चौथे भाव में बुध का शुभ अशुभ सामान्य फल
शुभ फल : चौथे स्थान में बुध होने से जातक का शरीर पुष्ट होता है। आँखें बड़ी होती है। जातक अच्छा सलाहकार और वाद-विवाद करने में कुशल अर्थात् चतुर होता है। जातक धैर्यवान्-नीतिज्ञ, नीतिवान् और ज्ञानवान् होता है। जातक बोलने में चतुर, सुरुचि सम्पन्न, सुशील और सत्यवादी होता है। चतुर्थभाव गत बुध होने से जातक पण्डित होता है। दूसरों को प्रसन्न करने वाले चाटुवाक्य बोलने वाला होता है। चाटुकारिता में प्रवीण (मीठा बोलनेवाला) होता है। स्मरण शक्ति बहुत तीव्र होती है तथा अन्तर्ज्ञान भी हो सकता है। गीत और नृत्य का प्रेमी, संगीतप्रिय और मिष्टभाषी होता है। दानी, उदार, विद्वान्, लेखक होता है। जातक बांधवों के साथ द्वेष करता है। आरम्भ किए हुए कार्य में सफलता मिलती है।
चतुर्थस्थान में बुध होने से सवारी का सुख होता है। क्षेत्र-धान्य-धन आदि का उपभोग करनेवाला होता है। धनसम्पदा का योग बनता है पर ये सब स्वार्जित अर्थात् अपने बाहुबल से अर्थोपार्जन करता है। पैतृकधन से कुछ भी सुख नहीं होता है, अर्थात् पैतृकधन की प्राप्ति नहीं होती। घर के बारे में सुखी होता है। रहने का स्थान चित्र-विचित्र होता है। माँ-बाप से अच्छा लाभ होता है। माता-पिता का सुख मिलता है। जातक गणितशास्त्रवेत्ता होता है। जातक का मित्र वर्ग उत्तम होता है। मैत्री संसार के श्रेष्ठ मनुष्यों से होती है।
जन्मलग्न से बुध चतुर्थभाव में हाने से जातक राजा या गण का स्वामी अर्थात् जनसमूह का नेता या विशेष अधिकारी होता है। राजद्वार का विशेष अधिकारी होता है अर्थात् सभी दूसरे राजकर्मचारियों पर विशेष अधिकार होता है। राज्य में प्रभावशाली तथा राज्य से किंवा राज्य के अघीन विषयों से अर्थ लाभ प्राप्त करने वाला होता है। बहुत नौकर-चाकर होते हैं।
चौथे स्थान में पड़ा बुध राजकुल में, मित्रमण्डली में और समाज में आदर दिलाता है।जातकधन-जन, भूषण, सुवस्त्र से युक्त, सुखी और धनवान् होता है। समाज में प्रतिष्ठित, यशस्वी होता है। जातक के परिवार के लोग इसके बचनों का विशेष आदर करते हैं। जातक श्रेष्ठबन्धुवाला और बन्धुप्रेमी होता है। बन्धुओ का सुख अच्छा मिलता है। पत्नी का सुख अच्छा मिलता है। पुत्र कम होते हैं। पुत्र सुख मिलता है। पिता के सम्बन्ध से भाग्यवान् और सुन्दर होता है।
चौथे स्थान में बुध होने से जातक आरामतलबी, विलासी, अच्छा भोजन करने वाला होता है। शास्त्रकारों के बताए शुभ फल पुरुषराशियों के हैं। बुध पुरुषराशि में होने से जातक विद्याध्ययन करेगा किन्तु रुकावटों के साथ संघर्ष करना होगा।
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अशुभ फल : जातक कृशदेह और बालपन में रोगी होता है। वह बहुत आलसी होता है। चंचल बुद्धि-निर्ल्लज्ज होता है।जैसा बोलता है वैसा बर्ताव नहीं करता है। अपने दिये वचन को तत्काल भूल जाता है। पुत्र का दु:ख प्राप्त होता है। संसार के बारे में बहुत चिन्ता होती है। 22 वें वर्ष धनहानि होती है। पापग्रहों का सम्बन्ध होने से दूसरों के घर रहना पड़ता है। पापग्रहों से युक्त होने से भ्रातृघातक होता है। बुध पापग्रहों से युक्त अथवा दृष्ट होने से ध नही मिलता है और अच्छे मित्र नही होते हैं।
शुभ फल : चौथे स्थान में बुध होने से जातक का शरीर पुष्ट होता है। आँखें बड़ी होती है। जातक अच्छा सलाहकार और वाद-विवाद करने में कुशल अर्थात् चतुर होता है। जातक धैर्यवान्-नीतिज्ञ, नीतिवान् और ज्ञानवान् होता है। जातक बोलने में चतुर, सुरुचि सम्पन्न, सुशील और सत्यवादी होता है। चतुर्थभाव गत बुध होने से जातक पण्डित होता है। दूसरों को प्रसन्न करने वाले चाटुवाक्य बोलने वाला होता है। चाटुकारिता में प्रवीण (मीठा बोलनेवाला) होता है। स्मरण शक्ति बहुत तीव्र होती है तथा अन्तर्ज्ञान भी हो सकता है। गीत और नृत्य का प्रेमी, संगीतप्रिय और मिष्टभाषी होता है। दानी, उदार, विद्वान्, लेखक होता है। जातक बांधवों के साथ द्वेष करता है। आरम्भ किए हुए कार्य में सफलता मिलती है।
चतुर्थस्थान में बुध होने से सवारी का सुख होता है। क्षेत्र-धान्य-धन आदि का उपभोग करनेवाला होता है। धनसम्पदा का योग बनता है पर ये सब स्वार्जित अर्थात् अपने बाहुबल से अर्थोपार्जन करता है। पैतृकधन से कुछ भी सुख नहीं होता है, अर्थात् पैतृकधन की प्राप्ति नहीं होती। घर के बारे में सुखी होता है। रहने का स्थान चित्र-विचित्र होता है। माँ-बाप से अच्छा लाभ होता है। माता-पिता का सुख मिलता है। जातक गणितशास्त्रवेत्ता होता है। जातक का मित्र वर्ग उत्तम होता है। मैत्री संसार के श्रेष्ठ मनुष्यों से होती है।
जन्मलग्न से बुध चतुर्थभाव में हाने से जातक राजा या गण का स्वामी अर्थात् जनसमूह का नेता या विशेष अधिकारी होता है। राजद्वार का विशेष अधिकारी होता है अर्थात् सभी दूसरे राजकर्मचारियों पर विशेष अधिकार होता है। राज्य में प्रभावशाली तथा राज्य से किंवा राज्य के अघीन विषयों से अर्थ लाभ प्राप्त करने वाला होता है। बहुत नौकर-चाकर होते हैं।
चौथे स्थान में पड़ा बुध राजकुल में, मित्रमण्डली में और समाज में आदर दिलाता है।जातकधन-जन, भूषण, सुवस्त्र से युक्त, सुखी और धनवान् होता है। समाज में प्रतिष्ठित, यशस्वी होता है। जातक के परिवार के लोग इसके बचनों का विशेष आदर करते हैं। जातक श्रेष्ठबन्धुवाला और बन्धुप्रेमी होता है। बन्धुओ का सुख अच्छा मिलता है। पत्नी का सुख अच्छा मिलता है। पुत्र कम होते हैं। पुत्र सुख मिलता है। पिता के सम्बन्ध से भाग्यवान् और सुन्दर होता है।
चौथे स्थान में बुध होने से जातक आरामतलबी, विलासी, अच्छा भोजन करने वाला होता है। शास्त्रकारों के बताए शुभ फल पुरुषराशियों के हैं। बुध पुरुषराशि में होने से जातक विद्याध्ययन करेगा किन्तु रुकावटों के साथ संघर्ष करना होगा।
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अशुभ फल : जातक कृशदेह और बालपन में रोगी होता है। वह बहुत आलसी होता है। चंचल बुद्धि-निर्ल्लज्ज होता है।जैसा बोलता है वैसा बर्ताव नहीं करता है। अपने दिये वचन को तत्काल भूल जाता है। पुत्र का दु:ख प्राप्त होता है। संसार के बारे में बहुत चिन्ता होती है। 22 वें वर्ष धनहानि होती है। पापग्रहों का सम्बन्ध होने से दूसरों के घर रहना पड़ता है। पापग्रहों से युक्त होने से भ्रातृघातक होता है। बुध पापग्रहों से युक्त अथवा दृष्ट होने से ध नही मिलता है और अच्छे मित्र नही होते हैं।