कालसर्प दोष शांति के उपाय:-
इस दोष की शांति के लिये कुछ
विशेष स्थान है। जिनका विवरण इस प्रकार है-
1 कालहस्ती शिवमंदिर, तिरूपति।
2 त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, नासिक।
3 त्रिवेणी संगम, इलाहाबाद।
4 त्रियुगी नारायण मंदिर, केदारनाथ।
5 त्रिनागेश्वर मंदिर, जिला तंजौर।
6 सिद्धशक्तिपीठ, कालीपीठ, कलकत्ता।
7 भूतेश्वर महादेव मंदिर, नीमतल्लाघाट, कलकत्ता।
8 गरूड गोविंद मंदिर, छटीकारा गांव एवं गरूडेश्वर मंदिर बडोदरा।
9 नागमंदिर, जैतगांव, मथुरा।
10 चामुंडा देवी मंदिर, हिमाचलप्रदेश।
11 मनसादेवी मंदिर, चंडीगढ।
12 नागमंदिर, ग्वारीघाट, जबलपुर।
13 महाकाल मंदिर, उज्जैन।
इसके अलावा कालसर्प दोष की
शांति किसी पवित्रतट, नदीसंगम, नदी किनारे के श्मशान, नदी किनारे शिवमंदिर, अथवा किसी भी
नागमंदिर में की जा सकती है। कभी कभी देखने सुनने में आता है कि अनेक पण्डित जन
यजमान के घर में ही कालसर्प दोष की शांति करवा देते है। ये ठीक नहीं है। इसका बहुत
हानिकारक प्रभाव होता है। रूद्राभिषेक तो घर में करवा सकते है। परंतु कालसर्प दोष
की शांति निवास स्थान में नहीं की जाती है।
राहु पीडा शांति के उपायः-
कालसर्प दोष बनने में सबसे बडा
योगदान राहु का होता है। इसलिये राहु की शांति अवश्य करनी अथवा करवानी चाहिये।
इसके लिये बुधवार या शनिवार को सरसों का तेल, सीसा,
काला तिल, कम्बल, तलवार, स्वर्ण, नीला वस्त्र, सूप,
गोमेद, कालेपुष्प, अभ्रक, तथा दक्षिणा
का दान करना चाहिये। इस वस्तुओं का दान किसी शनि का दान लेने वाले को देना चाहिये।
अथवा किसी शिव मंदिर में बुधवार या शनिवार को रात के समय छोड देना चाहिये।
1 कालसर्प दोष की शांति का सरल
और सर्वमान्य उपाय है रूद्राभिषेक करना। जो कि प्रत्येक श्रावण मास में अवश्य करना
चाहिये।
2 बहते पानी में विधि विधान से
पूजा करके दूध से पूरित करके चांदी के नाग नागिन के जोडे को प्रवाहित करे।
3 तीर्थराज प्रयाग में तर्पण और
श्राद्धकर्म सम्पन्न करे।
4 कालसर्प दोष में राहु का उपाय
रात के समय में किया जाए। राहु के सभी पूजन शिव मंदिर में रात के समय या राहुकाल
में करना चाहिये।
5 राहु के हवन में दूर्वा का
प्रयोग होता है। धूप अगरबती की जगह कपूर और चंदन का इत्र प्रयोग करे।
6 शिवलिंग पर मिश्री और दूध
अर्पित करें। नियमित श्रीशिवतांडव स्तोत्र का पाठ करे।
7 घर के पूजा स्थल में भगवान
श्री कृष्ण की मोरपंख वाली तस्वीर का नियमित पूजन करे।
8 पंचाक्षर मंत्र का नियमित जाप
करे। नियमित मूलीदान एवं बहते जल में कोयला प्रवाहित करे।
9 मसूर की दाल और कुछ पैसे किसी
सफाई कर्मी को प्रातः काल दान करे।
10 प्रतिदिन नवनाग स्तोत्र
का पाठ करे
नवनाग स्तोत्र
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्यनाभं च
कम्बलम्।
शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं
कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च
महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं
प्रातःकाले विशेषतः।।
भावों के अनुसार कालसर्प दोष
निवारण के उपायः-
पहला भाव- गले में चांदी का
चैकोर टुकडा हमेशा धारण करके रखे।
दूसरा भाव- घर के उत्तर पश्चिम
कोण में सफाई करके मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर रखें।
प्रतिदिन पानी को बदले।
बदले हुये पानी को चैराहे में डालें।
तीसरा भावः- अपने जन्मदिन पर
गुड,
गेहूं और तांबें का दान करे।
चैथा भावः- प्रतिदिन बहते पानी
में दूध बहाये।
पांचवां भावः- घर के ईशान कोण
में सफेद हाथी की मूर्ति रखे।
छठा भाव:- प्रत्येक माह की
पंचमी को एक नारियल बहते पानी में बहाये।
सातवां भावः-मिटटी के बर्तन में
दूध भरकर निर्जन स्थान पर रख आये।
आठवां भावः- प्रतिदिन काली गाय
को गुड,
रोटी, काले तिल, तथा उडद खिलाये।
नवां भावः- शिवरात्रि के दिन
अठारह नारियल सूर्योदय से सूर्यास्त तक अठारह मंदिरों में रखे। यदि अठारह मंदिर
पास में न हो तो दुबारा उसी क्रम में मंदिरों में दान कर सकते है।
दसवां भावः- किसी जरूरी कार्य
से बाहर जाते समय काली उडद के दाने सिर पर से सात बार घुमाकर बिखेर दे।
ग्यारहवां भावः- प्रत्येक
बुधवार को घर की सफाई करके कचरा बाहर फेंक दें। उस दिन कोई भी फटा कपडा पहने।
बारहवां भावः- प्रत्येक
अमावस्या को काले कपडे में काला तिल, दूध में भीगे जौ, नारियल, तथा कोयला बांधकर जल में बहाये।
इसके अलावा शिवपंचाक्षर मंत्र
तथा शिवपंचाक्षर स्तोत्र का नियमित जप व पाठ करे। कालसर्प यंत्र के नियमित पूजन, शिवलिंग तथा चित्र पर चंदन का इत्र लगाने से राहु के प्रकोप
से शांति मिलती है। लगातार 45 दिन का
अनुष्ठान करवाने से निश्चित रूप से शांति मिलती है। अनुष्ठान के पूरे समय में अथवा
मंत्र जाप के दौरान केवल इत्र और कपूर का ही प्रयोग करे। अगरबती के धुएं एवं धूप
दीप से नागों को गर्माहट महसूस होती है। जिससे वे क्रोधित होते है।
शिवपंचाक्षर स्तोत्र
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्मांगराय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय।।
मन्दाकिनीसलिलचंदनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय।।
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय
दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकंठाय वृषध्वजाय तस्मै
शिकाराय नमः शिवाय।।
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चंद्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै
वकाराय नमः शिवाय।।
यक्षस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै
यकाराय नमः शिवाय।।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः
पठेच्छिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह
मोदते।।
शिव की कृपा मिल जाये तो कुछ भी
असाध्य नहीं है। माता नर्मदा का नाम जपते हुये शिवलिंग पर जल की धारा निरंतर छोडते
हुये निम्न मंत्र का जाप करने से कालसर्पदोष, पितृदोष, शापित कुंडली के दोषों का
पूर्ण रूप से शमन हो जाता है-
नर्मदायै नमः प्रातर्नर्मदायै
नमो निशि।
नमोस्तु नर्मदे तुभ्यं त्राहि
मां विषसर्पतः।।