मंगल मचा रहा है आपके जीवन में दंगल। तो शांत कीजिये इन उपायों से
चन्द्रमा का शुभ फल प्राप्त करने और अशुभ फल दूर करने के उपाय
शुद्ध तांबे की अंगुठी पर पंद्रह का यंत्र खुदवाकर दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली पर मंगलवार को तीसरे प्रहर में धारण करना चाहिये।
हर मंगलवार को गेहुं की रोटी पर गुड, लाल फल और अरहर की भीगी हुई दाल रखकर गाय को खिलाना चाहिये।
ढाई किलो गुड सांडों को मंगलवार को खिलाना चाहिये।
भुने हुये चने भूंगडे तथा गुड लाल मुंह के बंदरों को मंगलवार को खिलाना चाहिये।
मंगलवार को जब अश्विनी नक्षत्र हो तब तांबे के लोटे में शक्कर भरकर किसी हनुमान मंदिर में पंडित को दान करना चाहिये।
पीड़ित व्यक्ति को लाल रंग का बैल दान करना चाहिए।
लाल रंग का वस्त्र, सोना, तांबा, मसूर दाल, बताशा, मीठी रोटी का दान देना चाहिए।
मंगल से सम्बन्धित रत्न दान देने से भी पीड़ित मंगल के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
मंगल ग्रह की दशा में सुधार हेतु दान देने के लिए मंगलवार का दिन और दोपहर का समय सबसे उपयुक्त होता है।
जिनका मंगल पीड़ित है उन्हें मंगलवार के दिन व्रत करना चाहिए और ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजन कराना चाहिए।
मंगल पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 10 से 15 मिनट ध्यान करना उत्तम रहता है।
मंगल पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है अत धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई
बहनों का ख्याल रखना चाहिए।
लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।
बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।
लाल वस्त्र ले कर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।
मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
मंगल- ओम क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
इस मंत्र के 10.000 जाप होते है। किसी विद्वान ब्राहमण से करवाने चाहिये। अथवा स्वयं भी कम से कम एक माला रोज जपनी चाहिये।
मंगल गायत्रीः- ओम क्षिति पुत्राय विद्महे लोहितांगाय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात।
मंगल गायत्री मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपनी चाहिये।
अथ मंगल नाम स्तोत्र
मंगलो भूमि पुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः। स्थिरो महाकायः सर्व काम विरोधकः।।
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः। धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमि नन्दनः।।
अंगारको यमश्चैव सर्वं रोगापहारकः। वृष्टि कर्ता प हर्ता च सर्व काम फलप्रदः।।
एतानि कुज नामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्। ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।
मंगलः- सिर, कुल्हे, अंडकोश, मज्जा का कारक है। यह क्रूर स्वभाव वाला ग्रह है। इसकी धातु तांबा तथा रत्न गहरे लाल रंग का मूंगा है। अंगुलियों में अनामिका अंगुली पर इसका प्रभाव है।
इसके हवन में खैर की समिधा का प्रयोग होता है। इसके अलावा खैर की जड भी लाल कपडे में सिलकर पुरूष सीधे हाथ में और स्त्रियां उल्टे हाथ की बांह पर मंगलवार को शुभ चैघडिये में बांध सकते है।
प्रतिवर्ष चार महारात्रियाँ आती है। ये है - होली , दीवाली, कृष्ण जन्माष्टमी , और शिव रात्रि। इनके आलावा सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण ,नवरात्र , आदि में मंगल यंत्र को सिद्ध करने का सर्वोत्तम समय होता है। इस समय में भोजपत्र पर अष्टगंध तथा अनार की टहनी से बनी कलम से ग्रह यंत्र लिखकर पौराणिक या बीज मंत्र के जाप करके इन्हें सिद्ध किया जा सकता है। सिद्ध होने पर उसे ताबीज में डाल कर गले में या दाई भुजा पर पहना जा सकता है। इससे मंगल ग्रह जनित अशुभ फल नष्ट होते है. तथा शुभ फलों में वृद्धि होती है। जो लोग राजयोग या सरकारी नौकरी में जाना चाहते है। उनके लिए मंगल का बली होना आवश्यक है। इन उपायों से वे अपनी कुंडली में मंगल को प्रबल करके राजयोग प्राप्ति की सम्भावना को प्रबल कर सकते है।
मंगल यंत्र
क्या न करें
आपका मंगल अगर पीड़ित है तो आपको अपने क्रोध नहीं करना चाहिए। अपने आप पर नियंत्रण नहीं खोना चाहिए। किसी भी चीज में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए और भौतिकता में लिप्त नहीं होना चाहिए