Monday 12 April 2021

Vrishchik rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge. / वृश्चिक राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिये इस लेख में.........

Posted by Dr.Nishant Pareek

Vrishchik rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge


 वृश्चिक राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिये इस लेख में.........

वृश्चिक-मेष- 

 दोनों राशियों का स्वामी मंगल है । एक-दूसरे के बल और क्षमताओं को सराहेंगे या उनके बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा जन्म लेगी। खुले दिल वाला मेष वृश्चिक की गुप्त चालों पर संदेह नहीं कर पाता। यदि दोनों के लक्ष्य समान हों तो दोनों मिलकर बहुत अच्छा काम करेंगे, लेकिन उनकी एक-दूसरे से काफी अपेक्षाएं होंगी।

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वृश्चिक-वृषभ-

ये आमने-सामने वाली राशियां हैं। प्रारम्भ में दोनों के बीच जबर्दस्त भौतिक आकर्षण जन्म लेता है, किन्तु जब यह आकर्षण घटने लगता है तो प्रेम का स्थान घृणा भी ले सकती है। दोनों राशियां ईर्ष्यालु और अपनी ही बात सोचने वाली हैं, अतः पारस्परिक विश्वास होना आवश्यक है । तीव्र भावनाएं कभा-कभी तूफानी प्रेम अथवा घृणा सम्बन्धों को जन्म देती हैं ।

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वृश्चिक-मिथुन-

दोनों राशियों में उतना ही साम्य है जितना काले और सफेद में । मिथुन में वृश्चिक की गहरी भावनात्मक तीव्रता का अभाव है। वह वृश्चिक की प्रबल आकर्षण-शक्ति से अभिभूत हो जाएगी। वृश्चिक की ईर्ष्यालु और स्वकेन्द्रित प्रकृति से मिथुन की स्वतंत्रता प्रिय आत्मा का गला घुटने लगेगा।

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वृश्चिक-कर्क-

भावनाएं तथ्य और तर्क पर छा जाएंगी। सौहार्द होने पर यह एक रचनात्मक योग होगा, किन्तु विवाद पैदा होने पर भावनाएं अंकुशहीन हो जाएंगी और स्पष्ट चिंतन में बाधा पड़ेगी। दोनों राशियां अतीन्द्रिय शक्ति वाली हैं और पूर्वानुमान कर सकती हैं। अतः पारस्परिक विश्वास होना आवश्यक है । कर्क का समझ का अपना ढंग है। वृश्चिक में कठोरता और निर्ममता हो सकती है।

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वृश्चिक-सिंह-

जब तक इन दोनों शक्तिशाली और दृढ़ इच्छा शक्ति वाली राशियों में कोई किसी पर हावी होने का प्रयास न करे, यह एक तूफान सिद्ध हो सकता है । यदि दोनों के लक्ष्य मिल जाएं और वे संयुक्त रूप से कार्य करें तो क्या नहीं कर सकतीं ! सिंह अपने खुलेपन के कारण वृश्चिक के गुप्त, रहस्यपूर्ण कार्य-कलापों को नहीं समझ पाएगी और लेने-देने में प्रायः उन्हें नापसन्द करेगी।

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वृश्चिक-कन्या-

व्यावहारिक या बौद्धिक क्षेत्रों में यह योग ठीक है। किन्तु भावनात्मक रूप से दोनों राशियों में आकाश-पाताल का अन्तर है । वृश्चिक में तीव्र भावनाएं हैं, बलवती इच्छाएं हैं और वह अपनी भावनाओं की दास है। कन्या उन्हें वश में रखने में विश्वास करती है। हां, वृश्चिक कन्या के विश्वसनीय बुद्धि संगत गुणों की सराहना करेगी।

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वृश्चिक-तुला-

वृश्चिक का स्वामी मंगल और तुला का स्वामी शुक्र एक प्रबल भौतिक भावनात्मक तथा यौन आकर्षण पैदा करने में समर्थ हैं । किन्तु कभी कभी सौम्य तुला को वृश्चिक की तीव्रता खटक सकती है। यदि ये युगल सुखी रहना चाहते हैं तो उन्हें ऐसे काम करने चाहिए जिनसे दोनों को आनंद तथा संतोष मिले । तुला बहुत नीति-कुशल है । वह ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे वृश्चिक को डंक मारने का अवसर मिले । तुला की मोहिनी और वृश्चिक का यौनाकर्षण दोनों एक-दूसरे को अपनी ओर खींचते हैं।

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वृश्चिक-वृश्चिक-

इस दुहरे योग से दोनों वृश्चिक जातकों की सुप्त या प्रकट भावनाएं और इच्छाएं और भी तीव्र हो उठेगीं । उनके लिए कोई मध्यमार्ग नहीं होगा। यदि दोनों के लक्ष्य समान हैं तो वे भारी सफलताएं प्राप्त करेंगे। यदि समान नहीं हैं तो उनके बीच उग्र झड़पों की सम्भावनाएं हैं। यह योग उन्हें संत भी बना सकता है और राक्षस भी ।

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वृश्चिक-धनु-

इस योग से घनिष्ठ सम्बन्धों में समस्याएं पैदा हो सकती हैं । धनु जातक किसी बन्धन को स्वीकार नहीं करता और अपना काम आजादी से करना चाहता है । इससे वृश्चिक जातक की दूसरों पर हावी होने की भावना को आघात लगेगा जिससे उसके मन में ईर्ष्या-भाव पैदा हो सकता है । वृश्चिक जातक की स्वयं से तथा दूसरों से भारी अपेक्षाएं होती हैं, जबकि धनु जातक किसी अंकुश को मानने को तैयार नहीं।

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वृश्चिक-मकर-

वृश्चिक का स्वामी मंगल और मकर का स्वामी शनि दोनों ही हठी ग्रह हैं, इसलिए इस योग में दोनों का मार्ग सरल और आनंददायक रहने की आशा नहीं है । महत्वपूर्ण लक्ष्यों के लिए दोनों लगन और दृढ़ता से कार्य करगे । यदि उनके लक्ष्य मिलते हैं, तो गम्भीर तथा व्यावहारिक मामलों के लिए यह एक अच्छा योग है । विवाद पैदा होने पर वे जानी दुश्मन भी हो सकते हैं। दोनों में से कोई एक-दूसरे के आगे झुकने को तैयार नहीं होगा और उनके गम्भीर मतभेद आसानी से नहीं सुलझ पाएंगे।

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वृश्चिक-कुम्भ-

दोनों दृढ़ इच्छा शक्ति वाली हैं। यदि अपनी शक्तियों को एक समान उद्देश्य के लिए मिला सकें तो भारी सफलता प्राप्त कर सकती हैं। वृश्चिक अत्यंत भावुक और स्वकेन्द्रित है। कुम्भ मित्रों के साथ मिल-बांटने में विश्वास करती है। वृश्चिक द्वारा कुम्भ पर हावी होने का प्रयास किए जाने पर कुम्भ विद्रोह कर सकती है। गम्भीर दरार पड़ने पर वह शीघ्र सम्बन्ध-विच्छेद कर लेगी । वृश्चिक के लिए प्रेम अत्यंत निजी मामला है । कुम्भ प्रेम को अधिक व्यापक रूप में देखती है । इस महत्वपूर्ण भावनात्मक अंतर को स्पष्ट रूप से न समझ पाने पर वृश्चिक कुम्भ को अत्यंत उदासीन महसूस करेगी।

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वृश्चिक-मीन- 

इन दो राशियों के बीच एक चुम्बकीय आकर्षण है। मिलकर वे गहन भावनात्मक सम्बन्ध को जन्म देंगी। वृश्चिक में प्रभुत्व की जन्मजात भावना होती है । मीन झुकने का आभास दे सकती है । मीन वृश्चिक के आंतरिक तनावों और बलवती भावनाओं को शान्त कर सकती है। दोनों में एकदूसरे के भावों, आवश्यकताओं, आशंकाओं और दोषों को महसूस करने का सहज ज्ञान होता है । लेकिन यदि उनके बीच विवाद हुआ तो भावना की अधिकता के कारण समझौते में बाधा आएगी।


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