If there is a moon in the seventh house of the horoscope, then what is its usual function ? Look out
यदि कुंडली के सातवें घर में चन्द्रमा हो तो उसका सामान्य रूप से क्या फल मिलता है। देखिये
Auspicious Results :
One is polite, humble, happy, intelligent and passionate. One is good looking, beautiful, healthy, sympathetic, wealthy and famous. One will be polite and sweet spoken. One’s voice will be somber. One will be a wanderer and will not stick to one place at a time. There is bliss from the spouse who will have a healthy body. One may have strong sexual desires. During the days of Krishna paksha(dark half), sexual desire will increase. One may be skilled at having affairs with the opposite sex residing in the city. One will be under the influence of one’s spouse or other females and will enjoy their company. One may come in contact with a female in the 32nd year. One will benefit monetarily through marriage and inheritance. One may marry between the 24th to 28th year. One will enjoy sweets. One will have a palace like house to live in. One will get profit through business, land or abroad. One may become prosperous through trading material. Partnership in business will yield profits. Planetary positions are beneficial for running a grocery shop, milk booth, chemist shop, trading in spices and cereals, running a hotel, a bakery or being a commission agent or an insurance agent. The person’s spouse will be good looking. One will also be good looking and there will be mutual love. Two spouses may give bliss. There will be a sudden gain of wealth from the wife’s family. The person’s spouse will be impressive and her face will also be impressive. Sea travel, business, speculation and water borne products will bring gain.
शुभ फल :
सप्तमभाव में चन्द्रमा होने से जातक नम्र, विनय से वश में आनेवाला, सुखी, बुद्धिमान और कामुक होता है। सप्तम चन्द्र होने से जातक सुंदर, नीरोग, धनी और यशस्वी होता है। जातक नम्र और मीठीवाणी बोलनेवाला होता है। वाणी गम्भीर होती है। सप्तमभाव में चन्द्रमा होने से जातक दयालु होता है। जातक नीरोग, धनवान, रूपवान, कीर्तिमान, यशस्वी और विख्यात होता है। जातक भ्रमणशील अर्थात् एक स्थान पर स्थिर रहने वाला नहीं होता है। सातवें स्थान का चन्द्रमा स्त्री पक्ष की ओर से पूर्णतया सुख देता है। स्त्री स्वस्थ शरीर वाली होती है। कामेच्छा-स्त्री सहवासेच्छा तीब्र होती है। कृष्णपक्ष के दिनों में स्त्रियों में अधिक प्रेम होता है। जातक नगर में रहने वाली सुन्दरी स्त्रियों के साथ रतिक्रीडा करने में विशेष चतुर होता है। स्त्रियों के या अपनी स्त्री के वश में रहता है। भोग प्राप्त होते हैं। बत्तीसवें वर्ष में स्त्री के साथ युक्त होता है अर्थात् स्त्रीलाभ होता है। विवाह से और वारिस की हैसियत से अच्छा धन लाभ होता है। जातक का विवाह 24 से 28 वें वर्ष में होता है। जातक मीठे-मीठे भोजनों का आनन्द लेता है। जातक के रहने के लिए राजप्रासाद जैसा उत्तम मकान मिलता है। स्थल के व्यापार से, अथवा विदेश में जाकर व्यापार करने से धनलाभ होता है। माल खरीदने और बेचने से समृद्ध होता है। साझीदारी के व्यापार में बहुत लाभ होता है। सप्तम में चन्द्र होने से जातक यदि किराने की दुकान, दूध की दुकान, दवाइयों की दुकान, मसाले और अनाज का व्यापार करे तो लाभ रहेगा। होटल, बेकारी, कमीशन एजेण्टी, इन्श्युरेन्स का काम करे तो भी लाभ होगा। पूर्णबली होकर चन्द्रमा सप्तमभाव में होने से जातक की पत्नी रुचिरा-अर्थात् मनोहारिणी सुन्दरी होती है। जातक स्वयं भी सुन्दर रूपवान् होता है। और परस्पर प्रेम भी होता है। भावेश बलवान् होने से दो स्त्रियों से सुख मिलता है। चन्द्र पूर्णबली होकर सप्तमभाव में होने से अकस्मात् किसी स्त्री-कुल से धनप्राप्ति होती है। मेष, मिथुन वा तुलाराशि होने से जातक की पत्नी प्रभावशाली, इसका मुख भी प्रभावी होता है। चन्द्र पर शुभ ग्रह की दृष्टि होने से, अथवा मित्रगृह मे होने से, स्वगृह में या उच्च का होने से अच्छा लाभ होता है। जलपर्यटन, व्यापार सट्टा, पानी से उत्पन्न होनेवाले पदार्थों से फायदा होता है।
Inauspicious Results :
One will have a weak body, be pitiable and ailing. One may be handicapped and one’s eyes may not be alike. One will be jealous, proud, arrogant, lawless, miserly, extremely passionate and lacking humility. One may be a cheat and may have many enemies. One will have a greedy mentality. One may suffer defeat at the hands of the enemies and may be unhappy, poor and a leper. One will be engrossed in enjoyment of worldly comforts. One’s infatuation for the opposite sex will increase according to the fullness of the Moon. One may have an ailing spouse. One may have illicit relations with the opposite sex and suffer ailments on account of this. One’s romantic feelings will be fluctuating. One may suffer from pain equivalent to death in one’s fifteenth year. One may have to suffer the assault of weapons. The results are inauspicious. One’s spouse might die. One’s spouse will cause pain and suffering to one. One will be infatuated by one’s spouse.
अशुभ फल :
जातक निर्बल शरीर वाला होता है। दीन और रोगी होता है। अंगहीन होता है। नेत्र एक समान नहीं होते, अर्थात् विषमनेत्र होता है। सप्तमभाव में चन्द्रमा होने से जातक ईर्ष्यालु, दांभिक, घमंडी, नीतिहीन, विनयहीन और अति कामी होता है। जातक ठग, कंजूस, बहुत शत्रुओं वाला होता है। लोभी प्रकृति का - चित्त अत्यन्त ललचाने वाला होता है। जातक शत्रुओं से पराजित होता है। वह दु:खी, कोढ़ी और धनहीन होता है। भोगोपभोग में आसक्त रहता है। चन्द्रमा की पूर्णता के अनुसार स्त्रियों के प्रति आसक्ति तीव्र होती है। वह रुग्णस्त्री का पति होता है। परस्त्रीगामी होता है। स्त्री लंपट होता है। स्त्रियों के कारण ग्रन्थि रोग होते हैं। जातक का प्रेम अस्थिर होता है। सप्तम चन्द्र हो तो 15 वें वर्ष मृत्यु के समान कष्ट होता है। शस्त्र आदि के अपघात से पीड़ा होती है। सप्तम भाव का चन्द्रमा हीनबली हो, पापीग्रह के साथ हो, अथवा इस पर पापीग्रह की दृष्टि हो तो अशुभ फल मिलते हैं। चन्द्रमा हीनबली होने से स्त्री की मृत्यु होती है। चन्द्र पर अशुभ ग्रह की दृष्टि होने से स्त्री के सम्बन्ध से कष्ट होते है। चन्द्र पुरुषराशि में हो तो पत्नी में अधिक आसक्ति होती है।