Thursday, 19 March 2020

Chori hui vastu ya gum hua vyakti kaha hai. janiye is taknik se,/ चोरी हुई वस्तु या गुम हुआ व्यक्ति कहाँ है। जानिए इस तरह

Posted by Dr.Nishant Pareek
चोरी हुई वस्तु या गुम हुआ व्यक्ति कहाँ है। जानिए इस तरह


chori hui vastu ka pta lagaye is tara

आपकी चोरी हुई वस्तु या घर छोड़ के गया व्यक्ति या गुम हुआ व्यक्ति किसके पास है। मिलेगी या नहीं। जानिए ज्योतिष की इस तकनीक से :-

 जिस भी दिन आपकी वस्तु चोरी हुई या सामान गुम हुआ हो या व्यक्ति गया हो उस दिन के नक्षत्र के आधार पर गुम हुई वस्तु के विषय में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।  गुम हुई वस्तु मिलेगी अथवा नहीं मिलेगी? इस बात का पता भी नक्षत्रों के अनुसार चल जाता है.

आकाश में सभी 28 नक्षत्रों को चार बराबर भागों में बाँट दिया गया है. एक भाग में सात नक्षत्र आते हैं. उन्हें अंध, मंद, मध्य तथा सुलोचन कहते  है./ इन नक्षत्रों के अनुसार चोरी की वस्तु का दिशा ज्ञान तथा फल  के विषय में जो जानकारी प्राप्त होती है वह एकदम सटीक होती है। उससे वस्तु मिल जाती है या उसके बारे में सही जानकारी मिल जाती है।

नक्षत्रों की प्रकृति- 
अंध लोचन नक्षत्र:-  रेवती, रोहिणी, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढा़, धनिष्ठा आदि अंध लोचन नक्षत्र है।
यदि वस्तु अंध लोचन वाले इन नक्षत्रों में खोई है तो वह पूर्व दिशा में शीघ्र मिल जाती है.

 मंद लोचन नक्षत्र :- अश्विनी, मृगशिरा, आश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढा़, शतभिषा आदि मंद लोचन नक्षत्र है। यदि वस्तु मंद लोचन में गुम हुई है तो वह दक्षिण दिशा में होती है और गुम होने के 3-4 दिन बाद कष्ट से मिलती है.

मध्य लोचन नक्षत्र :- भरणी, आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजित, पूर्वाभाद्रपद आदि मध्य लोचन नक्षत्र है।यदि वस्तु मध्य लोचन में खोई है तो वह पश्चिम दिशा की ओर होती है और एक गुम होने के एक माह बाद उस वस्तु की जानकारी मिलती है. ढा़ई माह बाद उस वस्तु के मिलने की संभावना बनती है.

सुलोचन नक्षत्र नक्षत्र :- कृतिका, पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र सुलोचन नक्षत्र है। यदि वस्तु सुलोचन नक्षत्र में गुम हुई है तो वह उत्तर दिशा की ओर होती है. वस्तु की ना तो खबर ही मिलती है और ना ही वस्तु ही मिलती है.


देखने का तरीका :-

जिस दिन या समय वस्तु चोरी हुई है या व्यक्ति गुम हुआ है या घर छोड़कर चला गया है। उस दिन उस समय जो नक्षत्र चल रहा था। उसकी प्रकृति के अनुसार उस व्यक्ति या वस्तु की स्थिति होती है। जैसे रेवती नक्षत्र में कोई वस्तु या व्यक्ति गुम हुआ है तो वह अंध लोचन नक्षत्र होने से पूर्व दिशा में ढूंढ लेने पर मिल जाती है। इस प्रकार देखना चाहिए-


 अब प्रश्न लग्न से चोरी देखें

जब भी व्यक्ति या वस्तु की चोरी या गुम होने का पता लगे तो उस समय को कहीं लिख लीजिये। उस समय के अनुसार प्रश्न कुंडली बनाकर उसके लग्न आदि के अनुसार व्यक्ति या वास्तु की दिशा का पता लगाया जा सकता है। यदि आपको प्रश्न कुंडली देखनी आती है तो आप खुद भी देख सकते है।  वरना  किसी योग्य ज्योतिषी के पास जाकर इस बारे में चर्चा कर सकते है। इसके लिए आप इस लेख का प्रिंट निकाल कर भी ले जा सकते है।  इससे ज्योतिषी जी को सभी विषय अलग अलग ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

वस्तु के चोरी होने या व्यक्ति के गुम होने की प्रश्न कुंडली बनायें-

यदि लग्न में मेष या वृष राशि आती है तो वस्तु या व्यक्ति पूर्व दिशा में मिलता है।
यदि लग्न में मिथुन राशि हो तो वस्तु  या व्यक्ति अग्नि कोणमें मिलता है।
यदि लग्न में कर्क राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति दक्षिण दिशा में मिलता है।
यदि लग्न में सिंह राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति नैरऋत्य कोण में मिलता है।
यदि लग्न में कन्या राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति उत्तर दिशा में मिलता है।
यदि लग्न में तुला और वृश्चिक राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति पश्चिम दिशा में मिलता है।
यदि लग्न में धनु राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति वायव्य कोण में मिलता है।
यदि लग्न में मकर और कुम्भ राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति उत्तर दिशामें मिलता है।
यदि लग्न में मीन राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति ईशान कोण में मिलता है।


     अब सवाल ये उठता है कि चोरी किसने की और उसकी जाति क्या है  तो प्रश्न कुंडली के पहले भाव में आने वाली राशि के आधार पर अनुमान  लगाया जा सकता है-
यदि पहले भाव में मेष राशि हो तो चोरी करने  वाला ब्राह्मण या सम्मानीय भद्र पुरुष होता है 
यदि वृष राशि हो तो क्षत्रिय होता है 
यदि मिथुन राशि हो तो वैश्य होता है। 
यदि कर्क राशि हो तो शुद्र या नौकर होता है। 
यदि सिंह राशि हो तो अपना ही कोई  व्यक्ति होता है
यदि कन्या राशि हो तो  कुलीन स्त्री ,घर की बहू  -बेटी  या बहन होती है। 
यदि तुला राशि हो तो पुत्र ,भाई या जमाता होता है।
यदि वृश्चिक राशि हो तो अन्य नीची जाति का व्यक्ति होता है।
यदि धनु राशि हो तो कोई महिला होती है।
यदि मकर राशि हो तो वैश्य  या व्यापारी होता है।
यदि कुम्भ राशि हो तो चूहा ले ले जाता है।
यदि मीन राशि हो तो वस्तु घर में ही कही रखी है।  परन्तु मिल नहीं रही।


चोरी हुई वस्तु या गुम हुआ व्यक्ति  मिलेगी या नही:-

वस्तु गुम हुई है या व्यक्ति गुम  हुआ है।  वह मिलेगा या नहीं ? इसके लिए प्रश्न कुंडली में चंद्रमा की स्थिति देखी  जाती है। यहाँ पर चंद्रमा को मालिक और  सातवें  भाव को चोर माना जाता है। चौथे भाव को धन -प्राप्ति  की जगह और पहले भाव को चोरी गया सामान माना जाता है।

 पहले भाव का स्वामी यदि  सातवें भाव  या उसके स्वामी के साथ हो तो कोशिश करने पर चोरी गया धन या गुम हुआ व्यक्ति मिल जाता है।

यदि  पहले भाव का स्वामी आठवें में हो तो चोर  चोरी की गयी वस्तु  लौटा देगा। परन्तु  ग्रह अस्त होगा तो चोरी का पता तो चलेगा लेकिन  वस्तु नहीं मिलेगी।

पहले भाव का स्वामी दसवें भाव  के स्वामी  के साथ हो  तो चोर माल सहित पकड़ा जायेगा।
 यदि  पहले भाव के स्वामी की दृष्टि दसवें भाव  के स्वामी पर  हो तो चोरी गयी वस्तु अवश्य  मिलेगी।
यदि  सातवें भाव  का स्वामी सूर्य के साथ अस्त हो तो बहुत समय बाद चोर का तो पता चल जायेगा पर वस्तु नहीं मिलेगी।
यदि  पहले और सातवे भाव का स्वामी साथ में हो तो चोर  जेल जाने के डर से खुद ही माल को वापस दे देता है।
यदि सातवें भाव पर पहले भाव के स्वामी की दृष्टि ना पड़  रही हो तो ना चोर को फायदा  होता है ना मालिक को , चोरी के माल को कोई बिचोलिया या तीसरा आदमी ही  हड़प लेता है।
प्रश्न कुंडली में आठवां  भाव चोर के धन रखने का स्थान होता है इसलिए अगर धन भाव  का  स्वामी आठवे भाव में ही बैठा हो तो माल नहीं मिलेगा। और अगर धन भाव का स्वामी सप्तम में हो तो भी माल नहीं मिलता क्यूँ कि "चंद्रास्वामी चोर सप्तम "  के अनुसार  सप्तम भाव स्वयं  चोर है।
 दूसरे भाव का स्वामी यदि  आठवें भाव के स्वामी के साथ हो तो धन मिल जाता है।
 यदि  आठवे और दसवें भाव के स्वामी साथ हो तो पुलिस या अन्य कोई सरकारी आदमी चोर से मिला हुआ होता है. चोरी का माल मिल बाँट कर खा जाते है।

चोरी का माल कहाँ  छुपाया गया है -चोरी का माल कहाँ छिपाया  गया  है इस पर विचार करते हैं।
यदि  पहले और सातवे भाव का स्वामी आपस में स्थान परिवर्तन  या दोनों एक ही भाव में हो तो वस्तु घर में ही कहीं छुपी या छुपाई गयी है।
 यदि चंद्रमा पहले भाव  में हो तो वस्तु  पूर्व दिशा में होगी और
अगर सप्तम में हो तो वस्तु पश्चिम में मिलेगी।
चंद्रमा अगर दशम ने हो तो दक्षिण और
 चतुर्थ में हो तो वस्तु  उत्तर दिशा में मिलेगी।

 यदि  पहले भाव में अग्नितत्व राशि ( मेष ,सिंह ,धनु ) हो तो वस्तु घर के पूर्व में ,अग्नि -स्थान , रसोई घर में ही मिल जाती है।
 यदि पहले भाव में  पृथ्वी -तत्व राशि ( वृषभ ,कन्या ,मकर ) हो तो वस्तु दक्षिण दिशा में भूमि में दबी मिलेगी।
 यदि  पहले भाव में वायु -तत्व राशि  ( मिथुन ,तुला कुम्भ ) हो तो वस्तु पश्चिम दिशा में हवा में लटकाई गयी है। या ऊपर कहीं  छुपाई गई है।
यदि पहले भाव में जल-तत्व राशि ( कर्क ,वृश्चिक ,कुम्भ )  हो तो वस्तु जलाशय के पास या उसके आस-पास या पानी वाली जगह के पास में उत्तर दिशा में मिलेगी।
चोर की उम्र का अनुमान :-

 चोर कौन है और कितनी उम्र का है इसका भी अनुमान लगाया जा सकता हैं-

 यदि प्रश्न -कुंडली में पहले भाव  पर सूर्य-चन्द्र दोनों की दृष्टि पड़ रही हो तो वस्तु  किसी घर के व्यक्ति ने ही चुराई है। और यदि पहले और सातवे भाव के स्वामी एक साथ लग्न में हो तो भी चोरी किसी घर के व्यक्ति ने ही की है।
यदि पहले भाव पर सूर्य या चन्द्र किसी एक ही की दृष्टि पड़ रही हो तो वस्तु किसी आस पास रहने वाले व्यक्ति ने चुराई है।
यदि  सातवें भाव का स्वामी बारहवें  या तीसरे  स्थान में हो तो घर के नौकर ने चोरी की है।
यदि  सातवें भाव का स्वामी अपनी राशि में या अपनी उच्च राशि में हो तो चोरी पेशेवर चोर ने की है। यहाँ पर चोर की शक्ति का ज्ञान लग्न,सप्तम और दशम भाव के बल के अनुसार करना चाहिए।
यदि प्रश्न -कुंडली में  सूर्य बलवान हो तो पिता या पिता की उम्र या पिता समान व्यक्ति ने चोरी की है। 
यदि चंद्रमा बली  हो तो माँ या माता के समान  या माता की उम्र की  महिला ने चोरी की है। 
यदि शुक्र बली हो तो किसी महिला ने चोरी की है। 
यदि गुरु बली हो तो घर के मालिक ने चोरी की है। 
यदि शनि बलि हो तो पुत्र ने और मंगल बली  हो तो भाई या सगा भतीजा चोर होता है। 
तथा बुध बलवान हो तो मित्र या मित्र -सम्बन्धियों ने चोरी की है।

चोर की उम्र कितनी होगी:-

पहले भाव में यदि  शुक्र हो तो   युवकसी उम्र होती है।
पहले भाव में यदि बुध हो तो बालक सी उम्र होती है। 
पहले भाव में यदि गुरु हो तो वृद्ध सी उम्र होती है। 
पहले भाव में यदि मंगल हो तो युवक सी उम्र होती है।
पहले भाव में यदि शनि हो तो वृद्ध सी उम्र का व्यक्ति चोर होता  है।

लग्न और दशम भाव के मध्य सूर्य है तो चोर बालक है। दशम भाव और सप्तम भाव के मध्य  सूर्य हो तो चोर युवक है। लग्न और चतुर्थ भाव के मध्य सूर्य हो तो चोर अत्यंत वृद्ध है

विशेष - इस विद्या का लम्बे समय तक अध्य्यन तथा निरंतर अभ्यास करने के बाद  ही प्रयोग में लेना चाहिए। अपने इष्ट को प्रबल रखकर फिर किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए।  यह अंतिम  निर्णय नहीं है।  

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