Mesh rashi ka parichay
मेष राशि का परिचय
मेष राशि के नामाक्षरः- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ।
राशिचक्र में मेष राशि पहली राशि है। इसे अंग्रेजी में एरिस कहते है। इसका प्रतीक मेढा या भेडा है। भेड जितनी सीधी और अनुशासन प्रिय होती है। भेडा अर्थात नर भेड उतनी ही आक्रामक और स्वच्छंदता पसंद करने वाला होता है। इस राशि का क्षेत्र राशिचक्र के आरंभ से लेकर तीस अंश तक होता है। मेष राशि का स्वामी मंगल है। इसके तीन द्रेष्काण दस दस अंश के मंगल- मंगल, मंगल- सूर्य, तथा मंगल - गुरू है।
ALSO READ- स्त्री के विशेष अंग इस तरह के हो तो बनाते है उसे पति की प्यारी और सौभाग्यशाली।
मेष राशि के अंतर्गत अश्विनी नक्षत्र के चारों चरण, भरणी नक्षत्र के चारों चरण तथा कृतिका नक्षत्र का पहला चरण आता है। इस तरह नौ नाम अक्षर इस राशि के अंतर्गत आते है। इसका प्रत्येक चरण तीन अंश और बीस कला मान का है। जो कि नवांश के एक पद के समान मान वाला है। इन चरणों के स्वामी इस प्रकार है- अश्विनी प्रथम चरण - केतु मंगल, अश्विनी द्वितीय चरण - केतु शुक्र, अश्विनी तृतीय चरण - केतु बुध, अश्विनी चतुर्थ चरण - केतु चंद्रमा। भरणी प्रथम चरण - शुक्र सूर्य, भरणी द्वितीय चरण - शुक्र बुध, भरणी तृतीय चरण - शुक्र शुक्र, भरणी चतुर्थ चरण - शुक्र मंगल, कृतिका प्रथम चरण - सूर्य गुरू। इन चरणों के नामाक्षर इस प्रकार है- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ।
ALSO READ - बारह भावों में सूर्य का शुभ अशुभ सामान्य फल व उपाय जानने के लिये क्लिक करे।
इस राशि का एक अन्य विभाजन त्रिशांश के अनुसार भी है। स्त्री जातक का गुण स्वभाव जानने के लिये त्रिशांश चक्र का विशेष महत्व है। इस चक्र में राशि के पहले अंश मेष के है। जिनका स्वामी मंगल है। पांच से दस अंश तक कुंभ राशि के है। जिनका स्वामी शनि है। दस से अठारह अंश तक धनु राशि के है। जिनका स्वामी गुरू है। अठारह से पच्चीस अंश तक मिथुन राशि के है। जिनके स्वामी बुध है। तथा पच्चीस से तीस अंश तक तुला राशि के है। जिनका स्वामी शुक्र है। गृहमैत्री चक्र के अनुसार मेष राशि सूर्य, चंद्र तथा गुरू के लिये मित्र राशि है। शुक्र तथा शनि सम राशि है तथा बुध के लिये शत्रु राशि है।
ALSO READ - बारह भावों में चंद्र का शुभ अशुभ सामान्य फल व उपाय जानने के लिये क्लिक करे।
स्वभाव - प्रभाव:-
मेष राशि अग्नि तत्व वाली राशि है। अग्नि त्रिकोण मेष, सिंह तथा धनु में यह पहली राशि है। इसका स्वामी मंगल है। जो कि स्वयं अग्नि ग्रह है। राशि और स्वामी का यह संयोग इसकी अग्नि या उर्जा को कई गुना बढा देता है। लेकिन पानी के अभाव में आग केवल क्षार ही कर सकती है। उसे भाप में बदल कर रचनात्मक उर्जा का रूप नहीं दे सकती है। यही कारण है कि मेष प्रधान जातक अपनी शक्ति का लगभग दुरूपयोग ही करते है।
ALSO READ - बारह भावों में मंगल का शुभ अशुभ सामान्य फल व उपाय जानने के लिये क्लिक करे।
मेष राशि चर राशि है। इसलिये ये जातक ओजस्वी, दबंग, साहसी, तथा दृढ इच्छाशक्ति वाले होते है। परंतु कभी कभी चंचल प्रकृति व हठी स्वभाव वाले होते है। वे जन्मजात योद्धा होते है। बाधाओं को पार करते हुये अपना मार्ग बनाते है। किसी भी खतरे से डरते नहीं है। स्वच्छंद स्वभाव वाले, तथा अपने कार्य में किसी का भी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करते। यदि अपनी इच्छा से कार्य न करने दिया जाये तो काम छोडकर चले जाते है। इसी स्वभाव के कारण इनके जीवन में अनेक परिवर्तन आते है।
ALSO READ - बारह भावों में बुध का शुभ अशुभ सामान्य फल व उपाय जानने के लिये क्लिक करे।
यदि ये लोग अपने उग्र स्वभाव को नियंत्रण में रख सके तो वे भौतिक रूप से जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकते है। सरकारी क्षेत्र में उच्च पदों पर जा सकते है। लेकिन इनको झूठी प्रशंसा करने वालों और चापलूसों करने वालों से सावधान रहना चाहिये। ऐसे लोग इनको झूठी प्रशंसा करके बेवकूफ बनाते है। और अपनी प्रशंसा सुनकर मेष राशि वाले अहंकारी हो जाते है। इनमें बहुत जल्दीबाजी होती है। नई योजनाओं को तसल्ली से करने की बजाय जल्दीबाजी में करने के कारण ये अपना काम खुद ही बिगाड लेते है। दूसरों की सलाह सुनना पसंद नहीं करते। दूसरों का कहना नहीं मानते। अपने हिसाब से काम करते है। किसी भी तरह की बात को सहन कर लेते है। अधिक महत्वकांक्षी होने के साथ साथ वे खुले दिल वाले तथा मुंहफट भी होते है। इनके मित्र कम और शत्रु ज्यादा होते है। अपने गुस्से के कारण ये मित्रों को भी शत्रु बना लेते है। इनको हीन भावना से बचना चाहिये। कई बार ये वहशी, नृशंस जैसे हो जाते है। हिंसक स्वभाव हो जाता है। कठोर अनुशासन प्रिय होते है। अस्वाभाविक मृत्यु को प्राप्त करते है। अपने अधिनस्थों के लिये कठोर स्वभाव वाले होते है। प्राचीन परंपराओं और रीतिरिवाजों का विरोध करते है। बिना मतलब किसी के भी झगडे में पड जाते है।
ALSO READ - बारह भावों में गुरू का शुभ अशुभ सामान्य फल व उपाय जानने के लिये क्लिक करे।
ये लोग अपने कपडों का विशेष ध्यान रखते है। हमेशा साफ सुथरे नये कपडे पहनते है। सभी पर अपना रौब जमाना चाहते है। मेष राशि की लडकियां भी लडको की तरह ही महत्वकांक्षी और आदर्शवादी होती है। उनमें भी पुरूष जातको की तरह ही गर्मजोशी और उर्जा पायी जाती है। अपने दबंग स्वभाव और व्यक्तित्व के कारण वे सामाजिक जीवन में अग्रसर होती है।
ALSO READ - बारह भावों में शुक्र का शुभ अशुभ सामान्य फल व उपाय जानने के लिये क्लिक करे।
कार्यक्षेत्र:-
सुदृढ आत्मविश्वास वाले ये लोग बडे बडे व्यापारिक संगठनों को चलाने की क्षमता रखते है। यदि ये खुद पर नियंत्रण रखें तो जीवन की प्रत्येक सफलता को प्राप्त कर सकते है। इनका अनुमान हमेशा सही जाता है। ये चाहते है कि घर तथा व्यापार में इनकी बात ही सर्वोपरि हो। इनमें धन कमाने की बहुत लालसा होती है तथा क्षमता भी अच्छी होती है। जिन कामों में लम्बे चैडे खर्चों की बात होती है, वही काम इनको पसंद आते है। प्रबंध के मामले में एक तरफ जहां ये व्यवहारिक हो जाते है। वहीं दूसरी तरफ ये आवेश और अनुशासन भी अधिक पसंद करते है। इनके दिमाग में हमेशा बडी बडी योजनाएं चलती रहती है। बहुत बार आवेश में आकर ये निर्णय ले लेते है। जिनके कारण इनको कभी नुकसान भी होता है।
ALSO READ - बारह भावों में शनि का शुभ अशुभ सामान्य फल व उपाय जानने के लिये क्लिक करे।
ये जातक सट्टेबाजी में भी रूचि रखते है। इसके बजाय यदि ये बु़िद्धमानी से सोचसमझ कर काम करे तो इन्हें बहुत फायदा हो सकता है। इनको कोर्ट केस आदि झंझटों से बचना चाहिये। ऐसे मामलों में पडने पर ये ज्यादा उलझ जाते है। जिन कामों में इनका नाम होता है, वे काम करना ये ज्यादा पसंद करते है।