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Thursday, 2 March 2017

पतिव्रता और पत्नीव्रता योग

Posted by Dr.Nishant Pareek
पतिव्रता और पत्नीव्रता योग :-



                 लड़का या लड़की की कुंडली में कुछ ऐसे योग होते है जिनका विचार कुंडली मिलाने से पहले ही किया जाता है. ये ऐसे योग होते है जिनके द्वारा हम भविष्य में होने वाली शुभाशुभ घटनाओं का अनुमान लगा सकते है , जैसे कुंडली में विधवा या विधुर योग तो नही है, व्यभिचार योग तो नही है , पतिव्रता योग है या नही आदि, इस प्रकार के योगों का विचार करके आगे होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है

 

पतिव्रता योग :-  यदि किसी लड़की की कुंडली में पतिव्रता योग हो तो वह अपने पति को बहुत प्यारी होती है , और यदि किसी लड़के की कुंडली में पत्नीव्रता योग हो तो वह अपनी पत्नी को बहुत प्यारा होता है।  

  • यदि कुंडली में सप्तमेश किसी केंद्र में किसी शुभ ग्रह के नवांश में हो और उस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो वह व्यक्ति अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता है, 
  • यदि सप्तम स्थान में गुरु हो तथा सप्तमेश शुभ भाव में हो तो भी व्यक्ति अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता है।  
  • यदि सप्तमेश चतुर्थ भाव में हो अथवा दसवें भाव में हो तो स्त्री अपने पति को बहुत प्यार करती है,
  • यदि सातवें भाव का स्वामी बली होकर गुरु के प्रभाव में हो तो व्यक्ति अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता है ,
  • यदि सूर्य सप्तमेश हो तथा उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो पति अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता है,
  • यदि शुक्र सप्तमेश हो तथा उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता है,
  • यदि सप्तमेश गुरु के साथ हो अथवा सप्तम भाव में और गुरु पर बुध अथवा शुक्र की दृष्टि हो तो स्त्री अपने पति से बहुत प्रेम करती है, 


  • लग्नेश और शुक्र एक साथ हो तथा गुरु की दृष्टि हो तो वह स्त्री पतिव्रता होती है।  
  • सप्तमेश बलवान होकर गुरु के साथ हो तथा चतुर्थ भाव का स्वामी किसी दो शुभ ग्रह के मध्य हो तो लड़की अपने पति को बहुत प्यार करती है।  
  • यदि सप्तम भाव में मंगल शुक्र के नवांश तथा उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो लड़की अपने पति से बहुत प्यार करती है।  


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Wednesday, 1 March 2017

दाम्पत्य जीवन में ग्रह युति का फल

Posted by Dr.Nishant Pareek
दाम्पत्य जीवन में ग्रह युति का फल :- 

                                दाम्पत्य जीवन में अन्य ग्रह युतियों का भी बहुत प्रभाव पड़ता है।  इसलिए वैवाहिक जीवन की पूर्ण सफलता के लिए इन ग्रह युतियों का अध्ययन करना भी बहुत आवश्यक है।  :-


  • शुक्र - मंगल युति:- शुक्र सौन्दर्य , भावनाएं , भोग , यौन  सम्बन्ध , व वीर्य का प्रमुख कारक है।  मंगल साहस शक्ति व तेज का मुख्य कारक है।  तथा महिला में रज और पुरुष में वीर्य का अधिष्ठाता  है।  इसलिए इन दोनों की युति कुंडली में मुख्य भूमिका निभाती है।  कुंडली मिलते समय भी इनका विशेष विचार करना चाहिए।  
  • मंगल - शनि युति :- कुण्डली में मंगली भाव अर्थात पहले चौथे सातवें आठवें तथा बारहवें में मंगल शनि की युति दाम्पत्य जीवन के लिए शुभ नही है।  या इन्ही भावों में दोनों का एक दूसरे को देखना भी अशुभ होता है।  सुखी वैवाहिक जीवन के लिए दोनों की कुंडली में ग्रहों का सन्तुलन होना बहुत आवश्यक है।  नही तो जीवन भर कटुता रहती है।



  • चन्द्र - शुक्र :-  वैसे तो चन्द्र शुक्र की युति शुभ मानी जाती है परन्तु वैवाहिक जीवन में यह अशुभ प्रभाव भी देती है।  इस युति के प्रभाव से दोनों के मध्य वैचारिक मतभेद असंतोष चिंता व मन का भटकाव आदि परेशानियां आती है।  यदि इस युति पर कोई पाप ग्रह  की युति या दृष्टि हो तो तलाक तक बात चली जाती है।  यदि दोनों में से किसी एक की कुंडली लग्न , द्वितीय , अथवा सप्तम भाव में ये युति हो और दूसरे की कुंडली में भी इन्ही भावों में यह युति हो अथवा दोनों की आपस में दृष्टि हो तो फिर इस युति का प्रभाव नष्ट हो जाता है।  
  • गुरु - मंगल युति :-  प्राचीन शास्त्रों के अनुसार यदि मंगल व गुरु की युति हो अथवा मंगल पर गुरु की दृष्टि हो तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है।  अनुभव सिद्ध बात है कि यदि यह युति किसी भी मांगलिक भाव में हो तो मंगल का प्रभाव समाप्त नही होता. क्योकि गुरु जिस भाव में बैठता है उसकी हानि करता है तथा मंगल भी अपना अशुभ प्रभाव देता है।  यदि मंगल गुरु के सामने हो तो भी मंगल दोष में वृद्धि होती है।  क्योकि मंगल की दृष्टि गुरु को दूषित करती है।  
  • मंगल - राहु युति :-  कहते है कि राहु मंगल की युति होने पर मंगल दोष समाप्त हो जाता है।  परन्तु अनुभव में देखा है कि  सप्तम व अष्टम भाव में यह युति अधिक हानिकारक होती है।  यदि किसी एक की कुंडली में राहु मंगल का योग हो तथा दूसरे की कुंडली में ठीक उसके विपरीत भाव में यह युति हो तो दोष समाप्त हो जाता है।  

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Wednesday, 22 February 2017

पति पत्नी में झगड़े का कारण:-

Posted by Dr.Nishant Pareek
 पति पत्नी में झगड़े का कारण:-
                          विवाह संबंध तय करने से पहले वर वधू की कुंडली मिलाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. प्राचीन काल में इसका सूक्ष्म विचार किया जाता था परंतु आज ये सिर्फ एक औपचारिकता  ही रह गई है. लोग सिर्फ अपनी तसल्ली के लिए गुन मिळवा लेते है. यदि एक नाम से नही मिलते है तो लड़का या लड़की का नाम बदल कर गुन मिला देते है तथा विवाह कर देते है. सुखी वैवाहिक जीवन के लिए 36 गुन में से कम से कम 18 गुन मिलना जरुरी है. गुण मिलने के बाद भी देखा जाता है कि शादी के बाद लड़ाई झगड़ा तलाक आदि घटनाएं हो जाती है. फिर ज्योतिष को दोष दिया जाता है. परंतु व्यक्ति ये नही देखता है की उसने अच्छा घर मिलने के लालच में नकली कुंडली बनवा कर नाम बदल के शादी की थी. अथवा मंगल दोष को छिपा कर शादी की है. ऐसी स्थिति में वैवाहिक जीवन सुखी कैसे होगा.
पति पत्नी में झगड़े का कारण:-
एक दूसरे में विश्वास की कमी
चरित्र में दोष होना
किसी भी कारण से दूर रहना
किसी एक का रोगी होना
संतान का न होना या पुत्र संतान का न होना
विचार न मिलना
अहम् का टकराना
परिवार का हस्तक्षेप
एक दूसरे के लिए समय न होना
                              

   यदि भावी वर वधु को कुंडली मिलाते समय उपरोक्त कारणों के निदान को देखते हुए आगे बढ़ा जाये तो अवश्य ही उनका जीवन सुखी होगा। क्योकि कुंडली में दिखने वाली समस्या का समाधान हम पहले ही कर चुके है. क्योकि कुंडली में प्रत्येक समस्या का कारण और निवारण , दोनों होता है. सभी ग्रह व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी क्षेत्र को नियंत्रित करते है. व्यक्ति उनके हिसाब से ही चलता है जो की उसे खुद को भी ज्ञात नही होता। यदि उसके लग्न में कोई क्रूर ग्रह बैठा है तो निश्चित रूप से उसका स्वभाव कठोर होगा और वह लोगो के लिए बुरे स्वभाव वाला होगा,तथा यदि सौम्य ग्रह बैठा है तो निश्चित रूप से उसका स्वभाव सौम्य होगा. और वह लोगो के लिए भला आदमी कहलायेगा, जबकि ये सब वह व्यक्ति नही कर उसके ग्रह करवा रहे है.
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