Tuesday 16 April 2019

Moon in the fifth house | कुंडली के पांचवें घर में चन्द्रमा

Posted by Dr.Nishant Pareek






If there is a moon in the fifth house of the horoscope, then what is its usual function ? Look out

 यदि कुंडली के पांचवें  घर में चन्द्रमा हो तो उसका सामान्य रूप से क्या फल मिलता है। देखिये 


 Auspicious Results :

 One will be fortunate. One will perform good deeds. One will be prone to anxiety. One will acquire a lot of wealth and luxuries. One will easily attain land. One will acquire clothes and jewels. One will earn money through business, by giving money on interest and in many other ways. One will gain money, clothes and land from the state. One will have all types of wealth, comfort and happiness. One may profit through four legged animals and earn a lot through milk giving animals and the business of milk. One may be a state minister or a high official. One will be successful at assessing others. One may be successful at politics. One will be victorious and will be counted among the respectable people of society. One will be lively, well behaved and forgiving. One may be cowardly. One will be talented and skilled. One will be cautious and pious in action. One will be simple natured. One will be a great scholar. One will be enlightened and studious. One will be polite. One may have conquered one’s senses, will be truthful, happy, accumulative and cultured. One will be learned and saintly.

                            One will have a son and some children. One may have many daughters. One will have excellent children who will bring bliss. One will have good friends. One will have many daughters and one son. One’s spouse and children will be very dear to one. If the Moon is in a rashi signifying child birth then there are many children. One’s spouse be attractive, will possess ornaments, spread happiness and will be devoted and sincere to one. One’s spouse will occasionally become very angry or pretend to be angry and have a mark in between the chest. The planetary positions are in the spouse’s favorable position and this will be beneficial and fortunate. One may have two spouses. One’s spouse will fulfil all the wishes by worshipping Goddess Durga, who grants boons very quickly. During one’s birth, one’s mother will suffer a lot of pain. 
                            The above fortunate interpretations will be experienced because of some special planetary positions.      Speculation and gambling are profitable.      One will be happy.      Children are fortunate.      The first-born will be a son, followed by a daughter and then a son in this order.      For children, the horoscopes of both husband and spouse should be looked into. One horoscope is usually insufficient for making this prediciton.      Incomplete education is signified.
 

शुभ फल : जातक का भाग्य अच्छा होता है। शुभ कर्म करनेवाला होता है। जातक का स्वभाव चिन्ता करनेवाला होता है। जातक को कई प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते है। भूमि का सुख सहज रूप में मिलता है। भूमिलाभ भी होता है। रत्नों का लाभ होता है। वस्त्रों से युक्त होता है। व्यापार से, व्याज पर रुपया उधार देने से, तथा कई एक अन्य प्रकारों से द्रव्यलाभ होता है। राजकुल से भूमि, उत्तम वस्त्र, और धन का लाभ होता है। धन का सुख और नाना विध सुख प्राप्त होता है। वैभव और आनन्द से युक्त होता है। चौपाए जानवारों दूध देनेवाले गाय-भैंस आदि से लाभ होता है। गाय-भैंस आदि दूध देनेवाले पशुओं की समृद्धि से, दूध के व्यापार से भारी लाभ होता है। जातक राजमन्त्री होता है (ऊँचे सरकारी पद पर होता है।) पूर्ण बलवान् होकर चन्द्रमा पंचमभाव में हो तो मनुष्य सुखी होता है। किसी दूसरे का निग्रह करने में समर्थ होता है। राजनैतिक कामों में अच्छी सफलता मिलती है। विजयी बनाता है, समाज में सम्मानित जनों में गणना होती है। चंचल, सदाचारी, एवं क्षमाशील होता है। जातक डरपोक होता है। अनेक प्रकार की कला और गुणों से सुयक्त करता है।सब कामों में सावधान रहनेवाला और शुभ आचरण वाला होता है। वुद्धि निर्मल होती है। विद्या हृदयग्राहिणी होती है। अर्थात् यह उत्तम विद्वान् होता है। तेजस्वी, मेधावी होता है। विनम्र स्वभाव वाला होता है। जितेन्द्रिय, सत्यवक्ता, प्रसन्न रहनेवाला, संग्रह करनेवाला, तथा सुशील होता है। ज्ञानवान् राजयोगी होता है। पुत्र-सन्ततियुक्त, सन्तानों में पुत्रियां अधिक होती हैं। निश्चय ही उत्तम सन्तान का सुख प्राप्त होता है। सन्तान उत्तमकोटि की होती है। जातक के सुशील मित्र होते हैं। जातक को कन्याएं होती हैं, एक पुत्र भी होता है। स्त्री और बच्चे बहुत प्यारे होते हैं। चन्द्र प्रसवराशि में हो तो काफी संतति होती है। बलवान् हो तो सन्तान भाग्यशाली होती है। अलंकारों से युक्त स्त्री का सुख होता है। स्त्री पतिवशवर्तिनी और पतिपरायण होती है। इसकी स्त्री रूप-लावण्यवती होती है। कभी-कभी यह कु्रद्धा भी हो जाती है अर्थात् मानलीला में कोप करने का नाटक करती है। इसके दोनों स्तनों के मध्य में चिन्ह होता है। पंचम स्थान स्त्री स्थान का लाभ स्थान है। इस लिए यहाँ चन्द्र हो तो स्त्री से लाभ और भाग्योदय होता है। इसके घर में दो स्त्रियाँ होती हैं, अर्थात् यह दो स्त्रियों का पति होता है। स्त्री देवता-चण्डी-दुर्गा आदि की उपासना करने से मनोवंछित पदार्थो की प्राप्ति होती है। अर्थात् चन्द्रमा स्त्री-ग्रह है। अत: स्त्री जाति के देवता शीघ्र वरदायक हो जाते है। जातक के जन्म देते समय इसकी माता को भारी कष्ट उठाना पड़ता है ।  
             उपर वर्णित शुभफल का अनुभव चन्द्र के पुरुषराशियों में होने पर अधिक होगा। चन्द्र बलवान् हो तो सट्टा और जुआ से बहुत लाभ होता है। वृष, कन्या, मकर राशियों में चन्द्र हो तो कन्याओं का आधिक्य होता है, पुत्र सन्तान देरी से होती है। मिथुन, तुला, कुम्भ राशियों में चन्द्र के होने से पुत्र-सन्तति का होना मुश्किल होता है। प्राय: कन्याएँ होती हैं। पुत्र नहीं होता है। कर्क, वृश्चिक, मीन, मेष, सिंह, धनु राशियों में चन्द्र हो तो पहिले पुत्र, फिर कन्याएँ, तदनन्तर पुन: पुत्र, इस क्रम से सन्तति होती है। जब पंचमभाव से संतति का विचार किया जावे तो पति-पत्नी दोनों की कुंडलियों का विचार एकसाथ करना चाहिए, क्योंकि कई बार केवल पति की कुण्डली से बताया गया फल अनुभव में नहीं आता। मेष, सिंह वा धनु में चन्द्र हो तो शिक्षा अधूरी रह जाती है।


Inauspicious Results : 
                                    There might be daughters only and no sons. One will be ailing, sensuous and will have a frightening face.       The results are inauspicious. One will have a malign mind and will face hardships. This results in failure, disappointments and mental unrest.


अशुभफल :पंचमभाव का चन्द्रमा हो तो कन्याएँ होती है। पुत्र नहीं होते। रोगी, कामुक, भयजनक मुखवाला होता है।       चन्द्र दूषित हो तो अनिष्ट फल देता है। ऐसा व्यक्ति मलिन चित का, और कष्टयुक्त होता है। इसी से असफलता, निराशा और मन की अस्थिरता, ये फल मिलते हैं।
 


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