Friday 15 March 2019

किस तरह की गणेश प्रतिमा क्या फल देती है। आपकी इच्छा कौनसी गणेश प्रतिमा पूर्ण करेगी जानिये।

Posted by Dr.Nishant Pareek

गणेश प्रतिमा अनेक प्रकार की होती है। कहां किस तरह की  गणेश प्रतिमा स्थापित करना चाहिए और गणेश जी कैसे आपके घर का वास्तु दोष  ठीक कर सकते है। आगे जानिए। 





  • घर में सुख, शांति, समृद्धि चाहने  हेतु  सफेद रंग के गणेश जी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए । इसके साथ ही, घर में इनका एक चित्र भी लगाएं। 
  •  अपनी सभी कामनाओं की पूर्ति के लिए घर में सिंदूरी रंग के गणेश जी की पूजा करें। यदि गणेश जी की मूर्ति लेटे हुए या बैठी मुद्रा में हो तो अधिक शुभ  होती है। यदि ललित कला की शिक्षा प्राप्त कर रहे है तो नृत्य गणेश की प्रतिमा का पूजन लाभकारी है।
  •  अपने निवास में बैठे हुए और बाएं हाथ की तरफ घूमी हुई सूंड के गणेश जी स्थापित करें। दाएं हाथ की ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी हठी स्वभाव के होते हैं और उनकी साधना-आराधना कठिन होती है। वे जल्दी से प्रसन्न नहीं होते। 
  • अपने व्यापार स्थल पर कार्यस्थल पर खड़े हुए गणेश जी की मूर्ति लगाएं। इससे व्यापार स्थल पर स्फूर्ति और काम करने की उमंग सदैव रहती है। 
  • व्यापार स्थल पर किसी भी भाग में वक्रतुण्ड की प्रतिमा या तस्वीर लगा सकते हैं, लेकिन इनका मुंह दक्षिण दिशा या नैऋय कोण में न हो। 
  •  गणेश जी को लड्डू अतिप्रिय है और उनका वाहन मूषक अतिप्रिय है। इसलिए मूर्ति स्थापित करने से पहले ध्यान रखें कि मूर्ति या चित्र में मोदक या लड्डू और चूहा अवश्य हो। 
  • गणेश प्रतिमा की स्थापना घर  या व्यापार  के ब्रह्म स्थान अर्थात केंद्र में करें तो अतिउत्तम होता है।  इसके आलावा यदि घर या व्यापार स्थल के ईशान कोण और पूर्व दिशा में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करना भी शुभ होता है। 
  • निवास  के मुख्य द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर हो तो उसके दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर गणेशजी की पीठ मिली रहे इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा या चित्र लगाने से वास्तु दोषों का शमन होता है।
  • निवास में दरवाजे से जुड़ा किसी भी तरह का वास्तुदोष हो(भवन के द्वार के सामने वृक्ष, मंदिर, स्तंभ आदि के होने पर द्वारवेध माना जाता है)। ऐसे में घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की बैठी हुई प्रतिमा लगानी चाहिए लेकिन वह  11 अंगुल से बड़ी  नहीं होना चाहिए।
  •  निवास  के जिस भाग में वास्तु दोष हो उस स्थान की दीवार पर घी मिले  सिन्दूर से स्वस्तिक बनाने से वास्तु दोष शांत होता है।
  •  स्वस्तिक के चिन्ह को गणेश जी का  प्रतीक माना है। वास्तु शास्त्र में  भी  स्वास्तिक को दोष की शांति के लिए उपयोगी माना  है। वास्तु दोष दूर करने के लिए स्वस्तिक अचूक उपाय है।  इसलिए घर में किसी भी तरह का वास्तुदोष होने पर अष्टधातु या ताम्बें से बना स्वस्तिक  पूर्व की दीवार पर लगाएं ।
  • रवि पुष्य को श्वेतार्क या सफेद मंदार की जड़ के गणेश की स्थापना करनी चाहिए। इसे सर्वार्थ सिद्धिकारक कहा गया है। इससे पहले  गणेश को अपने यहां रिद्धि-सिद्धि सहित पधारने  के लिए निमंत्रण दे आना चाहिए और दूसरे दिन, रवि-पुष्य योग में लाकर घर के ईशान कोण में सप्रेम स्थापना करनी चाहिए।
  • शुभ श्वेतार्क गणेश की प्रतिमा का मुख नैऋत्य में हो तो इष्टलाभ देती है। वायव्य मुखी होने पर संपदा का क्षरण, ईशान मुखी हो तो ध्यान भंग और आग्नेय मुखी होने पर आहार का संकट खड़ा कर सकती है।
  • पूजा स्थल पर गणेश जी की एक ही प्रतिमा हो। एक से अधिक न रखे। एक से अधिक गणेश जी रखने पर रिद्धि और सिद्धि नाराज हो जाती हैं।
  •  भगवान गणेश को प्रतिदिन  दूर्वा  अर्पित करने से इष्टलाभ की प्राप्ति होती है। दूर्वा चढ़ाकर समृद्धि की कामना से ऊं गं गणपतये नम: का जाप करना चाहिए।
                                                                              "जय श्री गणेश"
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