Friday, 30 December 2022

Shani ka kumbh rashi me gochar / शनि का कुम्भ राशि में गोचर

Posted by Dr.Nishant Pareek

शनि का कुम्भ राशि में गोचर आपके लिए कैसा रहेगा , जानिए इस लेख में 


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Shani ka kumbh rashi me gochar 

मेष राशि 

  जन्म चंद्रमा से शनि का एकादश भाव से गोचर (17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 )  इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके ग्यारहवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह आपके लिए शुभ समय है । वित्तीय रुप से समय बहुत अच्छा है । चाहे आप व्यापार में हों या किसी व्यवसाय में, आपको अप्रत्याशित लाभ होने की संभावना है । यह धन लाभ आपके लिए आनन्द व और अधिक लाभ प्राप्त करने के अवसर लेकर आएगा । आपके हर प्रकार के प्रयास सफल होंगे व परियोजना के मनवांछित परिणाम प्राप्त होंगे । इस समय विशेष में जायदाद प्राप्त होने की भी संभावना है । जो व्यक्ति गृह निर्माण सामग्री, कोयला, चमड़े आदि का व्यवसाय करते हैं, वे अपने - अपने व्यापार में और भी अधिक मुनाफे की आशा रख सकते हैं । यदि आप सेवारत हैं तो पदोन्नति की संभावना है । उच्च शिक्षा हेतु यह समय शुभ है । यह आपके सोच को और भी उद्यमशील बनाने का समय है ।  सामाजिक जीवन भी संतोष प्रद रहेगा । समाज में आपका मान, स्तर व प्रतिष्ठा बढ़ने की संभावना है । आपमें से कुछ को समाज द्वारा विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया जा सकता है ।  यदि आप विवाहेच्छुक हैं तो आपको मनपसन्द साथी मिल सकता है व विवाह हो सकता है । यदि आप एकल हैं तो विपरीत लिंग वाले मनोहारी व्यक्ति का साथ मिल सकता है । आपके मित्र आपके सहायक होंगे व नए मित्र बन सकते हैं । आपके मालिक व सहयोगियों का आपके प्रति व्यवहार सकारात्मक होगा । पत्नी / पति व बच्चे सुख प्राप्ति के स्त्रोत होंगे । आप परिवार की मनोकामना पूर्ण करने वाली वस्तुएँ प्राप्त करेंगे । स्वास्थ्य अच्छा रहेगा ।

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वृष राशि  

 जन्म चंद्रमा से शनि का दशम भाव से गोचर (17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 ) इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके दसवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह स्थिति कष्ट व मानसिक संताप की सूचक है । इससे आपको काम - धंधे व जीवन के अन्य क्षेत्रों में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है ।  व्यापारियों व व्यवसायियों को इस दौरान हानि झेलनी पड़ सकती है । यदि आप कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं तो नुकसान से बचने के उपाय करें । आपमें से कुछ अपना व्यवसाय अथवा कार्य क्षेत्र बदलने के विषय में सोच सकते हैं । आपमें से कुछ को नौकरी मिल सकती है परन्तु इस विशेष समय में कार्य करने में कठिनाई आएगी । आप और आपके मालिक के बीच परस्पर विरुचि की भावना पनप सकती है । गुप्त शत्रुओं से सावधान रहें ।  आमदनी से अधिक व्यय आपको निर्धनता के कगार पर लाकर खड़ा कर सकता है । ऋण लेने से बचें ।  स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है । अपने घुटनों व छाती की सही देखभाल करें । आपके माता - पिता बीमार हो सकते हैं । यहाँ तक कि जीवन खतरे में पड़ सकता है ।  घर पर आप व आपकी पत्नी / पति के बीच मानसिक वैमनस्य परस्पर घृणा का कारण बन सकता है । यात्रा का योग है ।  आपमें से कुछ में पाप प्रवृत्ति में लिप्त होने की तीव्र इच्छा पनप सकती है । समाज में अपना मान व प्रतिष्ठा बनाए रखें ।


मिथुन राशि  

   जन्म चंद्रमा से शनि का नवम भाव से गोचर (17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 )  इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके नवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह विपत्ति व व्यथा का सूचक है । आपके कार्यक्षेत्र के लिए यह समय कठिनाईपूर्ण है । आपका स्थानान्तरण हो सकता है व कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ सकता है । शत्रुओं व अपने नीचे काम करने वाले सहयोगियों से सावधान रहें क्योंकि वे आपको इस समय धोखा दे सकते हैं । किसी भी ऐसी बात से बचें जिसके कारण आपको अपनी कार्यस्थली अथवा समाज में बदनामी मिले। मनवांछित लाभ पाने में और सामान्य दिनों से अधिक समय लग सकता है ।  वित्त के प्रति भी सावधानी बरतनी पड़ेगी । इस दौरान आपके फिजूलखर्ची करने की संभावना है । आपमें से कुछ इसके लिए अतिरिक्त आय भी करेंगे परन्तु अनेक बाधाओं का सामना भी करना पड़ सकता है ।  मुकदमेबाजी, आपराधिक गतिविधियों व धर्मविरोधी कृत्यों से दूर रहें । आपमें से कुछ इस दौरान अपराध जगत फंदे में फँस सकते हैं ।  स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है । मानसिक रुप से आप पत्नी / पति व बच्चों के कारण व अन्य कारणों से भी अशान्त     व व्यथित रह सकते हैं । आपका पुत्र किसी जानलेवा रोग से ग्रस्त हो सकता है । आपमें से कुछ को किसी निकट सम्बन्धी के दाह - संस्कार में सम्मिलित होना पड़ सकता है । 

 

 

 कर्क राशि 

  जन्म चंद्रमा से शनि का अष्टम भाव से गोचर (17 जनवरी 2023  18:03:34 से 29 मार्च 2025  21:44:37)  इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके आठवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह कठिन समय है । आपमें से अधिकांश को काम-काज, व्यवसाय, व्यापार व किसी भी कार्यक्षेत्र विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है । कई को तो अनेक कारणों से काम-काज से हाथ धोना पड़ सकता है । इस समय आप बुरी लत, जुआ व कुसंगति की ओर आकर्षित हो सकते हैं । यहाँ तक कि आपमें से कुछ को दुर्जन - दुष्ट संगत के चक्कर में पड़कर कारागृह भी जाना पड़ सकता है ।  समाज में आपका नाम व प्रतिष्ठा भी कलंकित हो सकती है । आपमें से कुछ संसार त्यागने का मानस भी बना सकते हैं ।  यात्रा का योग है । इस समय वित्त के प्रति सावधानी बरतें व व्यय पर लगाम कसें ।  स्वास्थ्य इन दिनों चिन्ता का कारण बन सकता है । आप किसी गम्भीर रोग से ग्रसित हो सकते हैं जिससे जीवन खतरे में पड़ सकता है ।  आपको परिवार को भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है । ग्रहों की परिवर्तनशीलता के कारण परिवार के सदस्यों को कठिनाईपूर्ण परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है । आपमें से कुछ के किसी परिवार के सदस्य अथवा घरेलू पशु की मृत्यु हो सकती है । अपने निकट व अंतरंग व्यक्तियों से तर्क - वितर्क न करें क्योंकि परिवार में नए शत्रु बन सकते हैं । 

 

 सिंह राशि 

  जन्म चंद्रमा से शनि का सप्तम भाव से गोचर (17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 ) इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके सातवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह जीवन में उदासी का सूचक है । जीवन के लगभग हर क्षेत्र, हर पहलू पर पहले से अधिक ध्यान केन्द्रित करना पड़ेगा । आमदनी सीमित रहेगी और उस पर भी छल - कपट व धोखाधड़ी से धन - हानि हो सकती है । जो भी हो, ऋण लेने से बचें क्योंकि इस ऋण से मुक्ति मिलने में अत्यधिक समय लग सकता है ।  काम - धंधे में भी अपनी ओर से और अधिक परिश्रम करना पडेगा । अपने गन्तव्य तक पहुँचने के लिए और अधिक दूरी तय करनी होगी । यदि आप साझेदारी में धंधा करते हैं तो छद्मवेशी धोखेबाजों से सावधान रहें ।  यदि सेवारत हैं या किसी पद पर हैं तो उसकी गरिमा बनाए रखें, ऐसा कुछ न करं जो वह छिन जाय ।  विद्यार्थियों को एकाग्रता से पढ़ाई करने में कठिनाई हो सकती है ।  आपमें से कुछ इस दौरान विदेश जाएँगे । वैसे यात्रा पर जाने से बचें क्योंकि आपमें से अधिकांश के लिए यह दु:खदायक सिद्ध होगी । यह समय इस बात का द्योतक है कि आपका अपना घर न रहने के कारण आपको विवश होकर अन्यत्र रहना पड़ेगा ।  स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है । परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखें । आपमें से कुछ गुर्दे, यौन - अंग तथा मूत्र - नलिका से सम्बन्धित रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं । अपनी पत्नी / पति व बच्चों की किसी स्वास्थ्य सम्बन्धी शिकायत हेतु लापरवाही न बरतें क्योंकि बाद में इससे जीवन खतरे में पड़ सकता है ।  घर पर शान्ति व सामन्जस्य बनाए रखना आवश्यक है । पहले जीवनसाथी की मृत्यु के कारण आपमें से कुछ पुनर्विवाह कर सकते हैं । मित्रता को पूर्णतया विकसित होने दें और मित्रों से अच्छा सामन्जस्य बनाए रखें । यदि सावधानी नहीं बरतेंगे तो आपके अंतरंग मित्र आपको त्याग देंगे ।  इस समय मानसिक संतुलन बनाए रखना कठिन है । आपमें से अधिकांश में निरंतर मानसिक क्लेश व अशान्ति की भावना की संभावना है ।  किसी भी प्रकार के मुकदमे आदि से दूर रहना बुद्धिमानी होगी । यह मुकदमा अथवा चुना लड़ने हेतु अच्छा समय नहीं है । 

 

 कन्या राशि 

 जन्म चंद्रमा से शनि का षष्ठ भाव से गोचर (17 जनवरी 2023  18:03:34 से 29 मार्च 2025  21:44:37)  इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके छठे भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह मुख्य रुप से धन लाभ का सूचक है । इस दौरान आप समस्त बिल, ऋण व शुल्क आदि चुका देंगे । धन सरलता से और आशा से अधिक प्रचुर मात्रा में आएगा । आप भूखण्ड अथवा मकान क्रय कर सकते हैं । यदि आपके पास पहले से ही भूखण्ड है तो मकान बनाने के विषय में सोच सकते हैं । यह समय शत्रुओं को हराकर विजय प्राप्त करने का है । स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आप शान्ति अनुभव करेंगे। व्यावसायिक व सामाजिक दृष्टि से भी आपके लिए अच्छा समय है । आपमें से कुछ के अधिकारी विशेष रुप से आपका समर्थन करेंगे । मित्र भी अभूतपूर्व सहायता करेंगे व सहानुभूति दर्शाएँगे ।  विवाहित व्यक्तियों का दाम्पत्य जीवन सुखमय व प्रेममय होगा और प्रेमियों को परस्पर अनेक भावनात्मक क्षण व्यतीत करने को मिल सकते हैं जो शिशु की इच्छा रखते हैं उन्हें संभव है कि इस समय परिवार में नए सदस्य का स्वागत करने का सुअवसर मिले । आपको ग्रहों के परिवर्तन के कारण आपके सम्बन्धी भी सुखी रहेंगे । 

 

तुला राशि  

  जन्म चंद्रमा से शनि का पंचम भाव से गोचर (17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 )  इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके पाँचवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह अवसाद का द्योतक है । इस दौरान आप देखेंगे कि आप मूर्खतापूर्ण प्रक्रियाओं, अपने ही सगे सम्बन्धियों व अन्य लोगों से झगड़े - फसाद व विवाद में उलझ गए हैं । आपमें से कुछ परिवार के सदस्यों के साथ मुकदमेबाजी में भी लिप्त हो सकते हैं साथ ही विपरीत लिंग वालों के साथ आपकी नहीं बनेगी । अपने व्यवहार को संयत रखें क्योंकि उतावलापन समाज में आपकी मान मर्यादा को मिटा सकता है।  वित्तीय मामलों में सावधानी बरतें ।  कामकाज के भी सही संचालन की आवश्यकता है । व्यवसायी नया धंधा हाथ में न लें और हानि उठाने को तैयार रहें । यदि आप निवेश या शेयर बाजार में हैं तो वर्तमान स्थिति संतोषजनक नहीं है । कुछ भी नया आरम्भ न करें क्योंकि मनवांछित परिणाम मिलने की आशा नहीं है ।  आपकी पत्नी / पति व बच्चों के स्वास्थ्य को विशेष देखभाल की आवश्यकता है । अपने बच्चे की किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी शिकायत के प्रति लापरवाही न बरतें । यह बाद में जानलेवा सिद्ध हो सकता है । यदि स्वास्थ्य सम्बन्धी सावधानियों की अनदेखी की गई तो आपकी पत्नी / पति बीमार पड़ सकती / सकते हैं । आपमें से अधिकांश के मानसिक संताप तथा अस्थिरता झेलने की संभावना है । यदि आप विवाहित हैं तो जीवन साथी के प्रति विमुखता उत्पन्न हो सकती है । घर में सुख - चैन बनाए रखने हेतु आपको कुछ प्रयास करना पड़ेगा । विद्यार्थियों को पढ़ाई अरुचिकर लगने की संभावना है । 

 

 वृश्चिक राशि 

  जन्म चंद्रमा से शनि का चतुर्थ भाव से गोचर (17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 )  इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके चतुर्थ भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह कठिन समय है । जीवन के अन्य पत्तों के अतिरिक्त वित्त व्यवस्था सही ढ़ंग से सम्भालनी होगी । जितना सम्भव हो, ऋण व्यय व पैसे की बर्बादी से बचें । आप में काम - धंधे के प्रति उत्साहहीनता आ सकती है । आपमें से कुछ को अपने कामकाज के प्रति अरुचि के कारण अपने वरिष्ठ व उच्च अधिकारियों का क्रोध झेलना पड़ सकता है । आपमें से कुछ का इस दौरान अन्य जगह स्थानान्तरण भी हो सकता है ।  सामाजिक दृष्टि से भी यह अच्छा समय नहीं है । अपनी लोकप्रियता बनाए रखने के लिए विशेष प्रयत्नशील रहें । ऐसे क्रिया कलापों से बचें जिनमें अपमान होने का भय हो ।  स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है । आपमें से कुछ अकर्मण्यता, उदर रोग, बादी (वायु रोग) अथवा अन्य छोटी - मोटी व्याधियों से ग्रस्त हो सकते हैं ।  आपमें से कुछ मनोव्यथा, भय, मानसिक उलझन व चिन्ता से ग्रस्त हो सकते हैं । कुछ के मन में न्याय विरोधी विचार पनप सकते हैं जो मन में पापकर्म करने की तीव्र इच्छा जागृत कर सकते हैं ।  शत्रुओं के साथ विवाद से दूर रहें । आपमें से कुछ को मित्रों व शुभचिन्तकों से अलग होना पड़ सकता है ।  घर पर पत्नी व बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि बीमारी अथवा अन्य कारणों से जीवन जोखिम में पड़ने का खतरा है । आपमें से कुछ परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के कारण शोकमग्न रहेंगे । अपने सम्बन्धियों व निकटतम प्रिय व्यक्तियों के साथ किसी अप्रिय स्थिति में पड़ने से बचें । इस दौरान संभव है अपने परिवार और सम्बन्धियों में आपके कुछ नए शत्रु बनें। इन दिनों छद्मवेशी शत्रुओं से सावधान रहें ।  फिर भी, आपमें से कुछ घर में नवजात शिशु के आने की आशा कर सकते हैं । 

 

 धनु राशि 

9  जन्म चंद्रमा से शनि का तृतीय भाव से गोचर (17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 ) इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके तृतीय भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह शुभ समय का संकेत है । यह आपके कार्य क्षेत्र के लिए व वित्त हेतु उत्तम समय है । आपमें से अधिकांश अनेक प्रकार से धनोपार्जन करेंगे । इन दिनों आरम्भ किया गया कोई भी व्यापार, परियोजना या काम - धंधा निश्चित रुप से सफल होगा ।  यदि आप मुर्गी पालन अथवा कृषि से जुड़े हुए हैं तो यह विशेष रुप से शुभ समय है तथा अपने अपने कार्य में आपको विशेष लाभ होगा ।  आपमें से कुछ इन दिनों भूमि अथवा अन्य अचल सम्पत्ति क्रय करने के विषय में सोच सकते हैं । कुल मिलाकर धन सम्बन्धी मामलों में यह अच्छा व शुभ समय है ।  यदि आप बेरोजगार हैं तो भाग्य आपका द्वार अवश्य खटखटाएगा और आपके सन्मुख कई लाभप्रद नौकरियों / कार्यों का प्रस्ताव होगा । जो सेवारत है उन्हें वेतन वृद्धि, उच्च पद व अधिकार मिल सकते हैं । आपकी समझ, योग्यता तथा प्रयास सभी का ध्यान आकृष्ट करेंगे ।  सामाजिक दृष्टि से भी यह शुभ समय है क्योंकि आप सामाजिक सफलता की सीढ़ी उत्तरोत्तर चढ़ते ही जाएँगे । आपमें से अधिकांश घर पर नौकरानी और कार्यालय में सहायक नियुक्त करेंगे जो काम-काज में मदद करें । जो भी हो, आप हर प्रकार के तक-वितर्क में अपना पक्ष इतने स्पष्ट रुप में सहजता से रखें कि आप ही विजयी होंगे ।  स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आपको लगेगा कि आपके पैरों में शक्ति व उत्साह के पंख लगे हुए हैं । यदि पूर्व में कोई रोग रहा भी हो तो आप उससे मुक्ति पाकर सुख - चैन अनुभव करेंगे ।  घर पर भी पूर्णतया सुख - चैन का वातावरण होगा । आपकी पत्नी / पति और अधिक प्रेममय व समर्पित रहेंगी / रहेंगे व आपको दाम्पत्य जीवन का पूर्ण आनन्द प्राप्त होगा । आपके भाई - बहनों व बच्चों का व्यवहार अच्छा होगा व वे कार्य में सहायक होंगे ।  शत्रुओं की पराजय होगी व आप पर भाग्यलक्ष्मी की कृपा होगी । आपमें से कुछ को यात्रा करनी पड़ सकती है । 

 

 

मकर राशि 

 जन्म चंद्रमा से शनि का द्वितीय भाव से गोचर (17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 ) इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके द्वितीय भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह सामान्य रुप से आपके लिए कठिन समय है । आपमें से अधिकांश को अपने लक्ष्य व परियोजना के मनवांछित परिणाम नहीं मिलेंगे । यदि आप सेवारत हैं अथवा किसी व्यवसाय में हैं तो सावधानी से एक एक कदम बढ़ाएँ, छलाँग न लगाएँ क्योंकि समय अनुकूल नहीं है ।  यह समय वित्तीय दृष्टि से भी प्रतिकूल है । अपने खर्चों पर लगाम कसें व कारण खोजें कि आपका धन कहाँ जा रहा है घ् आपमें से कुछ अनेक स्त्रोतों से धन अर्जित कर सकते हैं परन्तु वह धन हाथ में रखना कठिन होगा । पैत्रिक सम्पत्ति से सम्बन्धित किसी भी प्रकार के विवाद से दूर ही रहें क्योंकि यह आपके सुखी जीवन व आत्मगौरव को ठेस पहुँचा सकते हैं । इस विशेष समय में आप व्यर्थ के झगड़ों में पड़कर नए शत्रु बना सकते हैं । आपमें से कुछ में नृशंसता / निर्दयता पनप सकती है और संभव है कि आप कोई अपराध कर बैंठे । आपमें से कुछ तो अपने परिवार में ही नए शत्रु बना सकते हैं ।  छोटी - छोटी बातों पर अपने पति / पत्नी को परेशान न करें । बच्चों का ध्यान रखें क्योंकि ग्रह - स्थिति परिवर्तन उनके लिए जोखिम बन सकता है ।  स्वास्थ्य का इस समय सही रुप से ध्यान रखें । आप स्वयं को दुर्बल व निस्तेज अनुभव कर सकते हैं । साथ ही शक्तिहीन भी हो सकते हैं । आपमें से अधिकांश थोड़ा कठिन काम करके ही थकान महसूस करेंगे । साथ ही अपने रुप रंग पर भी ध्यान दें ।  आपमें से कुछ इन दिनों विदेश जा सकते हैं जबकि कुछ के निरुद्देश्य इधर - उधर भटकने की संभावना है ।

 

कुम्भ राशि 

   जन्म चंद्रमा से शनि का प्रथम भाव से गोचर (17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 )इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके प्रथम भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह कठिन चुनौतीपूर्ण समय का सूचक है । वित्त न्यूनतम स्थिति में होगा । व्यर्थ के खर्चे व अनावश्यक ऋण से बचें क्योंकि यह और अधिक ह्रास का कारण बन सकता है ।  व्यक्तिगत रुप से आप निराशावादी हो सकते हैं व बाहर से आपका व्यक्तित्व अप्रियकर हो सकता है । आपमें से कुछ पूर्व निश्चित् उद्देश्यों को पूर्ण करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं । आपमें से कुछ को न्यायिक हिरासत में भी जाना पड़ सकता है ।  स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें । अस्वस्थता का कारण रोग न होकर शस्त्र, विष, अग्नि, शारीरिक पीड़ा व थकान हो सकता है । इन वस्तुओं से स्वास्थ्य को खतरा है अत: दूर रहने की चेष्टा करें । आपकी पत्नी/पति को भी शारीरिक पीड़ा, दर्द अथवा बेचैनी हो सकती है अत: उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें ।  आपमें से कुछ को सिर में दर्द हो सकता है या ऐसा भी लग सकता है कि शरीर की समस्त शक्ति व सत्र निकल गया है । इस समय काफी मानसिक व्यथाएँ भी हो सकती है ।  अपनी प्रतिष्ठा व मान बनाए रखने हेतु यह एक चुनौतीपूर्ण समय है अत: ऐसे क्रियाकलापों से बचें जो इन पर प्रभाव डाल सकते हैं ।  इन दिनों यात्रा करनी पड़ेगी । आपको सुदूर स्थानों पर जाना पड़ सकता है तथा आपका स्थानान्तरण विदेश में हो सकता है । परन्तु आपमें से अधिकांश के लिए अपने स्वजनों व प्रियजनों तथा घर की सुख-सुविधाओं से दूर रहना कोई सुखद अनुभव नहीं होगा । घर में सुख शान्ति बनाए रखिए । इस विशेष समय में आपके अपने भाई - बहनों व उनकी पत्नियों / पतियों से झगड़ा हो सकता है । अपनी पत्नी / पति व बच्चें से भी कोई अप्रिय बात न करें व उन्हें जीवन को खतरे में डालने वाली वस्तुओं से दूर रखें । आपको किसी निकटजन का अन्तिम संस्कार सम्पन्न करना पड़ सकता है । आपमें से कुछ को अचानक धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ सकता है । मित्रता अमूल्य निधि है जिसे शनि की यह गति विपरीत रुप से प्रभावित कर सकती है अत: मित्रों व मित्रता को सुरक्षित रखें । स्वयं को सतर्क व चुस्त - दुरुस्त रखें क्योंकि इस समय विशेष में आप बुराइयों का शिकार हो सकते हैं । 

 

मीन राशि 

   जन्म चंद्रमा से शनि का द्वादश भाव से गोचर (17 जनवरी 2023  18:03:34 से 29 मार्च 2025  21:44:37)  इस अवधि में शनि चन्द्रमा से आपके बारहवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह धन की कमी व वित्तीय रेखा के नीचे की ओर आने का द्योतक है । इस समय व्यर्थ के व्यय व धन बर्बाद करने का खतरा है । यदि आप कृषि अथवा कृषि उत्पादों से सम्बद्ध कार्य करते हैं तो विशेष सावधानी बरतें कि हानि न हो । भोजन - सामग्री भण्डार में संचित कर लें क्योंकि कठिनाई के समय इसकी आवश्यकता पड़ सकती है ।  स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है । किसी भी प्रकार की शारीरिक व्याधि की उपेक्षा न करें क्योंकि यह जानलेवा सिद्ध हो सकती है । आपके पैरों व नेत्रों को विशेष देखभाल की आवश्यकता है ।  काम - धंधे पर भी ध्यान दें । काम - काज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के प्रति सावधान रहें । आपमें से कुछ को अपने कार्य स्थल पर नेकनामी व पद बनाए रखने में कठिनाई आ सकती है । आपमें से कुछ को अपना धंधा या व्यापार बदलना पड़ सकता है ।  यात्रा का योग है । आपमें से अधिकांश को विदेश यात्रा करनी पड़ सकती है व परिवार से दूर रहना पड़ सकता है । परन्तु अधिकतर व्यक्तियों के लिए यह यात्रा महंगी पड़ेगी ।  घर में शान्ति बनाए रखना आवश्यक है क्योंकि आप स्वजनों से विवाद में पड़ सकते हैं । आपमें से कुछ में गहन चिन्ता, घुतिहीनता व जीवन के प्रति उत्साहहीनता की संभावना है ।  गंभीर निर्णय लेते समय यह असाधारण सावधानी बरतने का समय है । आपमें से कुछ बुद्धि व विचार शक्ति को अनदेखा कर सकते हैं । ऐसा कुछ न करें जिससे प्रतिष्ठा प्रभावित हो ।

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Tuesday, 1 November 2022

कालसर्प योग किस उम्र में पीडा देगा ? जानिए इस लेख में / kalsarp yoga kis umar me pida dega , Janiye is lekh me

Posted by Dr.Nishant Pareek

 कालसर्प योग किस उम्र में पीड़ा देगा ? जानिए इस लेख में 





Kundli me kalsarp yoga kis umar me pida dega , Janiye is lekh me


सभी व्यक्तियों का संपूर्ण जीवन नवग्रहों के प्रभाव से ही संचालित है। हर घटना तथा हर गतिविधि, उपलब्धि, हानि, सुख, संताप, निन्दा अथवा सम्मान, मान, अपमान, व्याधि अथवा उत्तम स्वास्थ्य, व्यवसाय में प्रगति अथवा अवनति आदि सब व्यक्ति की कुंडली में विद्यमान ग्रहों पर ही आधारित होती है। 

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जब सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित हों, तो इस तथ्य को इस प्रकार समझना चाहिए कि यह सभी सात ग्रह कालसर्प नामक योग के दुष्प्रभाव में जा रहे है। कालसर्प योग में ग्रहों का प्रभाव तो मिलता है परन्तु जिस तरह से विषैला सर्प शुभ प्रभावों को एक बार अपने भीतर रखकर उगल दे, उसी तरह से शुभ ग्रहों के प्रभाव में भी विष मिल जाता है जो उनकी दशाओं और अन्तरदशा समय-समय पर जीवन को अनेक प्रकार से पीडित करता रहता है। कभी संतान सुख प्राप्त नहीं होता, कभी अनेक पुत्रियों का जन्म होता है। पुत्र संतान की प्राप्ति नही होती है तो कभी पारिवारिक अशान्ति तथा कलह जीवन में दाम्पत्य सुख का अभाव उत्पन कर देती है। कभी स्वास्थ्य निरन्तर पीड़ित करता है तो कभी दरिद्रता, धनार्जन होते हुए भी धनाभाव से चिंता बनी रहती है तो कभी अकाल मृत्यु जैसे क्रूर तथा अशुभ फल प्राप्त होते हैं तथा यह सभी अशुभ प्रभाव जीवन की प्रसन्नता, हर्ष और उल्लास को तो ग्रहण लगाते ही हैं। 

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जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते है तो उनकी दशाओं-अन्तरदशाओं में शुभता का अभाव तथा अशुभता का प्रभाव दिखाई देने लगता है।। जब राहु की महादशा व्यक्ति के जीवन में प्रवेश करेगी, तो राहु की महादशा का 18 वर्ष का समय अधिक अशुभ, कष्टप्रद, चिंताकारक, वेदनापूर्ण तथा दारुण दुःखों की वेदना प्रदान करने वाला सिद्ध होगा। इसी तरह से केतु की महादशा के भी 7 वर्ष भी असहनीय पीडादायक होते है। निरन्तर संघर्ष करना पडता है।। जीवन में अनेक प्रकार की बाधाएं आती है। पदोन्नति, प्रगति, विपत्तियों से घिर जायेंगी या निलम्बन अथवा पदच्युति की स्थिति भी उत्पन्न होने की संभावना होती है। केतु यदि आक्रान्त हो, मंगल अथवा शनि के साथ स्थित हो तथा अशुभ भावों में हो, तो मेरा अनुभव है कि केतु की दशा में आयकर, सी०बी०आई०, सेल्सटैक्स आदि की गंभीर चिंता उत्पन्न होती है। यहाँ तक कि छापा पड़ने की संभावना को भी निरस्त नहीं किया जा सकता। अनेक आरोप-प्रत्यारोप से व्यक्ति का जीवन सुचारु रूप से प्रगति नहीं करता। नींद नहीं आती, तो कभी प्रयास बार-बार विफल होते हैं। धन का अभाव होता है। जिन लोगों को ऋण दिया है उनसे ऋण वापस नहीं मिलता तथा जिनसे ऋण लिया है उनका निरन्तर दबाव कलह का स्थिति उत्पन्न करता है। न्यायालय में दोषी ठहराया जाना भी सम्भव है। जो त्रुटि नहीं की है उसका आरोप लगता है तथा जो कार्य सामान्यतः स्वयं ही पूरे हो जाने चाहिए, वह अपूर्ण पड़े रहते हैं इसलिए राहु और केतु की महादशा में कालसर्प योग का अधिकतम अशुभ प्रभाव दिखाई देता है। कई बार केतु की महादशा में यदि केतु सप्तमस्थ हो तो पत्नी की मृत्यु तक हो जाती है। ऐसा ही भयानक अभिशाप है कालसर्प योग।  

वैसे तो कालसर्प योग का प्रभाव जीवनपर्यन्त बना रहता है परन्तु राहु और केतु की महादशा में सर्वाधिक परेशान करता है।

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जब गोचर के राहु और केतु कुंडली में अशुभ भाव में भ्रमण करते हैं तब कालसर्प योग का प्रभाव और भी विषैला हो उठता है। उल्लेखनीय है कि राहु और केतु की धुरी पर गोचर के शनि का भ्रमण बहुत ही पीडादायक होता है। यदि राहु और केतु की धुरी पर सूर्य स्थित हो तथा उसके ऊपर से गोचर का शनि भ्रमण करे, तो परिस्थितियाँ और भी अधिक कष्टप्रद होती हैं। यदि राहु के साथ शनि तथा केतु के साथ मंगल अथवा राहु के साथ मंगल तथा केतु के साथ शनि स्थित हों तथा गोचर के शनि अथवा मंगल का भ्रमण इस धुरी पर से हो, तो दुर्घटना की संभावना अत्यधिक होती है तथा जिन राशियों तथा भावों में यह ग्रह स्थित हों, उन राशियों तथा भावों द्वारा प्रदर्शित शरीर के अंग को गोचर का मंगल रोग पीडा अथवा चोट करता है। इसी प्रकार से यदि उपर्युक्त संदर्भित ग्रह स्थिति के ऊपर से राहु के ऊपर से केतु तथा केतु के ऊपर से राहु का भ्रमण हो, तो कालसर्प योग के प्रभाव में वृद्धि होती है तथा यह अशुभता उस समय और भी बढ़ जाती है जब राहु और केतु या शनि के अंशों के ऊपर से गोचर के राहु और केतु का भ्रमण होता है।

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 गोचर के ग्रह कालसर्प योग के प्रभाव में कब और कैसे वृद्धि करते हैं तथा कितना अशुभ प्रभाव दे सकते हैं यह सब कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। कालसर्प योग से पीडित कुंडलियों में गोचर के राहु और केतु का शुभ भ्रमण लाभप्रद स्थिति भले ही न उत्पन्न करे, परन्तु कालसर्प योग के प्रभाव में न्यूनता अवश्य लाता है। जहाँ पर कालसर्प योग विद्यमान हो तथा राहु तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में भ्रमण कर रहा हो, तो कालसर्प योग का प्रभाव उस समय जीवन को आतंकित और भयभीत नहीं करता। घटना-क्रम को अवरुद्ध नहीं करता, बल्कि सामान्य स्थिति को बल प्रदान करता है। 

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राहु और केतु के गोचर के भ्रमण के वास्तविक प्रभाव के साथ जन्मकालीन ग्रह स्थितियों के साथ सम्बन्ध तथा प्रभाव के कारण किस तरह का फल प्रतिरूपित करेगा, किन घटनाओं को जन्म देगा तथा वे घटनाएँ जीवन के किस क्षेत्र को बल प्रदान करेंगी तथा किस क्षेत्र का हास करेंगी, यह अध्ययन करने हेतु गोचर के राहु ओर केतु के प्रभाव को भलीभाँति समझ लेना उचित होगा। यहाँ हम यह विश्लेषित करने का प्रयास करेंगे कि कालसर्प योग का अभिशाप गोचर के राहु ओर केतु से किस तरह प्रभावित होता है, कब कालसर्प योग के अशुभ प्रभाव शिथिल हो जाते हैं तथा कब उनका आतंक अधिक भयावह हो उठता है।

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कालसर्प योग यदि कुंडली के उत्तरार्ध में अर्थात् सप्तम भाव में राहु तथा लग्न में केतु स्थित हों तथा शेष ग्रह 8, 9, 10, 11 एवं 12 भावों में विद्यमान हों, तो 28वें वर्ष के पश्चात् कालसर्प योग का विशेष प्रभाव जीवन में परिलक्षित होता है तथा सप्तम से लग्न तक जिस काल सर्प योग का निर्माण होता है वह अधिक अशुभ कष्टप्रद सिद्ध होता है क्योंकि यहाँ पर कालसर्प योग कर्म भाव, भाग्य भाव, लाभ आदि सभी उन महत्त्वपूर्ण भावों को आक्रान्त तथा दूषित करता है। और यही भाव जीवन के महत्वपूर्ण पडाव में काम आते है। इसलिये कालसर्प दोष की अशुभता 28 वर्ष के पश्चात् अशुभ प्रभाव में वृद्धि करती है। 


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Friday, 28 October 2022

किन लोगों को पीड़ित करता है कालसर्प योग, जानिए इस लेख में / kalsarp yog kin logo ko pidit karta hai ? janiye is lekh me

Posted by Dr.Nishant Pareek

किन लोगों को पीड़ित करता है कालसर्प योग, जानिए इस लेख में. 


kalsarp yog kin logo ko pidit karta hai ? janiye is lekh me


कालसर्प योग का भय लगभग प्रत्येक व्यक्ति के मन में स्थाई रूप से घर कर गया है। दूसरे की देखा देखी लोग स्वयं भी खुद को इस योग से प्रभावित समझने लगते है। चाहे उनकी कुंडली में कालसर्प योग बन ही नहीं रहा हो। फिर इसमें आग में घी डालने का काम कुछ तथाकथित कर्मकांडी करते हैं जो व्यक्ति को इतना डरा देते हैं कि बस व्यक्ति मरता नहीं है और बाकी रहता नहीं है। 

अनेकों कुंडलियों में देखने को मिला है कि उनके कालसर्प योग तो बन रहा है परंतु प्रभावित नहीं कर रहा। तब व्यक्ति के मन में शंका हो जाती है कि ऐसा क्यों?? तो आज आपको इस लेख में बताउंगा कि किन लोगों को कालसर्प योग पीड़ित करता है और किन को नहीं........

  कालसर्प योग की तरह ही केमद्रुम योग व शकट योग आदि भी ज्योतिष शास्त्र में अत्यत अशुभ माने गये हैं। मजदूर, रिक्शा चलाने वाला, दर्जी, नाई, लोहार, मोची, घरेलू नौकर, इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, कारपेन्टर तथा टेलर आदि को कालसर्प योग पीड़ित नहीं करता। यदि इनकी कुंडली में कालसर्प योग विद्यमान हो, तो बिलकुल भी डरना नहीं चाहिए। यह योग सामान्य और निम्न वर्ग के लोगों को प्रभावित नहीं करते। उनकी आजीविका और रोजाना के खर्च  शारीरिक परिश्रम पर ही आधारित होते है। वो अपने परिवार को चलने और जीविकोपार्जन के लिए दिन भर परिश्रम करते हैं  
कहने का मतलब ये है की कालसर्प योग शरीर से परिश्रम करने वाले व्यक्तियों के जीवन को प्रभावित  नहीं करता। कालसर्प योग तो व्यक्ति के भाग्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। व्यक्ति के भाग्य को पीड़ित करता है ; कोई व्यक्ति दिनभर परिश्रम करने के बाद 500 - 700 रूपये कमाता है। जबकि भाग्यशाली पुरुष एक ही दिन में बिना कुछ म्हणत के ही  करोड़ों रुपये कमा लेता है। ऐसे भाग्यशाली व्यक्तियों की कुंडली  में कालसर्प योग उपस्थित हो, तो उनके जीवन की प्रगति, प्रतिष्ठा, प्रसन्‍नता का सर्वनाश हो जाता  है। उनका जीवन आतंक और भय के साथ आशंका के चक्रव्यूह  में फँस जाता है। 

जो लोग अपने भाग्य तथा बुद्धिबल से अपार शौर्य, धन, ऐश्वर्य, यश और कीर्ति अर्जित करते हैं उनको ही काल सर्प योग प्रभावित करता है। निम्न वर्ग के सामान्य व्यक्तियों पर काल सर्प योग का अशुभ परिणाम  इसलिए भी नहीं होता कि उनके पास खोने के लिए कुछ है ही  नहीं। खोने के लिए कोई सम्पत्ति नहीं, कोई बैंक बैलेंस नहीं। सामान्य जीवन व्यतीत करने के लिए उन्हें दिनभर परिश्रम करने के उपरान्त ही भोजन व्यवस्था सम्भव हो पाती है। यदि निम्न वर्ग में कुछ परिश्रमी लोग धन संचय कर भी लें परन्तु उन्हें परिश्रम करते रहना पड़े, शारीरिक परिश्रम उनके जीवन का आधार और अंग हो, तो उन्हें कालसर्प योग का अशुभ प्रभाव पीड़ित नहीं करता। | 

जिन कुंडलियों  में उच्च ग्रह शुभ राजयोगों का निर्माण कर रहे हों, केन्द्र- त्रिकोण  शुभ सम्बन्ध हों, विनिमय परिवर्तन राजयोग की स्थापना हो रही हो अथवा ग्रह महाराजा योग का निर्माण कर रहे हों, लग्न बली हो या लग्न का स्वामी पंचम, नवम या दशम स्थान में स्थित हो या फिर उपचय स्थान में शुभ ग्रहों से संयुक्त हो, तो कालसर्प योग का प्रभाव स्वत: ही इतना न्यून हो जाता है जिसे निर्मूल ही समझना चाहिए। 

जिन कुंडलियों  में कालसर्प योग का निर्माण हो रहा हो, सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित हों तथा राहु और केतु स्वयं भी अशुभ तथा क्रूर ग्रह शनि ओर मंगल से संयुक्त हों, तो कालसर्प योग के प्रभाव में वृद्धि होती है। यदि सूर्य और चन्द्रमा राहु और केतु के साथ स्थित हों तथा सूर्य और चन्द्रमा के अंश समान हों, तो ग्रहण काल में बालक का जन्म होता है तथा ऐसे बालक का जीवित रहना संदिग्ध होता है। 


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Wednesday, 23 February 2022

कट जाता है मांगलिक दोष, यदि कुंडली में ये ग्रह स्थिति हो तो / Mangal dosh cancellation

Posted by Dr.Nishant Pareek

 कट जाता है मांगलिक दोष, यदि कुंडली में ये ग्रह स्थिति हो तो...........


manglik dosh ki kaat kaise hoti hai ??

Mangal dosh cancellation 

जीवन में मांगलिक योग विभिन्न प्रकार से प्रभावित करता है। जैसे विवाह में विलम्ब, बाधा, धोखा, शादी के बाद पति-पत्नी दोनों या किसी एक को शारीरिक, व्यवसायिक या आर्थिक पीडा, आपसी मतभेद, आरोप-प्रत्यारोप, सम्बन्धविच्छेद आदि। यदि दोष में बल अधिक होता है तो दोनों में से किसी एक की मृत्य भी हो जाती है।

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परन्तु इससे भयभीत नहीं होना चाहिये। यह प्रयास करना चाहिये कि मांगलिक का विवाह मांगलिक से ही हो। क्योंकि समान रूप से मंगल दोष होने पर वह निष्फल हो जाता है। अर्थात् उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। तथा पति-पत्नी सुखी रहते हैं - 

(1) दम्पत्योर्जन्मकाले व्ययधनहिबुके सप्तमे लग्नरन् ।

   लग्नाच्चन्द्राच्च शुक्रादपि भवति यदा भूमिपुत्रो द्वयो।। 

   तत्साम्यात्पुत्रमित्रप्रचुरधनपतां दंपति दीर्घ-काला।

   जीवेतामेकहा न भवति मश्तिरिति प्राहुरत्रात्रिमुख्याः।।

 भावार्थ:- यदि लडका और लडकी की कुण्डली में मंगल पहले, दूसरे, बारहवें, चौथे, सातवें या आठवे घर में लग्न, चंद्रमा, शुक्र से समभाव में स्थित हो तो समान मंगलदोष होने के कारण वह प्रभावहीन हो जाता है। परस्पर सुख, धन धान्य, संतति, स्वास्थ्य, तथा मित्रादि प्राप्त होते हैं। 

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(2) कुजदोष वत्ती देया कुजदोषवते किल।

   नास्ति दोषो न चानिष्टंदम्पत्यो सुखवर्धनम।।

 भावार्थ:- मंगल दोष से पीडित कन्या का विवाह मंगल दोष वाले वर के साथ करने से दोष का फल नष्ट हो जाता है। तथा दोनों के मध्य प्रेम बढ़ता है। 

(3) भौम तुल्यो यदा भौमो पापो वा तादृशो भवेत।

   वर बध्वोर्मिथस्तत्र भौम दोषो न विद्यते।।

 भावार्थ- यदि कुण्डली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें तथा बारहवें घर में से किसी भी स्थान पर लडका व लडकी की दोनों की कुण्डली में मंगल स्थित हो तो परस्पर दोषों का नाश होकर विवाह में शुभ फल प्राप्त होते है।


(4) “राशि मैत्रम् यदा याति-गणैक्य वा यदा भवेत।

   अथवा गुण बाहुल्ये भौम दोषो न विद्यते।। 

भावार्थ - यदि लडका-लडकी की कुण्डली में आपस में राशि मैत्री हो गण भी समान हो तथा 27 या इससे अधिक गुण मिलते हो तो मंगल दोष निष्फल हो जाता है। 

चैथे भाव में मांगलिक दोष का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे

(5) दोषकारी कुजो यस्य बलीचे दुक्त दोषकृत।

   दुर्बलः शुभ दृष्टोवा सूर्येणस्मऽगतोपिवा।।

 भावार्थ:- कुण्डली में मंगल अनिष्ट स्थानों में बलवान् होकर बैठा हो तभी वह हानि करेगा अर्थात् मंगल दोष बनायेगा। यदि वह दुर्बल होकर, या शुभग्रह से दृष्ट होकर या सूर्य के साथ अस्त हो तो फिर हानिकारक नहीं माना जायेगा। 

(6) वाचस्पतो नवम् पंचम केन्द्र संस्थे जाताऽगंना भवति पूर्ण विभूति युक्ता। 

    साध्वी सुपुत्र जननीरू सुखिनी गुणाड्डया सप्ताष्टक यदि भवेद शुभग्रहोऽपि।। 

भावार्थ:- यदि कन्या की कुण्डली में पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें तथा बारहवें घर में मंगल हो और शुभ ग्रह बृहस्पति केन्द्र या त्रिकोण में हो तो मंगल दोष नहीं होता व कन्या साध्वी, सुपुत्र को जन्म देने वाली, सभी तरह से सुखी, गुणों से सम्पन्न, ऐश्वर्य युक्त, सौभाग्यशाली होती है।

(7) यदि किसी एक कुण्डली में मंगल दोष हो और दूसरे की कुण्डली में उसी घर में कोई पापग्रह हो (शनि, राहु) तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है। इस स्थिति में विवाह कर सकते है।

(8) यदि किसी की कुण्डली में पहले घर में मेष का मंगल हो, चौथे घर में वृश्चिक का, सातवें घर में मकर का, आठवें घर में कर्क का तथा बारहवें घर में धनु राशि में हो तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।

(9) यदि कुण्डली में मंगल किसी मंगली घर में तो तथा साथ में गुरु बुध या चंद्रमा भी हो अथवा इनमें से किसी ग्रह से दृष्ट हो तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है।


 (10) कुण्डली में मांगलिक दोष हो तथा मंगल निर्बल हो और पहले या सातवें घर में बली गुरु हो या शुक्र हो तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है।

(11) यदि मंगल दोष वृश्चिक, मकर, सिंह, धनु, मीन राशि में हो तो हानिकारक नहीं होता।

(12) यदि गुरु मंगल को देखता हो, या गुरु के साथ मंगल हो या शक दूसरे घर में हो या बली चंद्र केन्द्र में हो तो मंगली दोष प्रभावी नहीं रहता है।

(13) मंगल यदि चर राशि में हो तो भी मंगली दोष समाप्त हो जाता है।

(14) यदि मंगल चौथे घर में वृष या तुला राशि में हो तो हानिकारक नहीं होता।

(15) यदि मंगल या शनि मंगली घर में वक्र हो तो मंगल दोष नहीं रहता।

(16) यदि मंगल, गुरु या शनि से राशि परिवर्तन करे तो भी मंगल दोष शान्त हो जाता है।

(17) यदि बारहवें घर का मंगल, मिथुन या कन्या राशि में हो तो मंगली दोष नहीं लगता।

(18) मांगलिक कुण्डली में यदि सप्तम घर का स्वामी व शुक्र बली हो या सप्तम में हो या सप्तम को देखते हो तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है।

मांगलिक दोष की शांति के सरल उपाय जानने के लिये क्लिक करे।

(19) मांगलिक कुण्डली में यदि बली चन्द्रमा केन्द्र में हो तो भी मंगल दोष समाप्त हो जाता है।

(20) यदि मंगल केतु के नक्षत्र (अश्विनी, मघा, मूल) में हो तो भी मंगल दोष समाप्त हो जाता है।

मेष, वृष तथा मिथुन लग्न में मांगलिक दोष की शांति के सरल उपाय जानने के लिये क्लिक करे।

कर्क, सिंह तथा कन्या लग्न में मांगलिक दोष की शांति के सरल उपाय जानने के लिये क्लिक करे। 

तुला, वृश्चिक तथा धनु लग्न में मांगलिक दोष की शांति के सरल उपाय जानने के लिये क्लिक करे। 

मकर, कुंभ तथा मीन लग्न में मांगलिक दोष की शांति के सरल उपाय जानने के लिये क्लिक करे। 

डॉ. बी. वी. रमन के अनुसार यदि किसी कुण्डली में मंगल दूसरे घर में बुध की राशि में हो तो मांगलिक योग समाप्त हो जाता है। यदि बारहवें घर में मंगल, शुक्र की राशि में हो तो भी मंगल हानि नहीं करता है। यदि चौथे घर में मंगल स्वराशि का हो तो भी हानि नहीं करता है। यदि सातवें घर में मकर का मंगल हो या कर्क का मंगल हो तो भी मंगल दोष समाप्त हो जाता है। मंगल यदि आठवें घर में गुरु की राशि (धनु या मीन) में हो तो भी मंगली दोष समाप्त हो जाता है।


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Sunday, 9 January 2022

kalsarp yog or vivah jivan / कालसर्प योग और विवाह जीवन

Posted by Dr.Nishant Pareek

 kalsarp yog or vivah jivan


कालसर्प योग और विवाह जीवन

कालसर्प योग का नाम सुनते ही प्रत्येक व्यक्ति के मन में एक अजीब तरह का डर पैदा हो जाता है। उस योग के नाम से वह तरह तरह की बातें सोचने लगता है। नई नई कहानियां बनाने लगता है। अनेक तरह की घटनाओं को खुद से जोडने लगता है। उसे ऐसा लगता है कि अब दुनिया की सारी बुरी घटनाऐं उसके साथ ही घटित होने वाली है। उसकी रात की नींद और दिन का चैन गायब हो जाता है। और वह इसी उधेडबुन में रहता है कि इस योग से कैसे बचा जाये। या इस योग का निवारण कैसे किया जाये। जिससे कि जीवन में सुख शांति बनी रहे। और परिवार भी सुरक्षित रहे। जिसकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है, तो वह किसी न किसी तरह से उस व्यक्ति को पीडित अवश्य करता है। जिन भावों से संबंधित कालसर्प योग होता है, उसी भाव से संबंधित फलों से जुडी समस्याएं व्यक्ति को प्रदान करता है। उससे संबंधित सुखों में कमी करता है। 

कालसर्प योग देता है संतानहीनता, यदि इन भावों में हो तो, कहीं आप भी तो नहीं है इसके शिकार, जानिए इस लेख में।

इसी तरह जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प योग बनता है उनसे सम्बन्धित व्यक्तियों का दाम्पत्य जीवन नरक के समान हो जाता है। मेरे विचार से सुखद दाम्पत्य जीवन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंग है किसी व्यक्ति को जीवन में सबकुछ प्राप्त हो। यदि दाम्पत्य सुख से वंचित हो, प्रतिदिन कलह होती हो, विचारों में असहनीय मतभेद हो, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के कारण वैवाहिक जीवन में सदैव झगडे होते रहे तो किसी पल एक-दूसरे से कुछ समय के लिए पृथक रहकर शान्तिपूर्ण जीवन जीने की इच्छा प्रबल हो जाती है। 

कालसर्प योग से कैसी परेशानी आती है ? जानिए इस लेख में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

दाम्पत्य जीवन में कभी धन के कारण, कभी संतान के कारण, कभी आचरण के कारण मतभेद उत्पन्न हो, तो श्रेष्ठ पद तथा सामाजिक सम्मान और प्रतिष्ठा के बाद भी जीवन निराशा और उदासी के घोर अंधकार में डूब जाता है, इसलिये जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प योग उपस्थित हो, उन कुंडलियों में विवाह हेतु मिलान करते समय इस विषय पर भी गभीरता से विचार करना चाहिए। कुंडलियों में यह परीक्षण करना चाहिए कि एक कुंडली के दोष का संतुलन दूसरी कुंडली के साथ हो रहा है या नहीं। 

उल्लेखनीय है कि दाम्पत्य जीवन के आक्रान्त होने के लिए सप्तम भाव तथा द्वितीय भाव से सम्बन्धित ग्रह तथा उनके स्वामी और वहाँ पर स्थित ग्रहों की भूमिका पर भी गंभीरता के साथ विचार आवश्यक है। यदि किसी कुंडली में कालसर्प योग विद्यमान है तो उपरोक्त सभी स्थितियां उसके जीवन को पीडित नहीं करेंगी। इनमें से कोई एक या दो स्थितियाँ उस व्यक्ति को व्यथित करने के लिए पर्याप्त हैं। किस प्रकार का कालसर्प योग कुंडली में विद्यमान है, व्यक्ति की परेशानी का प्रकार इस पर निर्भर करता है। कालसर्प योग अनेक प्रकार के होते हैं जिनका विस्तृत विवेचन अग्रिम लेखों में करेंगें। 

संक्षिप्ततः यह ज्ञान आवश्यक है कि यदि समस्त ग्रह राहु और केतु की धुरी के मध्य स्थित हों, तो कुंडली के जिन भावों को वह प्रभावित करते हों तथा उन भावों के स्वामी भी यदि आक्रान्त हों, तो कालसर्प योग का विष जीवन को सुगम नहीं रहने देता। अनेक प्रकार से आक्रान्त कर देता है। योग्यता, प्रतिभा, परिश्रम तथा सम्यक् प्रयास के पश्चात भी अपेक्षित सफलता नहीं प्राप्त होती है।


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Saturday, 27 November 2021

Guru ka kumbh rashi me gochar aapki rashi par kaisa fal dega ? / गुरु का कुम्भ राशि में गोचर आपकी राशि कैसा फल देगा ? जानिए इस लेख में

Posted by Dr.Nishant Pareek

Guru ka kumbh rashi me gochar aapki rashi par kaisa fal dega ? /


 गुरु का कुम्भ राशि में गोचर आपकी राशि  कैसा फल देगा ? जानिए  इस लेख में 


देवताओं के गुरू और नभ मंडल का सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति मकर राशि से भ्रमण करके कुंभ राशि में गोचर करने जा रहे है। गुरु ग्रह भाग्य, धर्म और सम्मान प्राप्ति के मुख्य कारक माने जाते हैं।  बृहस्पति का नवग्रहों में प्रमुख स्थान है। गुरु एक राशि में लगभग 13 माह तक गोचर करते हैं व लगभग बारह वर्षों में बारह राशियों का भ्रमण पूर्ण करते हैं। 2009 में गुरु कुंभ राशि में आए थे और 20 जून से 17 अक्तूबर 2021 तक गुरु वक्री रहे। फिर 18.10.21 को गुरु मकर राशि मे मार्गी हुए। इस  वक्री, मार्गी व अस्तगत स्थितियों में गुरु का फल कुछ व्यक्तियों पर शुभ तो कुछ पर अशुभ होता है। 

20 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 19 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र व वृषभ राशि में गुरु अपनी नीच राशि मकर से निकलकर शनि की ही कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। कुंभ राशि प्रवेश के साथ ही शनि गुरु का युति संबंध भंग होगा। इस युति के विच्छेद होने से कोरोने के अप्रत्याक्षित रूप से बढने की प्रबल संभावना है। गुरू का यह गोचर सभी राशियों को किस प्रकार के फल प्रदान करेगा ? यह देखने से पहले गुरू का सामान्य परिचय देखते हैः-

गुरू ग्रह का सामान्य परिचयः-

गुरु (बृहस्पति) ज्योतिष के नव ग्रहों में सबसे अधिक शुभ ग्रह माने जाते हैं। गुरू प्रमुख रूप से आध्यात्मिकता और धार्मिकता को विकसित करने का कारक हैं। तीर्थ स्थानों तथा मंदिरों, पवित्र नदियों तथा धार्मिक क्रिया कलाप से जुडे हैं। गुरु ग्रह को अध्यापकों, ज्योतिषियों, दार्शनिकों, लेखकों जैसे कई प्रकार के क्षेत्रों में कार्य करने का कारक माना जाता है। गुरु की अन्य कारक वस्तुओं में पुत्र संतान, जीवन साथी, धन-सम्पति, शैक्षिक गुरु, बुद्धिमता, शिक्षा, ज्योतिष तर्क, शिल्पज्ञान, अच्छे गुण, श्रद्धा, त्याग, समृ्द्धि, धर्म, विश्वास, धार्मिक कार्याे, राजसिक सम्मान देखा जा सकता है.

गुरु ग्रह से जुडे अन्य क्षेत्रः-

गुरू जीवन के अधिकतर क्षेत्रों में सकारात्मक उर्जा प्रदान करने में सहायक हैं। अपने सकारात्मक रुख के कारण व्यक्ति कठिन से कठिन समय को आसानी से सुलझाने के प्रयास में लगा रहता है। गुरू आशावादी बनाते हैं और निराशा को जीवन में प्रवेश नहीं करने देते हैं। गुरू के अच्छे प्रभाव स्वरुप जातक परिवार को साथ में लेकर चलने की चाह रखने वाला होता है। गुरु के प्रभाव से व्यक्ति को बैंक, आयकर, खंजाची, राजस्व, मंदिर, धर्मार्थ संस्थाएं, कानूनी क्षेत्र, जज, न्यायाल्य, वकील, सम्पादक, प्राचार्य, शिक्षाविद, शेयर बाजार, पूंजीपति, दार्शनिक, ज्योतिषी, वेदों और शास्त्रों का ज्ञाता होता है।

गुरु के मित्र ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल हैं. गुरु के शत्रु ग्रह बुध, शुक्र हैं, गुरु के साथ शनि सम संबन्ध रखता है. गुरु को मीन व धनु राशि का स्वामित्व प्राप्त है. गुरु की मूलत्रिकोण राशि धनु है. इस राशि में गुरु 0 अंश से 10 अंश के मध्य अपने मूलत्रिकोण अंशों पर होते है. गुरु कर्क राशि में 5 अंश पर होने पर अपनी उच्च राशि अंशों पर होते हैं. गुरु मकर राशि में 5 अंशों पर नीच राशिस्थ होते हैं, गुरु को पुरुष प्रधान ग्रह कहा गया है यह उत्तर-पूर्व दिशा के कारक ग्रह हैं.गुरु के सभी शुभ फल प्राप्त करने के लिए पुखराज रत्न धारण किया जाता है. गुरु का शुभ रंग पिताम्बरी पीला है.  गुरु के शुभ अंक 3, 12, 21 है.  गुरु के अधिदेवता इन्द्र, शिव, ब्रह्मा, भगवान नारायण है.

गुरु की दान की वस्तुएं:-

गुरु की शुभता प्राप्त करने के लिए निम्न वस्तुओं का दान करना चाहिए.  स्वर्ण, पुखराज, चना दान, नमक, हल्दी, पीले चावल, पीले फूल या पीले लडडू. इन वस्तुओं का दान गुरूवार को करना शुभ रहता है.

गुरु का जातक पर प्रभाव:-

गुरु लग्न भाव में बली होकर स्थित हों, या फिर गुरु की धनु या मीन राशि लग्न भाव में हो, अथवा गुरु की राशियों में से कोई राशि व्यक्ति की जन्म राशि हो, तो व्यक्ति के रुप-रंग पर गुरु का प्रभाव रहता है. गुरु बुद्धि को बुद्धिमान, ज्ञान, खुशियां और सभी चीजों की पूर्णता देता है. गुरू का प्रबल प्रभाव जातक को मीठा खाने वाला तथा विभिन्न प्रकार के पकवानों तथा व्यंजनों का शौकीन बनाता है. गुरू चर्बी का प्रभाव उत्पन्न करता है इस कारण गुरू से प्रभावित व्यक्ति मोटा हो सकता है इसके साथ ही व्यक्ति साफ रंग-रुप, कफ प्रकृति, सुगठित शरीर का होता है.


गुरु कुण्डली में कमजोर हो, या पाप ग्रहों के प्रभाव में हो नीच का हो षडबल हीन हो तो व्यक्ति को गाल-ब्लेडर, खून की कमी, शरीर में दर्द, दिमागी रुप से विचलित, पेट में गडबड, बवासीर, वायु विकार, कान, फेफडों या नाभी संबन्धित रोग, दिमाग घूमना, बुखार, बदहजमी, हर्निया, मस्तिष्क, मोतियाबिन्द, बिषाक्त, अण्डाश्य का बढना, बेहोशी जैसे दिक्कतें परेशान कर सकती हैं. बृहस्पति के बलहीन होने पर जातक को अनेक बिमारियां जैसे मधुमेह, पित्ताशय से संबधित बिमारियों प्रभावित कर सकती हैं. कुंडली में गुरू के नीच वक्री या बलहीन होने पर व्यक्ति के शरीर की चर्बी भी बढने लगती है जिसके कारण वह बहुत मोटा भी हो सकता है. बृहस्पति पर अशुभ राहु का प्रबल व्यक्ति को आध्यात्मिकता तथा धार्मिक कार्यों दूर ले जाता है व्यक्ति धर्म तथा आध्यात्मिकता के नाम पर लोगों को धोखा देने वाला हो सकता है.

गुरू का यह गोचर सभी राशियों को किस प्रकार के फल प्रदान करेगा ? 

मेष

 बृहस्पति ग्रह चन्द्रमा से आपके ग्यारहवें भाव में होते हुए गोचर करेगा। यह सुखमय समय का प्रतीक है । इस समय कार्यालय में पदोन्नति, व्यापार में लाभ होने की प्रबल संभावना है। यहाँ तक कि व्यावसायिक क्षेत्र में और उच्च अधिकारी का पद प्राप्त हो सकता है । सामाजिक दृष्टि से भी यह अच्व्छा समय है क्योंकि आपकी समाज में प्रतिष्ठा बढ़ सकती है । इस समय आपकी शान-शौकत व आपकी सशरीर उपस्थिति पर सबका ध्यान जाएगा। आप अपने प्रियजन व मित्रों से कोई लाभ मिलने की आशा कर सकते हैं । इस दौरान आप देखेंगे कि आपके शत्रु नरम पड़ गए हैं व पराजित हो गए हैं।  धार्मिक कृत्यों में आपकी रुचि बढ़ेगी व मंत्रोच्चार की शक्ति आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है।  यदि आप विवाह योग्य हैं तो विवाह के विषय में सोच सकते हैं और विवाहित दम्पत्ति परिवार में नए सदस्य के आने की आशा कर सकते हैं। आपमें से कुछ इस समय प्रेम - प्रसंग में लिप्त हो सकते हैं।  धन की बहुतायत रहेगी और आपमें से अधिकांश लोग भूमि, जायदाद, आभूषण नया वाहन व ऐशोआराम के नए साधन लेने के विषय में इस समय सोच सकते हैं । आप अच्छे स्वास्थ्य व मानसिक शान्ति का भरपूर आनन्द उठाएँगे । 

वृष

 बृहस्पति ग्रह चन्द्रमा से आपके दसवें भाव में होते हुए गोचर करेगा। यह जीवन की गति में व्यवधान लाएगा । इस समय आपकी सोच नकारात्मक हो सकती है व स्वयं को भाग्यहीन महसूस कर सकते हैं। इच्छाएँ पूर्ण न होने के कारण आपके स्वभाव में चिड़चिड़ापन भी आ सकता है। इधर - उधर भटकने से बचें क्योंकि इस विशेष समय में निराशा हाथ लगने की ही संभावना है ।  यही समय है जब आप विशेष चैतन्य रहें कि आप कार्यालय में वरिष्ठ पदाधिकारी व घर पर बड़ों से विवाद में न पड़ें । यदि आप सावधान नहीं रहे तो संभव है आपका पद व प्रतिष्ठा न रहे और आपका किसी सुदूर स्थान पर स्थानान्तरण हो जाये ।  स्वयं आपके व आपके बच्चों के स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है । अपने नेत्र व गले के प्रति सावधानी बरतें । शरीर को थकान से बचाने के लिए यही समय है जब आपको स्वस्थ रहन-सहन की शैली अपनानी होगी । इस समय विशेष सावधानी बरतें कि कहीं आपकी लापरवाही से बच्चों का जीवन खतरे में न पड़ जाए । 

मिथुन

 बृहस्पति चन्द्रमा से आपके नवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह धन व वित्तीय लाभ का सूचक है । आप व्यापार व व्यवसाय में लाभ, कार्यालय में अधिकारपूर्ण पद, उद्यम में सफलता व अपने वरिष्ठ अधिकारियों से अनुग्रह की आशा कर सकते हैं । यह लेखकों, प्रकाशकों, व्याख्याताओं व पुस्तकों के क्षेत्र से सम्बन्धित सभी के लिए अच्छा समय सिद्ध हो सकता है ।  सामाजिक दृष्टि से भी यह अच्छा समय है । आपको सम्मान मिलने की संभावना है, आपकी प्रतिष्ठा बढ़ती चली जाएगी । धार्मिक कृत्यों में सर्वाेपरि रुचि होगी और आप इतने धार्मिक कार्यों में भाग लेंगे जितना संभव हो सकता है । आपको संतों का संग भी मिलेगा और आप सत्कार्यों पर धन व्यय करने को तत्पर रहेंगे ।  धन व आर्थिक लाभ मानों हर ओर से, हर संभव स्त्रोत से प्रवाहित होकर आता रहेगा । आप कृषि भूमि या चल अचल सम्पत्ति क्रय करने के विषय में सोच सकते हैं । अविवाहित अपनी इच्छा के अनुरुप पात्र से विवाह के विषय में सोच सकते हैं और संतान की इच्छा रखने वालों के लिए भी यह उचित समय है । आपमें से अधिकांश बहुत बढ़िया भोजन व शारीरिक ऐशोआराम का आनन्द लेंगे ।  स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आप सुदूर यात्रा पर जाने का मानस बना सकते हैं । 

कर्क

 बृहस्पति चन्द्रमा से आपके आठवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह समय अधिकतर निराशाएँ लेकर आया है । स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पड़ेगी क्योंकि इन दिनों आप कुछ ऐसे रोगों से ग्रसित हो सकते हैं जिनमें जीवन को खतरा हो । साथ ही आप थकान व उत्साहहीनता भी महसूस कर सकते हैं ।  सफलतापूर्वक काम सम्पन्न करने में अत्यधिक परिश्रम की आवश्यकता पड़ सकती है । एकाग्रचित्त होकर काम करें । व्यर्थ विवादों में न पड़ें । अपने पद व प्रतिष्ठा को बिल्कुल ढ़ील न दें क्योंकि इस समय अपमानजनक रुप से यह हाथ से फिसल सकते हैं । आपको राजकीय आक्रोश का सामना, मुकदमेबाजी में लिप्त होना यहाँ तक कि कारागार जाने जैसी स्थितियों तक का सामना करना पड़ सकता है ।  वित्तीय मामलों पर विशेष नजर रखें, चोरों व व्यर्थ के खर्चों से सावधान रहें ।  यदि आप यात्रा की योजना बना रहे हैं तो उसे फिलहाल टाल दें । यात्रा कष्टदायक हो सकती है और संभव है कि वांछित परिणाम प्राप्त न हों ।  परिवारजन व मित्रों से विवाद से दूर रहें क्योंकि इससे शत्रुता पनप सकती है । इन दिनों आपका व्यवहार चिड़चिड़ा, दयाहीन व बिना सोच-समझा हो सकता है । स्वभाव को शान्त रखें ।  

सिंह

बृहस्पति चन्द्रमा से आपके सातवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह जीवन में सुखद समय लाएगा । आप इन दिनों शारीरिक व भौतिक सुखों का आनन्द ले सकते हैं जैसे उत्तम सुस्वादु भोजन, जायदाद पाना, फालतू समय में आमोद-प्रमोद या किसी अधिकारी द्वारा विशेष सम्मान दिया जाना । सामाजिक जीवन में भी आप अच्छे समय की आशा कर सकते हैं । आप ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों से मिल सकते हैं या मित्रता कर सकते हैं जो आपके लिए लाभप्रद सिद्ध हों । व्यक्तिगत रुप में भी आप एक चुस्त-दुरुस्त वक्ता व उत्कृष्ट बुद्धिमता के द्वारा पहचान बना सकते हैं । इस समय आप घर से बाहर रहकर कोई मांगलिक कार्य सम्पन्न कर सकते हैं ।  स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । आपकी सचरित्रता व शारीरिक भव्यता की ओर सबका ध्यान जाएगा ।  इस समय आरामदायक घर प्राप्त करने का है एवम् इच्छापूर्त्ति होने की संभावना है । एकल व्यक्ति विवाह के विषय में व विवाहित परिवार बढ़ाने के बारे में सोच सकते हैं । यदि आप विवाहित हैं तो दाम्पत्य जीवन का परमानन्द प्राप्त होने की संभावना है । 

 कन्या

 बृहस्पति चन्द्रमा से आपके छठे भाव में होते हुए गोचर करेगा। यह जीवन के अधिकांश पहलुओं में परेशानियों का सूचक है । अपने परिवार व मित्रों के साथ व्यर्थ के विवाद में पड़कर आप अपने शत्रुओं की संख्या बढ़ाएँगे । आप अपने परामर्शदाताओं से भी शत्रुता कर सकते हैं । शत्रुओं से विशेष सावधान रहें क्योंकि वे आपके लिए सदा से भी अधिक परेशानियाँ खड़ी कर सकते हैं ।  स्वास्थ्य के प्रति ध्याद देना आवश्यक है । संभव है कि सब कुछ उत्तम हो फिर भी आप बेचौनी व दुरूख का अनुभव करें । स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न बरतें व रोग से बचाव रखें ।  हो सकता है कि आप कुछ धन व जायदाद गँवा बैठें । अत इस दौरान अपने कार्यक्षेत्र में अधिक सतर्क रहें । चोरी, कार्यालय में आग व राजकीय रोष से सावधान रहें । यदि सेवारत हैं तो मालिक व सहयोगियों से अच्छा तालमेल बनाए रखें जिससे आपको उनकी नाराजगी या उपेक्षा न झेलनी पड़े । कोई नया कार्य प्रारम्भ करने जा रहे हों तो स्थगित कर दें क्योंकि यह समय कुछ नया करने के लिए उपयुक्त नहीं होगा । अपने जीवन साथी के साथ अपने सम्बन्ध सावधानीपूर्वक व बुद्धिमानीपूर्वक निभाने की आवश्यकता पड़ सकती है । अपने साथी से विवाद से बचें व हर प्रकार की किसी से भी मुकदमेबाजी से दूर ही रहें । 

तुला

बृहस्पति चन्द्रमा से आपके पाँचवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह सुख व प्रयासों में सफलता का सूचक है । आप समस्त योजनाओं के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने की आशा रख सकते हैं व कार्य तथा व्यवसाय के प्रत समर्पण के भाव में वृद्धि होगी । आपके प्रयत्नों से आपको उच्चस्तरीय पुरस्कार मिलेंगे व व्यवसाय तथा व्यापार में लाभ के और भी अच्छे अवसर मिलने की संभावना है । यदि आप विद्यार्थी हैं अथवा ज्ञानोपार्जन कर रहे हैं तो इस क्षेत्र में भी आप सफलता की आशा कर सकते हैं ।  वित्तीय दृष्टि से भी आप व आपके परिवार के लिए यह अच्छा समय सिद्ध हो सकता है । आप पशुधन, घर, आभूषण व वस्त्र खरीदने की सोच सकते हैं ।  व्यक्तिगत रुप से, यदि आप अविवाहित हैं तो आपको इस समय आदर्श साथी मिल सकता है और आप विवाह के बारे में सोच सकते हैं । यदि विवाहित हैं तो परिवार में नए सदस्य के आगोचर की आशा कर सकते हैं । परिवार के दूसरे सदस्यों से सम्बन्ध सुधरेंगे और आप उनसे लाभान्वित हो सकते है । आप घरेलू काम में सहायता के लिए किसी सेवक को रख सकते हैं । घर में कोई मांगलिक कार्य सम्पन्न हो सकता है जिसमें आपका योगदान सर्वाधिक होगा ।  सामाजिक दृष्टि से अच्छा समय है । उच्च वर्ग का साथ एवम् राजकीय अनुग्रह की आशा की जा सकती है । बुद्धि की प्रखरता चरम सीमा पर होने से आप हर प्रकार के तार्किक वाद-विवाद से सफलतापूर्वक उबरेंगे । फालतू समय आमोद-प्रमोद में व्यतीत होगा, सामाजिक स्तर ऊँचा उठ सकता है । मानसिक रुप से आप शान्ति अनुभव करेंगे । 

वृश्चिक

 बृहस्पति चन्द्रमा से आपके चतुर्थ भाव में होते हुए गोचर करेगा । ये आपके लिए चिन्ताएँ लेकर आयाहै । कार्यक्षेत्र में ये अनेक कठिनाइयाँ उत्पन्न करेगा व आपकी पदोन्नति में भी विलम्ब हो सकता है । जायदाद सम्बन्धी मामलों व मुकदमेबाजी से दूर रहें ।  शत्रुओं से बचें व विशेष ध्यान रखें कि नए शत्रु न बनें । अपने सम्बन्धियों व मित्रों से मधुर सम्बन्ध रखें । इन दिनों आप किसी ऐसे परिवार में जाएँगे जहाँ किसी की मृत्यु हुई हो ।  आर्थिक रुप से भी यह कठिन समय है । व्यर्थ के खर्चों व यात्रा से बचें ।  अपनी व अपनी माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें । आप इस समय कमजोरी व जीवन में एक फीकापन महसूस कर सकते हैं । पालतू पशुओं व कार यात्रा से बचें क्योंकि दुर्घटना की संभावना है ।  समाज में अपना स्तर ऊँचा बनाए रखें व समाज के सदस्यों से मधुर सम्बन्ध बनाएँ रखें क्योंकि विरोध का सामना करना पड़ सकता है । आपको इस काल में गहरी मानसिक चिन्ता हो सकती है व अपमान झेलना पड़ सकता है । 

धनु

बृहस्पति चन्द्रमा से आपके तृतीय भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह आपके जीवन में बाधाएँ व अस्वस्थता लेकर आएगा । वित्त हेतु भी यह समय अच्छा नहीं है क्योंकि व्यापार में किए गए प्रयासों में असफलता व अड़चनें आ सकती हैं । हाथ से धन भी जा सकता है ।  काम में आपको अपना पद व स्थान बनाए रखने हेतु सतर्क रहना पड़ सकता है । आपको अपने मालिक व सहकर्मियों का इस दौरान विरोध भी झेलना पड़ सकता है ।  अपने मित्रों व भाई-बहनों से विवाद में न पड़ें क्योंकि इससे झगड़ा हो सकता हैं । इस समय किसी रिश्तेदार व मित्र की मृत्यु भी हो सकती है ।  आप एवम् आपके जीवनसंगी के बीमान होने का खतरा है । अतरू स्वास्थ्य के प्रति अतिरिक्त सतर्कता बरतें । आप मानसिक चिन्ताओं व अन्य कठिनाइयों से गुजर सकते हैं ।  यात्रा से बचें क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है ।  दूसरी और आपमें से कुछ कोई पवित्र अनुष्ठान कर सकते हैं व विवाह के बारे में सोच सकते हैं ।

मकर

बृहस्पति चन्द्रमा से आपके द्वितीय भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह कुल मिलाकर शुभ समय का सूचक है । यह दौर आपकी वर्तमान आयु, कृषि, व्यापार में लाभ प्राप्ति व प्रसन्नतापूर्वक दान कार्यों में व्यय किए जाने वाले धन आदि की वृद्धि में वरदानस्वरुप सिद्ध हो सकता है । इसमें भूमि, जायदाद या सम्पदा में आप निवेश कर सकते हैं व यदि कोई ऋण है तो उसे चुकाने में यह समय सहायक होगा ।  घर के लिए भी यह सुखमय दौर है व परिवार के लिए आनन्द लेकर आया है । दाम्पत्य जीवन में आप सुख की आशा कर सकते हैं । परिवार में नए सदस्य का आगोचर हो सकता है ।  कामकाज में आप अधिकारियों का विश्वास प्राप्त करेंगे व दूसरे आपसे प्रभावित होंगे ।  इस समय आप शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे । सामाजिक रुप से यह समय तुष्टिकारक है क्योंकि आपको और अधिक आदर मिलने की संभावना है व आपको उच्च कोटि की शान-शौकत व मान का अनुभव होने वाला है ।  मानसिक रुप से आप शान्ति अनुभव करेंगे तथा अपनी बुद्धि को इस समय और भी प्रखर करने की संभावना है । 

कुम्भ 

बृहस्पति चन्द्रमा से आपके प्रथम भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह आपके जीवन में कुछ महत्तवपूर्ण नकारात्मक परिणामों का सूचक है । किसी भी प्रकार के रोग से बचने को स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देने व सावधानी बरतने की आवश्यकता है । स्वास्थ्य का प्रश्न हो तो जीवन को खतरे में न डालें ।  वित्त की दृष्टि से भी समय कठिन है और कुछ अनावश्यक खर्चों के कारण धन हाथ से जा सकता है ।  लम्बी यात्रा से बचें क्योंकि वांछित परिणाम मिलने की संभावना नहीं है व कष्ट झेलना पड़ सकता है । आपके मातृभूमि से दूर रहने की भी संभावना है ।  यदि आप बेरोजगार हैं तो निराशा ही हाथ लग सकती है । व्यवसाय में भी कठिन समय से गुजरना पड़ सकता है । वरिष्ठ व्यक्तियों से विवाद से बचें क्योंकि यह मानसिक कष्ट का कारण बन सकता है । अपनी परियोजना समय पर सफलतापूर्वक पूरी करने हेतु अतिरिक्त श्रम करें ।  इस समय आपको सरकार का आक्रोश, अपमान व अवनति भी झेलनी पड़ सकती है । अपने पद व प्रतिष्ठा को बनाए रखें व किसी भी मूल्य पर उन्हें खतरे में न डालें ।  साथ ही परिवार में भी विवाद से बचें व शान्त रहें । अन्य व्यक्तियों से व्यवहार करते समय अपने निर्णयों का ध्यान रखें । यह समय मानसिक यातना व अवसाद ला सकता है अत अपना उत्साह व जोश बनाए रखें ।  फिर भी, आपमें से कुछ को इस विशेष समय में पुरानी समस्याओं का हल मिलेगा । आपको बालक के गर्भाधान का समाचार भी मिल सकता है । धार्मिक कृत्यों में रुचि बढ़ेगी ।  विद्यार्थियों को उत्तम सफलता मिलने की संभावना है । आपका सामाजिक सम्मान भी इस दौरान बढ़ सकता है । 

 मीन

     बृहस्पति चन्द्रमा से आपके बारहवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह आपके लिए व्यय का सूचक है । उतना पैसा आने की आशा नहीं होगी जितना जाएगा । इस सबके अतिरिक्त व्यापार व व्यवसाय में भी कठिनाई सामने आ सकती है विशेष रुप से यदि वह पशुधन से सम्बन्धित हो ।  इसके अतिरिक्त आपको कुछ धन मांगलिक कार्यों व लम्बी यात्रा पर भी व्यय करना पड़ सकता है। यह समय आपको अपनी जन्मस्थली व संतान से दूर रहने को विवश कर सकता है ।  यदि आप नौकरीपेशा हैं तो अपना पद व स्थान बचाए रखें क्योंकि वह भी खतरे में हैं ।  आपको शारीरिक व मानसिक कष्ट झेलने पड़ सकते हैं और आप मनस्ताप, पश्चाताप व भय से ग्रसित हो सकते हैं । ऐसा कोई कार्य न करें जिससे जीवन जोखिम में पड़ जाय ।  इस दौरान आपके भटक जाने व ऐसा व्यवहार करने का खतरा हो सकता है जो आपके लिए सामान्य नहीं है । आपके चरित्र की गुणवत्ता अस्थाई रुप से गायब हो सकती है और अपने निकटवर्त्ती व प्रियजनों के प्रति आपका रवैया नकारात्मक हो सकता है ।  समाज आपके विपरीत जा सकता है और समाज में आपका अपमान व बदनामी हो सकती है । ध्यान रखिए कि आप किसी अप्रिय स्थिति में न फँस जाय । फिर भी आप में से कुछ की अतिरिक्त आय हो सकती है जिससे आप मनपसन्द वाहन खरीद सकते हैं । 


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