Barah bhavo me mangal ka shubh ashubh samanya fal or upay
बारह भावों में मंगल का शुभ अशुभ सामान्य फल और उपाय।
मंगल को ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के साहस, छोटे भाई-बहन, आन्तरिक बल, अचल सम्पति, रोग, शत्रुता, रक्त शल्य चिकित्सा, विज्ञान, तर्क, भूमि, अग्नि, रक्षा, सौतेली माता, तीव्र काम भावना, क्रोध, घृ्णा, हिंसा, पाप, प्रतिरोधिता, आकस्मिक मृत्यु, हत्या, दुर्घटना, बहादुरी, विरोधियों, नैतिकता की हानि का कारक ग्रह है। शारीरिक ऊर्जा, आत्मविश्वास और अहंकार, ताकत, क्रोध, आवेग, वीरता और साहसिक प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है। यह रक्त, मांसपेशियों और अस्थि मज्जा पर शासन करता है। मंगल लड़ाई, युद्ध और सैनिकों के साथ भी जुड़ा हुआ है।
मंगल तीन चंद्र नक्षत्रों का भी स्वामी है: मृगशिरा, चित्रा एवं श्राविष्ठा या धनिष्ठा। मंगल से संबंधित वस्तुएं हैं: राक्त वर्ण, पीतल धातु, मूंगा, आदि। इसका तत्त्व अग्नि होता है एवं यह दक्षिण दिशा और ग्रीष्म काल से संबंधित है। मंगल मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी है। मंगल की मूलत्रिकोण राशि मेष राशि है, इस राशि में मंगल 0 अंश से 12 अंशों के मध्य होने पर अपनी मूलत्रिकोण मंगल मकर राशि में उच्च स्थान प्राप्त करता है। मंगल कर्क राशि में स्थित होने पर नीचस्थ होता है। मंगल पुरुष प्रधान ग्रह है। मंगल दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल के सभी शुभ फल प्राप्त करने के लिए मूंगा, रक्तमणी जिसे तामडा भी कहा जाता है, इनमें से किसी एक रत्न को धारण किया जा सकता है। मंगल के लिए लाल रंग धारण किया जाता है। मंगल के लिए गणपति, हनुमान, कार्तिकेय आदि देवताओं की उपासना करनी चाहिए।
बारह भावों में मंगल का शुभ अशुभ सामान्य फल और उपाय इस प्रकार है। आपको जिस भाव का फल देखना हो, उस लाइन पर क्लिक कीजिये:-