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Thursday, 30 January 2020

shani shanti ke upay / शनि शांति के उपाय

Posted by Dr.Nishant Pareek

यदि आप किसी भी प्रकार के शनिकृत कष्टों से जूझ रहे है तो ये उपाय आपको अवश्य ही शांति प्रदान करेंगे-

शनि  घुटने, जंघा, पिंडली, तथा स्नायु का कारक है। इसका स्वभाव थोडा कू्रर है। इसकी धातु लोहा और रत्न नीलम है। अंगुलियों में मध्यमा पर इसका अधिकार है।

कुंडली में शनि की दशा हो या साढ़े साती हो अथवा शनि अशुभ स्थिति में हो तो यहाँ बताए गए उपायों में से कोई भी उपाय करके कष्टों से मुक्ति प्राप्त कर सकते है। यहाँ बताये गए सभी उपाय पूर्ण रूप से सात्विक है। इनके करने से किसी भी प्रकार की हानि नहीं होगी। यदि आप किसी भी प्रकार के शनिकृत कष्टों से जूझ रहे है तो ये उपाय आपको अवश्य ही शांति प्रदान करेंगे-


जिनकी कुण्डली में शनि कमजोर हैं या शनि पीड़ित है उन्हें काली गाय का दान करना चाहिए।

काला वस्त्र, उड़द दाल, काला तिल, चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, लोहा, खेती योग्य भूमि, बर्तन व अनाज का दान करना चाहिए।

शनि से सम्बन्धित रत्न का दान भी उत्तम होता है।

 शनि ग्रह की शांति के लिए दान देते समय ध्यान रखें कि संध्या काल हो और शनिवार का दिन हो तथा दान प्राप्त करने वाला व्यक्ति गरीब और वृद्ध हो।

 शनि के कोप से बचने हेतु व्यक्ति को शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए।

लोहे के बर्तन में दही चावल और नमक मिलाकर भिखारियों और कौओं को देना चाहिए।

 रोटी पर नमक और सरसों तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए।

 तिल और चावल पकाकर ब्राह्मण को खिलाना चाहिए।

 अपने भोजन में से कौए के लिए एक हिस्सा निकालकर उसे दें।

 शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शनिस्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है।

शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से बचाव हेतु गरीब, वृद्ध एवं कर्मचारियो के प्रति अच्छा व्यवहार रखे.

मोर पंख धारण करने से भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है।

   शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
  
  भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
 
 भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
 
 किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
     
शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ फल देता है।


अथ शनि नाम स्तोत्र

पिप्पलाद उवाच
ओम नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोस्तुते। नमस्ते रौद्र देहाय नमस्ते चांतकाय च।।
नमस्ते यम संज्ञाय नमस्ते सौरये विभो। नमस्ते मंद संज्ञाय शनैश्चर नमोस्तुते।।
प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च।

शनिः- ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः

इस शनि मंत्र के किसी विद्वान ब्राहमण से 23.000 जाप करवाये। अथवा आप भी प्रतिदिन एक माला जाप कर सकते है।

शनि गायत्री- ओम कृष्णांगाय विद्महे रवि पुत्राय धीमहि तन्नः सौरिः प्रचोदयात।

शनि गायत्री मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपने से शनि के शुभ फल प्राप्त होते है।

शनि के हवन में शमी वृक्ष की लकडी की आहुति लगती है। अथवा शमी वृक्ष की जड को शनिवार को काले कपडे में सिलकर पुरूष दायें हाथ में और स्त्री बायें हाथ में बांध लें।

प्रतिवर्ष चार महारात्रियाँ आती है।  ये है - होली , दीवाली, कृष्ण जन्माष्टमी , और शिव रात्रि।  इनके आलावा सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण ,नवरात्र , आदि में मंगल यंत्र को सिद्ध करने का सर्वोत्तम समय होता है। इस समय में भोजपत्र पर अष्टगंध तथा अनार की टहनी से बनी कलम से यह ग्रह यंत्र लिखकर पौराणिक या बीज मंत्र के जाप करके इन्हें सिद्ध किया जा सकता है। सिद्ध होने पर उसे ताबीज में डाल कर गले में या दाई भुजा पर पहना जा सकता है। इससे ग्रह जनित अशुभ फल नष्ट होते है. तथा शुभ फलों में वृद्धि होती है।



 कुंडली में यदि शनि लग्न में बैठा हो तो जमीन में सुरमा गाड़ें। शमी वृक्ष की जड़ के साथ सुरमा दूध में उबालें। और फिर उसका नियमित तिलक करें। शनि पीड़ा से शांति मिलेगी।

शनिवार का व्रत अवश्य रखें और पीपल की सेवा करें। मीठा जल अर्पित करें।

शनि देव की पीड़ा हो तो शराब, मांस आदि नशे की लत से दूर रहना चाहिए। अन्यथा व्यक्ति की जिंदगी ख़राब होने से कोई नहीं रोक सकता। इस समय में व्यक्ति को साफ़ सुथरा रहना चाहिए।

शनिवार को अँधेरा होने पर पीपल के वृक्ष पर हनुमान जी का स्मरण करके तिल के तेल के दीपक में सिंदूर डालकर लाल पुष्प अर्पित करें।

भोजन में काली मिर्च और काला नमक का जरूर प्रयोग करें।

किसी के सामने अपने कष्टों और समस्याओं की चर्चा न करें। किसी को भी अपनी परेशानी न बताएं।

घर के मुख्य द्वार की देहली पर चांदी का पत्तर दबाएं। 

घर के किसी अँधेरे कोने में किसी लोहे के पात्र में सरसों का तेल डालकर उसमें ताम्बे का सिक्का डालकर रखें।

शनिदेव से जुडी कोई भी वस्तु किसी से भी बिना पैसे दिए न लें।

काले घोड़े की नाल लेकर घर के मुख्य द्वार के नीचे दबाएं।

शनिवार को काले घोड़े की पूंछ के आठ बाल लेकर उन्हें किसी लकड़ी की डिब्बी में रखकर 43 दिन तक अपने शयनकक्ष में रखें। अंतिम दिन बाल जलाकर उसकी राख को सरसों के तेल में मिलाकर बहते पानी में प्रवाहित कर दें।

शुक्रवार को 800 ग्राम काले तिल पानी में भिगो दें। अगले दिन उन्हें पीस कर गुड़ के साथ मिलाकर लड्डू बनाएं और काले घोड़े को खिलाएं। यह उपाय आठ शनिवार करना है।

यदि शनि की ढैया या साढ़े साती चल रही हो तो पैतृक सम्पत्ति न बेचें, वरना परेशानी ज्यादा हो जाएगी।

रोजाना महामृत्युंजय मंत्र के जाप करने से शनि देव की पीड़ा शांत होती है।

शनिवार को काले घोड़े के पैर की मिट्टी काले कपड़े में बांधकर ताबीज के रूप में धारण करें।

नियमित रूप से शनि चालीसा और शनि के 108 नाम का उच्चारण करना चाहिए।

प्रातः उठते ही बासे मुख से शनिदेव के 10 नामों का उच्चारण और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के नामों का जप करना चाहिए।

प्रत्येक शनिवार को काले कुत्ते को रोटी पर सरसों का तेल लगाकर गुड़ रखकर खिलाएं। बंदरों को चने खिलाएं।

किसी शनिवार को यदि आपको रास्ते में चलते हुए किसी भी रंग के घोड़े की नाल मिल जाये तो आप उसे तुरंत उठाकर ले आये और अपने घर के बाहर किसी सुरक्षित जगह रख दें। शनि के नक्षत्र - पुष्य , अनुराधा , उत्तराभाद्रपद में किसी पात्र में सरसों का तेल भरकर नाल को उसमें रख दें। काले तिल , आठ कील , और सवा रुपए भी रख दें। अब जिस नक्षत्र में आपने नाल डुबोई है , उसके अगले माह जब वह नक्षत्र वापस आये तब नाल को पात्र से निकाल कर पंचामृत से शुद्ध करके घर के मुख्य द्वार पर अंदर की तरफ यू आकार में कीलों से लगा दें। फिर रोली से तिलक करके धूप दीप से आरती करें तथा तेल और दूसरी सामग्रियां पीपल में चढ़ा दें। नाल को रोजाना धूप दीपक से पूजन करें। इस दिन से ही आप अपने जीवन में होने वाले परिवर्तनों पर 27 दिन ध्यान दें। यदि लाभ न हो तो उस नाल को यू आकार के विपरीत , मुँह को नीचे करके लगा दें। इसके पश्चात् आपको लाभ अवश्य होगा। 
शनिवार की रात को अपने पलंग के चारों पायों के नीचे एक एक कील रखें। सवा मीटर रेशमी काले कपड़े में आठ सौ ग्राम काले उड़द के साथ आठ लोहे के गोल सिक्के जैसे स्टील के पत्तर के साथ सवा सौ ग्राम लौंग और काजल में चंदन का इत्र मिलाकर कर सोते समय सिरहाने रखें। अगले दिन सुबह स्नान के बाद कीलो को निकाल कर काले कपड़े के कोनों में बांधकर बाकी सामग्री को भी कपड़े में रखकर पोटली जैसा रूप दें दें। अपने सर से सात बार उसार कर किसी बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
यदि शनि की अधिक पीड़ा है तो शनिवार को अंधकार होने के बाद पीपल पर मीठा जल अर्पित करके सरसों के तेल का दीपक व धूप अगरबत्ती अर्पित करने के साथ वहीँ बैठ कर क्रमश हनुमान ,भैरव और शनि चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से तुरंत लाभ प्राप्त होता है। यदि सामान्य रूप से यह कार्य करना चाहते है तो उपरोक्त प्रकार से पीपल की सेवा करके सात परिक्रमा देते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे भी अच्छा फायदा होता है।
शनिवार को आप एक ही माप की आठ बोतलें लें। ये किसी भी माप की हो सकती है। हर बोतल में एक ही माप का सरसों का तेल भरें। प्रत्येक में आठ साबुत उड़द के दानें व कील डालें। फिर आठों बोतलों को अपने ऊपर से उसार कर बहते जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रकार आप ये क्रिया लगातार आठ शनिवार करें।
शनि का छायादान जरूर करें और नीलम या उपरत्न पहने।
यह उपाय सिर्फ पुरुषों के लिए ही है। इस उपाय के लिए आप पहले शनिवार को अपने बालों में सरसों का तेल डालना आरम्भ करें। पीपल पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। तथा सोते समय आँखों में सुरमा लगाएं। पहली बार एक जटा वाला नारियल अपने शयन कक्ष में किसी शुद्ध स्थान पर रखें। इसके बाद अगले दिन पुनः सिर में तेल डालें और दीपक जला कर आँखों में सुरमा लगाएं। इस प्रकार यह क्रिया सात दिन तक लगातार करें। आठवे दिन सुबह सिर में तेल डाल कर स्नान करें और सवा मीटर काला कपड़ा लेकर नाई के साथ किसी बहते जल के पास जाएँ। किनारे पर शनिदेव का स्मरण करें और प्रार्थना करें कि प्रभु मैंने ये कार्य सिर्फ आपकी कृपा पाने के लिए किये है। मैं अपने बाल आपके नाम अर्पित कर रहा हूँ। यह कह कर नाई से अपने सारे बाल उतरवा लें। बालों को आटे की लोई में रखकर गोला बना लें। नारियल को काले कपड़े में रखकर अपने सिर से सात बार उसार कर जल में प्रवाहित करदें। बालों को भी प्रवाहित करदें। पहने हुए कपड़े भी वहीँ छोड़ दें। और साथ लाए दूसरे कपड़े पहन कर वापस आ जायें। इस उपाय से आप कुछ ही समय में परिवर्तन देखेंगे कि आपके काम होने लगे है।
शनिवार को काली गाय की सेवा करें। तिलक बिंदी करके उसके सींग पर कलावा बांध कर बूंदी के आठ लड्डू खिलाए और चरण स्पर्श करें।
 शुक्लपक्ष के पहले शनिवार को आठ मीटर काले कपड़े में 800 ग्राम काली उड़द , चावल , गुड़ , काली सरसों , काले तिल, जौ आठ बड़ी कीलें , और एक एक सुरमा व इत्र की शीशी को कपड़े में बांधकर पोटली के रूप में रख दें। अलग से दस छिलके वाले बादाम लेकर किसी भी हनुमान मंदिर में जाएँ। और पोटली व बादाम मंदिर में ही कहीं रख दें। फिर स्टील की कटोरी में सिन्दूर को चमेली के तेल में गीला करके प्रसाद और पीले फूल के साथ प्रभु को अर्पित करदें। बैठ कर हनुमान चालीसा का पाठ करें। और सात परिक्रमा दें। फिर पोटली को मंदिर में ही छोड़ दें। दस बादाम में से पांच बादाम मंदिर में छोड़ दें। बाकी के पांच लेकर किसी नए लाल कपड़ें में बांधकर अपने धन रखने के स्थान पर रख दें। इससे आपको पीड़ा में आराम मिलेगा।
काले कुत्ते को प्रतिदिन मीठी रोटी खिलाएं।

शनिवार को आप दूध , शहद , दही , शक़्कर , सरसों का तेल , ये प्रत्येक वस्तुएं सवा लीटर की मात्रा में तथा एक नील की बोतल , सफ़ेद सुरमा , काला नमक , काली मिर्च , 11 लोंग , सवा मीटर काला कपड़ा , सवा किलो काले तिल , सवा किलो उरद , थोड़े चावल , पहले शनिवार को शनिदेव का स्मरण करके पीपल पर धूप दीप सरसों के तेल का दीपक,अर्पित करें। दूध आदि गीली सामग्री पीपल की जड़ में अर्पित करें। व बाकी सामग्री डाकोत को दान दें। यह उपाय लगातार आठ शनिवार करें।

क्या न करें:-
जो व्यक्ति शनि ग्रह से पीड़ित हैं उन्हें गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चाहिए। नमक और नमकीन पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, सरसों तेल से बनें पदार्थ, तिल और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
    शनिवार के दिन बाल, नाखुन एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।  जमीन पर नहीं सोना चाहिए। शनि से पीड़ित व्यक्ति के लिए काले घोड़े की नाल और नाव की कांटी से बनी अंगूठी भी काफी लाभप्रद होती है परंतु इसे किसी अच्छे पंडित से सलाह और पूजा के पश्चात ही धारण करना चाहिए। साढ़े साती से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी शनि का यह उपाय लाभप्रद है। शनि का यह उपाय शनि की सभी दशा में कारगर और लाभप्रद है।



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