Friday, 16 April 2021

Meen rashi ka sampurn parichay / मीन राशि का संपूर्ण परिचय जानने के लिये क्लिक करे।

Posted by Dr.Nishant Pareek

Meen rashi ka sampurn parichay


मीन राशि का संपूर्ण परिचय जानने के लिये क्लिक करे।

मीन राशि के अंतर्गत आने वाले नामाक्षर निम्न हैः- दी, दू, थ, झ, ण, दे, दो, चा, चो।

मीन राशि चक्र की बाहरवीं और अंतिम राशि है। अंतिम, अंत्यम्, अंत्यभ, अन्त्यगम, अन्त्य राशि के अतिरिक्त इसके कुछ अन्य पर्याय इस प्रकार हैं -

कन्द, झष, तिमि, प्रोष्ठी, मत्स्य, शक्ली, अंडज, इत्थसि, तुरष्क, पाठीन, पाठीर, मीनालि, विसार, शफरी, अनिमिष, अनिमेष, अवसान, जलचर, तिमिद्वय, तिमियुग, पृथुरोमा, वैसारिण, अभ्रसौका, नीरनिकेत, घनरसचर, पानीयनिकेत, पुष्करागार राशि, वलाहकरसागर । अंग्रेजी में इसे पिसीज कहते हैं।

मीन राशि का प्रतीक दो मछलियां हैं जिनके मुख एक-दूसरे की विपरीत दिशा में हैं। इस राशि का विस्तार राशिचक्र के 330 अंश से 360 अंश तक है। इसका स्वामी भारतीय ज्योतिष के अनुसार गुरु और पश्चिमी ज्योतिष के अनुसार नेप्चून है। यह स्त्री राशि है। यह द्विस्वभाव है। इसका तत्व जल है । इसके तीन द्रेष्काणों के स्वामी क्रमशः गुरु, चन्द्र तथा मंगल हैं। इसके अंतर्गत पूर्वा भाद्रपद का अंतिम चरण, उत्तरा भाद्रपद के चारों चरण तथा रेवती के चारों चरण आते हैं। इन चरणों के स्वामी क्रमशः इस प्रकार हैं-पूर्वा भाद्रपद चतुर्थ चरण के स्वामी गुरु-चन्द्र, उत्तरा भाद्रपद प्रथम चरण के स्वामी शनि-सूर्य, द्वितीय चरण के स्वामी शनि-बुध, तृतीय चरण के स्वामी शनि-शुक्र, चतुर्थ चरण के स्वामी शनि-मंगल। रेवती प्रथम चरण के स्वामी बुध-गुरु, द्वितीय चरण के स्वामी बुध-शनि, तृतीय चरण के स्वामी बुध-शनि, चतुर्थ चरण के स्वामी बुध-गुरु। इन चरणों के नामाक्षर इस प्रकार हैं रू दी दू थ झ ण दे दो चा ची।

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त्रिशांश विभाजन में 0-5 शुक्र (वृष) के, 5-12 बुध (कन्या) के, 12-20 गुरु (मीन) के, 20-25 शनि (मकर) के तथा 25-30 मंगल (वृश्चिक) के हैं।

जिन व्यक्तियों के जन्म के समय निरयण चन्द्र मीन राशि में संचरण कर रहा होता है उनकी जन्म राशि मीन मानी जाती है। उन्हें गोचर के अपने फलादेश इसी राशि के अनुसार देखने चाहिए। जन्म के समय लग्न मीन राशि में होने पर भी यह अपना प्रभाव दिखाती है। सायन सूर्य 16 फरवरी से 20 मार्च तक मीन राशि में रहता है। यही अवधि शक सम्वत् के फाल्गुन मास की है । ज्योतिषियों के मतानुसार इन तिथियों में दो-एक दिन का हेर फेर हो सकता है। जिन व्यक्तिया की जन्मतिथि इस अवधि के बीच है, वे पश्चिमी ज्योतिष के आधार पर फलादेशों को मीन राशि के अनुसार देख सकते हैं। निरयण सूर्य लगभग 15 मार्च से 14 अप्रैल तक मीन राशि में रहता है।

जिन व्यक्तियों के पास अपनी जन्म कुंडली नहीं है अथवा वह नष्ट हो चुकी है, तथा जिन्हें अपनी जन्मतिथि और जन्म काल का भी पता नहीं है, वे अपने प्रसिद्ध नाम के प्रथम अक्षर के अनुसार अपनी राशि स्थिर कर सकते हैं। मीन राशि के नामाक्षर हैं- दी दू थ झ ण दे दो चा ची।

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इस प्रकार मीन जातकों को भी हम चार वर्गों में बांट सकते हैं-चन्द्र-मीन, लग्न-मीन, सूर्य-मीन तथा नाम-मीन। इन चारों वर्गों में मीन राशि की कुछ-न-कुछ प्रवृत्तियां अवश्य पाई जाती हैं।

ग्रह-मैत्री चक्र के अनुसार मीन राशि सूर्य तथा मंगल के लिए मित्र राशि और चन्द्र, बुध, शुक्र तथा शनि के लिए सम राशि है। इस राशि में शुक्र अपनी उच्च स्थिति में होता है तथा बुध नीच स्थिति में। बुध के लिए यह अस्त राशि भी है।

प्रकृति और स्वभावः-

मीन राशिचक्र की एक अत्यंत जटिल राशि है । इसका दुहरा स्वभाव जातक को विरोधी दिशाओं में खींचता है। परिणाम यह होता है कि उसकी समझ में नहीं आता कि उसे क्या करना चाहिए अथवा वह करना क्या चाहता है । इस मानसिक उलझन के कारण वह प्रायः यह सोचने लगता है कि सभी कुछ गलत है। किन्तु वह यह नहीं बता पाता कि क्या गलत है।

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मीन जातक अत्यंत संवेदनशील होते हैं और उन पर दूसरों की छाप सहज ही पड़ जाती है। कमरे में घुसते ही वे वहां की हवा की गंध पा जाते हैं । कठिनाई यह है कि वे शीघ्र दूसरे लोगों के प्रभाव में आ जाते हैं, अतः उनके लिए सही लोगों के सम्पर्क में आना बहुत महत्वपूर्ण है। अन्यथा वे दूसरों की नकल करने लगते है और उन्हीं की भांति सोचने लगते हैं।

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मीन जातक अत्यंत भावुक होते हैं और व्यक्तियों तथा परिस्थितियों के प्रति उनकी प्रतिक्रिया में भावना की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अपने अतीन्द्रिय ज्ञान से वे अकारण किसी व्यक्ति से प्रेम या घृणा करने लग सकते हैं। उनके इस कार्य में तर्क का कोई स्थान नहीं होता। उनमें सहानुभूति भी कूट-कूट कर भरी होती है। दूसरों को हानि पहुंचाने वाला कोई काम नहीं करना चाहेंगे । जब भी किसी व्यक्ति को कठिनाई में देखते हैं अथवा उसे दुखी या रोगी पाते हैं तो तत्काल उसकी सहायता को दौड़ पड़ना चाहते हैं, लेकिन समझ नहीं पाते कि क्या सहायता करें। कुछ लोग उनकी इस प्रवृत्ति का अनुचित लाभ उठा सकते हैं।

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उनकी कल्पना-शक्ति काफी बिकसित होती है। वे मूलतः आदर्शवादी होते हैं और दुनिया के कठोर यथार्थ से भागकर अपनी सपनों की दुनिया में खो जाना चाहते हैं। यही कारण है कि अनेक महान कवि, लेखक और संगीतज्ञ मीन जातक ही थे । लेकिन उन विचारों और कल्पना का क्या लाभ जिन्हें व्यावहारिक रूप न दिया जा सके । यहीं मीन जातक मात खा जाते हैं क्योंकि आत्म-विश्वास की कमी से वे स्वयं को प्रकाश में नहीं ला पाते। जरा-सा विरोध होने से उनका दिल टूट जाता है। मीन जातकों की सम्पूर्ण प्रकृति नकारात्मक होती है। उनका स्वभाव अस्थिर और क्षण-क्षण में बदलने वाला होता है तथा उनके मूड पर निर्भर रहता है। वे स्वयं कोई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लेना चाहते और प्रायः दूसरे व्यक्ति से निर्णय लेने को कहेंगे।

खेल-कूदों का आनन्द लेने या दुनिया की मौज-मस्ती में भाग लेने के बजाय मीन जातकों में घर में शान्ति और आराम से बैठे रहने की प्रवृत्ति होती है। इससे उनमें आलसीपन पनप सकता है। जल के प्रति उनका विशेष मोह होता है । उनका डरपोकपन बात-बात पर क्षमा मांगने या निरंतर बहाने बनाने की प्रवृत्ति को जन्म देता है।

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मीन जातक मूलतः द्विस्वभावी होते हैं। सवाल यह है कि वे कौन-सा मार्ग अपनाते हैं। सबसे दृढ़ और सबसे दुर्बल चरित्र उनमें मिल सकते हैं। कुछ भावनाओं में बहकर भोग-विलास का मार्ग अपना लेते हैं, वातावरण के दास बन जाते हैं या झूठे मित्रों के चक्कर में फंस जाते हैं। कुछ मादक पदार्थों या शराब के आदी हो जाते हैं। लेकिन यदि उन्हें कोई जीवन का लक्ष्य मिल जाए तो अवसर के अनुकूल अपने को ढाल लेते हैं। अपने स्वभाव में आकस्मिक परिवर्तन से कभी वे मित्रों को आश्चर्य में डाल देते हैं। एक क्षण में ही अपनी दुर्बलता या आत्म-रति को उतार फेंक आत्म-विश्वास की किसी सीमा तक उठ सकते हैं।

मीन जातकों में गुप्त विद्याओं के प्रति आकर्षण मिलता है । अज्ञात, दार्शनिक या रहस्यमय की खोज करना उन्हें पसन्द है, किन्तु लोग उन्हें प्रायः अंधविश्वासी समझते हैं, जबकि वस्तुतः वे भाग्यवादी होते हैं।

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मीन जातिका का बाह्य रूप पूर्णतः एक नारी का होता है और उसकी यह विशेषता पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित करती है। अन्दर से वह कठोर जीवन अपनाने में भी सक्षम हो सकती है। दीन-दुखियों के प्रति उसका प्रेम उसके घर का पालतू पशुओं तथा बच्चों का संग्रहालय बना सकता है ।

आर्थिक गतिविधियां और कार्यकलापः-

मीन जातकों की दृष्टि में रुपए-पैसे का कोई मूल्य नहीं है। उनके लिए वह साधन है, सिद्धि नहीं। किन्तु उनके मन में गरीबी का एक अज्ञात भय समाया रहता है। इसलिए अपनी उदारता को वे तब तक हावी नहीं होने देते जब तक उनका कोई प्रियपात्र उसके लिए आग्रह न करे। फिर तो वे अपना सर्वस्व तक निछावर कर सकते हैं। वे बुरे दिनों के लिए पैसा बचाने की भी चिन्ता नहीं करते, जिससे उनका बुढ़ापा प्रायः आर्थिक कष्ट में बीतता है।

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आर्थिक मामलों में मीन जातकों को बार-बार उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ सकता है। किन्तु एक बार अपने अस्थिर स्वभाव पर नियंत्रण पा लेने के बाद ऐसा कोई पद नहीं जिसे वे प्राप्त न कर सकें। माल-ढुलाई, विदेशों से। व्यवसाय, आयात-निर्यात या समुद्री व्यापार में वे अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। नर्स, रेस्तरां-संचालक, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, लेखपाल, साहूकार आदि के व्यवसाय भी उनकी रुचि के हो सकते हैं। वे अच्छे लेखक और चित्रकार भी बनते हैं। व्यवसाय में उनके लिए किसी साझेदार के साथ मिलकर काम करना बेहतर रहेगा।

मैत्री, प्रेम, विवाह-सम्बन्धः-

मीन जातकों को मित्रों की कोई कमी नहीं होती। इसका कारण न केवल उनका स्वभाव वरन् उनकी मोहिनी-शक्ति भी है। मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए और उनका दुःख-दर्द बांटने के लिए वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं । वे इसके प्रतिदान की भी आशा नहीं करते। फल यह होता है कि अधिकांश लोग उनकी इस उदारता का लाभ उठाने के लिए ही उनके आस-पास आ मंडराते हैं। समय पड़ने पर वे उनसे एकत्र की गई जानकारी का उन्हीं के विरुद्ध और उन्हें बदनाम करने में उपयोग कर सकते हैं।

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जहां तक प्रेम की बात है, मीन जातक अत्यन्त भाबुक और रूमानी होते हैं। वे रूप के लोभी भी होते हैं और हर नई सूरत देखकर उनका दिल मचलने लगता है। मंदिरों में काम की मूर्तियां और बड़ी-बड़ी दुकानो पर प्रदर्शित नमुने उनके लिए भारी आकर्षण होते हैं। उनके इस स्वभाव का प्रभाव उनके घर पर भी पड़ता है जहां पत्नी के साथ वे पति से अधिक प्रेमी की भूमिका निभाना पसंद करते हैं। किन्तु दिल पर जरा-सी चोट पहुंचते ही वे तिलमिला उठते है। 

ऐसी स्थिति में प्रकटतः वे कुछ नहीं कहते और कई-कई दिन मौन धारण कर मनही-मन कुछ सोचते रहते हैं। अपने जीवन-साथी के प्रति वे संदेहशील स्वभाव के भी हो सकते हैं। वैसे इस क्षेत्र में भी वे अपने दूहरे स्वभाव का ही परिचय देते हैं। एक दिन वे अपने जीवन-साथी के प्रति अपार प्रेम दर्शाएंगे और अगले दिन अकारण ऐसे हो जाएंगे जैसे उससे उनका कोई सम्बन्ध ही नहीं है।

स्वास्थ्य और खानपानः-

मीन जातकों का शरीर आमतौर से कृश किन्तु संतुलित होता है। कुछ जातक कद में छोटे भी होते हैं। किन्तु स्थूल होने से भार में लम्बे व्यक्तियों के बराबर ही होते हैं । उनके हाथ-पांव छोटे और भारी दिखाई देते हैं। कंधे मांसल और गोल होते हैं। त्वचा कोमल, बाल रेशमी, आंखें हलके रंग की और रंग गोरा होता है। उनमें एक निजी आकर्षण होता है और जिस समय वे चिन्तारहित होते हैं, उनके चेहरे पर चमक आ जाती है।

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स्वास्थ्य के सम्बन्ध में मीन-जातकों को सबसे अधिक खतरा मानसिक होता है । अत्यधिक चिन्ता से उनके पाचन-अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। अनेक लोगों को बेरीबेरी, पक्षाघात या क्षय जैसे फेफड़े के रोग हो सकते हैं । शरीर से, विशेषकर हाथ-पांवों से, शीघ्र पसीना छूटने लगता है । आंतों में वृद्धि या फोड़े से विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है।

राशिचक्र में मीन पांवों का प्रतिनिधित्व करती है । अतः मीन जातकों के पांवों में कष्ट हो सकता है। पांवों की अस्वाभाविक बनावट के कारण उन्हें सुविधाजनक जूते पहनने में भी कठिनाई हो सकती है।

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मीन जल राशि होने से इस राशि के जातकों में मद्यपान की प्रवृत्ति भी पाई जाती है। कुछ लोग जीवन-जल का सेवन करते भी देखे गए हैं।

द्रेष्काण, नक्षत्र, त्रिशांशः-

लग्न प्रथम द्रेष्काण में होने से जातक प्रायः उच्च पद प्राप्त करता है। विविध विषयों का, विशेषकर गुप्त विद्याओं का, जानकर होता है । द्वितीय में जन्म होने पर उसकी कल्पना-शक्ति अपनी चरम सीमा पर रहती है । वह दिवास्वप्न देखने का आदी होता है। तृतीय द्रेष्काण में जन्म लेने पर जातक में समयसमय पर अपनी दुनिया में सिमटने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है । वह अधिक महत्वाकांक्षी भी हो जाता है।

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चन्द्र अथवा नामाक्षर पूर्वा भाद्रपद के अंतिम चरण में होने पर जातक अधिक कल्पनाशील बनता है। उत्तरा भाद्रपद के प्रथम चरण में होने पर वह प्रमादी हो सकता है। द्वितीय चरण में होने पर उसमें अभिव्यक्ति की आकांक्षा उसे साहित्य की ओर प्रवृत्त कर सकती है। तृतीय चरण में होने पर वह ललित कलाओं की ओर उन्मुख हो सकता है। चतुर्थ चरण में होने पर खोज-कार्य में लग सकता है। रेवती के प्रथम चरण में होने पर वह किसी खेल में अपना मन लगा सकता है। द्वितीय चरण में होने पर उसे कोई उत्तरदायित्व का पद सौंपा जा सकता है। तृतीय चरण में होने पर उसका प्रेम जीव-कल्याण का रूप ले सकता है। अंतिम चरण में होने पर उसका मन लम्बी यात्राओं के लिए भटक सकता है।

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मीन जातिका की लग्न यदि शुक्र के त्रिशांश (0-5) में हो तो उसका विवाह किसी सम्पन्न परिवार में होता है। बुध के त्रिशांश (5-12) में हो तो उसे पद और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। गुरु के त्रिशांश (12-20) में हो तो वह सम्पन्न होती है। शनि के त्रिशांश (20-20) में हो तो दरिद्र होती है। मंगल के त्रिशांश (25-30) में हो तो विख्यात और बड़े परिवार वाली होती है।

अन्य ज्ञातव्य बातेंः-

भारतीय आचार्यों ने मीन राशि का वर्ण पांडुर (पीताभ श्वेत) कहा है। इसके स्वामी गुरु का वर्ण गौर या पीला है। गुरु का रत्न पुखराज है जिसे सोने में धारण किया जाना चाहिए। पश्चिमी ज्योतिष के अनुसार मीन का स्वामी नेप्चून है जिसका वर्ण हरित्-नील (एक्वामरीन) है। मीन राशि उत्तर दिशा की द्योतक है ।

मीन राशि के भारतीय ज्योतिषानुसार स्वामी गुरु का मूलांक ३ है। यह अंक साहित्य, कला और वाणी द्वारा अभिव्यक्ति का प्रतीक है। पश्चिमी ज्योतिषानुसार स्वामी नेप्चून का मूलांक ७ है। यह अंक रहस्य का अंक माना जाता है और जातक को किसी अज्ञात रहस्य की खोज की ओर प्रवृत्त कर सकता है । मीन जातकों के जीवन में ये अंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वारों में मीन राशि बृहस्पतिवार का प्रतिनिधित्व करती है।

मीन राशि निम्न वस्तुओं, स्थानों तथा व्यक्तियों की संकेतक है :-

धन-धान्य, अन्न, मोती, शंख, कमल, जलपुष्प, नमक, गंध, रत्न, तापबिजली घर आदि।

सरोवर, सागर, मत्स्य शालाएं, तेल क्षेत्र , मंदिर, बंदरगाह, अनाथालय, स्वास्थ्य केन्द्र, जेल, काल-कोठरी, जल-चक्की, कुएं आदि ।

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राजनेता, मंत्री, बैंक एजेंट, यात्री-पर्यटक, वकील, शिक्षक, दानी तथा धार्मिक व्यक्ति, पंच, धनिक, व्यापारी, साहित्यकार, पत्रकार, लेखाकार, लेखापरीक्षक, साहूकार आदि।


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