Monday, 9 March 2020

panchve bhav me budh ka shubh ashubh fal / पाँचवे भाव में बुध का शुभ अशुभ सामान्य फल

Posted by Dr.Nishant Pareek
पाँचवे  भाव में बुध का शुभ अशुभ सामान्य फल


 शुभ फल : पंचमभाव मे बुध होने से जातक सुन्दर रूपवान्-सदा पवित्र होता है। जातक प्रसन्न, कुशाग्रबुद्धि, बुद्धिमान् तथा मघुरभाषी होता है। वाद-विवाद करने में चतुर और तर्ककुशल होता है। अपने व्यवहार से लोगों को अपने वश में रखता है। सदाचारी, चरत्रिवान्, घैर्यशील, संतोषी, कार्य में कुशल एवं उद्यमी होता है।

 पंचमभावगत बुध प्रभवोत्पन्य जातक नम्र, मायावी, एकान्तप्रिय तथा विनोदप्रिय आनंदी होता है। देव-गुरु ब्राह्मणों का भक्त होता है। अपने व्यवहार से लोगों को अपने वश में रखता है।बुद्धि शुभ होती है। व्यावसायिक बुद्धि और वि़द्या सम्पन्न रहता है। विविघ विषयों का ज्ञाता, विद्वान्, होता है। पंचम में बुध होने से जातक के सुख और प्रताप की वृद्धि विद्या के कारण होती है। जातक मन्त्र शास्त्र का ज्ञाता होता है। मन्त्रशास्त्र जानने वाला होता है। जारण-मारण-उच्चाटन आदि मन्त्रों का कुशलतापूर्वक उपयोग कर सकता है।

पंचमभाव में बुध होने से जातक को सन्तान प्राप्त होती है। पुत्र सुख मिलता है। जातक पुत्र-पौत्रों में युक्त होता है। जातक कामों में दूसरों को आगे करता है और स्वयं पीछे रहता है। जातक यशस्वी तथा लोक समुदाय में प्रभावशाली होता है। बुध के प्रभाव से जातक लेखक, कवि, नाटक रचयिता तथा उपन्यासकार होता है या साहित्य मे रुचि होती है।

पंचमभाव में बुध पैसे की तंगी नहीं होने देता। घन और वैभव की प्राप्ति होती है। अपनी बुद्धि से घनार्जन करता है। सट्टा, जुआ की ओर प्रवृत्ति होती है। जातक के मित्रों का सरकल बड़ा होता है। जातक स्त्री से युक्त, सुखी होता है। माता को सुख मिलता है। भाँति-भाँति के पोशाक पहनने की रुचि होती है। राजदरबार में सम्मान मिलता है। कामों में दूसरों को आगे करता है और स्वयं पीछे रहता है।    

 लग्न से पंचम बुध पुरुषराशियों में होने से शास्त्रकारों के वर्णित शुभफल मिलते हैं। पंचमभाव का बुध पुरुषराशि में होने से वाणी अच्छी, बुद्धि तीक्ष्ण होती है। पंचमभाव का बुध पुरुषराशि में होने से शिक्षा शीघ्र समाप्त होती है। 23 वर्ष की आयुतक शिक्षा पूरी हो जाती है।  मिथुन-तुला या कुम्भ में होने से रोग चिकित्सा, वैद्यक, व्याकरण आदि में प्रवीण होता है।  पंचमभाव का बुध मिथुन, तुला, या कुंभराशि में होने से एक दो संताने ही होती है।   संक्षेप में पंचम में बुध होने से जातक स्त्री-पुत्र-मित्र-घन-विद्या-कीर्ति और बल से सम्पन्न होता है।
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 अशुभ फल : जातक को शारीरिक कष्ट होता हैं। बुद्धि साघारण होती है। जातक दांभिक और कलहप्रिय होता है। पाप कृत्य करता है। पांचवें भाव में स्थित बुध जातक को लोभी, मतलबी, घेाखेबाज बनाता है। दुष्टों के सहवास से जातक के मुख में कपट भरी वाणी रहती है। सन्तान सुख में बाघा अवश्य पहुंचाता है। कन्याएँ होती हैं। पुत्रसुख में विघ्न होता है। सन्तान कम होती है-सन्तान को रोग होते हैं।

 पांचवे स्थान में बुध के रहने से व्यक्ति के कन्या सन्तति अघिक होती हैं। पुत्र न होने से दत्तक पुत्र लेना पड़ता है। लड़का विश्वस्त नहीं होता। पुत्र का व्याह होते ही उसकी मृत्यु होती है। मामा की मृत्यु होती है। लग्न से पन्चम बुध होने से मामा को गंडमाला रोग होता है। 5 वें या 26 वें वर्ष में जातक की माता की मृत्यु होती है। जातक के पिता को तकलीफ होती है।  बुध अस्तंगत हो या उस पर शत्रु ग्रह की दृष्टि होने से सन्तान की मृत्यु होती है। मामा का नाश होता है। पुत्र कम होते हैं। पंचमेश निर्बल हो अथवा पापग्रह के साथ होने से पुत्रों का नाश होता है, गर्भ की हानि होती है।  पंचमभाव का बुध मिथुन, तुला, वा कुंभराशि में होने से संतति नहीं होती, या एक दो संताने ही होती है।
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