कट जाता है मांगलिक दोष, यदि कुंडली में ये ग्रह स्थिति हो तो...........
manglik dosh ki kaat kaise hoti hai ??
Mangal dosh cancellation
जीवन में मांगलिक योग विभिन्न प्रकार से प्रभावित करता है। जैसे विवाह में विलम्ब, बाधा, धोखा, शादी के बाद पति-पत्नी दोनों या किसी एक को शारीरिक, व्यवसायिक या आर्थिक पीडा, आपसी मतभेद, आरोप-प्रत्यारोप, सम्बन्धविच्छेद आदि। यदि दोष में बल अधिक होता है तो दोनों में से किसी एक की मृत्य भी हो जाती है।
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परन्तु इससे भयभीत नहीं होना चाहिये। यह प्रयास करना चाहिये कि मांगलिक का विवाह मांगलिक से ही हो। क्योंकि समान रूप से मंगल दोष होने पर वह निष्फल हो जाता है। अर्थात् उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। तथा पति-पत्नी सुखी रहते हैं -
(1) दम्पत्योर्जन्मकाले व्ययधनहिबुके सप्तमे लग्नरन् ।
लग्नाच्चन्द्राच्च शुक्रादपि भवति यदा भूमिपुत्रो द्वयो।।
तत्साम्यात्पुत्रमित्रप्रचुरधनपतां दंपति दीर्घ-काला।
जीवेतामेकहा न भवति मश्तिरिति प्राहुरत्रात्रिमुख्याः।।
भावार्थ:- यदि लडका और लडकी की कुण्डली में मंगल पहले, दूसरे, बारहवें, चौथे, सातवें या आठवे घर में लग्न, चंद्रमा, शुक्र से समभाव में स्थित हो तो समान मंगलदोष होने के कारण वह प्रभावहीन हो जाता है। परस्पर सुख, धन धान्य, संतति, स्वास्थ्य, तथा मित्रादि प्राप्त होते हैं।
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(2) कुजदोष वत्ती देया कुजदोषवते किल।
नास्ति दोषो न चानिष्टंदम्पत्यो सुखवर्धनम।।
भावार्थ:- मंगल दोष से पीडित कन्या का विवाह मंगल दोष वाले वर के साथ करने से दोष का फल नष्ट हो जाता है। तथा दोनों के मध्य प्रेम बढ़ता है।
(3) भौम तुल्यो यदा भौमो पापो वा तादृशो भवेत।
वर बध्वोर्मिथस्तत्र भौम दोषो न विद्यते।।
भावार्थ- यदि कुण्डली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें तथा बारहवें घर में से किसी भी स्थान पर लडका व लडकी की दोनों की कुण्डली में मंगल स्थित हो तो परस्पर दोषों का नाश होकर विवाह में शुभ फल प्राप्त होते है।
(4) “राशि मैत्रम् यदा याति-गणैक्य वा यदा भवेत।
अथवा गुण बाहुल्ये भौम दोषो न विद्यते।।
भावार्थ - यदि लडका-लडकी की कुण्डली में आपस में राशि मैत्री हो गण भी समान हो तथा 27 या इससे अधिक गुण मिलते हो तो मंगल दोष निष्फल हो जाता है।
चैथे भाव में मांगलिक दोष का शुभ अशुभ सामान्य फल जानने के लिये क्लिक करे
दुर्बलः शुभ दृष्टोवा सूर्येणस्मऽगतोपिवा।।
भावार्थ:- कुण्डली में मंगल अनिष्ट स्थानों में बलवान् होकर बैठा हो तभी वह हानि करेगा अर्थात् मंगल दोष बनायेगा। यदि वह दुर्बल होकर, या शुभग्रह से दृष्ट होकर या सूर्य के साथ अस्त हो तो फिर हानिकारक नहीं माना जायेगा।
(6) वाचस्पतो नवम् पंचम केन्द्र संस्थे जाताऽगंना भवति पूर्ण विभूति युक्ता।
साध्वी सुपुत्र जननीरू सुखिनी गुणाड्डया सप्ताष्टक यदि भवेद शुभग्रहोऽपि।।
भावार्थ:- यदि कन्या की कुण्डली में पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें तथा बारहवें घर में मंगल हो और शुभ ग्रह बृहस्पति केन्द्र या त्रिकोण में हो तो मंगल दोष नहीं होता व कन्या साध्वी, सुपुत्र को जन्म देने वाली, सभी तरह से सुखी, गुणों से सम्पन्न, ऐश्वर्य युक्त, सौभाग्यशाली होती है।
(7) यदि किसी एक कुण्डली में मंगल दोष हो और दूसरे की कुण्डली में उसी घर में कोई पापग्रह हो (शनि, राहु) तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है। इस स्थिति में विवाह कर सकते है।
(8) यदि किसी की कुण्डली में पहले घर में मेष का मंगल हो, चौथे घर में वृश्चिक का, सातवें घर में मकर का, आठवें घर में कर्क का तथा बारहवें घर में धनु राशि में हो तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।
(9) यदि कुण्डली में मंगल किसी मंगली घर में तो तथा साथ में गुरु बुध या चंद्रमा भी हो अथवा इनमें से किसी ग्रह से दृष्ट हो तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है।
(10) कुण्डली में मांगलिक दोष हो तथा मंगल निर्बल हो और पहले या सातवें घर में बली गुरु हो या शुक्र हो तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है।
(11) यदि मंगल दोष वृश्चिक, मकर, सिंह, धनु, मीन राशि में हो तो हानिकारक नहीं होता।
(12) यदि गुरु मंगल को देखता हो, या गुरु के साथ मंगल हो या शक दूसरे घर में हो या बली चंद्र केन्द्र में हो तो मंगली दोष प्रभावी नहीं रहता है।
(13) मंगल यदि चर राशि में हो तो भी मंगली दोष समाप्त हो जाता है।
(14) यदि मंगल चौथे घर में वृष या तुला राशि में हो तो हानिकारक नहीं होता।
(15) यदि मंगल या शनि मंगली घर में वक्र हो तो मंगल दोष नहीं रहता।
(16) यदि मंगल, गुरु या शनि से राशि परिवर्तन करे तो भी मंगल दोष शान्त हो जाता है।
(17) यदि बारहवें घर का मंगल, मिथुन या कन्या राशि में हो तो मंगली दोष नहीं लगता।
(18) मांगलिक कुण्डली में यदि सप्तम घर का स्वामी व शुक्र बली हो या सप्तम में हो या सप्तम को देखते हो तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है।
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(20) यदि मंगल केतु के नक्षत्र (अश्विनी, मघा, मूल) में हो तो भी मंगल दोष समाप्त हो जाता है।
कर्क, सिंह तथा कन्या लग्न में मांगलिक दोष की शांति के सरल उपाय जानने के लिये क्लिक करे।
तुला, वृश्चिक तथा धनु लग्न में मांगलिक दोष की शांति के सरल उपाय जानने के लिये क्लिक करे।
मकर, कुंभ तथा मीन लग्न में मांगलिक दोष की शांति के सरल उपाय जानने के लिये क्लिक करे।
डॉ. बी. वी. रमन के अनुसार यदि किसी कुण्डली में मंगल दूसरे घर में बुध की राशि में हो तो मांगलिक योग समाप्त हो जाता है। यदि बारहवें घर में मंगल, शुक्र की राशि में हो तो भी मंगल हानि नहीं करता है। यदि चौथे घर में मंगल स्वराशि का हो तो भी हानि नहीं करता है। यदि सातवें घर में मकर का मंगल हो या कर्क का मंगल हो तो भी मंगल दोष समाप्त हो जाता है। मंगल यदि आठवें घर में गुरु की राशि (धनु या मीन) में हो तो भी मंगली दोष समाप्त हो जाता है।