Friday 26 February 2021

Tula rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge / तुला राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिये

Posted by Dr.Nishant Pareek

Tula rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge


तुला राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिये


तुला - मेषः-

यह मेल मेष अग्नि और तुला वायु तत्व का मेल है। किंतु कंुडली में ये राशियां एक दूसरे के आमने सामने होने के कारण उनके बीच में आकर्षण और विकर्षण दोनों हो सकते है। इनमें प्रबल शारीरिक या भावनात्मक आकर्षण रहता है। यदि उनमें टकराव होता है तो मेष की जीत होती है और तुला हार जाता है। जहां तक हो सके इस संबंध को टालना ही चाहिये। क्योंकि यह रिश्ता बहुत कमजोर नींव पर खडा होता है। 

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यदि पति मेष हो और पत्नी तुला हो तो आरंभ में तो पत्नी उसके दबदबे से प्रसन्न होती है, किंतु उसकी प्रसन्नता अधिक समय तक नही रहती। तुला पत्नी संबंधों की समानता में विश्वास रखती है। शीघ्र ही उसे पता चल जाता है कि मेष पति घर का एकछत्र स्वामी बनना चाहता है। तब उसका सारा उत्साह भंग हो जाता है। तुला पत्नी में अपने को अभिव्यक्त करने की स्वाभाविक प्रतिभा होती है। जबकि मेष पति प्यार के दो शब्द बोलना कमजोरी की निशानी समझता है। पत्नी अपने पिछले संबंधों पर विचार करना चाहती है या भावी संबंधों की योजना बनाना चाहती है। पति इसमें सहयोग करने से मना कर देता है और पत्नी के मन में भविष्य के प्रति असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है।  पत्नी दूसरों की, विशेषकर संकट में पडे लोगों की सहायता करना चाहती है। पति इसे समय की बर्बादी समझता है। उसे मैं से आगे कुछ नहीं दिखता। कभी कभी वह पत्नी की हीन भावनाओं का भी लाभ उठाने का प्रयास करता है। पत्नी के स्वतंत्र होने की इच्छा उसे चोट पहुंचाती है। यौन संबंधों में भी पत्नी की ओर से पे्रम की पहल का मेष पति गलत मतलब निकाल सकता है। इसे अपने पौरूष को चुनौती समझ सकता है। 

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यदि पत्नी मेष हो और पति तुला हो तो पति के रंगीले स्वभाव के कारण काफी कठिनाई पैदा हो सकती है। मेष जातक में विपरीत लिंगियों के लिये भारी आकर्षण पाया जाता है। इसका लाभ उठाकर वह एक सप्ताह किसी लडकी के साथ खिलवाड भी कर सकता है। उसके पे्रम के वादों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिये। मेष पत्नी इसे सहन नहीं करती है और झगडा होता है। इसका परिणाम पति के उठकर चले जाने में होता है। कभी कभी पति कमजोर वर्गों की वकालत भी करने लगता है, जिसे पत्नी समय की बर्बादी समझती है। 



स्ंाबंधों में अधिक तनाव आ जाने पर तुला पति अपना रौद्र रूप भी दिखा सकता है। ऐसे समय में पत्नी को उसके साथ विवादों में नहीं पडना चाहिये। क्योंकि दोनों में से कोई भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होता। यौन संबंधों में तुला पति पत्नी से रोमांस की अपेक्षा रखता है। वह चाहता है कि पत्नी उत्तेजक वस्त्र धारण करे। घर के वातावरण को रोमांस पूर्ण बनाए और उसके साथ हर समय रोमांस के लिये तैयार रहे। मेष पत्नी के लिये इसे करना कठिन होता है। 

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तुला - वृषः- 

 पृथ्वी तत्व और वायु तत्व में कोई मेल नहीं है, किन्तु दोनों राशियों का स्वामी शुक्र ही है। अतः यह संबंध भावनाओं पर निर्भर करेगा, जिसमें सौन्दर्य भावना की परख भी है। दोनों राशियों शांति और प्रेम से रहना चाहती है, अतः कोई पक्ष विवाद में पडना नहीं चाहेगा। कूटनीति कुशल तुला जातक जिददी वृष जातक से नीति पूर्वक निभा ले जा सकता है। दोनों को आनंद और भोग चाहिये। जिसके लिये बजट में व्यवस्था करनी होगी। 

इसके बाद भी यदि पत्नी वृष है और पति तुला है तो नित्य जीवन में पति पत्नी को उसकी सहन शक्ति की सीमा से अधिक नाराज कर सकता है। एक सप्ताह वह अपने काम में इतना व्यस्त रहता है कि उसे पत्नी के अस्तित्व तक का भान नहीं रहता और दूसरे सप्ताह वह पूरे आलस में डूब जाता है और कोई काम नहीं करता। वृष जातिका योजनाबद्ध तरीके से अपना जीवन चलाना चाहती है, जबकि तुला जातक एक घंटे से आगे की नहीं सोचता। उसे कुरेदने का अर्थ दोनों के बीच तीव्र झडप ही हो सकता है।  तुला जातक में एक हरजाईपन पाया जाता है। जिसका कोई इलाज नहीं हो सकता। इसके पीछे आत्म तुष्टि का ही कारण रहता है। वृष जातिका की ईष्र्या इसे सहने की अनुमति नहीं देती। फिर भी तुला जातक आम तौर पर उसके उबाल को पचा जाता है। प्रारंभ में प्रबल यौनाकर्षण के कारण उनकी व्यक्तित्व संबंधी समस्याएं उभर कर सामने नहीं आ पाती। धीरे धीरे यह आकर्षण कम होता जाता है। लेकिन उसके रहते वे तरह तरह के परीक्षणों के दौर से गुजरते है। 

यदि पति वृष जातक है और पत्नी तुला है तो केवल कलाएं और सौंदर्य बोध उन्हें आपस में बांध कर रखने के लिये पर्याप्त नहीं होगा। पति पत्नी को घर में रखना चाहता है। कुछ समय तक पत्नी को यह दर्शन अच्छा लग सकता है। परंतु अधिक दिन तक यह नहीं चल सकता। उसका स्वतंत्रता प्रेमी मन शीघ्र भटकने लगता है। पति पत्नी के बीच तनाव बढता जाता है। पति को पत्नी के चरित्र पर संदेह होने लगता है। धन की दृष्टि से भी दोनों के विचारों में बहुत अंतर होता है। पति में सुरक्षा की भावना मुख्य होती है तथा वह भविष्य के लिये बचाकर रखना चाहता है। पत्नी केवल तात्कालिक आवश्यकताओं की बात सोचती है और व्यय की अधिक चिन्ता नहीं करती। तुला जातिका वृष जातक को पति पाकर आरंभ में तो बहुत प्रसन्न रहती है। वृष जातक की यौन की भूख प्रबल होती है। बाद में पत्नी अनुभव करती है कि पति केवल अपनी भूख मिटाने में ही विश्वास रखता है। जबकि उसे स्वयं मानसिक उत्तेजना चाहिये। उसके मन में विद्रोह जन्म ले सकता है और वह उससे सहयोग से इन्कार कर सकता है। यदि पति अपने रूख पर अडा रहा तो वह अन्यत्र भी संतुष्टि की तलाश कर सकती है। दोनों की जोडी काफी तूफानी रहने की संभावना है। 

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तुला - मिथुन:- 

दो वायु तत्वों का यह एक अच्छा मेल है जिसमें मस्तिष्क का ग्रह बुध प्रेम तथा भावनाओं के प्रतीक शुक्र के साथ गठजोड करता है। दोनों एक दूसरे के परिष्कृत, कलात्मक, सुंदर, मिलनसार, दिलचस्प, और जानकारी से पूर्ण दृष्टिकोणों की सराहना करते है। मिथुन जातक तुला जातक के साथ विचारों का आदान प्रदान कर प्रसन्नता अनुभव करता है। तुला जातक मिथुन जातक के साथ मिलकर स्वयं को पूर्ण समझता है। 

मिथुन पत्नी और तुला पति घर में सम स्तर होते है। दोनों व्यक्ति की स्वतंत्रता की आवश्यकता को अनुभव करते है। वे सक्रिय सामाजिक जीवन और निरंतर परिवर्तनशीलता की भावना को सहर्ष स्वीकार करते है। तुला पति घर के काम में सहायता न करना, उसकी पत्नी को कुछ नाराज कर सकता है और पत्नी का बचकाना स्वभाव दिखाना पति को नापसंद हो सकता है। किन्तु अधिकांश समय उनके सबंधं अच्छे रहेंगें। तुला पति में संभोग की इच्छा प्रबल होती है। वह पत्नी को उसकी इच्छा भर मानसिक संतोष प्रदान कर सकता है। वह पत्नी की प्रशंसा करते थकता नहीं। लेकिन ये ही बातें वह अपनी अन्य प्रेमिकाओं से भी दोहरा सकता है। वह अत्यंत कुशल प्रेमी होता है और प्रेम का उसका अनुभव भी प्रचुर रहता है। अतः इन दंपत्तियों का जीवन कभी नीरस नहीं हो सकता। 

यदि पति मिथुन हो और पत्नी तुला हो तो नवीनता और उत्तेजना की खोज उन्हें एक दूसरे से बांध कर रखती है। प्यार का उन्माद कुछ कम होने पर पत्नी का ध्यान पति के अनुत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार और आर्थिक स्थिति की ओर जा सकता है। लेकिन घर में स्थायित्व लाने का दायित्व भी उसे ही संभालना होगा। इसमें वह झुंझला सकती है। फिर भी प्यार का आकर्षण इतना अधिक होगा कि झुकने को सहज ही तैयार हो जायेगी। यदि पत्नी कोई व्यापार चलाती है तो उसमें पति से पूर्ण सहयोग मिलेगा। पति पत्नी दोनों यात्रा के भी शौकीन होंगे और प्रायः बिना पूर्व कार्यक्रम के छोटी छोटी यात्राओं पर चल जायेंगे। यौन संबंधों में दोनों एक दूसरे की आवश्यकताओं को समझते है। उनका साथ साथ रहना ही दोनों को उत्तेजित किये रहता है। ऐसी संभावना कम ही है कि कोई तीसरा व्यक्ति उनके संबंधों में दरार पैदा कर सके। क्योंकि दोनों ही थोडी बहुत उंच नीच को महत्व नहीं देते। 

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तुला - कर्कः- 

जल और वायु में अधिक तालमेल नहीं है, किन्तु दोनों राशियों के स्वामी चन्द्र और शुक्र में अनेक बातें समान हैं और उनकी निभ जाती है। कर्क जातक के मन को बहुत जल्दी चोट पहुंचती है, लेकिन तुला जातक उत्तेजना दिलाए बिना जानबूझकर संघर्ष पैदा करने वाला कोई काम नहीं करेगा। हां, तुला जातक भावना और तर्क के बीच सन्तुलन पसन्द करता है, अतः कर्क जातक की अत्यधिक भावना से कभी-कभी परेशान हो सकता है।

यदि पत्नी कर्क जातिका है और पति तुला जातक तो उनके बीच किसी निर्णय पर पहुंचना कठिन होगा। पति बात को आगे बढ़ाता है जबकि पत्नी उसे टालती है । तुला जातक साझेदारी निभाने की चुनौती को स्वीकार कर इस दिशा में काफी प्रयास करेगा। वह नारी की इच्छाओं का पूरा पारखी होता है। किन्तु उसे अपना बनाए रखने के लिए कर्क पत्नी को अपनी बुद्धि का विकास करना होगा। तुला जातक बहुत शीघ्र बेचैन हो उठता है और ऊब जाता है । उसकी आंखें हमेशा नए शिकार की खोज में रहती हैं। अतः उसे वश में रखने के लिए कर्क पत्नी को सदा आकर्षक बने रहना होगा। तुला पति के लिए यौनाचार का भारी महत्व है और पत्नी उसे इस दिशा में व्यस्त रख सकती है। उसका रंगीला दृष्टिकोण ही काफी नहीं होगा। तुला पति को तरह-तरह की यौन विकृतियों के विचार से उत्तेजना मिल सकती है जबकि कर्क पत्नी का मन उनके प्रति विद्रोह करेगा।

यदि पति कर्क जातक है और पत्नी तुला जातिका, तो पत्नी का सामाजिक जीवन के प्रति प्रबल उत्कंठा पति के घरेलू जीवन में आनन्द लेने की प्रवृत्ति से टकराएगी। जितना पत्नी पति को घर से बाहर खींचने का प्रयास करेगी, उतना ही पति और अपनी जिद पर अड़ता जाएगा। अन्त में पत्नी सामाजिक जीवन में आनन्द लेना प्रारम्भ कर देगी और पति अपनी उदास घड़ियां घर में बिताएगा। बहस का भी कोई लाभ नहीं होगा। पति भावना से काम लेगा और पत्नी बुद्धि से। कर्क पति को तुला पत्नी का कपड़ों तथा साज-श्रृंगार पर व्यय भी पसन्द नहीं आएगा। उसकी समझ में यह बात नहीं आएगी कि इससे पत्नी का अहम् सन्तुष्ट होता है और उसमें अधिक नारी-भाव का विकास होता है, न यह कि साज- श्रृंगार उसके व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण अंग है। कर्क पति की रुचि किसी खेल में हो सकती है लेकिन पत्नी को घण्टों खड़े-खड़े उसका खेल देखना नहीं भाएगा।

उसका यौन-जीवन दिल और दिमाग का निरन्तर टकराव होगा। तुला पत्नी कर्क पति की भावना को नहीं समझ सकती और कर्क पति मानसिक उत्तेजना के लिए तुला पत्नी की आवश्यकता को नहीं समझ पाएगा।

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तुला - सिंह:- 

आग का वायु से मेल बैठ जाता है। इन दो राशियों के जातकों में जीवन के अनेक आनन्द समान रूप से भोगने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है । तुला जातक हर बात में संतुलन चाहता है । सिंह जातक उसे अत्यधिक खर्चीला, उदार, आत्मश्लाघी दिखाई देता है। सिंह जातक में प्रभुता की भावना होती है, किन्तु तुला जातक अपनी चतुराई से उसे अपना मन चाहा करा लेता है।

पत्नी सिंह जातिका और पति तुला जातक होने पर पत्नी मतभेद दूर करने तथा तनाव कम करने के लिए जहां बहस में विश्वास करती है वहां पति को उसके उबाल अप्रिय तथा असंतुलित लगते हैं। मतभेदों पर शाति से चर्चा करते समय उसे सिंह पत्नी के ज्वालामुखी का सामना करना पड़ता है। निर्णय लेने के प्रश्न पर भी दोनों में मतभेद हो सकता है। जब तक आवश्यक न हो पति किसी भी निर्णय से बचना चाहता है और पत्नी उसे उत्तरदायित्वहीन समझने लगती है। तुला जातक स्वभावतः रूप-पिपासु होता है। कोई भी सुन्दर नारी पास से गुजरे, वह उसकी ओर आकर्षित होगा और उसे लुभाने का प्रयास करेगा। पत्नी की आयु में बड़ा अन्तर होने पर यह बात और भी खुलकर सामने आती है । तुला जातक को यह अहसास चाहिए कि यौवन ढलना शुरू होने पर भी उसकी मोहिनी शक्ति कम नहीं हुई। सिंह पत्नी की दृष्टि से उसकी यह प्रवृत्ति छिपी नहीं रहती। पति-पत्नी दोनों में कठोर परिश्रम की क्षमता होती है, किन्तु बीच-बीच में वे लम्बे समय तक निष्क्रिय भी रहते हैं । यह प्रवृत्ति दोनों में मिलती है, फिर भी वे एक-दूसरे पर आलसी होने का आरोप लगाते हैं

यौन सम्बन्धों में उनकी भूख लगभग समान होते हुए भी उसमें अन्तर होता है । पति को पत्नी में चमक-दमक तथा कल्पना चाहिए जबकि पत्नी का रवैया अधिक उदार तथा सीधा-सादा होता है। निदान पति अन्यत्र सन्तोष की खोज करने लगता है।

जब पति सिंह जातक हो और पत्नी तुला जातिका तो पत्नी पति के पौरुष से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती। उसके मन को चोट तब पहुंचती है जब पति को निष्क्रियता का दौरा पड़ता है । शीघ्र ही वह समझने लगती है। कि चापलूसी की एक अच्छी खुराक उसे पुनः गतिशील बना सकती है। धीरे धीरे वह पति की प्रमुख भावना से भी समझौता करने लगती है। लेकिन जब पति अपनी गलती होने पर भी उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं होता तब उसकी न्याय-भावना को आघात लगता है।

यह युगल अपनी मित्र-मंडली में बहुत लोकप्रिय रहेगा। सिंह पति मित्रों को खिलाने-पिलाने में विश्वास करता है और तुला-पत्नी उत्तम अतिथि-सत्कारक सिद्ध होती है। यदि वे समझदारी से काम नहीं लेते तो अच्छी-अच्छी वस्तुओं पर खर्च करने का उनका स्वभाव उन्हें अल्प समय में ही धनहीन बना सकता है। ऐसी स्थिति में आर्थिक दायित्व पति को ही सम्भालना पड़ सकता है । पत्नी अपनी असहायता का नाटक कर उसे इसके लिए तैयार कर सकती है। सिंह जातक में आमतौर से ईष्र्या नहीं होती। किन्तु यदि पत्नी अपने व्यवसाय में उससे अधिक सफल होने लगती है तो पति की ईष्र्या जागे बिना नहीं रह सकती। अतः अच्छा हो कि पत्नी अपनी सफलता की बात पति को न बताए ।

यौन-व्यवहार में पति पत्नी को व्यस्त और प्रसन्न रखेगा। दोनों के लिए अपने प्रेम का प्रदर्शन करना और एक-दूसरे को संतुष्ट रखना कठिन नही है। दोनों के सम्बन्ध जोशीले और अच्छे रहेंगे। 

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तुला - कन्याः- 

दोनों राशियों के स्वामी, मस्तिष्क तथा भावना के प्रतिनिधि, बुध तथा शुक्र एक-दूसरे के पूरक होने के कारण इस योग में पृथ्वी तत्व और वायु तत्व का बेमेलपन अधिक नहीं खटकेगा। दोनों पूर्णता प्राप्त करना चाहते हैं। तुला जातक का लक्ष्य सन्तुलन तथा सौन्दर्य की खोज है, अतः वह कन्या जातक के आलोचक पक्ष से नहीं टकराएगा।

कन्या पत्नी को तुला पति अत्यन्त आकर्षक, मिलनसार और रूमानी प्रतीत होगा। वह प्रशंसा से पत्नी का सहज में ही दिल जीत लेगा, लेकिन पत्नी यह समझने में असफल रहेगी कि उससे इस प्रकार की प्रशंसा प्राप्त करने वाली वह इस वर्ष की बीसवीं महिला है। कुछ दिन तक वह अपना भ्रम पाले रहेगी, किन्तु कभी-न-कभी तो उसे तथ्यों का सामना करना ही होगा। उसी समय से उनके सम्बन्धों में मोड़ आने लगेगा। पत्नी द्वारा अपने व्यक्तित्व की बहुत अधिक छीछालेदार किए जाने से तुला पति की न्याय-भावना आहत होगी। कन्या पत्नी के मन में उसकी इस भावना के प्रति जरा भी सहानुभूति नहीं जागेगी। वह भावना से नहीं, बुद्धि से काम लेना चाहती है। पति के किसी बहस में पड़ने से इन्कार करने पर पत्नी को निराशा हो सकती है। तुला जातक की यौन-भावना नित्य बदलती रहती हैं। एक दिन उसके मन में पत्नी के प्रति अचानक प्यार उमड़ आएगा और दूसरे दिन वह उसे घण्टों तक बहकाता रहेगा। कन्या जातिका प्रेम-प्रदर्शन के मामले में अधिक सीधी होती है और उसे यह सब नाटक लगता है।

यदि पति कन्या जातक है और पत्नी तुला जातिका, तो पति की नकारात्मक दृष्टि से परेशान होने की बारी पत्नी की है। तुला पत्नी अपने पति से अधिक सामाजिक होगी। पति इसे उसकी उत्तरदायित्वहीनता समझ सकता है। दोनों का प्रेम-प्रदर्शन का ढंग भी अलग-अलग होगा। पति चाहेगा कि पत्नी उसके कार्यों से उसके प्रेम को समझे न कि बातों से । पत्नी के स्वभाव को इससे निराशा होगी।

कन्या पति एक-एक पैसे के खर्च का हिसाब चाहेगा। यदि उसे सन्देह हो गया कि पत्नी फिजूलखर्ची कर रही है तो वह उसे एक पैसा नहीं देगा। पत्नी के पालतू पशु-पक्षियों को पति तब तक सहन करेगा जब तक वे शान्त रहेंगे, अन्यथा इस प्रश्न पर भी वह बखेड़ा खड़ा कर सकता है। ऐसे भी अवसर आ सकते हैं जब पत्नी घण्टों खर्च कर शानदार भोजन तैयार करे और प्लेट में एक जरा-सी दरार पति का सारा मूड बिगाड़ दे।

यौन-सम्बन्धों के प्रति पति-पत्नी के अन्तर को पाटना अत्यन्त कठिन होगा। पति के लिए यह एक सामाजिक कर्तव्य है, जबकि पत्नी के लिए जीवन का आवश्यक अंग । यह मेल अच्छा नहीं कहा जा सकता।

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तुला - तुला:- 

वायु और वायु के मिलाप से कोई टकराव नहीं होता। दोनों का स्वामी शुक्र है। जो कि पे्रम, शांति व सौहार्द का प्रतीक है। अतः ज्यादातर बातों में दोनों सहमत हो जाते है। किसी तरह का टकराव होता है तो तुला जातक परेशान हो जाता है। दोनों ही टकराव पैदा करने वाली बातों को अनदेखा कर देते है या बीच में छोड़ देते है। दोनों आराम पसंद होते है। अच्छा जीवन जीना पसंद करते है। उनमें संघर्ष की भावना नहीं होती। इससे यह जोड़ी ज्यादा उन्नति नहीं करती। क्योंकि इनसे मेहनत नहीं होती। घर का वातावरण निश्चय ही उनकी रुचियों का परिचायक होगा।

दोनों जोड़ीदारों में यौवन का जोश छलक रहा होगा और वे अपने प्रेमपात्रों से भारी अपेक्षाएं रखेंगे। कोई भी अधिक समय तक घर से बंधे रहना पसन्द नहीं करेगा। उनकी प्रसन्नता के लिए ढेर सारी बाहरी रुचियां होनी चाहिएं । ऐसा न होने पर उनमें नैराश्य भावना छा जाएगी। प्रबल न्याय भावना होने के कारण उनके घर में मित्रों तथा परिचितों की लडाइयां हल के लिए आएंगी। उनका घर आवारा और भूखे पशुओं का चिड़िया-घर भी बन सकता है।

दोनों के बीच अत्यधिक यौनाकर्षण रहेगा और वे एक-दूसरे को प्रसन्न करने के नए-नए उपाय सोचेंगे। उनके जीवन में तीसरा व्यक्ति भी प्रवेश कर सकता है, लेकिन इसे वे हलके मन से स्वीकार कर लेंगे।

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तुला-वृश्चिक-

इस जोड़ी में वायु का पानी से मेल होना सम्भव है। तुला का स्वामी शुक्र और वृश्चिक का स्वामी मंगल प्रबल शारीरिक, भावनात्मक और यौन आकर्षण पैदा कर सकते हैं। किन्तु कभी-कभी विनम्र तुला जातक को वृश्चिक जातक की तेजी बहुत अधिक मालूम हो सकती है। तुला जातक में इतनी नीति-कुशलता अवश्य होती है कि वृश्चिक जातक को डंक मारने के लिए उत्तेजित न करे। तुला जातक की मोहिनी और वृश्चिक जातक के यौनाकर्षण में परस्पर खिंचाव रहता है।

तुला पत्नी को वृश्चिक पति की प्रेमाभिव्यक्ति कुछ समय के लिए आकर्षित कर सकती है। उसके बाद वह खिचने लगती है। इस पर पति उसे अधिक कठोरता से जकड़ने और उसके घर से बाहर आने-जाने पर अंकुश लगाने का प्रयास करता है । फलतः पति-पत्नी के सम्बन्ध बिगड़ते जाते हैं।

दोनों में यौन की गहरी भूख रहती है, लेकिन जहां यह भूख पति में वासना के रूप में प्रकट होती है, वहां पत्नी को उसकी शान्ति के लिए मानसिक उत्तेजना चाहिए।

यदि पति तुला जातक है तो उसे वृश्चिक पत्नी के जटिल स्वभाव को समझने में काफी समय लगेगा। उसे पत्नी के बारे में नित नई-नई बातों का पता चलेगा। यह उसके चुनौतीप्रिय स्वभाव को आकर्षित करेगा। कठिनाई घरेलू जीवन के प्रति उनके विरोधी दृष्टिकोणों से पैदा होगी। पति घर से बंधा रहना नहीं चाहेगा और पत्नी के उसे बांधे रखने के प्रयास का प्रतिरोध करेगा। पत्नी का भावनात्मक उबाल उसे अरुचिकर लगेगा। उसे अपने आस-पास सौहार्द और सौन्दर्य चाहिए। वह बहस या टकराव में नहीं फंसेगा और उठकर घर से बाहर चल देगा। वह तभी लौटेगा जब उसके विचार से पत्नी अधिक शांत मानसिकता में हो। इस प्रकार की हर घटना दोनों की खाई को चैड़ा करती जाएगी और ऐसा भी समय आएगा जब पति रात-रातभर घर से गायब होगा। तुला पति धन की भी अधिक चिन्ता नहीं करेगा। उसकी इस प्रवृत्ति से वृश्चिक पत्नी के मन में आर्थिक असुरक्षा का भय बढ़ेगा।

पति के यौन-जीवन में मानसिक उत्तेजना, चमक-दमक, नवीनता और रूमानीपन की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। पत्नी को ये बातें उलझन में डाल सकती हैं। किन्तु उसका जिद्दीपन उसे झुकने से रोक सकता है । जब उसे पता चलेगा कि पति अपनी तृप्ति के लिए अन्य महिला के पास जाने लगा है तो पत्नी की ईष्र्या जागकर उनके सम्बन्धों को तार-तार कर देगी।

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तुला-धनु-

इस योग में हवा के साथ आग का अच्छा तालमेल रहेगा। उनके स्वामी ग्रह शुक्र तथा गुरु प्रेम, प्रसन्नता, सफलता तथा आनन्द के गुणों की और वृद्धि करेंगे । नीति कुशल तुला जातक धनु जातक को उसकी प्रिय स्वतन्त्रता की छूट दे देगा। उदार धनु जातक तुला जातक को कुछ आनन्द और विलास भोगने देगा।

दोनों के मन में कोई वर्जना न होने से तुला जातिका और धनु जातक को प्रेम-पाश में आबद्ध होने में समय नहीं लगता। उनके सम्बन्ध मैत्री पर आधारित होते हैं। तुला पत्नी और धनु पति भी इसे आवश्यक समझते हैं, पत्नी पति की हर योजना में प्रोत्साहन देती है, भले ही वह पागलपन से भरी हो। योजना विफल हो जाने पर भी उसके माथे पर शिकन नहीं पड़ती।

धनु पति प्रायः अपने ईष्र्या-रहित स्वभाव का दम्भ कर सकता है, किन्तु तुला पत्नी से उसे अवश्य मात खानी पड़ेगी। भोजों और मिलन समारोहों में प्रायः वही आकर्षण का केन्द्र रहती है। दोनों में से किसी के व्यावहारिक न होने से इस युगल की आर्थिक स्थिति काफी अराजक हो सकती है। दोनों ही गतिशील जीवन को पसन्द करते हैं। उनके यौन सम्बन्धों में भी कुछ-न-कुछ विशेषता अवश्य होगी। पति अपनी बातों से पत्नी को रातभर गुदगुदाने का प्रयास करेगा और पत्नी रस ले-लेकर उसकी बातें सुनती रहेगी। इससे उसके यौन को भारी मानसिक तृप्ति मिलती है। पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे में खोए रहेंगे।

पति तुला जातक और पत्नी धनु जातिका होने पर भी दोनों एक दूसरे के स्वभाव से आकर्षित हुए बिना न रहेंगे। कठिनाई इस बात से होगी कि दोनों की मित्र-मंडलियां अलग-अलग ढंग की होंगी। पति पत्नी से कुछ अधिक सजने संवरने की अपेक्षा भी कर सकता है। आर्थिक स्थिति इस युगल की भी गड़बड़ ही रहने की सम्भावना है। अन्ततः पति को ही उसे सम्भालने का दायित्व उठाना होगा।

दोनों के बीच प्रबल आकर्षण रहेगा और उनकी यौन की भूख प्रायः समान होगी। तुला पति को अपनी पत्नी को संतुष्ट करने में आनन्द आएगा। वह पत्नी में समा जाने का प्रयास करेगा।

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तुला-मकर-

वायु का पृथ्वी से मेल सरलता से नहीं होता । मकर जातक में खुलकर अपना प्रेम प्रदर्शित करने का स्वभाव नहीं होता जबकि तुला जातक की यह आवश्यकता है । तुला जातक आराम और भोग-विलास का जीवन पसन्द करता है। मकर जातक जीवन को गम्भीरता और दायित्व से लेता है। मितव्ययिता उसके स्वभाव का अंग है।

यदि पत्नी तुला जातिका हो और पति मकर जातक तो कुछ समय तक पत्नी को पति के व्यावसायिक अतिथियों का स्वागत-सत्कार करने में प्रसन्नता होगी। पति भी पत्नी के इस गुण से प्रसन्न होगा। लेकिन आर्थिक मतभेद उनके जीवन को कठिन बना देंगे। पति योजना बनाकर चलता है और एक-एक पैसा बचाने में विश्वास करता है, जबकि आराम का जीवन पसन्द करने वाली पत्नी को उसका यह व्यवहार काटता-सा है। उसे यह बताते देर नहीं लगेगी। इस बारे में दोनों के बीच कोई समझौता नहीं हो सकता। काम के प्रति मकर जातक का दृष्टिकोण भी समस्याएं पैदा कर सकता है। पति का हर समय काम में व्यस्त रहना तुला पत्नी को पसन्द नहीं आएगा। उसे पति के मुंह से प्यार के बोल चाहिएं। कुछ समय वह धैर्य रख सकती है, किन्तु अन्ततः वह पति पर रूखा और भावनाहीन होने का आरोप लगाए बिना नहीं रह सकती।

उनके यौन जीवन से तनाव और बढ़ने की आशंका है। पति का दिमाग अपने धंधे की बातों में व्यस्त रहेगा और वह पत्नी का उतना ध्यान नहीं रख पाएगा। पत्नी उसे आकर्षित करने के लिए नारीगत गुणों से काम लेगी लेकिन पति उसके संकेतों को नहीं समझ पाएगा। यह बात तुला पत्नी को उससे विमुख कर सकती है।

यदि पति तुला जातक है और पत्नी मकर जातिका, तो पत्नी का सामाजिक जीवन में रुचि के अभाव से घबराने की बारी पति की है। पति में रंगीलापन बना रहता है जबकि पत्नी अपनी भावनाओं को बहुत गंभीरता से लेती है । गृह-कार्यों में पत्नी की कुशलता की ओर पति का ध्यान न जाना टकराव पैदा करेगा। पति अपनी समस्याओं की उपेक्षा कर बाहरी लोगों के लिये न्याय की लड़ाई लड़ रहा होगा।

यौनाचरण में पति को मानसिक भोजन चाहिए। विविधता के लिए उसकी खोज से पत्नी में रूखापन पैदा होगा। यह मेल बुद्धिमानी का नहीं होगा।

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तुला-कुम्भ-

वायु का वायु से तालमेल है। इन दोनों राशियों के जातक स्वभावतः मित्रता में विश्वास करते हैं और उन्हें अन्य लोगों का साथ चाहिए। दोनों मिलकर इस आनन्द को बांट सकते हैं। तुला जातक का प्रेम व्यक्तिपरक होता है जबकि कुम्भ जातक का विश्वपरक। जब कुम्भ जातक विरक्त या रहस्यमय होने लगता है तो तुला जातक उसे आकर्षित करने के लिए रोष के स्थान पर नीति से काम लेता है। दोनों की एक दूसरे से कोई असम्भव अपेक्षा नहीं होगी, फिर भी तुला जातक को कुम्भ जातक के सामाजिक कार्यों के लिए छूट देनी होगी।

यदि पत्नी तुला जातिका है और पति कुम्भ जातक, तो पत्नी पति के परोपकारी कार्यों में पूरी रुचि लेगी, यद्यपि दोनों के बीच कभी-कभी कुछ अनखनाहट हो सकती है। यह तब होगा जब पत्नी की भावना पति के तर्कों से टकराए । जहां तक यौन सम्बन्धों का प्रश्न है, केवल तुला पत्नी ही कुम्भ पति के वैरागी स्वभाव को बदल सकती है। वह उसे बता सकती है कि थोड़ा-सा दिमाग लगाने से यौन सम्बन्ध कितने मधुर हो सकते हैं।

यदि पति तुला जातक है और पत्नी कुम्भ जातिका, तो पति को तब तक पत्नी की स्वतंत्रता से कोई आपत्ति नहीं होगी जब तक वह सजी-संबरी नारी बनी रहे। वह अपने सम्बन्धों को स्थायी रूप से रूमानी बनाए रखने का प्रयास करेगा। पत्नी भी इससे प्रसन्न रहेगी। कभी-कभी दोनों इधर-उधर मुंह मारने को भी आपत्तिजनक नहीं समझेंगे।

वायु जातकों की भावनाएं तथा इच्छाएं आमतौर से सत्य ही होती है। किन्तु मन से उत्तेजना पाकर इस युगल में यौन भूख प्रबल हो सकती है। अपने यौन सम्बन्धों में वे उस क्षण के मूड, विविधता, नयापन और नए-नए परा से प्रभावित होंगे। वे साफ मन से किसी तीसरे व्यक्ति को भी अपने जीवन में ला सकते हैं।

तुला-मीन-

इन राशियां के स्वामी शुक्र तथा गुरू के बीच सौहार्द वायु तथा जल तत्वों के अन्तर को पाटने में सहायक होता है। दोनों का स्वभाव भिन्न होने पर भी कला, मनोरंजन सौहार्द, विनम्रता, प्रेम, साहचर्य, रूमानीपन आदि में समान विश्वास उन्हें एक दूसरे के समीप ला सकता है । तुला जातक में संतुलन तथा निष्पक्षता की अंतरंग प्रवृत्ति मीन जातक की उलझन, अनिर्णय और व्यवहार शून्यता का जवाब हो सकती है।

यदि पत्नी तुला जातिका है और पति मीन जातक, तो देर सवेर पत्नी यह महसूस करने लगेगी कि पति जीवन को अत्यधिक गम्भीरता से लेता है । वह हर समय खिलाड़ीपन के मूड में रहती है और पति आमतौर से गहरी संवेदनाओं से ग्रस्त रहता है । पत्नी यदि उसे गुदगुदाने का प्रयास करती है तो पति खिलखिलाने के बजाय और उबाल खा जाता है। पत्नी को आश्चर्य होता है कि इस व्यक्ति में क्या परिहास-भावना बिल्कुल नहीं है।

मीन जातक प्रायः अपने मन की बात को प्रकट न करने वाला होता है । तुला पत्नी के लगातार कुरेदते रहने पर उसकी यह प्रवृत्ति और बलवती हो उठती है। पत्नी की समझ में यह बात नहीं आती और दोनों के सम्बन्धों में टकराव बढ़ने लगता है। यौन सम्बन्धों में मीन जातक पहल करना पसंद करता है । अतः तुला पत्नी के लिए उससे अत्यधिक अपेक्षा न कर और स्वयं पहल न कर उसे इसकी छूट देना बेहतर रहेगा।

यदि पति तुला जातक है और पत्नी मीन जातिका तो और सब तो ठीकठाक रहेगा, किन्तु कठिनाई पत्नी की ईष्र्या से पैदा हो सकती है। मीन जातिका एक समय में एक ही व्यक्ति से प्रेम करने में विश्वास करती है जबकि तुला जातक का स्वभाव हरजाईपन का होता है। तुला पति मीन पत्नी को अपना निजी जीवन अपनाने में सहायता करेगा और उस पर घर का बोझ नहीं डालेगा। अपना भोजन स्वयं तैयार करने में भी उसे कोई हिचक नहीं होगी। किन्तु आर्थिक समझ दोनो में से किसी एक में न होने से इस क्षेत्र में कठिनाई हो सकती है। यह बात पति को ही सम्भालनी होगी।

दोनों की यौन-भूख प्रायः समान होगी और उन्हें एक दूसरे की आवश्यकताओं को समझने तथा संतोष प्रदान करने में समर्थ होना चाहिए। दोनों कल्पना और खिलवाड़ के शौकीन होते हैं और अपने यौन जीवन में भी नए-नए खेल खेलकर जीवन का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।


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