Tuesday 9 April 2019

Moon in the forth house | कुंडली के चौथे घर में चन्द्रमा | चतुर्थ भाव में चन्द्रमा

Posted by Dr.Nishant Pareek
If there is a moon in the fourth  house of the horoscope, then what is its usual function ? Look out






 


यदि कुंडली के चौथे घर में चन्द्रमा हो तो उसका सामान्य रूप से क्या फल मिलता है। देखिये 


  Auspicious Results : 

                                 One is charitable, intelligent, famous, happy, healthy, liberal, devoid of anger and jealousy. One can be a farmer living near water. One becomes fortunate after marriage. One will be scholarly and will have a good moral character. One will be blessed with a spouse, son and mother. One will have good friends. One will not be greedy. Ambition and good health are highlights of this combination. The person is strong, ambitious and a treasurer. One’s friends may make him a state official. One will be endowed with a house, land and other comforts. One may earn money through sea and river trade. One will get money, good fortune and property through marriage. Mines are profitable. Happiness increases and the latter part of life is very comfortable. One will inherit property from one's mother and one’s fortunes will become favorable due to her. One will be devoted to one's mother, Brahmins and Gods. Business and production of patented medicines, powder, fragrance and oil will be profitable.      One will be strong and one's mother will be long lived.


शुभ फल : चतुर्थ स्थान में चन्द्रमा होने से जातक दानी, मानी, सुखी, उदार, रोगरहित, रागद्वेष वर्जित, कृषक, विवाह के पश्चात् भाग्योदयी, जलजीवी एवं बुद्धिमान् होता है। जातक विद्वान, आचारवान् और सुखी होता है। माता, स्त्री और संतान का सुख मिलता है। जातक के अच्छे मित्र होते हैं। जातक लोभी प्रकृति का नहीं होता। महत्वाकांक्षा और नीरोग रहना इस भाव के चन्द्रमा के विशेष फल हैं। चन्द्रमा चतुर्थभाव में होने से जातक बलवान् प्रतापी भूमिपति (राजा) का भंडारी अर्थात् कोषाध्यक्ष होता है। जातक बांधवों द्वारा राज्य में सर्वदा अधिकारी बनाया जाता है। चन्द्र से घर, जमीन, खेती आदि विषयों में सुख प्राप्त होता है। नदी-समुद्र आदि में व्यापार द्वारा धन कमाता है। चन्द्र बलवान् होने से विवाह से धनप्राप्ति-भाग्योदय, और स्टेट मिलने का योग होता है। खानों से अच्छी आमदनी होती है। सुख की उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। जीवन का उत्तरार्ध बहुत सुखपूर्ण होता है। माता से विरासत में सम्पत्ति मिलने का योग होता है। माता के कारण भाग्योदय होता है। माता पर भक्ति भी होती है। जातक की भक्ति अर्थात प्रेम, देवताओं और ब्राह्मणों में होती है अर्थात् देवताओं और ब्राह्मणों में श्रद्धा रखता है। पेटैंट दवाइयों का व्यापार, पौउडर, इत्र तेल आदि सुगन्धित वस्तुओं का निर्माण, व व्यापार लाभदायक हो सकता है। चन्द्रमा पूर्णिमा का अथवा स्वक्षेत्री (कर्क का) होने से बलवान् होता है। माता भी दीर्घायुषी होती है।

 Inauspicious Results : 
                                      Parents might expire in childhood. There is a lack of happiness. If the parents survive then there will be mutual conflicts with them. Up to the 32nd year there is no stability and thereafter fortunes will become favorable. Stability sets in after marriage. There will be disinterestedness towards education. One may consume unedibles like meat and fish and always be ailing. One’s mother may be ailing. One may be infatuated by the opposite sex. One may not have the comfort of vehicles. One will desire happiness but may not attain it.      There might be a separation from friends and relatives.      Unhappiness in the beginning and happiness later on will be experienced.      No estate is inherited nor wealth is accumulated.      The person’s mother may die early.

अशुभ फल :साधारणत: चतुर्थचन्द्र का फल यह है कि वचपन में माता-पिता की मृत्यु हो सकती है और कोई सुख प्राप्ति नहीं होती। यदि माता-पिता जीवित रहे तो उनसे मनमुटाव रहता है। 32 वें वर्ष तक स्थिरता नहीं होती, तदनन्तर भाग्योदय होता है। विवाह के बाद कुछ स्थिरता होती है। विद्या के प्रति अरुचि और प्रमाद भाव देता है। मांस-मछली आदि अभक्ष्य पदार्थों को खानेवाला होता है, अतएव सदा बीमार रहता है।जातक की माता रोगग्रस्त रहती है। जातक परस्त्रीरत होता है। सवारी का सुख नहीं होता है। सुख की अभिलाषा बहुत होती है किंतु सुख की प्राप्ति नहीं होती।       वृष और मकर में चन्द्रमा होने से "बन्धु वियोग" फल अनुभव में आता है।      मेष, सिंह, धनु, बृष, कन्या और मकर राशियों में चन्द्रमा होने से जीवन के पूर्वार्ध में कष्ट, और उत्तरार्ध में सुख इस फल का अनुभव आता है।      वृष, कन्या, मकर, वृश्चिक राशियों में चन्द्रमा होने से न पूर्वजार्जित स्टेट मिलती है, और ना ही मनुष्य स्वयं उपार्जित कर सकता है।      चन्द्रमा क्षीणकाय और पापग्रहों के साथ युति होने से जातक की माता की मृत्यु जल्दी होती है।
Powered by Blogger.