if there is a moon in the twelth house of the horoscope, then what is its usual function ? Look out
यदि कुंडली के बारहवें घर में चन्द्रमा हो तो उसका सामान्य रूप से क्या फल मिलता है। देखिये
Auspicious Results : One will be
fond of solitude and will be soft spoken. One will spend money on auspicious
works and in yagyas and religious rituals. One will spend on marriages and
auspicious occasions too. In other words, one spends fruitfully. One may be a
royal ascetic, a scholar and may be knowledgeable about mantras and shastras.
One will get good company from females. One will be interested in speculation
and risky ventures. One will be
happy, victorious wealthy and scholarly.
One will be charitable, lean, pleasure loving and may control one’s
senses
शुभ फल : बारहवें भाव में
चन्द्रमा होने से जातक एकान्तप्रिय, मृदुभाषी होता है। बारहवें भाव का चन्द्र जातक के धन को शुभ कार्यो में,
यज्ञादि कार्यो में व्यय कराता है। मंगलकार्यों
में अर्थात् विवाह आदि शुभ कर्मों में अपने धन का खर्च करता है। इस तरह जातक सद्व्ययी
होता है। राजयोगी, ज्ञानी, मांत्रिक या शास्त्रज्ञ हो सकता है। स्त्रियों
का उपभोग अच्छा मिलता है। चन्द्र
वृश्चिक या मकर के अलावा अन्य राशियों में होने से जातक विजयी, सुखी तथा धनी होता है। विद्वान होता है। चन्द्रमा स्वगृही होने, अथवा बुध या गुरु की राशि में होने से जातक
दान्तिक (इन्द्रिय दमन करनेवाला) दानी, पतला (छरहरा) शरीर और सुख भोगनेवाला होता है।
अपने मित्रों से जातक का
व्यवहार और बर्ताव अच्छा नहीं होता है। मित्रहीन होता है। मित्र बहुत नहीं होते
हैं। मित्र अच्छे नहीं होते हैं। शत्रुओं से भय भय रहता है। शत्रुओं की वृद्धि
होती है। अपने शत्रुओं से पराजित होता है। जातक विशेषत: क्रोधावेश में रहता है अर्थात्
बहुत क्रोधी होता है। लड़ाई-झगडा होता रहता है। क्रोध-कलह की बढ़ोत्री होती है।
निन्दित कर्म करता है अत: लोग निन्दा करते हैं। यवनमत से 49 वें वर्ष में पानी से अपघात होता है। चन्द्र स्त्रीराशि में होने से जातक मरण तक
अपना कर्ज चुका नहीं सकता है। कन्याराशि का होने से पिता कर्जा छोड़कर मर
जाता है और यह ऋण जातक को देना पड़ता है।
उपर दिये गये अशुभफल चन्द्रमा के स्त्रीराशियों में होने से अधिक अनुभव में
आते हैं।
Inauspicious Results : Generally,
inauspicious results will be experienced. One will have a lean and weak body
and a thin physique. One will not feel very hungry and will have a small
appetite. One may not get good food. One may be lacking in character and good
behaviour. One may always be in a state of anger. One may be unhappy, lazy and
insulted. One may be lowly, trivial and depressed. People will envy him. People
may not have trust in him and will always be suspicious about him. One will
spend money on the undeserving, thereby wasting one’s money uselessly. One will
uselessly spend a lot and be poor. One will be stingy and may destroy one’s
wealth. One’s wishes are generally unfulfilled because they are impractical and
difficult to materialize. One will not have stable relations with the opposite
sex. One will not be very attached to the opposite sex. One’s sexual adventures
may be regretful. Husband and spouse may be unnecessarily separated a number of
times. One may suffer from eye ailments and pain in the eyes. One may not have
one eye. One will suffer from cough ailments. One may suffer pain due to one’s
paternal and maternal family. One may not be happy at heart with one’s uncles.
One may be enmical to them and will not
be attached to one’s uncle or one’s uncle’s sons, both paternal and maternal.
One may use one’s brains for sinful deeds. One may have a lowly temperament and
may always be in the company of lowly people. One may have bad habits, may
consume liquor and may be ailing. One may be violent and wicked and tease
animals. One may reside abroad. One will not behave properly towards one’s
friends and may be without friends or unworthy friends. One will be fearful of
enemies and enemies may increase. One may be defeated at the hand of one’s
enemies. One may always be in a state of anger. Disputes and quarrels continue
and anger and conflicts continue. One performs ghastly deeds and is criticized
by people. According to Yavana, in the 49th year, one may be injured due to
water. One is unable to repay one’s
debt in one’s lifetime. The father
may leave behind debts which the son has to repay. The above mentioned inauspicious results
might be felt more because of some special planetary combinations.
अशुभ फल : प्राय: द्वादशभावगत चन्द्रमा के फल अशुभ हैं। जातक का कृश और दुर्बल
शरीर होता है। शरीर क्षीण और पतला होता है। मंदाग्नि रहती है और भूख कम होती है।
अच्छा भोजन नहीं मिलता है। वह सच्चरित्रवान् नहीं होता है। शुभाचरणहीन होता है।
सदा क्रोधावेश में रहता है।जातक दु:खी, आलसी तथा अपमानित होता है। पतित, क्षुद्र, तथा व्याकुल रहता है। लोग
इससे द्वेष करते हैं। लोग इस पर विश्वास नहीं करते और इसे सदैव संदेह-दृष्टि से
देखते हैं। कुपात्र के लिए धन का व्यय करता है। इस तरह असद्व्ययी होता है। अधिक
व्यय करनेवाला होता है। धन का अपव्यय करता है। निर्धन होता है। चन्द्रमा द्वादशभाव
में होने से जातक कृपण (कंजूस) होता है। धन का नाश होता है। जातक ऐसी अव्यावहारिक
कल्पना करता है जिसका पूर्ण होना कठिन होता है। प्राय: जातक के मनोरथ पूर्ण नहीं
होते। स्त्रियों के साथ जातक के सम्बंन्ध चिरस्थायी नहीं रहते। स्त्रियों से विशेष
प्रेम नहीं होता है। रति (स्त्रीसहवास और स्त्रीसंग) से खेद प्राप्त होता है।
चन्द्रमा द्वादशस्थान में होने से पति पत्नी में अकारण ही कई बार वियोग होता है।
बारहवें भाव में चन्द्रमा होने से जातक नेत्ररोगी, और नेत्रादि के विकार से पीड़ा रहती है। द्वादश चन्द्र होने
से जातक एक आँख से काणा होता है। जातक कफरोगी होता है। पितृकुल, मातृकुल से व्याकुलता प्राप्त होती है। जातक का
मन चाचा आदि मामा आदि से मलिन रहता है। अर्थात् पिता के भाई से और पितृव्य के
पुत्र और स्त्री से प्रेम नहीं होता है अपितु परस्पर वैमनस्य रहता है। इसी तरह
माता से और माता के पिता के कुल में उत्पन्न मामा आदि से भी मनमुटाव रहता है।
द्वादशस्थान में चन्द्रमा होने से जातक पाप करने में अपनी अक्ल लड़ाता है। अपने
कुल में नीचवृत्ति होता है। सदैव नीच वृत्तिवाले मनुष्यों की संगति में रहनेवाला
होता है। व्यसनी, शराब पीनेवाला
अतएव रोगी होता है। जीवहिंसक और क्रूर होता है। चन्द्रमा द्वादश होने से जातक
विदेश में निवास करता है।