Barah bhavo me budh ka shubh ashubh samanya fal or upay
बारह भावों में बुध का शुभ अशुभ सामान्य फल और उपाय।
ज्योतिष शास्त्र में बुध को एक शुभ ग्रह माना जाता है। किसी हानिकर या अशुभकारी ग्रह के संगम से यह हानिकर भी हो सकता है। बुध मिथुन एवं कन्या राशियों का स्वामी है तथा कन्या राशि में उच्च भाव में स्थित रहता है तथा मीन राशि में नीच भाव में रहता है। यह सूर्य और शुक्र के साथ मित्र भाव से तथा चंद्रमा से शत्रुतापूर्ण और अन्य ग्रहों के प्रति तटस्थ रहता है।
यह ग्रह बुद्धि, बुद्धिवर्ग, संचार, विश्लेषण, चेतना (विशेष रूप से त्वचा), विज्ञान, गणित, व्यापार, शिक्षा और अनुसंधान का प्रतिनिधित्व करता है। सभी प्रकार के लिखित शब्द और सभी प्रकार की यात्राएं बुध के अधीन आती हैं। बुध वाक् शक्ति(वाणी), त्वचा, मित्र-सुख, विद्या, शिल्प, व्यवसाय, लेखन, इसके अतिरिक्त बुध से ज्योतिष, निपुणता, चिकित्सा, क़ानून, व्यापार, बंधु सुख, अध्यापन, संपादन, चित्रकला, चाची, मामी, मौसी, भानजा, भानजी, आदि बंधु वर्ग,भगवान् विष्णु संबंधी धार्मिक कार्य,विवेक, बुद्धि, तर्क-वितर्क, प्रकाशन, अभिनय, वकालत आदि बौद्धिक कार्यो का विचार किया जाता है। बुध चतुर्थ भाव का कारक है।
बुध तीन नक्षत्रों का स्वामी है: अश्लेषा, ज्येष्ठ और रेवती (नक्षत्र)। हरे रंग, धातु, पीतल और रत्नों में पन्ना बुद्ध की प्रिय वस्तुएं हैं। इसके साथ जुड़ी दिशा उत्तर है, मौसम शरद ऋतु और तत्व पृथ्वी है।
बुध ग्रह रजोगुणी, पृथ्वी तत्त्व प्रधान, शुद्र जाती, गोलाकृति, त्रिधातु प्रकृति, उत्तर दिशा का स्वामी, दूर्वा की भांति हरा रंग, चर प्रकृति, मिश्रित रस, धातु स्वर्ण तथा इसका अधिपति देवता विष्णु है। ग्रह मंडल में बुध युवा राजकुमार का प्रतीक है। बुध मिथुन एवं कन्या राशि का स्वामी है तथा यह कन्या राशि के १५° अंश पर परमोच्च और मीन के १५° अंश पर परम नीच का माना जाता है। तथा कन्या राशि के १६° से २०° तक मूल त्रिकोणस्थ होता है। इसकी सूर्य-शुक्र के साथ मैत्री भाव , चंद्र के साथ शत्रु भावी, मंगल-गुरु-शनि के साथ समभाव रखता है। बुध एक राशि चक्र को लगभग १८ दिन में पूरा कर लेता है। तथा यदि शुभ ग्रहो के साथ हो तो शुभ एवं पाप ग्रहों के साथ अशुभ माना जाता है।
जनम कुंडली में बुध अस्त ,नीच या शत्रु राशि का ,छटे -आठवें -बारहवें भाव में स्थित हो ,पाप ग्रहों से युत या दृष्ट, षड्बल विहीन हो तो उदर रोग,त्वचा विकार ,विषम ज्वर ,कंठ रोग, बहम,कर्ण एवम नासिका रोग, पांडू,संग्रहणी,मानसिक रोग, वाणी में दोष,इत्यादि रोगों से कष्ट हो सकता है |
बारह भावों में बुध का शुभ अशुभ सामान्य फल इस प्रकार है। आपको जिस भाव का फल देखना हो, उस लाइन पर क्लिक कीजिये :-