Sunday 31 March 2019

The moon in first house in horoscope / कुंडली के पहले घर में चन्द्रमा का सामान्य फल

Posted by Dr.Nishant Pareek

 

 

 

 Auspicious Results : 

                                    
                                  The general interpretations are love, peace, dislike for quarrels,  piousness and good behaviour. One is strong, prosperous, happy, a businessman, interested in music and instruments and having a hefty physique. One will be passionate and will be respected by the opposite sex. Sources of wealth continue to remain and status in society persists. One will be valiant and will attain wealth from the government. One will be fond of roaming around. One may walk or talk in sleep.      Planetary positions make one fearless, strong, wealthy, long lived and possessing a firm physique.      One is wealthy, happy, soft spoken, strong but with a delicate physique. One may support many people. One is clever, good looking, wealthy, fortunate and talented.   
                                  The person is wealthy. Due to some special planetary combinations, the above mentioned interpretations are felt moderately only. One is knowledgeable in shastras and acts according to them also. The Moon in Aries endows one with many children. One is ambitious and brave. One is firm, less talkative, energetic and active. One may not have too much sexual desire and may not prefer too much activity. One may be short tempered and carefree in the matter of money.

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 शुभ फल : 

                     लग्न के चन्द्र का सामान्य फल, प्रेम, शान्ति, सत्यप्रियता, सत्वशीलता, कलह से घृणा करना आदि है। चन्द्रमा-लग्न में हो तो जातक बलवान्, ऐश्वर्यशाली, सुखी, व्यवसायी, गान-वाद्यप्रिय एवं स्थूल शरीरवाला होता है। जातक मे कामशक्ति, पूर्णरूप से रहती है, स्त्रियों द्वारा सम्मान प्राप्त होता है। धनागम के साधन बने रहते हैं और समाज में अधिक प्रतिष्ठा बनी रहती है। जातक पराक्रमी और राजवैभव पानेवाला होता है। चन्द्र लग्न में होने से घूमने-फिरने का शौकीन होता है। जो लोग नीेंद में चलते हैं, बोलते हैं, या ऐसे ही काम करते हैं, उनके लग्न में चन्द्रमा होता है।     
                     शुक्लपक्ष का चन्द्रमा लग्न में होने से जातक निर्भय, दृढ़ शरीर वाला, बलिष्ठ, लक्ष्मीवान् और दीर्घायु होता है।  लग्न में मेष, वृष, कर्क राशि में चन्द्रमा होने से जातक धनी, सुखी, मनुष्यों का पालक, मधुरभाषी, कोमल शरीर और बलवान् होता है।  जन्म लग्न में वृष, कर्क और मेष राशि का चन्द्रमा होने से जातक चतुर, रूपवान्, धनवान्, भाग्यवान् और गुणवान् होता है। मेष का चन्द्र होने से धनवान् होता है। लग्न का चन्द्रमा पापग्रहों के साथ क्षीण होने से पूर्वोक्त फल अल्पमात्रा में होते हैं। लग्नभाव का चन्द्र मेष, वृष या कर्क राशि का होने से जातक शास्त्रज्ञ होता है और शास्त्रानुकूल चलता है। चन्द्र मेष राशि का होने से जातक बहुत पुत्रों से युक्त होता है।      लग्न का चन्द्र अग्नितत्व राशि में होने से जातक का स्वभाव साहसी और महत्वाकांक्षी होता है। लग्न का चन्द्रमा मेष, सिंह और धनु में होने से जातक स्थिर, मितभाषी, और काम करने में निरालस होता है। कामेच्छा थोड़ी होती है। बहुत हलचल पसन्द नहीं करता है। क्रोधी और रूपए-पैसे के विषय में वेफिक्र होता है।

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Inauspicious Results :


                                   Inspite of having a heavy physique, one may be poor, foolish and cowardly. One is ungrateful, lazy and foolish. The person is untruthful and untrustworthy. The person may be foolish, dumb, restless, foolish, blind, performer of ill deeds, lean and weak bodied and in the service of others. One may get troubled by cough and cold and have a weak and ailing body. One may be deaf and dumb. Due to illness, one may be fearful of water. One may have to travel a lot in one’s fifteenth year. One may be wicked, talkative and unruly. One will be pleasure loving, fraudulent, cowardly and with a restless mind. One may have to suffer mourning for one’s spouse. One may be ailing, foolish, poor, weak and deaf. One may be proud, lowly, deaf, restless, dumb and dark complexioned.One might be foolish, ailing and poor. One may suffer cough, cold and gastric problems. One may be injured by a horse or a similar animal. One may fear the king and thieves.      One will be unstable and impatient.



 अशुभ फल :


                          जातक मोटे शरीर का होकर भी साहसहीन, दरिद्र और मूर्ख होता है। लग्न में चन्द्रमा हो तो मनुष्य जड़ (मूर्ख वा आलसी) और कृतघ्न होता है। लग्न में चन्द्र होने से जातक मिथ्याभाषी होता है। अत: लोगों की दृष्टि में विश्वासपात्र नहीं होता है। लग्न में चन्द्रमा होने से जातक मूर्ख, मूक (गूंगा) व्याकुल चित्त वाला, अथवा धूर्त, नेत्रहीन (अंधा) अनुचित कार्य करनेवाला, दूसरों का दास, दुबला-पतला शरीरवाला होता है। सर्दी और कफ जनित रोगों से पीडि़त एवं कृश शरीर रहा करता है। वधिर, व्याकुल हृदय गूँगा तथा विशेषतया दुर्बल देह होता है।व्याधि से, जल से भय प्राप्त होता है। 15 वें वर्ष में बहुत सी यात्राएँ करनी पड़ती हैं। कपटी और बहुत बोलनेवाला वितंडावादी होता है। डरपोक, अस्थिर बुद्धि, विलासी,और धूर्त होता है। स्त्री-वियोग सहना होता है।     
                      मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन राशि का होकर लग्न में हो तो जातक रोगी, मूर्ख, निर्धन, बलहीन और वधिर होता है।1,2,4 राशियों को छोड़कर चन्द्रमा लग्न में हो तो पुरुष उन्मत्त अर्थात् अभिमानी (गर्वीला) नीच, बहरा, व्याकुल चित, गूंगा और विशेषत: कृष्ण्वर्ण देहवाला होता है।      मेष, वृष व कर्क को छोड़कर अन्य राशियों में होने से जातक मूर्ख, रोगी तथा निर्धन होता है। इसे खांसी, श्वासरोग, वातरोग होते हैं। अश्व आदि पशुओं से अपघात का भय होता है। राजा और चोरों से भय होता है। चन्द्र मेष राशि का होने से जातक का स्वभाव उतावला और अस्थिर होता है।
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