7 मार्च को राहु- केतु का राशि परिवर्तन आपके लिए कैसा रहेगा। जानिए।
मेष -
जन्म चंद्रमा से राहु का तृतीय भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू चन्द्रमा से आपके तृतीय भाव
में होता हुआ गोचर करेगा । यह यथेष्ट शुभ समय का सूचक है । वित्तीय रुप से समय
उत्तम है । आपको अनेक जाने व अनजाने स्त्रोतों से धन प्राप्त होने की आशा है ।
यहाँ तक कि शत्रुओं से भी धन लाभ संभव है । यदि सेवारत हैं तो वेतन में वृद्धि की
आशा कर सकते हैं और यदि व्यापाररत हैं तो अतिरिक्त लाभ की संभावना है । कार्य में प्रगति भी संभावित है । आपकी
परियोजनाएँ यहाँ तक कि वे भी जिन्हें आप स्थगित कर चुके थे, सब सफलतापूर्वक पूर्ण हो जाएँगी । आपके सहकर्मी
तथा वरिष्ठ अधिकारी भी आपके साथ सहयोग कर सकते हैं । आपकी कार्यकुशलता व
कार्यक्षेत्र में आपकी विद्वता की ओर सबका ध्यान आकर्षित होगा । स्वास्थ्य अच्छा रहेगा व हर समस्या से आप साहस
व शक्ति के साथ जूझेंगे । सामाजिक दृष्टि
से भी समय अच्छा है । आप प्रतिष्ठा में एवम् समाज में यश में और अधिक वृद्धि की
आशा कर सकते हैं । घर मानों सुविधा का
पर्याय होगा । घर में शान्तिदायक वातावरण का आनन्द उठाने की संभावना है । यह समय
इसलिए भी उत्तम माना जा सकता है क्योंकि रसना की तृप्ति हेतु अनेक सुअवसर आएँगे,
घर व बाहर अत्यंत
सुस्वादु भोजन मिलेगा । कार्य पूर्ण करने में भाई - बहनों का भी सहयोग मिलेगा ।
यदि आप विपरीत लिंग वालों से प्रेम - अनुराग की मनोकामना रखते हैं तो यही सही समय
हो सकता है । यदि आप विवाहित हैं तो आपकी बीमार पत्नी / पति व बच्चों के पुन:
स्वास्थ्य लाभ की संभावना है ।
जन्म चंद्रमा से
केतु का नवम भाव से गोचर :-
इस अवधि में केतु
चन्द्रमा से आपके नवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । अन्य प्रभावों के अतिरिक्त
यह छोटी - मोटी शारीरिक व्याधियों व मानसिक रुप से आशंकाओं के उभरने का सूचक है ।
अपने वित्त को सावधानीपूर्वक व्यवस्थित करें क्योंकि आप अपनी पसीने की खरी कमाई
लॉटरी, सट्टेबाजी आदि में गँवा सकते हैं । धन को
सँभालकर सुरक्षित रखें क्योंकि इस विशेष समय में निर्धनता का सामना हो सकता है
। आपमें से अधिकांश ऐसी अवैध प्रक्रियाओं
में लिप्त हो सकते हैं जिन्हें धर्म नहीं स्वीकारता । भाई - बहनों से विवाद - बहस
में न पड़े । अपने मित्रों व परिचितों से सावधानीपूर्वक सँभल कर बर्ताव करें जिससे
वे आपको त्यागकर न चले जाए । इस दौरान आपको विदेश अथवा किसी पर्वतीय क्षेत्र में
यात्रा पर जाना पड़ सकता है । कृष्ण -
पक्ष में आपको शत्रुओं व काम-काज में प्रतिद्वंद्वियों के कारण हानि उठानी पड़
सकती है ।
वृष -
जन्म चंद्रमा से
राहु का द्वितीय भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू चन्द्रमा से आपके द्वितीय भाव
में होते हुए गोचर करेगा । यह वित्तीय, शारीरिक व
सामाजिक, तीनों पक्षों के लिए कठिन समय का सूचक है । इस
समय व्यय पर नजर रखें तथा चोरों व अप्रत्याशित खर्चों के प्रति सावधान रहें । वर्ष के इस काल में स्वास्थ्य व भोजन सम्बन्धी
आदतों के प्रति सावधानी बरतें । अनजान व असमय भोजन से बचें क्योंकि इससे पेट
गड़बड़ हो सकता है । नेत्रों को भी आपकी विशेष सावधानी की आवश्यकता है । आपमें से
अधिकांश की पत्नी / पति का स्वास्थ्य चिंता का कारण बन सकता है । यही समय है जब आपको मुकदमेबाजी व कोर्ट - कचहरी
से दूर ही रहना है क्योंकि इस दौरान अपना मुकदमा हार भी सकते हैं । अपने निकटजन व प्रियजनों से विवाद से बचें । इन
दिनों आपकी जीवनसाथी से भी खटपट हो सकती है । कहीं भी आपको यदि किसी बेईमानी का
आभास हो तो दूर ही रहें क्योंकि यह या कोई अन्य अपकीर्ति जो विपरीत लिंग वाले किसी
व्यक्ति से सम्बन्धित हो, समाज में आपकी छवि को हानि पहुँचा सकती है
।
जन्म चंद्रमा से
केतु का अष्टम भाव से गोचर:-
इस अवधि में केतु
चन्द्रमा से आपके आठवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह शारीरिक कष्टों का सूचक
ह । इस दौरान स्वास्थ्य की पूरी देखभाल करें व किसी भी प्रकार जीवन को खतरे में
डालने से बचें । इस समय आपको अनेक रोग घेर सकते हैं । ज्वर, बदन दर्द व जननेन्द्रिय रोग आपको पीड़ा का आभास करा सकते
हैं । मानसिक रुप से भी आप शक्तिहीन महसूस
करेंगे । आपके निवास स्थान पर घटित कोई घटना अवसाद का कारण बन सकती है । व्यय पर नजर रखें व अप्रत्याशित खर्चों के लिए
धन बचाएँ । अवैध कार्यों से बचें जो आपको अभियुक्त बनाकर कानून के दरवाजे तक ले
जाएँ । अपने गलत कार्यों के कारण समाज में आपकी बदनामी हो सकती है । फिर भी, शुक्ल पक्ष में
आपमें से कुछ अच्छे समय की आशा कर सकते हैं व जीवन में नया जोश अनुभव कर सकते हैं
। इस समय आपकी भोजन व आध्यात्मिक प्रक्रियाओं में रुचि बढ़ सकती है ।
मिथुन -
जन्म चंद्रमा से
राहु का प्रथम भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू चन्द्रमा से आपके प्रथम भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह
आपके जीवन पर अधिकतर अनेक नकारात्मक (विपरीत) प्रभाव डालेगा । राहू की यह स्थिति
वित्तीय स्त्रोतों की हानि व धन की व्यर्थ की बर्बादी की द्योतक है । आपको शत्रुओं से होने वाले कष्टों के प्रति
अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ेगी । इसके अतिरिक्त आपका अपमान होने की भी सम्भावना है
जिससे आपको नीचा देखना पड़े व कार्यक्षेत्र में कुछ नई अप्रत्याशित समस्याएँ उभरकर
आ सकती हैं । मन में खोट रखने वाले व्यक्ति से सावधान रहें व काला जादू जैसे
संदिग्ध क्रिया-कलापों के चक्कर में न पड़ें ।
स्वास्थ्य की ओर निरन्तर ध्यान देने की आवश्यकता है । कोई अनजानी व्याधि
उभर सकती है जो ठीक होने में सामान्य से अधिक समय ले सकती है । आपको माता - पिता
के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा ।
शारीरिक कष्ट के मानसिक चिन्ता बन जाने की संभावना है । निरन्तर चिन्तित
रहने के कारण आप गहरी मानसिक व्यथा से पीडि़त हो सकते हैं । आप इस विशेष समय में
स्नायविक तनाव, मानसिक क्लेश व बेचैनी से ग्रस्त हो सकते हैं ।
जन्म चंद्रमा से
केतु का सप्तम भाव से गोचर:-
इस अवधि में केतु चन्द्रमा से आपके सातवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह
आपके लिए व्यक्तिगत यातनाएँ लेकर आया है । आपके स्वास्थ्य को सर्वाधिक देखभाल की
आवश्यकता है क्योंकि अइाप अनेक रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं जिनका मूलरुप से
सम्बन्ध पेट से हैं । आप उत्साहहीनता व थकान महसूस कर सकते हैं । मानसिक रुप से भी आप व्यथित व बीमार महसूस कर
सकते हैं । व्यय पर ध्यान दें क्योंकि व्यर्थ के मदों पर धन खर्च करने की संभावना
है । कुछ भी हो, उधार न लें । यदि कृषि व्यवसाय में हैं तो
उत्पादों पर नजर रखें क्योंकि चोरी का भय है । फिर भी, आपमें से कुछ के व्यापार व वित्तीय स्थिति में अचानक प्रगति
हो सकती है । अपना आचरण सही रखें व पति /
पत्नी से विवाद में न पड़ें । यदि झगड़ा हुआ तो जीवनसाथी आपको छोड़कर जा सकताहै ।
सम्बन्धियों से सौहाद्रपूर्ण व्यवहार रखें, यदि ध्यान न रखा
तो वे आपके शत्रु बन सकते हैं । झगड़ों व
मुकदमेबाजी से बचें । अपनी मान प्रतिष्ठा व ध्यान रखें क्योंकि इसे चोट पहुँचा कर
आपकी बदनामी हो सकती है । यात्रा का भी योग है ।
कर्क -
जन्म चंद्रमा से राहु का द्वादश भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू चन्द्रमा से आपके बारहवें भाव
में होते हुए गोचर करेगा । यह आपके लिए
कठिन समय है । व्यापार व काम धंधे में हानि हो सकती है । आपके प्रयास व परियोजनाएँ
मनोवांछित परिणाम तक नहीं पहुँच पाएँगे । आपको पूर्व में आरम्भ किए कार्यों को
सम्पन्न करने में भी कठिनाई होगी । अपने धैर्य व आत्मविश्वास को न खोएँ क्योंकि
काम-काज के मार्ग में आई बाधाएँ इन्हें हिलाकर रख देंगी । अपने खर्च का पूरा ब्यौरा रखें व मितव्ययी बनें
क्योंकि आपके ऋण में डूबने की संभावना है । आप इस समय अपनी भूसम्पत्ति भी गँवा
सकते हैं । इस काल में आपके निवास परिवर्तन की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा
सकता है । समाज में बदनामी व अपमानित होने से बचने के लिए हर प्रकार की मुकदमेबाजी
से दूर रहें । अपने निकट के व्यक्तियों व प्रियजनों से सामन्जस्य बनाए रखें क्योंकि
ये आपका ऐसे समय विरोध कर सकते हैं जब आपको इसकी तनिक भी आशा न हो । आपका व आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य चिन्ता का
विषय हो सकता है । आपको कोई विशेष प्रकार का रोग
होने की संभावना है जिसका सही विश्लेषण होना चाहिए । अपने अंगों व मानसिक
स्वास्थ्य का ध्यान रखें । इस अवधि में आपको अनिद्रा रोग भी हो सकता है ।
जन्म चंद्रमा से केतु का षष्ठ भाव से गोचर:-
इस अवधि में केतु
चन्द्रमा से आपके छठे भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह शुभ समय है । यदि आप
व्यापार में हैं तो प्रगति व काम-धंधे में तो और अधिक सुधार लाने की संभावना है ।
जो खेती व पशु-पालन से जुडे़े हैं उन्हें भी अपने - अपने क्षेत्र में यथेष्ट लाभ
होगा । वित्तीय स्थिति मजबूत रहेगी । आप
धन उधार देकर लाभ कमा सकते हैं । इसके अतिरिक्त ऐसे व्यक्तियों को आप प्रभावित कर
सकते हैं जिनसे लाभ की आशा की जा सकती है । आपके विरोधियों को परास्त कर उनसे आगे
निकल जाने की भी संभावना है । फिर भी
स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है । शरीर में कोई भी कष्ट हो तो
तुरंत ध्यान दें क्योंकि इससे कोई पुराना रोग उभर सकता है । घर पर आपका लाड़-प्यार होगा व समय आनन्दपूर्वक
आमोद-प्रमोद में बीत सकता है । घर में विवाह जैसा कोई मांगलिक कार्य सम्पन्न हो
सकता है या आप सपरिवार गोठों (पिकनिक) पर जा सकते हैं । आप स्वयं में व आस-पास के
वातावरण में शान्ति अनुभव करेंगे ।
सिंह -
जन्म चंद्रमा से
राहु का एकादश भाव से गोचर :-
इस अवधि में राहू
चन्द्रमा से आपके ग्यारहवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह सुखद समय है ।
वित्तीय दृष्टि से यह समय विशेष शुभ है । आप धन के अन्तर्प्रवाह की आशा कर सकते
हैं जिसमें से कुछ कई स्त्रोतों से जैसे विदेश यात्रा, समुद्र यात्रा व जलमार्गों से सम्बन्धित
व्यापार आदि से अचानक आएगा । इस विशेष समय में आप भूमि, भवन व आभूषण क्रय कर सकते हैं । घर में जीवन सुखमय होगा । आप सुस्वादु भोजन का
आनन्द उठाएँगे । जीवनसंगी रोग मुक्त होगा व उस पर स्वास्थ्य की चमक दिखाई देगी ।
यदि विवाह योग्य पुत्र - पुत्री है तो उपयुक्त पात्र से आप उनके विवाह की योजना
बना सकते हैं । यदि कोई पुत्र या पुत्री रोग ग्रस्त हैं तो तीव्र गति से स्वास्थ्य
लाभ करेगा । सामाजिक दृष्टि से भी यह अच्छा
समय है । आप समाज में और अधिक मान व प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे । धार्मिक व
आध्यात्मिक क्षेत्र में आपकी रुचि बढ़ेगी फलस्वरुप इन साधनाओं से आप पर ईश - कृपा
होगी ।
जन्म चंद्रमा से
केतु का पंचम भाव से गोचर :-
इस अवधि में केतु
चन्द्रमा से आपके पाँचवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह जीवन में महत्तवपूर्ण
उतार - चढ़ाव का समय है । एक ओर असाधारण आशातीत धन लाभ हो सकता है तो दूसरी ओर
अत्यधिक व्यय आपको अनावश्यक खर्चों को रोकने में अत्यंत कठिनाई होगी, विशेष रुप से यदि कृष्ण - पक्ष हो । यह व्यय आपकी संतान के
मानसिक संताप के कारण हो सकते हैं । फिर भी आपमें से कुछ को इस दौरान अचानक धन
प्राप्ति हो सकती है । इस समय उधार या ऋण लेने से बचें । शुक्ल पक्ष में संतान का स्वास्थ्य चिंता का
विषय बन सकता है और आपको कठिन समय से गुजरना पड़ सकता है । अपने बच्चे की किसी भी
शारीरिक शिकायत की अनदेखी न करें क्योंकि
इससे जीवन खतरे में पड़ सकता है । इस समय परिवार के किसी सदस्य अथवा सम्बन्धी की
मृत्यु भी संभव है । अपने रिश्तेदारों की धूर्ततापूर्ण चालों में न फँसें । परिवार
व रिश्तेदारों के साथ सौहाद्रपूर्ण सम्बन्ध बनाए रखें क्योंकि संभव है इनमें से
कोई आपका शत्रु बन जाय । अपना उत्साह बनाए
रहें क्योंकि कार्य के असफल होने या रुक जाने के कारण इस समय आपको गहरा मानसिक
संताप पहुँचने की संभावना है ।
कन्या -
जन्म चंद्रमा से राहु का दशम भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू
चन्द्रमा से आपके दसवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । इसके मिले - जुले परिणाम
होंगे । अत: इस अवधि का प्रथम अर्धभाग यदि उत्तम रहा है तो दूसरे अर्धभाग में आपको
इसकी विपरीत दशा भोगनी पड़ सकती है । वित्तीय स्थिति अच्छी रहेगी क्योंकि
कार्यक्षेत्र में लाभ की संभावना है । काम - काज में सहयोग के वातावरण की आशा कर
सकते हैं क्योंकि उच्चाधिकारियों से आपके सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण रहेंगे । विशिष्ट
व्यक्तियों से मैत्रीपूर्ण स्नेह सम्बन्धों के कारण आप लाभ की आशा कर सकते हैं ।
काम - काज में भी आपको नए अवसर व आयाम मिलने की संभावना है जिससे आपको और अधिक
उत्तरदायित्व व और अधिकार मिलने की संभावना है ।
वित्तीय स्थिति पर ध्यान केन्द्रित रखें नहीं तो धन गँवा सकते हैं । स्वास्थ्य इस दौरान चिन्ता का कारण बन सकता है
। लगातार चिन्ताओं के फलस्वरुप अनिद्रा रोग हो सकता है । माता - पिता के स्वास्थ्य
की ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है । यदि इन दिनों आपकी 'मारक दशा' चल रही है तो जीवन जोखिम में डालने वाले
कार्यों से बचना अति आवश्यक है । आपमें से कुछ को माता अथवा पिता का दाह संस्कार
भी करना पड़ सकता है जो आपकी 'कर्म दशा' का परिणाम हो
सकता है । मानसिक रुप से आप संभव है अच्छा
महसूस न करें व सही निर्णय लेने की कुशलता भी गड़बड़ा सकती है । शत्रुओं से सावधान रहें व नए शत्रु न बनें इसका
ध्यान रखें । आपमें से कुछ कालू जादू से प्रभावित हो सकते हैं । घर पर आपका पति / पत्नी से झगड़ा संभव है ।
आपका किसी ऐसे स्थान पर स्थानान्तरण हो सकता है जो आपको पसन्द न हो । आपकी भोजन सम्बन्धी
आदतों को कुछ कारणों से कष्ट झेलना पड़ सकता है । घर में कोई शुभ कार्य सम्पन्न
होने की संभावना है ।
जन्म चंद्रमा से केतु का चतुर्थ भाव से गोचर:-
इस अवधि में केतु चन्द्रमा से आपके चतुर्थ भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह
कठिन समय का सूचक है । कार्यक्षेत्र में अपनी परियोजनाएँ सफलतापूर्वक पूर्ण करने
हेतु आपको अतिरिक्त श्रम करना पड़ सकता है । वित्तीय दृष्टि से भी समय निर्विघ्न
नहीं है । कुछ भी हो, भारी ऋण को विकल्प मानने की भूल न करें । अपनी
भू सम्पत्ति हाथ से निकल सकती है । इन
दिनों आप रोगग्रस्त हो सकते हैं । अत: स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान देने की आवश्यकता
है । गर्मी से बचाव रखें मानसिक रुप से आप स्वयं को निरंतर अशान्त व उत्साहहीन
महसूस करेंगे । माता के स्वास्थ्य की ओर से भी आप चिंतित रह सकते हैं क्योंकि
उन्हें शरीर में दर्द व मानसिक अशान्ति रहने की संभावना है । बुरे व्यक्तियों के साथ से स्वयं को बचाने में
पूर्ण सतर्कता बरतें क्योंकि वे आपको अवैध कार्यों में लिप्त होने हेतु
प्रोत्साहित कर सकते हैं । आप इस कुसंग के कारण बहुत कुछ गँवा सकते हैं । यद्यपि
यात्रा का योग है पर जितना संभव हो उतना बचें क्योंकि आप दुर्घटनाग्रस्त हो सकते
हैं जिसमें आपका वाहन भी क्षतिग्रस्त हो सकता है । कृष्ण-पक्ष में जब चन्द्रमा क्षीण हो रहा है, आप पर्वतों की ओर यात्रा पर जा सकते हैं परन्तु मनवांछित
परिणाम परिणाम प्राप्त होना आवश्यक नहीं । आपको अपने किसी ऐसे व्यक्ति के अंतिम
संस्कार में भाग लेना पड़ सकता है जो आपके बहुत निकट रहा हो ।
तुला -
जन्म चंद्रमा से
राहु का नवम भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू चन्द्रमा से आपके नवें भाव
में होते हुए गोचर करेगा । यह सम्पत्ति की हानि व आपके विद्वेषपूर्ण गतिविधियों
में लिप्त होने का सूचक है । आपमें से अधिकांश के अपनी पश्रिमपूर्वक की गई खरी
कमाई लॉटरी में लगा देने की संभावना है साथ ही आप सट्टेबाजी व अनावश्यक व्यय में भी
धन गँवा सकते हैं । मितव्ययी बनें क्योंकि इस विशेष समय आपको निर्धनता भी झेलनी
पड़ सकती है । आप ऐसे पापकर्मों में भी
लिप्त हो सकते हैं जिन्हें आपका धर्म स्वीकार नहीं करता । आप धर्माचरण के नियमों
के विरुद्ध जाकर काले जादू जैसी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं । आपका काम धंधा भी हिचकोले खाता ऊबड़ - खाबड़
राह पर चलेगा, कभी लाभ कभी हानि
। भाई - बहनों से किसी भी प्रकार के विवाद
से बचें । मित्रों व परिचितों से सम्बन्ध व्यवहारकुशलता से सावधानीपूर्वक निभाएँ
जिससे वे आपको त्याग न दें । इसके अतिरिक्त
आपकी ब्रह्मण्ड में ग्रह स्थिति के कारण आपके माता-पिता व भाई - बहनों के लिए यह
कठिन समय है । बुरी संगत से बचें क्योंकि इस विशेष समय में और अधिक कठिनाइयों को
नियन्त्रण न दें । इस समय आप छोटे - मोटे
रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं । अत: स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान दें ।
जन्म चंद्रमा से
केतु का तृतीय भाव से गोचर:-
इस अवधि में केतु चन्द्रमा से आपके तुतीय भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह
आपके लिए सुख व धन लाभ लेकर आएगा । यही समय है जब आप प्रगति की आशा व अपनी
परियोजनाओं के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने की आशा कर सकते हैं । साथ ही पहले के
अपूर्ण कार्य भी पूर्ण होंगे । आप कार्य स्थल अथवा समाज में दूसरों को प्रभावित
करने की आशा भी रख सकते हैं । आपको सहकर्मियों व वरिष्ठ अधिकारियों से सहयोग की
अपेक्षा भी हो सकती है । फिर भी आपके काम - धंधे को अतिरिक्त ध्यान की आवश्यकता
होगी, विशेष रुप से तब यदि केतू का यह गोचर
कृष्ण-पक्ष में हो । सामाजिक रुप से यह
समय संतोषप्रद व समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला है । विद्यार्थी ज्ञानोपार्जन
क्षेत्र में उत्तम कार्य करेंगे । आपमें से कुछ को अतिरिक्त गणित सम्बन्धी ज्ञान
प्राप्त हो सकता है । इस अवधि में यात्रा
का भी योग है । आप पूर्वोत्तर दिशा की ओर यात्रा कर सकते हैं अथवा समुद्र यात्रा
पर जा सकते हैं । फिर भी, यदि यात्रा का कार्यक्रम कृष्ण-पक्ष का है तो
आप पर्वतीय क्षेत्र में भ्रमण कर सकते हैं व दुरात्माओं से आपका साक्षात्कार भी
संभव है ।
वृश्चिक -
जन्म चंद्रमा से
राहु का अष्टम भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू चन्द्रमा से आपके आठवें भाव
में होते हुए गोचर करेगा । यह शारीरिक व्याधियों का सूचक है । इस समय आपको
स्वास्थ्य को ही प्राथमिकता देनी चाहिए । इस दौरान आप जननेंद्रिय रोग, चेचक व लगने वाले यौन रोगों से पीडि़त हो सकते
हैं । स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी भी समस्या को सहज या सामान्य न माने क्योंकि आपके
लिए यह जानलेवा सिद्ध हो सकती है । आप मानसिक उलझन अथवा हर वस्तु से भय से भी
आक्रान्ता हो सकते हैं । अन्य सभी जिनकी अन्य राशि में 'मारक' समय है, इस प्रकार का कोई जोखिम न उठाएँ जिसमें जान का खतरा है । भ्रष्टाचार व दुराचार से स्वयं को दूर रखें
क्योंकि इनका अन्त अदालत में हो सकता है । आपको इस विशेष समय में अपमान व बदनामी
झेलने को विवश होना पड़ सकता है । आपके
शत्रु व आपका अशुभ चाहने वाले आपके विरुद्ध षड्यन्त्र रच सकते हैं । अत: अपने प्रयासों
की सफलता हेतु अति विशिष्ट सतर्कता बरतें । अपनी भूमि जायदाद व आभूषण को पूर्णतया
सुरक्षित रखें क्योंकि आप इनमें से कुछ इस काल में गँवा सकते हैं । अपना हिसाब -
किताब सावधानीपूर्वक रखें जिससे काम - धंधे अथवा व्यापार में किसी प्रकार की हानि
न हो ।
जन्म चंद्रमा से
केतु का द्वितीय भाव से गोचर:-
इस अवधि में केतु चन्द्रमा से आपके द्वितीय भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह
धन गँवाने कर सूचक है । खर्चे बढ़ने व घर में चोरी की संभावना है । जो भी हो, आपको ऋण लेने से बचना चाहिए । कृष्ण-पक्ष में आपको शारीरिक व मानसिक रोग सता
सकते हैं । अपने नेत्रों का विशेष ध्यान रखें। इस विशेष समय में संभावित अग्नि -
दुर्घटना से दूर रहने का प्रयत्न करें ।
यदि आप विवाहित हैं तो जीवनसंगी से परस्पर टकराव में पड़ सकते हैं । इसका
मुख्य कारण आपका स्वयं का अपने जीवनसाथी के परिवार के साथ दुर्व्यवहार है । आपमें से कुछ को निवास स्थान परिवर्तन के कारण
असुविधा झेलनी पड़ सकती है । हर प्रकार की मुकदमेबाजी से बचें क्योंकि आपकी पराजय
होने की संभावना है ।
धनु -
जन्म चंद्रमा से राहु का सप्तम भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू चन्द्रमा से आपके सातवें भाव
में होते हुए गोचर करेगा । यह समय आपके लिए थकान व चिन्ता लेकर आएगा । यही समय है
जब आप जायदाद सम्बन्धी किसी भी प्रकार के मुकदमे व व्यापार से दूर रहें क्योंकि
जायदादा हाथ से निकल जाने की संभावना ह । फिर भी आप में से कुछ के व्यापार क्षेत्र
में अचानक प्रगति संभव है । घर पर भी अपने
पति / पत्नी से किसी भी प्रकार के विवाद से बचें क्योंकि यह झगड़े का रुप ले सकता
हैं । मित्रों व सम्बन्धियों से स्नेहपूर्ण सम्बन्ध बनाए रखने की चेष्टा करें
जिससे वे आपको छोड़कर न चले जायँ । आप के किसी विपरीत लिंग वाले व्यक्ति से अवैध
सम्बन्ध होने का खतरा है । इस प्रकार के सम्बन्ध से बचें क्योंकि इसका अंत समाज
में आपकी प्रतिष्ठा नष्ट करके होगा। आपको कोई यौन रोग लग सकता है । अत: स्वास्थ्य
के प्रति सचेत रहें । आपको पित्त अथवा वायु जनित रोग हो सकते हैं । इस विशेष समय
में पति / पत्नी का स्वास्थ्य भी चिंता का कारण बन सकता है । अपने व्यवहार के प्रति सतर्क रहें व शत्रुओं से
किसी भी प्रकार के विवाद से बचें । आप इस समय किसी व्यर्थ के मुकदमे में लिप्त हो
सकते हैं । अपमान व बदनामी से बचने हेतु हर प्रकार की मुकदमेबाजी से दूर रहें
। आपको किसी सुदूर स्थान पर जाना पड़ सकता
है जो आपके लिए मुसीबत का कारण बन सकता है ।
जन्म चंद्रमा से
केतु का प्रथम भाव से गोचर:-
इस अवधि में केतु चन्द्रमा से आपके प्रथम भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह
समय आपके लिए संघषपूर्ण रहेगा । शत्रुओं से सावधान रहें क्योंकि उनके अधिक
शक्तिशाली व आक्रामक होने की संभावना है ।
वित्तीय दृष्टि से भी यह नाजुक समय हो सकता है । खर्चे अत्यधिक बढ़ सकते
हैं । जबकि धन संचय आपके लिए कठिन हो सकता है । फिर भी, इस दौरान किसी भी प्रकार का ऋण लेने से बचें । संभव है आपके
प्रयासों का मनोवांछित फल न मिले । ऐसे क्रिया-कलापों से दूर रहें जिनसे समाज में
आपकी बदनामी हो । स्वास्थ्य को कुछ झटका
लग सकता है विशेष रुप से कृष्ण - पक्ष में । जीवन जोखिम में डालने वाले कार्यों से
दूर रहें । आपके उत्तेजित व अशान्त होकर
मानसिक रुप से आक्रान्त होने की संभावना है । अत: चित्त को शान्त रखें । सिर से
सम्बन्धित रोग आपको पीडि़त कर सकते हैं । घर के वातावरण को अरुचिकर बनाने से बचें
अत: परिवारजनों से विवाद न होंने दें । आपके इन दिनों परिवार के सदस्यों से झगड़ा
होने की भी संभावना है ।
मकर -
जन्म चंद्रमा से
राहु का षष्ठ भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू चन्द्रमा से आपके छठे भाव में
होते हुए गोचर करेगा । यह आपके लिए अनेक स्त्रोतों से सम्पत्ति लेकर आएगा । आप काम
धंधा सरलतापूर्वक अबाध गति से चलने की आशा कर सकते हैं । यदि आप व्यापार या
व्यवसाय, कृषि अथवा मुर्गी पालन क्षेत्र में हैं तो अपने
- अपने धंधे में यथोचित लाभ की आशा रख सकते हैं । आप अपने विरोधी तक से भी धन लाभ
की आशा कर सकते हैं । आपको अपने मामा से भी आर्थिक लाभ होने की संभावना है । स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है
क्योंकि किसी पुराने रोग के उभर आने की संभावना है । फिर भी यदि आप समय से चेत
जाएँ व सही उपचार करें तो समस्त रोगों से मुक्ति पाकर पुन: स्वास्थ्यलाभ कर सकते
हैं । सामाजिक दृष्टि से आप अत्यंत सफल
होंगे । आपकी समाज में मान - प्रतिष्ठा निरन्त बढ़ती जाएगी । आपके विपरीत लिंग के
किसी रोचक व दूसरे धर्म वाले व्यक्ति से मिलने की संभावना है। आप इस व्यक्ति के
साथ उत्साहपूर्ण व बौद्धिक रुप से चुन्नौतीपूर्ण पा सकते हैं । आपके शत्रु विनम्र व आज्ञाकारी रहेंगे और आप उन
पर विजय पाएँगे ।
जन्म चंद्रमा से
केतु का द्वादश भाव से गोचर:-
इस अवधि में केतु चन्द्रमा से आपके बारहवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह
जीवन में झटका लगने के समय का सूचक है । स्वास्थ्य की ओर अतिरिक्त ध्यान देने की
आवश्यकता है क्योंकि पित्त प्रकोप वाली बीमारियाँ आप में उभर सकती हैं । आप इन
दिनों बवासीर से भी पीडि़त हो सकते हैं । आपकी पत्नी / पति का स्वास्थ्य भी चिन्ता
का विषय बन सकता है । आप दोनों की शारीरिक व्याधियों का विपरीत प्रभाव दाम्पत्य
जीवन पर भी पड़ सकता है । आपमें से कुछ को अस्थाई विस्मृति रोग भी हो सकता है
। काम-काज में और अधिक समर्पण की भावना
आवश्यकता है जिसकी कमी से आपको इस क्षेत्र में परेशानी झेलनी पड़ सकती है । वित्त
का ध्यान रखें व अपने खर्चों पर भी नजर रखें । इस विशेष समय में किसी भी प्रकार का
ऋण लेने से बचें । स्वयं को हर प्रकार की
मुकदमेबाजी से दूर रखें क्योंकि आप मुकदमा हार सकते हैं व आपको कारावास भी हो सकता
है । आपको इन दिनों अपमान व बदनामी भी झेलनी पड़ सकती है । अपने निकटवर्त्ती व
प्रियजनों से अच्छा सामन्जस्य बनाए रखें जिससे कि वे आपको समर्थन देते रहें। फिर
भी आपमें से कुछ को सुख व सुविधा का आनन्द मिल सकता है यदि घटता हुआ कृष्ण-पक्ष का चन्द्रमा सही व
उपयुक्त हो । यद्यपि धन की आवक सीमित रहेगी । आपमें से कुछ का इस दौरान विदेश
यात्रा का योग है ।
कुम्भ -
जन्म चंद्रमा से
राहु का पंचम भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू चन्द्रमा से आपके पाँचवें भाव
में होते हुए गोचर करेगा । यह संताप, विशेष रुप से बच्चों से सम्बन्धित विषाद् का सूचक है । वित्तीय दृष्टि से भी
शुभ समय नहीं है । धन पर पकड़ मजबूत रखें क्योंकि इसके व्यर्थ की खरीदारी पर व्यय
होने की संभावना है । माता-पिता व पत्नी /
पति के रोग ग्रस्त होने का खतरा है । अत: यह चिन्ता का विषय बन सकता है । बच्चों
से सम्बन्धित मामले आपको अधिक चिन्तित कर सकते हैं क्योंकिे इस विशेष समय को 'पुत्र दोष' की संज्ञा दी गई है जिसका अर्थ ही 'पुत्र का दु:ख' है । इस समय
बच्चों की स्वास्थ्य सम्बन्धी जो भी समस्याएँ हों उन पर तुरन्त ध्याद दें । आपमें
से कुछ की संतान भटक सकती हैं या गम्भीर रोग से पीडि़त हो सकती है । आप बढ़ी हुई मानसिक यातना तथा उलझन से पीडि़त
हो सकते हैं । आपकी निणर्य लेने की कुशलता मन्द पड़ सकती है और उसके स्थान पर आप
उत्तेजना में गलत निर्णय ले सकते हैं ।
फिर भी आप में से कुछ के जीवन में उतार - चढ़ाव आ सकते हैं व अप्रत्याशित
वित्तीय लाभ मिल सकता है
जन्म चंद्रमा से
केतु का एकादश भाव से गोचर:-
इस अवधि में केतु चन्द्रमा से आपके ग्यारहवें
भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह धन भू-सम्पत्ति की प्राप्ति का सूचक है । यह
महत्तवकांक्षा पूर्ण करने हेतु अच्छा उपयुक्त समय है । आप इस समय कोई नई परियोजना
आरम्भ कर सकते हैं जिसे भारी निवेश की आवश्यकता होगी और वह बदले में उतना ही या और
भी अधिक मुनाफा देगा । आपमें से अधिकांश धन लाभ हो सकता है । घर पर विवाहयोग्य
संतानों को उपयुक्त आदर्श वर / वधू मिल सकते हैं व विवाह करने का निश्चय ले सकते
हैं । अपने छोटे बच्चे की उचित देखभाल करें । वह किसी शारीरिक रोग अथवा शरीर में
दर्द से पीडि़त हो सकता / सकती है ।
चन्द्रमा की कलाएँ बढ़ने के साथ ही आपमें से कुछ को किसी आध्यात्मिक गुरु
से मिलने का सुअवसर प्राप्त हो सकता है । यह सम्पर्क आपको ध्यान लगाने व आध्यात्मिक
प्रवृत्ति की ओर अधिक झुकाव की ओर प्रेरित कर सकता है । यह समय आपके लिए दूध से
निर्मितम उत्तम भोजन व अच्छा भविष्य ला सकता है ।
परन्तु यदि केतु की यह गति चन्द्रमा के घटने के समय अर्थात् कृष्ण - पक्ष
में हो तो आपमें एक फीकेपन की भावना व अस्वस्थ मानसिक स्थिति उभर सकती है । इस समय
आपमें कृषि के प्रति रुचि जागृत हो सकती है । स्वयं के परिवार में शत्रुता उत्पन्न
हो सकती है और व्यवसाय में इस दौरान हानि हो सकती है ।
मीन -
जन्म चंद्रमा से राहु का चतुर्थ भाव से गोचर:-
इस अवधि में राहू चन्द्रमा से आपके चतुर्थ भाव
में होते हुए गोचर करेगा । यह समय कठिनाइयाँ झेलने का है । आपको जमीन - जायदाद के
मामलों में अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ेगी क्योंकि राहू की यह यात्रा उनमें क्षति
दर्शाती है । इस समय आपको अपना निवास भी बदलना पड़ सकता है । इस दौरान जमीन जायदाद
सम्बन्धी मुकदमों से दूर रहना बुद्धिमानी होगी ।
इन दिनों आपके बीमार पड़ने का खतरा है अत: स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्कता
बरतनी पड़ सकती है । अपने जीवन साथी व बच्चों के स्वास्थ्य का भी अच्छी तरह ध्यान
रखें । आप मानसिक रुप सक चिन्तित व आस पास की हर वस्तु के प्रति उदासीन रहेंगे ।
आपकी माता का स्वास्थ्य चिंता का विषय रहेगा क्योंकि वे मानसिक अशान्ति व शारीरिक
दर्द से पीडि़त हो सकती हैं । इसके अतिरिक्त आप किसी सम्बन्धी अथवा मित्र के
देहावसान के कारण शोक - संतप्त हो सकते हैं ।
आपको इस समय विशेष में कुछ अवैध कार्य करने की लालसा जागृत हो सकती है ।
अत: आपको चैतन्य रहना पड़ सकता है व प्रयास करना पड़ सकता है कि विपरीत नकारात्मक
सोच आपके पास न फटके । यात्रा से बचें ।
किसी भी प्रकार की यात्रा में आप दुर्घटनाग्रस्त होकर अपना वाहन अथवा मूल्यवान
सामान गँवा सकते हैं । घर के वातावरण को
शान्तिपूर्ण बनाए रखने हेतु भी आपको सही प्रयास व मार्गदर्शन करना पड़ सकता है
। शत्रुओं से सावधान रहें क्योंकि वे आपके
जीवन में कठिनाइयाँ और बढ़ा सकते हैं । फिर भी आपमें से कुछ के शत्रु कुछ
मेल-मिलाप कर सकते हैं ।
जन्म चंद्रमा से
केतु का दशम भाव से गोचर:-
इस अवधि में केतु
चन्द्रमा से आपके दसवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह मिले जुले परिणाम लाएगा
जो चन्द्रमा के बढ़ने व घटने पर निर्भर करेंगे ।
चन्द्रमा के बढ़ते समय शुक्ल - पक्ष में आपकी आप ऐसे व्यक्तियों की सहायता से
बढ़ेगी जो सामान्यत: दुष्ट हों । आप कार्य में प्रगति व और अधिक धन लाभ की आशा भी
कर सकते हैं । परन्तु, चन्द्रमा के घटते समय कृष्ण - पक्ष में आपमें से अधिकांश को
कुसंगत के कारण धन हानि व भौतिक सम्पत्ति की हानि का सामना भी करना पड़ सकता है ।
व्यापार में हानि व कार्य क्षेत्र में प्रगति की कमी के कारण आपको मानसिक व्यथा
झेलनी पड़ सकती है । सामान्यत: केतु की यह
स्थिति शत्रुओं के बढ़ने व माता - पिता की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं की द्योतक
है । आपके निवास - स्थान पर इस दौरान कोई
उत्सव हो सकता है । आपके कुछ प्रभावशाली
व्यक्तियों से अच्छा सामन्जस्य बनाने की भी संभावना है जो आपके लिए लाभप्रद हो
सकता है । आपमें से कुछ को अपने काम -
धंधे में अचानक बढ़त अनुभव होगी । व्यवसाय में आपको और भी उच्च पद मिल सकता है
जिससे आपका उत्तरदायित्व व सम्मान बढ़ेगा ।