Barah bhavo me chandrma ka shubh ashubh samanya fal
बारह भावों में चन्द्रमा का शुभ अशुभ सामान्य फल
नौ ग्रहों के क्रम में चंद्रमा ग्रह का दूसरा क्रम है। वैदिक ज्योतिष में यह मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुऐं, यात्रा, सुख शांति, धन संपत्ति, रक्त, बायीं आंख, छाती, आदि का कारक होता है। चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त, तथा श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है। इसका आकार ग्रहों में सबसे छोटा होता है। लेकिन इसकी गति सबसे तेज होती है। चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। यह लगभग सवा दो दिन से ढाई दिन में एक राशि से दूसरी राशि में जाता है। चंद्र ग्रह की गति के कारण ही विंशोत्तरी, योगिनी, अष्टोत्तरी दशा आदि चंद्र ग्रह की गति से ही बनती है। वहीं वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिये व्यक्ति की चंद्र राशि को आधार माना जाता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है, वही व्यक्ति की राशि होती है। लाल किताब के अनुसार चंद्रमा एक शुभ ग्रह है। यह सौम्य ग्रह है। यह सौम्य और शीतल प्रकृति को धारण करता है। इसे स्त्री ग्रह माना गया है। यदि जातक की कुंडली में चंद्रमा बली हो तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते है। बली चंद्रमा के कारण व्यक्ति मानसिक रूप से सुदृढ और स्वस्थ रहता है। शांति का अनुभव करता है। उसकी कल्पना करने की शक्ति प्रबल होती है। बली चंद्रमा के प्रभाव से माता का स्वास्थ्य अच्छा रहता है तथा उनसे संबंध मधुर रहते है।
कुंडली के बारह भावों में चंद्रमा का शुभ अशुभ सामान्य फल इस प्रकार है। आपको जिस भाव का फल जानना है। उसकी लाईन पर क्लिक करे।