ग्यारहवें भाव में बुध का शुभ अशुभ सामान्य फल
शुभ फल : ग्यारहवें भाव में पड़ा बुध शुभ फल देता है। जातक नीरोग, श्यामवर्ण तथा सुन्दर नेत्रोंवाला होता है। स्वभाव में कवि की-सी सरलता और चरित्र में दृढ़ता गुण होती है। जातक सदाचारी,ईमानदार, विनम्र, सुशील, नित्य आनन्द में रहनेवाला, और सत्यसंघ अर्थात् प्रतिज्ञापालक होता है। जातक स्त्रियों को प्रिय, अतिगुणी, बुद्धिमान्, अपने लोगों को प्रिय होता है। लोगों से प्रेम से बर्ताव करनेवाला होता है। कई प्रकार की विद्याओं को जाननेवाला होता है। कई एक विद्याओं और विषयों का जिज्ञासु होता है। जातक वेदशास्त्र में श्रद्धालु होता है। जातक ज्ञानी, विद्वान्, विचारवान्, कीर्तिमान्, भाग्यवान् तथा सुखी होता है।
एकादश बुध होने से दीर्घायु होता है। जातक को नौकरों का सुख भी प्राप्त होता है। आज्ञाकारी नौकर होते हैं। वाहनों का सुख मिलता है। घन घान्य सम्पन्न, नित्य लाभ वाला होता है। शिल्पकला, लेखन या व्यापार में अनेक प्रकारों से घन मिलता है। "ज्ञ: पन्चवेदे घनम्" - एकादश बुध 45 वें वर्ष में घनप्राप्ति कराता है। कन्या सन्तति अघिक होती है। शत्रुओं का नाश करने वाला, शत्रुओं से घन का लाभ प्राप्त करने वाला होता है। जातक नानाविघ भोगों से आसक्त, सदा ही सुखी होता है। बुध बलवान् होने से बहुत सम्पत्ति प्राप्त होती है। मिथुन-तुला या कुंभ में बुध होने से जातक शिक्षक, डिमानस्टे्रटर आदि होता है।
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अशुभ फल : जातक की भूख कम होती है। ग्यारहवें स्थान में बुध की होने से जातक की बुद्धि कुछ कुण्ठित होती है। यह बुध पापग्रह की राशि में या पापग्रह के साथ होने से बुरे मार्गों से घन का नाश होता है।
शुभ फल : ग्यारहवें भाव में पड़ा बुध शुभ फल देता है। जातक नीरोग, श्यामवर्ण तथा सुन्दर नेत्रोंवाला होता है। स्वभाव में कवि की-सी सरलता और चरित्र में दृढ़ता गुण होती है। जातक सदाचारी,ईमानदार, विनम्र, सुशील, नित्य आनन्द में रहनेवाला, और सत्यसंघ अर्थात् प्रतिज्ञापालक होता है। जातक स्त्रियों को प्रिय, अतिगुणी, बुद्धिमान्, अपने लोगों को प्रिय होता है। लोगों से प्रेम से बर्ताव करनेवाला होता है। कई प्रकार की विद्याओं को जाननेवाला होता है। कई एक विद्याओं और विषयों का जिज्ञासु होता है। जातक वेदशास्त्र में श्रद्धालु होता है। जातक ज्ञानी, विद्वान्, विचारवान्, कीर्तिमान्, भाग्यवान् तथा सुखी होता है।
एकादश बुध होने से दीर्घायु होता है। जातक को नौकरों का सुख भी प्राप्त होता है। आज्ञाकारी नौकर होते हैं। वाहनों का सुख मिलता है। घन घान्य सम्पन्न, नित्य लाभ वाला होता है। शिल्पकला, लेखन या व्यापार में अनेक प्रकारों से घन मिलता है। "ज्ञ: पन्चवेदे घनम्" - एकादश बुध 45 वें वर्ष में घनप्राप्ति कराता है। कन्या सन्तति अघिक होती है। शत्रुओं का नाश करने वाला, शत्रुओं से घन का लाभ प्राप्त करने वाला होता है। जातक नानाविघ भोगों से आसक्त, सदा ही सुखी होता है। बुध बलवान् होने से बहुत सम्पत्ति प्राप्त होती है। मिथुन-तुला या कुंभ में बुध होने से जातक शिक्षक, डिमानस्टे्रटर आदि होता है।
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अशुभ फल : जातक की भूख कम होती है। ग्यारहवें स्थान में बुध की होने से जातक की बुद्धि कुछ कुण्ठित होती है। यह बुध पापग्रह की राशि में या पापग्रह के साथ होने से बुरे मार्गों से घन का नाश होता है।