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Sunday, 6 November 2016

प्लाट के आस पास शुभ या अशुभ

Posted by Dr.Nishant Pareek
            
 प्लाट के आस पास शुभ या अशुभ

        भूमि खरीदते समय सामान्य रूप से भूमि की आंतरिक शुभता की जाँच की जाती है परंतु जिस प्रकार भूमि की आंतरिक शुभता महत्वपूर्ण होती है उसी प्रकार भूमि अथवा प्लाट की बाहरी शुभता अपना प्रमुख स्थान रखती है प्लाट के आस पास का बाहरी स्थान भी शुभ और मंगलदायक होना चाहिए
बाहरी वातावरण में अन्य किसी का भवन वृक्ष नदी नाला पहाड़ी आम रास्ता मंदिर आदि का विचार करना चाहिए। 






यदि प्लाट के पूर्व तथा उत्तर में स्थित किसी अन्य प्लाट अथवा भूमि की ऊँचाई दक्षिण पश्चिम तथा नैऋत्य में स्थित प्लाट या भूमि से कम है तो आपका प्लाट शुभ है इस प्रकार के प्लाट में निवास करने पर परिवार के सदस्यों में भरपूर प्रेम होता है घर का मुखिया पवित्र विचारों का स्वामी होता है सभी सदस्यों की बुद्धि निर्मल होती है।  घर में धार्मिक माहौल बना रहता है छोटे सदस्य बड़ों का पूरा सम्मान करते है  

परंतु यदि आपके प्लाट के पूर्व और उत्तर दिशा में बाहरी भूमि या प्लाट की ऊंचाई ज्यादा है और दक्षिण व पश्चिम में स्थित अन्य भूमि या प्लाट की ऊंचाई कम है तो यह प्लाट आपके लिए अशुभ है इस प्रकार  के प्लाट में निवास करने पर घर के मुखिया का अनादर होता है वह सदा मानसिक रूप से पीड़ित रहता है घर के छोटे सदस्य अपनी मनमर्जी करते है










यदि प्लाट के पूर्व और उत्तर में सड़क की ऊंचाई दक्षिण तथा पश्चिम दिशा की सड़क की ऊंचाई की तुलना में कम है तो यह शुभ संकेत है परंतु यदि दक्षिण तथा पश्चिम की तुलना में पूर्व तथा उत्तर का तल नीचा है तो यह अशुभ स्थिति है 




इसी के साथ यह भी देखना चाहिए क़ि आपके प्लाट के पूर्व तथा उत्तर में कोई ऊँची पहाड़ी वृक्ष मंदिर या भवन हो तो यह अशुभ स्थिति है यदि ये दक्षिण या पश्चिम में ऊँचे हो तो शुभ होता है यदि प्लाट या भूखंड के पूर्व या उत्तर में कोई नदी नाला नहर बहता पानी अथवा तालाब हो और उसका बहाव पश्चिम से पूर्व या दक्षिण से उत्तर की तरफ हो तो वह शुभ फलदायक होता है परंतु यदि ये सब प्लाट के दक्षिण पश्चिम में हो तो अशुभ होता है 









जिस भूमि पर आप निवास करना चाहते है उसका उपजाऊ होना शुभ होता है और यदि वह बंजर है तो अशुभ है यदि भूमि पर फल फूल वाले पेड़ पौधे उगते हो तो वह भूमि लाभदायक होती है परंतु भूमि में या उसके आस पास की भूमि पर बड़े वृक्ष बरगद पीपल इमली आदि के वृक्ष नही होने चाहिए अन्यथा उनकी जड़ें फ़ैल कर भवन को नुकसान पंहुचा सकती है 




यदि भूखंड के उत्तर पूर्व में तालाब कुआँ अथवा इसी प्रकार का जल भंडारण हो तो वह प्लाट या भूमि शुभ होती है. परंतु यदि दक्षिण पश्चिम में कोई तालाब कुआँ  या खड्ढ हो तो वह अशुभ होता है. जिस भूमि पर जल संसाधन उपलब्ध न हो तो उसे त्याग देना ही उचित होता है  



भवन निर्माण करने हेतु प्लाट खरीदने से पहले यह भी देख लेना चाहिए कि भूमि पर दिन के किसी भी समय किसी मंदिर की छाया नही पड़नी चाहिए प्लाट के आस पास कोई मंदिर नही होना चाहिए जिस दिशा में भवन का मुख्य द्वार बनेगा उस द्वार के सामने दुर्गा ब्रह्मा विष्णु महादेव सूर्य भेरू जी तथा जैन मुनि आदि का देवी देवता का मंदिर नही होना चाहिए अथवा ये भी कह सकते है कि मंदिर के सामने प्लाट नही होना चाहिए 

प्लाट के आस पास किसी भी दिशा में श्मशान कब्रिस्तान मस्जिद या मजार नही होनी चाहिए

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