इस
प्रचंड कलियुग में भगवान शिव के पांचवें अवतार भैरव बाबा की उपासना बहुत
फलदायी है। इसके नियमित पाठ से आपके सभी दुखों-कष्टों को दूर हो जायेंगे।
चाहे कोर्ट केस हो, शत्रु की पीडा हो, कोई पैसे लेकर दे नहीं रहा हो, जमीन
पर कब्जा कर लिया हो, किसी ने टोना टोटका, तंत्र मंत्र किया हो, शनि, राहु,
केतु की दशा चल रही हो, आदि सभी प्रकार की मुसीबतों से आपका छुटकारा भैरव
देव के इन 108 नाम के प्रतिदिन जाप करने से हो जायेगा।
भगवान भैरवनाथ में सच्ची श्रद्धा रखकर प्रतिदिन पाठ कीजिये और अपने कष्टों से मुक्ति पाये।
पाठ करने की विधि 108 नाम के आखिरी में देखिये
भैरव जी के 108 नाम
भगवान भैरवनाथ में सच्ची श्रद्धा रखकर प्रतिदिन पाठ कीजिये और अपने कष्टों से मुक्ति पाये।
पाठ करने की विधि 108 नाम के आखिरी में देखिये
भैरव जी के 108 नाम
1.
ऊँ ह्रीं भैरवाय नम:
2.
ऊँ ह्रीं भूतनाथाय नम:
3.
ऊँ ह्रीं भूतात्मने नम:
4.
ऊँ ह्रीं भूतभावनाय
नम:
5.
ऊँ ह्रीं क्षेत्रज्ञाय नम:
6.
ऊँ ह्रीं क्षेत्रपालाय नम:
7.
ऊँ ह्रीं क्षेत्रदाय नम:
8.
ऊँ ह्रीं क्षत्रियाय नम:
9.
ऊँ ह्रीं विराजे नम:
10.
ऊँ ह्रीं श्मशान-वासिने नम:
11.
ऊँ ह्रीं मांसाशिने नम:
12.
ऊँ ह्रीं खर्पराशिने नम:
13.
ऊँ ह्रीं स्मारान्त-कृते नम:
14.
ऊँ ह्रीं रक्तपाय नम:
15.
ऊँ ह्रीं पानपाय नम:
16.
ऊँ ह्रीं सिद्धाय नम:
17. ऊँ ह्रीं सिद्धिदाय
नम:
18. ऊँ ह्रीं
सिद्धि-सेविताय नम:
19. ऊँ ह्रीं कंकालाय
नम:
20. ऊँ ह्रीं काल-शमनाय
नम:
21. ऊँ ह्रीं कलाकाष्ठाय नम:
22. ऊँ ह्रीं ये नम:
23. ऊँ ह्रीं कवये
नम:
24. ऊँ ह्रीं
त्रि-नेत्राय नम:
25. ऊँ ह्रीं
बहु-नेत्राय नम:
26. ऊँ ह्रीं
पिंगल-लोचनाय नम:
27. ऊँ ह्रीं शूल-पाणाये
नम:
28. ऊँ ह्रीं
खड्ग-पाणाये नम:
29. ऊँ ह्रीं कपालिने नम:
30. ऊँ ह्रीं
धूम्र-लोचनाय नम:
31. ऊँ ह्रीं अभीरवे नम:
32. ऊँ ह्रीं
भैरवी-नाथाय नम:
33. ऊँ ह्रीं भूतपाय नम:
34. ऊँ ह्रीं
योगिनी-पतये नम:
35. ऊँ ह्रीं धनदाय नम:
36. ऊँ ह्रीं धन-हारिणे
नम:
37. ऊँ ह्रीं धनवते नम:
38. ऊँ ह्रीं प्रतिभानवते
नम:
39. ऊँ ह्रीं नाग-हाराय
नम:
40. ऊँ ह्रीं नाग-पाशाय
नम:
41. ऊँ ह्रीं
व्योम-केशाय नम:
42. ऊँ ह्रीं कपाल-भृते
नम:
43. ऊँ ह्रीं कालाय नम:
44. ऊँ ह्रीं
कपाल-मालिने नम:
45. ऊँ ह्रीं कमनीयाय
नम:
46. ऊँ ह्रीं कला-निधये
नम:
47. ऊँ ह्रीं त्रिलोचनाय
नम:
48. ऊँ ह्रीं
ज्वलन्नेत्राय नम:
49. ऊँ ह्रीं
त्रि-शिखिने नम:
50. ऊँ ह्रीं त्रिलोकेशाय
नम:
51. ऊँ ह्रीं त्रिनेत्र तनयाय
नम:
52. ऊँ ह्रीं डिम्भाय
नम:
53. ऊँ ह्रीं शान्ताय
नम:
54. ऊँ ह्रीं
शान्त-जन-प्रियाय नम:
55. ऊँ ह्रीं बटुकाय नम:
56. ऊँ ह्रीं बटु-वेषाय
नम:
57. ऊँ ह्रीं
खट्वांग-वर-धारकाय नम:
58. ऊँ ह्रीं भूताध्यक्ष
नम:
59. ऊँ ह्रीं पशु-पतये
नम:
60. ऊँ ह्रीं भिक्षुकाय
नम:
61. ऊँ ह्रीं परिचारकाय
नम:
62. ऊँ ह्रीं धूर्ताय
नम:
63. ऊँ ह्रीं दिगम्बराय
नम:
64. ऊँ ह्रीं शौरये नम:
65. ऊँ ह्रीं हरिणाय नम:
66. ऊँ ह्रीं
पाण्डु-लोचनाय नम:
67. ऊँ ह्रीं प्रशान्ताय
नम:
68. ऊँ ह्रीं शान्तिदाय
नम:
69. ऊँ ह्रीं सिद्धाय
नम:
70. ऊँ ह्रीं
शंकर-प्रिय-बान्धवाय नम:
71. ऊँ ह्रीं
अष्ट-मूर्तये नम:
72. ऊँ ह्रीं निधिशाय
नम:
73. ऊँ ह्रीं
ज्ञान-चक्षुषे नम:
74. ऊँ ह्रीं तपो-मयाय नम:
75. ऊँ ह्रीं अष्टाधाराय
नम:
76. ऊँ ह्रीं षडाधाराय
नम:
77. ऊँ ह्रीं
सर्प-युक्ताय नम:
78. ऊँ ह्रीं शिखि-सखाय
नम:
79. ऊँ ह्रीं भूधराय नम:
80. ऊँ ह्रीं भूधराधीशाय
नम:
81. ऊँ ह्रीं भू-पतये
नम:
82. ऊँ ह्रीं
भू-धरात्मजाय नम:
83. ऊँ ह्रीं कंकाल-धारिणे
नम:
84. ऊँ ह्रीं मुण्डिने
नम:
85. ऊँ ह्रीं नाग-यज्ञोपवीत-वते
नम:
86. ऊँ ह्रीं जृम्भणाय
नम:
87. ऊँ ह्रीं मोहनाय नम:
88. ऊँ ह्रीं स्तम्भिने
नम:
89. ऊँ ह्रीं मारणाय नम:
90. ऊँ ह्रीं क्षोभणाय
नम:
91. ऊँ ह्रीं
शुद्ध-नीलांज्जन-प्रख्याय नम:
92. ऊँ ह्रीं दैत्यघ्ने नम:
93. ऊँ ह्रीं मुण्ड-
विभूषणाय नम:
94. ऊँ ह्रीं बलि-भुजे
नम:
95. ऊँ ह्रीं बलि-भुंग-नाथाय
नम:
96. ऊँ ह्रीं बालाय नम:
97. ऊँ ह्रीं
बाल-पराक्रमाय नम:
98. ऊँ ह्रीं
सर्वापत्-तारणाय नम:
99. ऊँ ह्रीं दुर्गाय
नम:
100. ऊँ ह्रीं दुष्ट-भूत-निषेविताय नम:
101. ऊँ ह्रीं कामिने नम:
102. ऊँ ह्रीं कला-निधये नम:
103.
ऊँ ह्रीं कान्ताय नम:
104.
ऊँ ह्रीं कामिनी-वश-कृद्-वशिने नम:
105. ऊँ ह्रीं सर्वसिद्धिप्रदाय नम:
106.
ऊँ ह्रीं वैद्याय नम:
107. ऊँ
ह्रीं प्रभवे नम:
108.
ऊँ ह्रीं विष्णवे नम:
पाठ करने की विधिः-
सुबह या शाम को जब भी आपको सुविधा हो, कोई एक समय निश्चित कर लीजिये। अपने घर के मंदिर में बैठकर या शिवजी या भैरूजी के मंदिर में जाकर लाल अथवा किसी भी आसन पर बैठकर पूर्व की तरफ या भगवान की मूर्ति की तरफ मुख करके सरसों या तिल्ली के तेल का दीपक जलाकर जिस कार्य के निमित्त पाठ कर रहे है। उसके लिये संकल्प लें।
जैसे - ...............आपका गोत्र, गोत्र में उत्पन्न मैं .................आपका नाम, अपने अमुख कार्य को अतिशीघ्र पूर्ण करने के लिये अथवा जो भी आपका सोचा हुआ कार्य हो, वो बोले, बटुक भैरव जी के 108 नाम का पाठ कर रहा हॅूूं या रही हूं। भगवान भैरव मुझे इसमें अतिशीघ्र सफलता प्रदान करें। फिर आप पाठ शुरू कर दें।
विशेषः- पाठ के लिये कोई भी एक समय निश्चित कर लें यदि सुबह करते है तो कार्य पूर्ण होने तक सुबह ही करें । यदि शाम को करते है तो कार्य पूर्ण होने तक शाम को ही पाठ करें। शराब, मांस व दूसरे की स्त्री से दूर रहे।
इन 108 नाम का प्रिंट निकाल कर लेमिनेशन करवा लें। और प्रतिदिन पाठ करके अपनी जेब में रख कर ही घर से निकले। फिर देखिये चमत्कार।
पाठ करने की विधिः-
सुबह या शाम को जब भी आपको सुविधा हो, कोई एक समय निश्चित कर लीजिये। अपने घर के मंदिर में बैठकर या शिवजी या भैरूजी के मंदिर में जाकर लाल अथवा किसी भी आसन पर बैठकर पूर्व की तरफ या भगवान की मूर्ति की तरफ मुख करके सरसों या तिल्ली के तेल का दीपक जलाकर जिस कार्य के निमित्त पाठ कर रहे है। उसके लिये संकल्प लें।
जैसे - ...............आपका गोत्र, गोत्र में उत्पन्न मैं .................आपका नाम, अपने अमुख कार्य को अतिशीघ्र पूर्ण करने के लिये अथवा जो भी आपका सोचा हुआ कार्य हो, वो बोले, बटुक भैरव जी के 108 नाम का पाठ कर रहा हॅूूं या रही हूं। भगवान भैरव मुझे इसमें अतिशीघ्र सफलता प्रदान करें। फिर आप पाठ शुरू कर दें।
विशेषः- पाठ के लिये कोई भी एक समय निश्चित कर लें यदि सुबह करते है तो कार्य पूर्ण होने तक सुबह ही करें । यदि शाम को करते है तो कार्य पूर्ण होने तक शाम को ही पाठ करें। शराब, मांस व दूसरे की स्त्री से दूर रहे।
इन 108 नाम का प्रिंट निकाल कर लेमिनेशन करवा लें। और प्रतिदिन पाठ करके अपनी जेब में रख कर ही घर से निकले। फिर देखिये चमत्कार।