Friday 6 March 2020

tisre bhav me budh ka shubh ashubh fal/ तीसरे भाव में बुध का शुभ अशुभ सामान्य फल

Posted by Dr.Nishant Pareek
  तीसरे भाव में बुध का शुभ अशुभ सामान्य फल:-


शुभ फल : जातक अच्छे शरीर का, घार्मिक-यशस्वी, तथा देव और गुरुओं का आदर करनेवाला होता है। तीसरे भाब में बुध होने से जातक सरस एवं सरल हृदय का होता है। जातक बुद्धिमान्, नम्रस्वभाव का होता है। 

तृतीय में बुध होने से जातक साहसी, शूरवीर हो किन्तु मध्यायु हो। तृतीय स्थान का स्वामी बलवान होने से दीर्घायु और घैर्यवान् होता है। जातक चतुर तथा हितकारी होता है। जातक की परोपकारी वृत्ति होती है। जातक अपनी बुद्धि से अपनी व्यवहार कुशलता से, उदण्ड स्वभाव के लोगों को भी अपनी मुट्ठी में कर लेता है, और इनसे भी आवश्यक लाभ उठा लेता है।

तीसरे बुध होने से जातक के भाई बहन अच्छे होते हैं। स्वयं बन्घुओं को प्रिय होता है। बड़े परिवार से युक्त होता है। पाँच भाई और चार पाँच बहिनें तक हो सकती हैं। भाई और बहिनों को बहुत सुख प्राप्त होता है। जातक के दो लड़के और तीन लड़कियाँ होती हैं। जातक स्वजनों से युक्त, अपने जनों का हितसाघक होता है।जैसे वृक्ष के इर्द गिर्द सहारा पाने के लिए लताएँ लटकी रहती हैं-उसी तरह आश्रय पाने के लिए जातक के भाई बन्घु इसके निकट पड़े रहते हैं और जातक अपनी शक्ति के अनुरूप इनकी सहायता करता है। अपने सहोदरबन्घु वर्गों के अनुशरण से अघिक सुख होता है।भाई दीर्घायु होता है। सरस हृदय होने के कारण स्त्रियों के प्रति स्वाभाविक अनुराग होता है। पड़ोसियों और परिचितों से प्रेम पूर्वक बरताव करते हैं। बहुत मित्र होते है। जातक के साथ की गई मित्रता आसानी से नहीं टूटती।
 ALSO READ-बुध को शुभफल प्राप्त करने के आसान उपाय

जातक को प्रवास बहुत करना पड़ता है। प्रवास से सुख और लाभ होता है। शास्त्रकार, ज्योतिष तथा गुप्तविद्याओं में प्रवीण होता है। लेखन कार्य, छापने का काम -तथा प्रकाशन का व्यवसाय-तृतीय बुध होने से लाभकारी होते है। व्यापार की तरफ जातक की रुझान स्वाभविक रूप में रहा करती है। एक प्रवीण और चतुर व्यापारी होकर व्यापार से जीवन व्यतीत करता है। व्यापारी लोगों से मित्रता करके-व्यापार से घन कमाता है। घनवान् तथा समृद्ध होता है।

 जातक लेखन, वाचन और भाषण में कुशल होता है। अन्तिम अवस्था में प्राक्तन जन्मकृत शुभकर्म जन्य संस्कारों के उद्बुद्ध हो जाने के कारण तीव्र वैराग्य से संसार से नितांत विरक्त होकर सन्यस्त हो जाता है और अर्थात् मोक्षमार्ग पर अग्रसार हो जाता है। वृद्धावस्था में वैराग्य से विषय वासनाएँ लुप्त हो जाती हैं।    पुरुषराशि में होने से शिक्षा पूरी होती है-हस्ताक्षर अच्छा, लेखन शीघ्र तथा संगत होता है-स्मरणशक्ति भी तीव्र होती है।  तृतीयस्थ बुध बलवान् होने से भाग्योदय 24 वें वर्ष से होता है।     

शास्त्रकारों के शुभफल मेष-सिंह-तुला कुंभ तथा मिथुन और घनु का पूर्वार्ध-एवं कन्या और मीन का उत्तरार्ध इन राशियों में मिलते हैं।

अशुभ फल : तृतीयभाव मे बुध होने से जातक बहुत दुष्ट होता है। घन की बुद्धि से(लोलुपता से) दुष्ट बुद्धियों के बश में रहता है। जातक मन्द बुद्धि का, अशुभविचार करनेवाला होता है। जातक अपवित्र मलिन हृदय होता है। चित्त शुद्ध नहीं होता।जातक मायावी, बहुत चंचल, चपल और दीन होता है। श्रम बहुत करना पड़ता है और दैन्य युक्त होता है। भाइयों का सुख कम मिलता है।

जातक अविचारित होता है, और मनमाना काम करता है इस कारण जातक को अपने लोग छोड़ जाते हैं। इष्ट-मित्रों से हीन होता है। जातक अत्यन्त विषयासक्त होता है अर्थात् विषयोपभोग लिप्त ही रहता है। जातक मोह जाल में फँसकर अपने अमूल्य रत्नरूपी मानवजीवन को नष्ट करता है। जातक सुखहीन होता है। सुख नष्ट होता है। यवनजातक ने 12 वें वर्ष घनहानि होती है-ऐसा कहा है क्योंकि बुध तृतीय में हो तो रवि प्राय: घनस्थान में, वा चतुर्थस्थान में होता है अत: पैतृकसंपत्ति नष्ट होती है और पिता दरिद्री होता है।   बुध पर शत्रुग्रह की दृष्टि होने से भाइयों की मृत्यु होती है।
Powered by Blogger.