Sunday, 21 October 2018

stri ke ang is tarah ke ho to bnate hai use pati ki pyari /स्त्री के ये विशेष अंग इस तरह के हो तो बनाते है उसे पति की प्यारी और सौभाग्यशाली

Posted by Dr.Nishant Pareek

Stri ke ang is tarah ke ho to bnate hai use pati ki pyari 


स्त्री के ये विशेष अंग इस तरह के हो तो बनाते है उसे पति की प्यारी और सौभाग्यशाली




स्त्री के शरीर के अंग ही उसके सौभाग्य या दुर्भाग्य के पहले सूचक होते है। उसके अंगों को देखकर ही उसके भविष्य में मिलने वाले सुख या दुःख का अनुमान लगाया जा सकता है। स्त्री उन अंगों को सुन्दर व सुडौल बनाकर अपने भविष्य को सुखद और प्रेम से परिपूर्ण बना सकती है।












                                      सुलक्षणा स्त्री - 
                      सुलक्षणाः सुचरिता अपि मंदायुषम पतिम। 
                      दीर्घायुषम प्रकुर्वन्ति प्रमदाश्च मुदास्पदम। 

अर्थात - सुन्दर लक्षणों वाली स्त्री अपने अल्पायु पति को भी दीर्घायु और सुखी बना देती है। जिनकी पुरुषों की किस्मत ख़राब हो और उनका विवाह किसी सुन्दर अंगों और सुलक्षणा स्त्री से हो जाये तो उसका भाग्य बदल जाता है। और किस्मत खुल जाती है। 
मस्से या तिल -
  •   यदि स्त्री के गाल , होठ ,हाथ , कान ,या गला ,के भाग में मस्सा हो तो वह स्त्री हमेशा सुखी रहती है।
  •   जिस स्त्री के पीछे नितम्ब की जगह या बाएं हाथ में चिकना और बड़े आकार का तिल हो तो उसका पति अनेक पुत्रों वाली और योग्य पति का सुख भोगती है। 
  •   जिस स्त्री के ललाट पर त्रिशूल का चिन्ह हो तो वह अनेक स्त्रियों का प्रतिनिधत्व करती है। उसका जीवन हमेशा धन धान्य से परिपूर्ण होता है।
  • जिस स्त्री के कान के ऊपरी भाग में तिल होता है तो उसी स्त्री के पेट के बाएं भाग पर भी तिल अवश्य होता है। ऐसी स्त्री की पहली संतान कन्या होती है। 
  • जिस स्त्री के हाथ , कान , कपाल , या कंठ के बायीं और मस्सा या तिल हो तो उसके पहली संतान पुत्र होता है। 
  • जिस स्त्री के टखनों पर मस्सा या तिल हो , वह हमेशा गरीबी में ही रहती है। उसे हमेशा पैसे की कमी रहती है।

  • जिस स्त्री के नाभि के नीचे तिल या मस्सा हो तो शुभ होता है। 
  • जिस स्त्री के नाक के आगे वाले भाग पर लाल मस्से का निशान हो तो वह स्त्री बहुत प्रभावशाली और पैसे वाली होती है। 
  • अगर नाक पर लाल की बजाय काला निशान हो तो वह अपने पति के लिए बहुत अशुभ होती है। वह विधवा होकर व्यभिचार करती है। 
  • जिस स्त्री की गुदा के दायी तरफ तिल हो ,वह रानी की तरह जीवन बिताती है। और बहुत सुन्दर पुत्र की मां होती है। 
  • भौहों के बीच या ललाट पर मस्से का चिन्ह हो तो बहुत शुभ होता है। 
  • बाये गाल पर लाल मस्सा का चिन्ह हमेशा स्वादिष्ट भोजन करवाता है। 
  • जिस स्त्री के ह्रदय पर तिल हो , वह बहुत सौभाग्यशाली होती है। 
  • जिस स्त्री के दाहिने स्तन पर लाल तिल हो ,वह पहले चार कन्याएं और बाद में तीन पुत्र पैदा करती है। जिसके बाएं स्तन पर लाल तिल हो ,वह एक पुत्र पैदा करने के बाद पति से हीन अर्थात विधवा हो जाती है। 

        पुरूषों के लिये क्यों जरूरी है वाजीकरण, जानिए क्लिक करके।



मुद्रा चिन्ह-
  •  जिसके करतल पर में एक मुद्रा हो , वह राजरानी होती है। जिसके करतल में दस मुद्रा हो उसके पास अतुल सम्पदा होती है। जिसका करतल मुद्रा रहित हो , वह अभागी और दुखी होती है।
     
         रोम और भंवरी - 
  • जिस स्त्री के ह्रदय , नाभि , हाथ , कान , पीठ के दायीं तरफ और वस्ति में रोम दायीं तरफ घूमे हुए हो तो बहुत शुभ होता है। और बायीं तरफ घूमे हुए हो तो अशुभ होता है। 
  • कमर और गोप्य स्थान पर रोम हो तो शुभ नहीं होता है। इसी तरह कंठ ,ललाट , माँग , या मस्तक के बीच वाले भाग में रोम आवर्त हो तो अशुभ होता है.
  • पेट पर रोम के घुमाव हो तो वह स्त्री विधवा , पीठ के मध्य भाग में हो तो स्त्री व्यभिचारिणी होती है। 
  • जिस स्त्री की योनि के भाग या नीचे के भाग में रोम या रेखाओं का छकड़े जैसा चिन्ह हो तो वह बहुत सम्मान और सुख प्राप्त करती है। 
  • जिस स्त्री की गुदा का आवर्त ,गुदा को भेदकर उदर पर्यन्त आकर कमर तक आ गया हो तो वह स्त्री अपने पति और संतान के लिए अशुभ होती है। 
  • जिस स्त्री   की कमर में आवर्त रेखा हो ,वह व्यभचारिणी होती है। जिसकी नाभि में आवर्त रेखा हो वह पतिव्रता होती है। जिसकी पीठ में आवर्त रेखा हो वह पति का विनाश करती है या वेश्या बन जाती है। जिसके हाथ में रोम दक्षिणावर्त हो वह धर्म पर चलने वाली होती है। यदि हाथों में रोम वामवर्त हो तो वह स्त्री अशुभ होती है। 

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         केश -
  • यदि स्त्री के बाल कोमल , काले ,पतले , और लम्बे  हो तो शुभ होते है। यदि पीले, कठोर रूखे , बिखरे या छोटे बाल हो तो अशुभ होते है। इसके आलावा गौर वर्ण वाली स्त्री के पिंगल और श्याम वर्ण की स्त्री के काले केश हो तो भी शुभ होता है।


मस्तक -
  • जिस स्त्री का मस्तक गज मस्तक के समान ऊंचा ,गोल ,हो वह सुख भोगने वाली तथा जिसका मस्तक विशाल लम्बा या टेड़ा हो ,वह दुःख भोगने वाली होती है। 

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ललाट-

  • जिस स्त्री के ललाट पर नसें न दिखती हो , बाल न हो , अर्धचन्द्राकार के समान , लम्बाई में तीन अंगुल हो, तो हमेशा पति और  पुत्र का सुख भोगने वाली होती है। ललाट पर स्वस्तिक चिन्ह स्पष्ट हो तो वह रानी होती है। अधिक लम्बा , रोम युक्त और अधिक ऊँचा ललाट हो तो वह स्त्री दुःख भोगने वाली होती है। 




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कान  -
  • जिस स्त्री के कान लम्बे , गोलाई के साथ घूमे हुए , हो तो संतान और सुख देते है।  छोटे ,अधिक नसों वाले , टेढ़े , और अधिक पतले कान दुर्भाग्य के सूचक होते है। 
  भौहें -
  •  यदि स्त्री की भौहें गोल ,धनुष के समान आकार वाली , काली , टेढ़ी , आपस में मिली न हो , कोमल रोम से युक्त , हो तो वह सुख भोगने वाली होती है।


  • यदि बिखरे रोम हो , चौड़ी , विकर्ण , सीधी या मिली हुई तथा बड़े बड़े रोमों वाली पीली भौहें अशुभ होती है। 
  • जिसकी भौहें मिली हुई हो वह चित्रकला और गणित में रूचि रखती है।   
 पलकें -
  • स्त्री की पलकें कोमल , काले , घने और सूक्ष्म हो तो वह सौभाग्यवती होती है। और विरले , कपीश वर्ण , मोटे ,हो तो दुःख भोगने वाली होती है।   


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तालु- 

  • स्त्री का तालु चिकना, कमल पुष्प के समान और कोमल हो तो बहुत शुभ माना जाता है। 
  • सफेद तालु वाली स्त्री विधवा होती है।
  • पीले तालु वाली स्त्री घर एवं समाज को छोड़कर वैराग्य धारण करती हैं। 
  • काले तालु वाली स्त्री सन्तान हीन होती है। रूखे तालु वाली स्त्री बड़े परिवार वाली होती है। 
 जिव्हा- 
  •  जिस स्त्री की जीभ लाल वस्त्र कोमल हो तो वह संसार के सभी सुख सुविधा भोगती है। 
  • यदि जीभ बीच में सिकुड़ी हुई और आगे से फैली हुई हो तो दुःख भोगने पड़ते हैं। 
  • यदि लड़की की जीभ पूरी सफेद हो तो उसकी मृत्यु पानी में, काले वर्ण की जीभ हो तो झगड़ा करने वाली , मोटी जीभ हो तो निर्धन, लम्बी जीभ वाली न खाने वाली वस्तु खाने वाली, बड़ी और चौड़ी जीभ वाली स्त्री आलसी और लापरवाह होती है।  

मर्दाना ताकत देते है ये आयुर्वेदिक तत्व

दांत- 
  • सौभाग्यशाली लड़की के दांत चिकने, दूध जैसे सफेद, पूरे ३२ की संख्या में, नीचे और ऊपर के समान आकार के हो, थोड़े ऊंचे होते हैं। 
  • इसके विपरित यदि नीचे के दांत अधिक हो, काले पीले रंग के हो, असमान आकार के हो, तो वह अशुभ फल भोगती है 
  • ऊपर का होंठ (उत्तरोष्ठ)- 
  • लड़की के ऊपर का होंठ चिकना, बीच में से कुछ उठा हुआ, बालों से रहित हो तो वह लड़की संसार के सभी सुख सुविधा भोगती है। और अपने पति का भरपूर प्यार पाती है। 
  • यदि होंठ रूखा सूखा हो, असमान आकार का हो, उसके ऊपर बाल हो तो वह बहुत परेशान रहती है। 



धातु पुष्ट करते है ये घरेलू आयुर्वेदिक मिश्रण।

नीचे का होंठ (अधरोष्ठ)
  •  यदि लड़की का नीचे का होंठ कमल के फूल की पत्तियों की तरह लाल, बीच में से एक रेखा से विभाजित, और मनोहर वह आकर्षक हो तो वह रानी के समान जीवन व्यतीत करती है।
 यदि होंठ मांसहीन , फटा हुआ, लम्बा, रूखा, काले रंग का, हो तो वह झगड़ालू और विधवा होती है।

मुख -  
  • लड़की का मुख समान आकार का होना चाहिए। न तो छोटा और न बड़ा होना चाहिए।
    •  पुष्ट,गोल,खुशबु युक्त,चिकना, और आकर्षक हो तो वह बहुत सुख भोगती है।
    •  यदि टेड़ा मेढा और बेडोल हो तो अशुभ होता है।
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        स्त्री व पुरूष दोनों के लिये एक ही शक्तिदायक उपाय। जो जगाये दोनों में उत्तेजना और जोश।

        कपोल - 
        • स्त्री के गाल उठे हुए , पुष्ट , गोल, चमकीले और नरम , हो तो शुभ होते है। 
        • यदि इसके विपरीत रोम से भरे हुए , कठोर , मांसहीन हो तो अशुभ होते है। 



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        चिबुक - 
        • यदि स्त्री की ठोड़ी लाल वर्ण की हो , कोमल हो , पुष्ट हो ,तो शुभ होती है।
        •  यदि चौड़ी ,रोम युक्त , मोटी ,और दो भाग वाली हो तो अशुभ होता है। 
        गर्दन -  
        • जिस स्त्री की गर्दन मोटी होती है , वह विधवा का दुःख झेलती है। 
        • यदि गर्दन टेडी हो तो वह दूसरे घर में नौकरानी या दासी बनके काम करती है। 
        • यदि गर्दन चपटी हो या छोटी हो तो स्त्री संतान हीन होती है।
        • यदि गर्दन में तीन रेखा हो और हड्डियां दिखाई न देती हो पुष्ट हो तो वह शुभ होती है। 
        • यदि हद से ज्यादा मांसल हो , चपटी हो , लम्बी या गहरी हो तो यह अशुभता का सूचक है। 

        • कंठ - 
        • यदि लड़की का कंठ अर्थात गला तीन रेखा से युक्त हो, हड्डी न दिखती हो, गोल और पुष्ट हो, कोमल हो, तो वह लड़की शुभ होती है। 
        • इसके विपरीत यदि लड़की का गला मोटा हो तो उसे पति का सुख कम मिलता है। टेड़ा हो तो वह दासी होती है। चपटा गला हो तो बाँझ होती है। और छोटा गला हो तो संतान हीन होती है। 

        कामशक्तिवर्द्धक स्वादिष्ट व्यंजन, जो देते है भरपूर मर्दाना ताकत और जोश।


        पीठ - 
          • यदि लड़की की पीठ में हड्डियां न दिखती हो, मांस से भरी हो, बालों से रहित हो तो वह पति का भरपूर प्रेम प्राप्त करती है। 
          • यदि हड्डियां दिखती हो, उनके बाल हो, टेडी हो तो अशुभ होता है। यह दुर्भाग्य का सूचक है। 



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          नाख़ून - 
          • यदि स्त्री के नाख़ून लाल वर्ण वाले, ऊँचे, शिखा युक्त, चिकने और नरम हो तो शुभ होता है। 
          • यदि नाख़ून टूटे हुए, मलिन, पीले, या सफेद बिंदुओं वाले, हो तो अशुभ होता है।
           
          अंगुली - 
          • यदि लड़की की अंगुलियां कोमल, सुंदर, मांसल, समान पर्व वाली, लम्बी, क्रम से पतली, रोम रहित, आपस में मिली हुई हो तो शुभ होता है। 
          • यदि इसके विपरीत अंगुली बहुत छोटी , मांसहीन , सूखी ,टेढ़ी , छिद्र वाली, रोम युक्त , अधिक और आसमान पर्व वाली , या बिना पर्व वाली , हो तो यह अशुभ लक्षण है। 

        आयुर्वेद का सामान्य परिचय जानिए, एक क्लिक में।

        • हाथ की रेखाएं - 
          • यदि लड़की की हथेली में साफ , लाल , गोल , चिकनी , पूर्ण , और गहरी सुंदर रेखाएं हो तो वह लड़की सभी सुख भोगती है। 
          • यदि हथेली में मछली का चिन्ह हो तो वह लड़की बहुत सौभाग्यशाली होती है। 
          • स्वस्तिक हो तो धनवती , कमल का चिन्ह होतो रानी या राजमाता , होती है। 
          • यदि शंख ,चक्र ,छत्र ,या कछुआ का चिन्ह हो तो वह भी राजमाता होती है।  
          • यदि बाएं हाथ में तराजू जैसा चिन्ह हो या हाथी घोडा या बैल जैसा चिन्ह हो तो उसका पति अच्छा व्यवसायी होती है। 
          • वह खुद भी अच्छी व्यापारी होती है। 
          • यदि हाथ में मकान या वज्र जैसा चिन्ह हो तो उसका पुत्र भाग्यशाली और शास्त्रों का ज्ञाता होता है। 
          • जिसके हाथ में गाड़ी ,हल ,जुआ ,जैसी रेखा हो वह खेती करने वाले आदमी की पत्नी होती है। 
          • चामर ,अंकुश ,धनुष , त्रिशूल ,तलवार ,गदा , शक्ति और दुंदुभि जैसा चिन्ह हो तो वह रानी के समान जीवन जीती है।  
          • यदि अंगूठे के जड़ से कनिष्ठिका अंगुली तक रेखा हो तो उस लड़की को पति का सुख नहीं मिलता। ऐसी लड़की से शादी करना , मतलब खुद की मौत को बुलावा देना होता है। 
          • जिस लड़की के हाथ में कौआ ,मेंढक , गीदड़ ,भेड़िया ,बिच्छू ,सांप ,गधा ,ऊंट ,या बिल्ली जैसी आकृति वाला चिन्ह हो वह दुःख भगने के लिए ही पैदा होती है। 
          • अंगूठे के जड़ में रेखा यदि काली और आगे पतली होती जा रही हो तो वह लड़की पानी बहन का नाश करती है। 
          • जिसके हथेली में अंगूठे के मूल से मध्य भाग तक चक्राकार मोटी रेखा हो ,तो वह लड़की कुलटा , दूसरे पुरुषो में रूचि रखने वाली ,और आजाद घूमने वाली होती है। 
          • यदि करतल में अनामिका में स्थित रेखा टूटी फूटी हो तो वह लड़की झगड़ालू होती है। उसे झगड़ा करने में मजा आता है। 
          • जिस लड़की मध्यमा स्थित रेखा कटी हुई हो तो वह व्याभिचार करती है। अनेक पुरुषों से संबंध बनाती है। 
          • यदि तर्जनी की रेखा टूटी हो तो वह विधवा होती है। 
           
          कर पृष्ठ -
          • जिस लड़की के हाथ के पीछे  वाला भाग अर्थात कर पृष्ट का भाग पुष्ट, कोमल और रोम हीन ,और मांसल हो तो वह बहुत सुख भोगती है। 
          • यदि करपृष्ठ पर नसें दिखती हो , पतला ,सूखा ,रुखा ,रोम युक्त हो ,गहरा हो तो वह अशुभ होता है। उसके जीवन में बहुत परिश्रम होता है। चाहे उसके पास पैसे कितने ही अधिक हो। 

        • हथेली - 
                 मृदुलं चाल्प रेखाढयं ज्ञेयं सर्वसुखप्रदम। 
                 विधवा बहुरेखेण रेखाहीनेन निर्धना। 
                 भिक्षुका च शिराढयेन नारी करतलेन हि।
           
          • यदि स्त्री या लड़की की हथेली लाल , बीच में से ऊँची , उँगलियाँ छिद्र रहित ,कोमल, मांसल ,कम रेखा वाली , चिकनी ,हो तो वह सौभाग्यवती होती है। 
          • यदि उसकी हथेली में बहुत सी टूटी हुई रेखा हो ,तो उसे पति का सुख कम मिलता है। बिलकुल भी रेखा न हो तो धनहीन , होती है।
           
          हाथ का अंगूठा - 
          • यदि लड़की के हाथ का अंगूठा कमल की कली के समान कोमल ,लाल और सुंदर हो सीधा और चमकीला हो तो शुभ होता है। 
          • यदि इसके विपरीत अंगूठा टेढ़ा , रूखा सूखा हो तो अशुभ होता है।

        • भुजाएं -
          •  यदि लड़की या स्त्री की भुजाओं की हड्डियां न दिखती हो, गांठे न दिखती हो, कोमल हो, नस और बाल न दीखते हो, सीधी, मांसल और सुंदर हो तो वह बहुत सुख भोगती है। 
          • जिनकी भुजाएं मोटे रोमों वाली ,होती है ,उसे पति का सुख नहीं मिलता। परिवार में झगड़ा रहता है। चरित्र दूषित होने की सम्भावना रहती है। 
          • जिनकी भुजा छोटी होती है। वे दुर्भाग्य भोगती है। उनको धन का सुख नहीं मिलता है।
          • जिनकी भुजाएं नसों से व्याप्त हो वह बहुत परिश्रम करती है। दुःखी रहती है। 
           
          काँख - 
          • जिस लड़की की कांख में पतले रोयें हो ,ऊंची हो, चिकनी, मांसल, और सुगंधित हो तो वह शुभ होती है। 
          • इसके विपरीत गहरी नसों वाली, अधिक पसीने वाली, चिकनी कांख वाली अशुभ होती है। 
          कंधे - 
          • जिस स्त्री के कंधे समान, पुष्ट, कंधे के जोड़ छुपे हुए हो, हड्डियां न दिखती हो, मांसल हो तो वह शुभ होता है। 

          • हँसुली - 
          • जिस स्त्री की हँसुली मोटी हो ,वह धन धान्य से परी पूर्ण होती है। अपने पति के शुभ होती है। 
          • जिसकी हँसुलियाँ ढीली हड्डियों वाली, गहरी , और विषम हो तो वह निर्धन होती है

          • स्तन - 
        • स्त्रीणां करतलं रक्तं मध्योन्नतमरन्ध्रकम। 
        • जिस लड़की या स्त्री स्तन बराबर , दोनों समान आकार के , बाल रहित हो, पुष्ट , गोल , घने , और दृढ अर्थात कठोर हो तो वह लड़की अपने पति का भरपूर प्यार प्राप्त करती है। उसका पति उसे दिन रात प्यार करता है। सदा उसके प्यार में पागल रहता है। 
        • उसके विपरीत यदि लड़की के स्तन के आगे का भाग मोटा हो , आगे से स्तन फैले हुए हो , सूखे और मांसहीन हो , तो ऐसी लड़की को उसका पति सुख नहीं मिलता।
        • जिस स्त्री का दांया स्तन ऊँचा हो , वह पुत्र संतान पाती है। 
        • यदि बांया स्तन ऊँचा हो तो कन्या संतान होती है। 
        • जिस स्त्री के स्तन रहट के समान हो ,वह बुरे स्वभाव की होती है। उसका चरित्र भी ख़राब होता है।

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        • जिन स्त्रियों के स्तनों का मुख मोटा हो , बहुत अंतर में हो , और किनारों पर हो तो सुख उनसे दूर रहता है। 
        • जिन स्त्रियों के स्तन पीछे से मोटे और आगे आते आते पतले हो जाये और आगे का भाग नुकीला हो तो वह स्त्री पहले बहुत सुख भोगने के बाद दुःख भोगती है। 
        • जिन स्त्रियों के स्तन का अग्र भाग (चूचक) मजबूत, काले, और गोल हो तो शुभ होते है। और अंदर छिपे, दीर्घ, आगे से पतले स्तन वाली स्त्री दुःख की भागी होती है।
         ह्रदय - 
        • यदि स्त्री का ह्रदय रोम रहित हो , समान हो ,तो शुभ होता है। और यदि विस्तृत ,और रोम युक्त ह्रदय अशुभ होता है। 
        पसली -
        • स्त्री की पसली अर्थात बगल समान आकार वाला, पुष्ट, कोमल हो तो शुभ होता है। और ऊँची उठी हुई, रोम युक्त, नसों से भरी बगल अशुभ होती है।
          कुक्षि (कोख -पेट) - 
          •  जिसकी कुक्षि (कोख - पेट) विस्तृत हो, वह भाग्यशाली और अनेक पुत्रों की माँ होती है। 
          • जिसका पेट मेंढ़क के समान हो, उसका पुत्र राजा होता है। 
           
          नाभि- 
          • जिस स्त्री की नाभि गहरी, दाहिनी ओर घूमी हुई हो तो सभी सुख देने वाली और सभी सुख प्रदान करती है। उसका पति उसे बहुत प्यार करता है। 
          • इसके विपरीत यदि नाभि ऊपर की और उठी हुई हो, गांठ वाली हो, तथा बायीं तरफ घूमी हुई हो तो वह अशुभ फल देती है। 
           

        • वस्ति (नाभि के नीचे का भाग)- 
          • यदि स्त्री की वस्ति कोमल ,विस्तृत, थोड़ी ऊँची,हो तो शुभ होती है। 
          • यदि रोम युक्त ,नसों वाली, रेखा युक्त वस्ति हो तो अशुभ होता है। 
           
          योनि - 
          • यदि लड़की की योनि में मणि छुपा हुआ हो, लाल रंग या गुलाबी रंग की योनि हो, कोमल और मुलायम बालों से युक्त हो, कछुए की पीठ की तरह ऊँची हो, पीपल के पत्ते के समान आकार की हो, और चिकनी हो तो शुभ होती है। ऐसी योनि वाली स्त्री को उसका पति दिन रात प्यार करता है। और उसका गुलाम बनकर रहता है। 
          • जिस स्त्री की योनि हिरण के खुर के समान या चूहे के उदर जैसी कठोर और खुरदरी और कड़क बालों वाली हो, और फैली हुई मुख वाली हो, जिसकी मणि बाहर से ही दिखती हो,वह स्त्री सदा दुःख भोगती है। उसे उसके पति का प्यार नहीं मिलता।  
          • जिसकी योनि पर तीन रेखाएं हो वह संतान उत्पन्न नहीं कर पाती। 
          • जिसकी योनि खपरैल के आकार वाली हो, वह दूसरों के यहाँ नौकरी करती है। 
          • जिसकी योनि बायीं और से ऊंची हो ,वह लड़की संतान उत्पन्न करती है। 
          • जिसकी योनि दायीं तरफ से ऊँची हो वह पुत्र संतान उत्पन्न करती है। 
          • जिसकी योनि बांस के पत्ते के समान हो, और हाथी के बालों जैसे रोमों से युक्त हो, साथ ही जिसकी नाक बड़ी हो टेढ़ी या कुटिल आकृति वाली हो, नीचे  की तरफ झुकी हुई हो, दीर्घ मुख वाली हो, वह निश्चित रूप से दुर्भाग्यशाली स्त्री होती है। 
          • जिसकी योनि शंख के समान आकार वाली हो, वह गर्भ धारण करती है।
           
          नितम्ब - 
          • यदि किसी स्त्री का नितम्ब मंडल ऊँचा, मांसल, और चौड़ा हो तो वह बहुत सम्भोग प्रिय होती है। उसे उसका पति बहुत प्यार करता है। धन की कभी कमी नहीं होती। 
          • यदि किसी स्त्री का नितम्ब इसके विपरीत नीचे दबे हुए, जिनमें हड्डियां निकली हुई हो, सकड़ा हो, फैलाव न हो, ऐसी स्त्री अपने पति के सुख और धन के सुख से वंचित रहती है।  
           




          • यदि किसी स्त्री के कूल्हे बेल के फल के समान गोल, कोमल, मांसल और घने हो तो वह विशेष रूप से रति और सम्भोग सुख देने वाली होती है। उसके जीवन में सुखों का अम्बार लग जाता है। किसी बात की कमी नहीं रहती। उसका पति उसके आगे पीछे घूमता है। उसे दिन रात प्यार करता है।
           
          कटि (कमर)- 
          • यदि स्त्री की कमर की नाप 28 अंगुल हो, और ऊँचे नितम्ब हो, तो वह पति की प्यारी और सभी सुख भोगने वाली होती है। 
          • यदि कमर चपटी, टेढ़ी, लम्बी, मांसरहित, सिकुड़ी हुई, छोटी और रोम वाली हो तो उसके भाग्य में दुःख और विधवा होना होता है।  
          उरु - 
          •  जिन स्त्रियों की जांघ में नसें न दिखती हो, उनका आकार हाथी की सूंड के समान गोल, चिकनी, घनी और निर्लोम हो, वे संसार के सभी सुख प्राप्त करती है। उनके पति उनसे बहुत प्रेम करते है। उनके जीवन में धन की कोई कमी नहीं रहती है। 
          • इसके विपरीत जिनके जांघ बालों से ढकें हुए होते है। वे पति का सुख प्राप्त नहीं करती है। 
          • जिनके उरु चपटे हो, वे अभागी होती है। उनके भाग्य में सुख नहीं होता। 
          • जिनकी जंघा में नसें दिखती हो,वे दुःख प्राप्त करती है। जिसके उरुओं की त्वचा कठोर हो, वे दरिद्रता भोगती है।
           
          जानु (घुटने)- 
          • जिन लड़कियों के दोनों घुटने गोल, और मांसल हो,वे धन का सुख प्राप्त करती है। उसे उसका पति असीम सम्भोग सुख प्रदान करता है। 
          • जिसके घुटने मांस रहित हो वह आजाद घूमना पसंद करती है। उसके अनेक प्रेमी होते है। 
          जंघा - 
          • जिस स्त्री की जांघें रोम रहित, चिकनी, समान आकार वाली, गोल, नस न दिखती हो , और मन को आकर्षित करने वाली हो, तो वह स्त्री जीवन के चरम सुख की प्राप्ति करती है। पूर्ण यौन सुख प्राप्त करती है। वह अपने पति को पूर्ण सम्भोग सुख प्रदान करती है।
          • जिसकी जंघा के रोम कूप में एक ही रोम हो ,वह भाग्यशाली होती है। उसका पति उच्च पद पर होता है। 
          • जिसके रोमकूप में दो -दो रोम हो , वह भी सुख प्राप्त करती है। 
          • परन्तु दो से अधिक रोम हो तो वह अशुभता का सूचक है। उसके विधवा होने की संभावना होती है। 
          टखना - 
          • यदि किसी स्त्री के टखने में नसें न दिखती हो, मांसल हो, हड्डी न दिखती हो, गोल हो, तो वह स्त्री शुभ होती है। ऐसी स्त्री अपने पति के लिए धन धान्य की वृद्धि करती है।
          • यदि पैर के टखने नीचे की तरफ ढीले हो , तो अशुभ होते है।
           
          एड़ियां - 
          • जिस स्त्री के पैर की एड़ियां गुलाबी रंग की, कोमल, नसों से रहित, समान आकार वाली ,फटी हुई न हो, मुलायम ,हो वह स्त्री जीवन के सभी सुख भोगती है। भाग्यशाली होती है। उसका पगफेरा अपने पति के लिए बहुत शुभ होता है। उसके आने के बाद पति दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करता है। धन धान्य की वृद्धि होती है। पति की प्यारी होती है। 
          • इसके विपरीत यदि एड़ियां फटी हुई हो, काली हो, कठोर चमड़ी हो, रूखी सूखी हो, तो वह स्त्री दुर्भाग्यशाली होती है। 
          • यदि एड़ियां चौड़ी ज्यादा या लम्बी ज्यादा हो तो वह अपनों को ही मारने वाली होती है। उसे अपने पति और पुत्रों का सुख नहीं मिलता।
           
          पैर (ऊपर से )- 
          • जिस स्त्री के पैर ऊपर से ऊँचे ,पसीने रहित हो , नसें न दिखती हो ,चिकने हो ,कोमल हो ,मांसल हो वह सम्पूर्ण सुखों का भोग करती है। 
          • जिस स्त्री के पैर में बहुत नसें हो ,वह बहुत घूमने वाली और परिश्रम करने वाली होती है। 
          • जिस स्त्री के पैर पर बाल हो , वह दासी या नौकरानी होती है। 
          • जिसके पैर में मांस नहीं हो , वह भाग्य हीन होती है।
           
          पैर के नाख़ून - 
          • जिस स्त्री के पैर के नाख़ून लाल या गुलाबी , चिकने ,गोल कोमल और चमकीले हो वह शुभ लक्षण से युक्त और भाग्यशाली होती है।
          •  इसके विपरीत यदि नाख़ून काले और फटे हुए हो तो दुःख भोगने वाली होती है।
           
          पैर की अंगुलियां -
          •  जिस स्त्री के पैर की अंगुलियां कोमल ,घनी , गोल ,बड़ी और ऊँची हो वह स्त्री शुभ लक्षणों से युक्त होती है। भाग्यशाली होती है। 
          • परन्तु अंगुलियां यदि सामान्य से अधिक लम्बी हो तो वह स्त्री कुलटा होती है। 
          • यदि अंगुलियां पतली हो तो वह स्त्री निर्धन होती है। 
          • यदि अंगुलियां छोटी ज्यादा हो तो उसकी आयु कम होती है। 
          • टेढ़ी अंगुलियां हो तो उसका व्यवहार कुटिल होता है। वह हमेशा अपने पति को धोखे में रखती है। 
           
          • चपटी अंगुली वाली दासी होती है। वह सदा घूमती रहती है। 
          • जिस स्त्री के पैर की अंगुलियां फैली हुई हो वह दरिद्र होती है। धन का हमेशा उसके पास आभाव रहता है। 
          • अधिक पास में अंगुलियां हो तो भी अशुभ होता है। उससे संबंध बनाने वाला पुरुष अल्पायु होता है। वह खुद भी अपने पति या प्रेमी की हत्या कर सकती है। 
          • जो स्त्री रास्ते में चलने पर धूल उड़ाती हो वह व्यभिचारिणी होकर अपने परिवार को नष्ट करती है। 
          •  जिस स्त्री के चलते समय उसके पैर की कनिष्ठिका अंगुली जमीन पर नहीं अड़ती हो ,वह अपने पति के लिए अशुभ और अल्पायु करती है। उसकी दो शादी होती है। 
          • जिस स्त्री की अनामिका अंगुली जमीन पर नहीं अड़े , वह दो पतियों की हानि करती है।  
          • जिसकी मध्यमा अंगुली भूमि को नहीं छूती है ,वह तीन पतियों की हन्ता होती है। 
          • यदि मध्यमा और अनामिका दोनों ही भूमि को स्पर्श नहीं करे तो वह भी अपने पति के लिए अशुभ होती है। 
          • जिसके पैर की तर्जनी अंगुली अंगूठे से बड़ी हो , वह कम आयु में ही सम्भोग सुख का आनंद लेती है। 
          • यदि सबसे छोटी अंगुली आगे से गोल और मोटी हो तो उसे अपने माता पिता का सुख कम मिलता है। 
          पैर का अंगूठा - 
          • यदि स्त्री के पैर का अंगूठा ऊँचा , मांसल और गोल हो तो वह शुभता का लक्षण है। उसे अपने पति और बच्चों का पूरा सुख मिलता है। धन की कमी नहीं रहती। सम्भोग का चरम सुख प्राप्त करती है। 
          • यदि अंगूठा टेढ़ा , छोटा ,या चपटा हो तो वह अशुभता का लक्षण है। 
          • यदि अंगूठा विशेष चौड़ा या फैला हुआ हो तो उसके विधवा होने की पूरी संभावना होती है। 
          • यदि अंगूठा ज्यादा लम्बा हो तो वह भाग्यहीन होती है। उसे न तो पीहर  का सुख मिलता है न ही ससुराल का सुख मिलता है।
           
          पैर की रेखा - 
          • जिसके पैर  तलवे में शंख , स्वस्तिक , चक्र , कमल ,ध्वज , मत्स्य , छाता आदि के चिन्ह हो या उर्ध्व लम्बी रेखा हो , तो वह स्त्री किसी प्रसिद्द मंत्री , नेता , अफसर आदि की पत्नी होती है। वह खुद प्रभावशाली होती है। उसे पति का पूर्ण सुख मिलता है। 
          • इसके विपरीत जिसके पैर में सांप , चूहा। कौआ आदि का चिन्ह हो , वह दुःख भोगने वाली होती है। 
          • जिसके पैर में ध्वज का चिन्ह हो वह महान पुरुष की पत्नी होती है। 
          • जिसके त्रिशूल का चिन्ह हो वह पीएम या सीएम की पत्नी होती है।  
          • जिसके शंख का चिन्ह हो, वह योग में पारंगत होती है।  
          • जिसके पैर में अनामिका के नीचे स्वस्तिक का चिन्ह हो ,वह कुशल व्यापारी होती है।
          • जिसकी एड़ी में अर्धचन्द्राकार रेखा हो, वह कुल को कलंकित करती है। 
          • यदि एड़ी में त्रिकोण हो तो वह चतुर और गुणों से युक्त होती है। 
          • जिसकी एड़ी में सर्पाकार रेखा हो, उसे  समय समय पर भगवान से सहायता मिलती रहती है। 
          पादतल - 
          • जिस स्त्री के पैर के तलवे चिकने , मुलायम , पुष्ट , समान आकार वाले , लाल , पसीने से रहित , गर्म ,हो वह सदा सुख भोगती है। उसे अपने पति से शारीरिक ,मानसिक और आर्थिक सुख भरपूर मिलता है। 

          विशेष - यह सभी अंग लक्षण एक प्रकार की संभावना व्यक्त करते है। मात्र इन्ही से किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। यह किसी विवाद का कारण नहीं बनते है। मात्र संकेत व्यक्त करते है। इन्हें अपनी बुद्धि और विवेक से प्रयोग करना चाहिए। 



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