे स्वभाव का ही परिचय देते हैं। एक दिन वे अपने जीवन-साथी के प्रति अपार प्रेम दर्शाएंगे और अगले दिन अकारण ऐसे हो जाएंगे जैसे उससे उनका कोई सम्बन्ध ही नहीं है।

स्वास्थ्य और खानपानः-

मीन जातकों का शरीर आमतौर से कृश किन्तु संतुलित होता है। कुछ जातक कद में छोटे भी होते हैं। किन्तु स्थूल होने से भार में लम्बे व्यक्तियों के बराबर ही होते हैं । उनके हाथ-पांव छोटे और भारी दिखाई देते हैं। कंधे मांसल और गोल होते हैं। त्वचा कोमल, बाल रेशमी, आंखें हलके रंग की और रंग गोरा होता है। उनमें एक निजी आकर्षण होता है और जिस समय वे चिन्तारहित होते हैं, उनके चेहरे पर चमक आ जाती है।

ALSO READ - नवें भाव मे गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

स्वास्थ्य के सम्बन्ध में मीन-जातकों को सबसे अधिक खतरा मानसिक होता है । अत्यधिक चिन्ता से उनके पाचन-अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। अनेक लोगों को बेरीबेरी, पक्षाघात या क्षय जैसे फेफड़े के रोग हो सकते हैं । शरीर से, विशेषकर हाथ-पांवों से, शीघ्र पसीना छूटने लगता है । आंतों में वृद्धि या फोड़े से विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है।

राशिचक्र में मीन पांवों का प्रतिनिधित्व करती है । अतः मीन जातकों के पांवों में कष्ट हो सकता है। पांवों की अस्वाभाविक बनावट के कारण उन्हें सुविधाजनक जूते पहनने में भी कठिनाई हो सकती है।

ALSO READ - दसवें भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

मीन जल राशि होने से इस राशि के जातकों में मद्यपान की प्रवृत्ति भी पाई जाती है। कुछ लोग जीवन-जल का सेवन करते भी देखे गए हैं।

द्रेष्काण, नक्षत्र, त्रिशांशः-

लग्न प्रथम द्रेष्काण में होने से जातक प्रायः उच्च पद प्राप्त करता है। विविध विषयों का, विशेषकर गुप्त विद्याओं का, जानकर होता है । द्वितीय में जन्म होने पर उसकी कल्पना-शक्ति अपनी चरम सीमा पर रहती है । वह दिवास्वप्न देखने का आदी होता है। तृतीय द्रेष्काण में जन्म लेने पर जातक में समयसमय पर अपनी दुनिया में सिमटने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है । वह अधिक महत्वाकांक्षी भी हो जाता है।

ALSO READ - ग्यारहवें भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

चन्द्र अथवा नामाक्षर पूर्वा भाद्रपद के अंतिम चरण में होने पर जातक अधिक कल्पनाशील बनता है। उत्तरा भाद्रपद के प्रथम चरण में होने पर वह प्रमादी हो सकता है। द्वितीय चरण में होने पर उसमें अभिव्यक्ति की आकांक्षा उसे साहित्य की ओर प्रवृत्त कर सकती है। तृतीय चरण में होने पर वह ललित कलाओं की ओर उन्मुख हो सकता है। चतुर्थ चरण में होने पर खोज-कार्य में लग सकता है। रेवती के प्रथम चरण में होने पर वह किसी खेल में अपना मन लगा सकता है। द्वितीय चरण में होने पर उसे कोई उत्तरदायित्व का पद सौंपा जा सकता है। तृतीय चरण में होने पर उसका प्रेम जीव-कल्याण का रूप ले सकता है। अंतिम चरण में होने पर उसका मन लम्बी यात्राओं के लिए भटक सकता है।

ALSO READ - बारहवें भाव में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे।

मीन जातिका की लग्न यदि शुक्र के त्रिशांश (0-5) में हो तो उसका विवाह किसी सम्पन्न परिवार में होता है। बुध के त्रिशांश (5-12) में हो तो उसे पद और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। गुरु के त्रिशांश (12-20) में हो तो वह सम्पन्न होती है। शनि के त्रिशांश (20-20) में हो तो दरिद्र होती है। मंगल के त्रिशांश (25-30) में हो तो विख्यात और बड़े परिवार वाली होती है।

अन्य ज्ञातव्य बातेंः-

भारतीय आचार्यों ने मीन राशि का वर्ण पांडुर (पीताभ श्वेत) कहा है। इसके स्वामी गुरु का वर्ण गौर या पीला है। गुरु का रत्न पुखराज है जिसे सोने में धारण किया जाना चाहिए। पश्चिमी ज्योतिष के अनुसार मीन का स्वामी नेप्चून है जिसका वर्ण हरित्-नील (एक्वामरीन) है। मीन राशि उत्तर दिशा की द्योतक है ।

मीन राशि के भारतीय ज्योतिषानुसार स्वामी गुरु का मूलांक ३ है। यह अंक साहित्य, कला और वाणी द्वारा अभिव्यक्ति का प्रतीक है। पश्चिमी ज्योतिषानुसार स्वामी नेप्चून का मूलांक ७ है। यह अंक रहस्य का अंक माना जाता है और जातक को किसी अज्ञात रहस्य की खोज की ओर प्रवृत्त कर सकता है । मीन जातकों के जीवन में ये अंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वारों में मीन राशि बृहस्पतिवार का प्रतिनिधित्व करती है।

मीन राशि निम्न वस्तुओं, स्थानों तथा व्यक्तियों की संकेतक है :-

धन-धान्य, अन्न, मोती, शंख, कमल, जलपुष्प, नमक, गंध, रत्न, तापबिजली घर आदि।

सरोवर, सागर, मत्स्य शालाएं, तेल क्षेत्र , मंदिर, बंदरगाह, अनाथालय, स्वास्थ्य केन्द्र, जेल, काल-कोठरी, जल-चक्की, कुएं आदि ।

ALSO READ - गुरू बली करने के आसान उपाय जानने के लिये क्लिक करे।

राजनेता, मंत्री, बैंक एजेंट, यात्री-पर्यटक, वकील, शिक्षक, दानी तथा धार्मिक व्यक्ति, पंच, धनिक, व्यापारी, साहित्यकार, पत्रकार, लेखाकार, लेखापरीक्षक, साहूकार आदि।


Read More
Powered by Blogger.