If there is a moon in the eighth house of the horoscope, then what is its usual function ? Look out
यदि कुंडली के आठवें घर में चन्द्रमा हो तो उसका सामान्य रूप से क्या फल मिलता है। देखिये
Auspicious Results :
One will be egoistic. One will be intelligent, enlightened, charitable, pleasant natured and scholarly. One will be fond of religion and the shastras, will have spiritual knowledge. One may be a saint and will have an imaginative power. There will be business gains. One may gain through a will, through some inheritance or through marriage. One is a worshipper, practices yoga and is knowledgeable about the vedas. Domestic secrets are revealed outside through servants. The 44th year results in loss of wealth.
शुभ फल :
जातक स्वाभिमानी होता है। बुद्धिमान् और तेजस्वी होता है। दानी, विनोदशील और विद्वान् होता है। धर्म और शास्त्रों का प्रेमी, अध्यात्मज्ञानी, योगी, कल्पनाशक्ति से युक्त होता है। आठवें स्थान का चन्द्रमा व्यापार से लाभ कराता है। मृत्युपत्र द्वारा अथवा वारिस के अधिकार से अथवा विवाह के द्वारा विशेष लाभ होता है। चन्द्र उच्च का, अथवा स्वगृह में होने से ये लाभ होते हैं। पापग्रह से युक्त होने से ये लाभ नहीं होते। मेष, सिंह, धनु राशियों में अष्टमभाव का चन्द्र होने से किसी न किसी मार्ग से धन मिलता है। कर्क, वृश्चिक, धनु वा मीन लग्न हो, लग्न से चन्द्रमा अष्टमभाव में होने से जातक योगाभ्यासी, उपासक वा वेदान्ती होता है। स्त्री राशि में चन्द्र होने से जातक के घर की गुप्त बातें नौकरों से बाहर निकल जाती है। आयु का 44 वाँ वर्ष सम्पत्ति नाशक होता है।
Inauspicious Results :
The Moon in the eighth bhava is painful. One will be talkative, suspicious, arrogant, aroused, worried and jealous. One will be short tempered, passionate, deformed and may suffer from venereal diseases. One’s mind will not be stable. One will be distressed due to a restless mind. One will be troubled by bondage. One will be insistent, forceful, unsympathetic, pitiable, sinful and will suffer hardships. One will lack pity and may leave one’s country. One may fear kings and thieves. One will be eager to fight. One will be scared of grave diseases. In other words, one will fear incurable and curable ailments. One may be physically ailing. As the water element is strong, one may suffer from cough ailments. Senior doctors, experienced practitioners of traditional medicine may visit one’s house regularly. Enmical and serious ailments, fear and hindrances will always persist. There is a possibility of having ailments related to water. One may suffer eye ailments and pain due to cold fever. One may faint every other minute. There is a fear of death due to drowning, perhaps in wells, lakes etc. One will suffer gastric problems, water related ailments and will be scared of the water. One may fear the attack of powerful enemies. One may wander around uselessly. One may not have the comfort of a vehicle. One may have to break off from relatives on account of one’s marriage. One may suffer due to wicked people. One may have to go abroad. The results are positively inauspicious. One may be short lived. The Moon in the eighth bhava protects him like a mother.
अशुभ फल :
आठवें भाव का चन्द्रमा कष्टकारी होता है। जातक वाचाल, सन्देहशील, आत्माभिमानी, उद्विग्न, चिन्तायुक्त, एवं ईर्ष्यालु होता है। जातक क्रोधी, कामी, विकारग्रस्त, प्रमेहरोगी होता है। स्थिरबुद्धि नहीं होता है। चित्त उद्वेग के कारण व्याकुल रहता है। बन्धन से दुखी होता है। दुराग्रही, निर्दय और दीन, कष्टयुक्त-प्रगल्भ, और पापी होता है। देशत्याग करदेने वाला और दयाहीन होता है। राजा और चोरों से संत्रास और भय होता है। युद्ध करने के लिए उत्सुक रहता है। महारोगों का भय, अर्थात् साध्य या असाध्य राजरोगों का भय लगा रहता है। शरीर से रोगी रहता है। जल तत्व प्रधान होने के कारण कफ व्याधियों से ग्रस्त रखता है। शरीर में वायुप्रधान रोग होते हैं। जातक के घर में उत्तमोत्तम अनुभवी डाक्टरों, वैद्यों या हकीमों का आना जाना बना रहता है। शत्रुमूलक बड़ी-बड़ी व्याधियाँ, भय और आपत्तियाँ सदैव लगी रहती हैं। चन्द्रमा स्वगृही हो, शुक्र वा गुरु के घर में हो अथवा बुध की राशि में हो, और स्वयं पूर्णवलवान होने से जातक को श्वास-कास आदि नानाविध दु:ख होते हैं और सदा दु:खी रहता है। "वारिभूता महाव्याधय:" अर्थात् जलोदर आदि जलजन्य (जल तत्व सम्बन्धित) रोग होने की सम्भावना रहती है। नेत्रों के रोग होते हैं शीतज्वर की पीड़ा होती है। अपान विकार (गैस्टिक ट्रबल) होने की सम्भावना रहती है।क्षण-क्षण में मूर्छा रोग होता है। 'वारिभूता भीतय:' अर्थात् जल में डूबकर मर जाने का भय भी होता है। तालाब, कुएँ आदि में डूबकर मर जाने का भय रहता है। जल से भय और अपान विकार (गैस्टिक ट्रबल) एवं जल तत्व सम्बन्धित रोग होने की सम्भावना रहती है। बलवान् शत्रु आक्रमण करें - ऐसा सन्देह भी बना रहता है। जातक बेकार घूमनेवाला होता है। वाहनसुख थोड़ा मिलता है। विवाह के कारण बन्धुओं का त्याग करना पड़ता है। दुर्जनों द्वारा पीडि़त होता है। देश त्याग करना पड़ता है। चन्द्र पापगृह में अथवा पापग्रह से युक्त हो तब तो अशुभफल निश्चय से मिलते हैं। अष्टमभाव में चन्द्रमा पापी ग्रह भी राशि में होने से जातक अल्पायु: होता है। शुक्ल पक्ष में रात्रि में जन्म होने से आठवें स्थान में स्थित चन्द्रमा माता के समान रक्षा करता है।