मांगलिक योग - भ्रम और सत्य भाग / Mangal Yoga - Illusion and Truth
मंगल एक तमोगुणी, उष्ण , अग्निप्रधान, उग्र, व आक्रामक ग्रह है। यह रक्त का कारक है। वैवाहिक जीवन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। मंगल एक पापी ग्रह है इसलिए उस पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यदि यह कुंडली के पहले , चौथे , सातवें , आठवें , तथा बारहवें , भाव में बैठा हो तो मांगलिक योग अथवा दोष का निर्माण करता है। मंगल रक्त का प्रमुख कारक है। रक्त के बिना परिवार की वृद्धि सम्भव नही है। स्त्रियों में मंगल रज स्त्राव का प्रतीक है। स्त्री रजस्राव के पश्चात ही गर्भ धारण करती है। वीर्य के द्वारा ही पुरुष संतान पैदा करने में सक्षम होता है। वीर्य का मुख्य कारक शुक्र है। पुरुष का वीर्य और स्त्री का रज मिलकर ही संतानोतपत्ति करते है।
यह एक ऐसा योग है जिसका नाम सुनते ही सभी डर जाते है। इसलिए जब भी जहाँ भी विवाह की बात चलती है तो सबसे पहले यही मालूम किया जाता है कि लड़का या लड़की मांगलिक है या नही। सभी लोग इस योग से इसलिए डरते है कि जो व्यक्ति मांगलिक होता है उसे अपने वैवाहिक जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सुखी वैवाहिक जीवन के लिए कुंडली मिलायी जाती है। कुंडली में अन्य बातों के अलावा मांगलिक योग पर विशेष ध्यान दिया जाता है। प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार सुखी वैवाहिक जीवन के लिए इस योग का न होना अच्छा होता है। यदि कोई लड़का या लड़की मांगलिक होता है तो उसकी शादी मांगलिक लड़के या लड़की से ही होता है। विवाह के सन्दर्भ में मांगलिक दोष भय उतपन्न करने वाला तथा अनेक समस्याओं का कारण बनता है। जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से दाम्पत्य जीवन को प्रभावित करता है। अल्पज्ञ ज्योतिषी इस योग को ज्यादा महत्व नही देते अथवा व्यक्ति को बहुत ज्यादा डरा देते है। जिससे उसे मानसिक चिंता होने लगती है। कुछ पंडित, मात्र गुण मिलान तक ही सीमित रहते है अर्थात गुण मिलने से ही विवाह निश्चित कर देते है। जबकि यह गलत है। जब मांगलिक योग का इतना महत्व है तो इसका सूक्ष्म अध्ययन करना चाहिए।
कभी कभी ऐसा भी होता है कि ज्योतिषी कुंडली हाथ में लेकर देखते है कि पहले , चौथे , सातवें, आठवें, बारहवें, भाव में मंगल हो तो तुरन्त कह देते है कि व्यक्ति मंगलीक है। यदि इन भावों में मंगल न हो तो कह देते है कि मंगलीक नही है। ज्योतिष विज्ञान इतना विशाल है कि किसी भी बात का निश्चय करने से पहले अनेक बातों का सूक्ष्मता से अध्ययन करना चाहिए। उसके बाद ही किसी निर्णय पर पहुँचना चाहिए।
मंगल एक तमोगुणी, उष्ण , अग्निप्रधान, उग्र, व आक्रामक ग्रह है। यह रक्त का कारक है। वैवाहिक जीवन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। मंगल एक पापी ग्रह है इसलिए उस पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यदि यह कुंडली के पहले , चौथे , सातवें , आठवें , तथा बारहवें , भाव में बैठा हो तो मांगलिक योग अथवा दोष का निर्माण करता है। मंगल रक्त का प्रमुख कारक है। रक्त के बिना परिवार की वृद्धि सम्भव नही है। स्त्रियों में मंगल रज स्त्राव का प्रतीक है। स्त्री रजस्राव के पश्चात ही गर्भ धारण करती है। वीर्य के द्वारा ही पुरुष संतान पैदा करने में सक्षम होता है। वीर्य का मुख्य कारक शुक्र है। पुरुष का वीर्य और स्त्री का रज मिलकर ही संतानोतपत्ति करते है।
यह एक ऐसा योग है जिसका नाम सुनते ही सभी डर जाते है। इसलिए जब भी जहाँ भी विवाह की बात चलती है तो सबसे पहले यही मालूम किया जाता है कि लड़का या लड़की मांगलिक है या नही। सभी लोग इस योग से इसलिए डरते है कि जो व्यक्ति मांगलिक होता है उसे अपने वैवाहिक जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सुखी वैवाहिक जीवन के लिए कुंडली मिलायी जाती है। कुंडली में अन्य बातों के अलावा मांगलिक योग पर विशेष ध्यान दिया जाता है। प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार सुखी वैवाहिक जीवन के लिए इस योग का न होना अच्छा होता है। यदि कोई लड़का या लड़की मांगलिक होता है तो उसकी शादी मांगलिक लड़के या लड़की से ही होता है। विवाह के सन्दर्भ में मांगलिक दोष भय उतपन्न करने वाला तथा अनेक समस्याओं का कारण बनता है। जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से दाम्पत्य जीवन को प्रभावित करता है। अल्पज्ञ ज्योतिषी इस योग को ज्यादा महत्व नही देते अथवा व्यक्ति को बहुत ज्यादा डरा देते है। जिससे उसे मानसिक चिंता होने लगती है। कुछ पंडित, मात्र गुण मिलान तक ही सीमित रहते है अर्थात गुण मिलने से ही विवाह निश्चित कर देते है। जबकि यह गलत है। जब मांगलिक योग का इतना महत्व है तो इसका सूक्ष्म अध्ययन करना चाहिए।
कभी कभी ऐसा भी होता है कि ज्योतिषी कुंडली हाथ में लेकर देखते है कि पहले , चौथे , सातवें, आठवें, बारहवें, भाव में मंगल हो तो तुरन्त कह देते है कि व्यक्ति मंगलीक है। यदि इन भावों में मंगल न हो तो कह देते है कि मंगलीक नही है। ज्योतिष विज्ञान इतना विशाल है कि किसी भी बात का निश्चय करने से पहले अनेक बातों का सूक्ष्मता से अध्ययन करना चाहिए। उसके बाद ही किसी निर्णय पर पहुँचना चाहिए।
Mangal Yoga -
Illusion and Truth:-
Mars is a vindictive, hot, fire-fighting, furious, and aggressive planet. This is a blood factor. It has an important role in
marital life. Mars is a
sinful planet, so special attention is given to it. If
it is sitting in the first, fourth, seventh, eighth, and twelfth of the
horoscope, then it creates a manglik yoga or defect. Mars is a major factor in blood. Without blood, family
growth is not possible. Mars is a symbol of
discharge in women. The woman is pregnant
only after the menstruation. The woman
is able to produce offspring through semen only. The main factor of semen is Venus. The
semen of the man and the woman's raj together only takes birth.
It is such a yoga
that everyone is afraid when they hear the name. So
whenever there is a talk of marriage, whenever it is said that the boy or girl
is Manglik or not. Everyone
is afraid of this yoga that the person who is mangal has to face many problems
in his marital life. Horoscope is mixed for
happy marriage. In
addition to other things in the horoscope, special attention is paid to the
demanding yoga. According
to ancient texts, it is better not to have this yoga for a happy married life. If
a boy or girl is a manglik, then he is married to the demanding boy or girl. In
the context of marriage, the demandable impediment causes fear and causes many
problems. Which
directly or indirectly affects a married life. A
little astrologer does not give much importance to this yoga or scares the
person very much. By
which she starts having mental anxiety. Some
pundits are restricted to mere merit, which means marriage ensures only after
attaining quality. While this is wrong, it
is wrong. When
Manglik Yoga has so much importance, then it should be studied subtle.
Sometimes it happens that the astrologer sees in the
horoscope that if there is Mars in the first, fourth, seventh, eighth, twelfth,
sense, then immediately say that the person is mangal. If there is no Mars in
these expressions, then they say that there is no mangal. Astrology is so vast
that before many things can be decided, many things should be studied
intelligently. Only then should a decision be reached