Sunday, 27 December 2020

Kark rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge, janiye is lekh me / कर्क राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिये इस लेख मेंः

Posted by Dr.Nishant Pareek

Kark rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge, janiye is lekh me


कर्क राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिये इस लेख मेंः-

कर्क - मेषः- 

अग्नि और जल मिलकर समस्याऐं पैदा कर सकते है। कर्क जातक संवेदनशील होता है और मेष जातक के मुंहफटपन से उसे चोट पहंुच सकती है। मेष जातक को कर्क जातकों की संवेदनशीलता और भावुकता बिल्कुल नहीं भाती। एक व्यक्तित्व एकदम सीधा सपाट हो और दूसरा इतना जटिल, तो फिर उनके बीच मधुर संबंधों की बात सोचना ही व्यर्थ है। 

यदि पति मेष जातक है तो पत्नी कर्क जातिका, तो पत्नी के कुछ समझ पाने से पहले ही पति उस पर पूरी तरह हावी हो लेता है। शीघ्र ही पत्नी अपने जीवन मूल्यों के अंतर को समझने लगती है। पति को नए नए क्षेत्र चाहिये और पत्नी को शान्तिपूर्ण जीवन। पत्नी को प्यार में जलन अनुभव होने लगती है और वह सोचने लगती है कि यह आग कब तक कायम रहे सकेगी। पति भी महसूस करने लगता है कि वह वासना में अंधा हो गया था और पत्नी उसका साथ नहीं दे सकती। पत्नी की भावनाओं को न तो वह समझ सकता है और न समझने का प्रयास करता है। कर्क पत्नी को रोमांस और प्यार भरी पहल चाहिये, जिसका मेष पति में एकदम अभाव होता है। संतुष्टि नहीं मिलने पर पति उत्पीडन का भी सहारा लेने लगता है। 

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यदि पत्नी मेष जातिका है और पति कर्क जातक हो तो पत्नी को अपने पति को समझने में लंबा समय लगता है। उसके उपर एक रक्षा कवच होता है और अंदर एक अत्यंत संवेदनशील हदय, जिसे आसानी से चोट पहुंचा सकती है। कर्क पति अपने विचारों, सपनों, अपनी पुस्तकों व संगीत से चिपका रहता है। यहां तक कि मेष पत्नी इन्हें अपनी सौत समझने लगती है। इनमें उसकी कोई रूचि नहीं रहती। 

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कर्क पति एक पे्रमी और एक रक्षक पति की भूमिका निभाना चाहता है। वह चाहता है कि उसकी पत्नी में नारी के से गुण हो। कहे भले ही न, लेकिन यौन संबंधों का मुख्य उददेश्य उसकी दृष्टि में एक बडा परिवार बढाना होता है। मेष पत्नी भला इसे कैसे पसंद कर सकती है। 

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कर्क - वृष:- 

पृथ्वी तत्व और जल तत्व के बीच सहज आकर्षण होता है। दोनों में अनेक समानताएं होती है। दोनों के लिये भावनाओं तथा प्रेम का भारी महत्व है। दोनों मूल रूप से परंपरावादी है। अतः परस्पर विरोधी रूचियों के कारण संघर्ष की संभावना कम ही है। भावनाओं का उबाल आने पर समझदारी और तर्क से उसे शांत किया जा सकता है। लेन देन की भावना से इस संबंध को अच्छा बनाया जा सकता है। 

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यदि पत्नी वृष जातिका है और पति कर्क जातक है तो पति पत्नी के मन में यह बात बैठा सकता है कि वह उसके जीवन में सब कुछ है। यही आशा वह पत्नी से करता है। दोनों में घरेलूपन की भावना मिलती है और उनका अधिकांश समय घर में ही निकलता है। कर्क जातक सदैव कल्पनाशील रहता है। वह पत्नी में देवी की छति देखना चाहता है। अतः उसकी दुर्बलता सामने आने पर उसे बहुत सदमा सा लगता है। वह अपने में ही खोया रहने लग जाता है।

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 वृष महिला बहुत व्यवहार कुशल नहीं होती। पति को कुरेदकर बाहर निकालने के उसके प्रयासों का उल्टा ही परिणाम होता है। लेकिन वृष महिला में ममता भरपूर होती है। पति के बुरे दिनों में अपनी ममता का सहारा देकर वह उसे भारी प्रात्साहन दे सकती है। 

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इस संबंध में समय और समय और परिश्रम से सुधार हो जाता है। उनके यौन जीवन पर शाम की घटनाओं का भारी प्रभाव पडता है। यदि कोई दुखद घटना घट जाये तो पति के लिये प्रेमाचार असंभव हो जाता है। उस समय पत्नी उसे कुरेद कर नाराजगी ही पैदा करेगी। यदि पति वृष है और पत्नी कर्क हो तो घरेलूपन की भावना दोनों के जीवन को सुखी बनाये रखेगी। सबसे बडा संकट नीरस दिनचर्या के फलस्वरूप उबाउपन आने का है। उनका यौन जीवन भी मशीन जैसा बन सकता है। अतः कल्पना का सहारा लेकर जीवन में विविधता और सरसता लाने का प्रयास करना जरूरी है। 

कर्क - मिथुनः - 

मिथुन बौद्धिक राशि है तथा कर्क भावनात्मक राशि है। दोनों के स्वभावों में स्पष्ट अंतर दिखाई देता है। मिथुन जातक का विविधता पे्रम कर्क जातक को परेशान करता है। कर्क जातक की संवेदनशीलता और भावनात्मकता का मिथुन जातक पर विशेष प्रभाव नहीं होता। उसके पास कर्क जातक की भावनाओं को समझने का समय ही नहीं होता। फिर मिथुन जातक इतना व्यस्त रहता है कि कर्क जातक अपने को उपेक्षित महसूस करने लग जाता है। 

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पत्नी मिथुन हो और पति कर्क हो तो पति चाहता है कि पत्नी को सारी दुनिया की नजरों से छिपाकर अपने घर में रखे। उधर पत्नी समाज में घुले मिले बिना नहीं रहती। उसे बंदी बनकर घर में रहना पसंद नहीं। यही झगडे का कारण बनता है। पत्नी के न झुकने पर उनका जीवन असहय हो जाता है। पति कितना ही बुद्धिमान क्यों न हो, उसका हर काम भावना से प्रेरित होकर होता है। हां, वह समस्याओं से भागता नहीं है। 

यौन संबंधों में जहां पति उस क्षण की भावनाओं से सीधे प्रभावित होता है, वहां पत्नी की इच्छा मस्तिष्क से उपजती है। इससे गडबड हो सकती है। हो सकता है, दोनों में एक ही समय पर पे्रम न जागे। दोनों एक सी बात से उत्तेजित भी न हो पाये। प्रायः ऐसा होता है कि पति तो पे्रम के भावों में डूबा हुआ हो और पत्नी किसी कल्पना में डूबी हो। ऐसे में निराशा ही हाथ लगती है। 

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यदि पति मिथुन हो और पत्नी कर्क हो तो कुछ ही समय में उनके बुनियादी अन्तर सामने आने लगते है। पति को नित्य नवीनता और उत्तेजना चाहिये। उसके लिये एक स्थान पर या एक विचार पर अधिक समय तक जमे रहना संभव नहीं होता। उसके ऐसे व्यवहार का अर्थ कर्क पत्नी के शांत, घरेलू वातावरण पर अतिक्रमण होता है। पत्नी पति को बांधे रखना चाहती है, जबकि पति किसी बंधन में बंधने को तैयार नहीं होता। इसका घातक परिणाम हो सकता है। 

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मिथुन पति अकारण गैर वफादार नहीं होता, किन्तु उसे स्त्रियों से मिलना जुलना अच्छा लगता है। जरा सी उकसाहट पर उसमें हरजाईपन की भावना जन्म ले सकती है। कर्क पत्नी इसे आवश्यकता से अधिक गंभीर समझती है और भावनात्मक परिदृश्य पैदा कर सकती है। यौन संबंधों में जहां कर्क पत्नी केवल भावनाओं से उत्तेजित होती है, वहीं पति पर मस्तिष्क की तात्कालिक स्थिति का प्रभाव पडता है। पत्नी के व्यवहार में नवीनता न पाकर मिथुन पति अन्यत्र विविधता की तलाश करने लगता है। 

कर्क - कर्क:- 

कर्क राशि भावना प्रधान राशि होने के कारण इस जोडी के संबंधों में भावना की प्रमुख भूमिखा होती है। उनका जीवन अत्यंत सुखमय रह सकता है और इसके विपरीत परिणाम भी हो सकते है। इनका परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों के विचार कितने मिलते है। दोनों ओर से सहानुभूति की कोई कमी नहीं रहेगी। अतः संकट के समय वे एक दूसरे की सहायता करेंगे। भावना स्पष्ट चिन्तन में बाधा डालेगी, जिससे कोई नीच बात हो जाने पर स्थिति बिगड सकती है। 

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दोनों ही ऐसे समझते है कि वे एक दूसरे के लिए भारी त्याग कर रहे है। दूसरे पक्ष द्वारा इसे स्वीकार न किए जाने पर उनकी भावना चोट पहुंचेगी। दोनों पुरानी घटनाओं को सदा याद रखने वाले है और इससे उनके बीच बार बार झगडे को मिल सकती है। छोटी छोटी बातों पर और गडे मुर्दे उखाडने पर उनका काफी समय नष्ट होगा। तर्क वितर्क में वे शीघ्र समझौते के लिये तैयार हो जाएंगे। दोनों का व्यक्तित्व अत्यन्त जटिल तथा भावना प्रधान होगा। अच्छा है वे जीवन के प्रति अधिक यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाए। 

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उनकी जटिल भावनाएं यौन संबंधों में भी कठिनाई पैदा कर सकती है। ऐसे अवसर दुर्लभ ही होंगे। जब दोनों एक ही बात की इच्छा करेंगे। दोनों एक दूसरे से झुकने की आशा करेंगे और नित नए नाटक खडे कर देंगे। 

कर्क - सिंहः- 

पानी और आग का मेल नहीं हो सकता। लेकिन इस योग में दोनों राशियों के स्वामी चंद्र और सूर्य परस्पर मित्र  है। स्वभाव में अन्तर के बावजूद यह बंधन सुदृढ रहेगा। कर्क व्यक्ति को प्रायः झुकना पडेगा। उधर सिंह के सूर्य में कर्क चंद्रमा को अधिक प्रकाश देने की सामथ्र्य है। सिंह जातक चाहता है कि उसकी प्रशंसा की जाए और उसकी ओर ध्यान दिया जाए। कर्क जातक प्रसन्नता से यह काम कर सकता है। 

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यदि पत्नी कर्क जातिका है और पति सिंह जातक हो तो इच्छानुसार काम न होने पर वे अनेक दिन तक बात नहीं कर पाते है। ऐसी स्थिति में कर्क पत्नी के लिये समझदारी इसी में ही है कि वह अपने नारी सुलभ गुणों से पति को प्रसन्न करे। वह घर में पति की इच्दा का वातावरण प्रदान करके उसकी दुखती रगों को शांत करे। सिंह पति खेलों में भी अपना बहुत समय खराब कर सकता है। पत्नी को उसके खेलों में रूचि लेनी चाहिये। अन्यथा उसकी उपेक्षा हो सकती है या उसके साथ बुरा व्यवहार हो सकता है। कभी कभी सिंह पति को पैसा खर्च करने की लत पड सकती है। इससे कर्क पत्नी की बचत बिगड सकती है। सिंह पति भविष्य की चिंता नहीं करता। वह अपने वर्तमान को जीता है। 

यौन संबंधों में दोनों की भूख में बहुत अंतर होता है। कर्क पत्नी को पति की सहानुभूति और प्यार चाहिये जबकि सिंह पति कभी कभी पशुवत् आचरण कर सकता है। 

यदि पति कर्क जातक है जातक है और पत्नी सिंह जातिका तो प्यार का ज्वार उतरने पर पति के अतिप्रेम से पत्नी चिढने लगती है। सिंह पत्नी घर के कामकाज में अधिक कुशल या पारंगत नहीं होती और पति उसमें खोट निकालते है। लेकिन सिंह पत्नी अच्छी अतिथि सत्कारक होती है। जिसे कर्क पति पसंद करता है। कर्क पति को पानी के खेल अच्छे लगते है। जबकि सिंह पत्नी को उनमें कोई रूचि नहीं होती। पति यह सोचकर खुश होता है कि घर वह चला रहा है, जबकि पत्नी आर्थिक निर्भरता से चिढती है। परिणामस्वरूप उनके बीच अनेक वाद विवाद होते है। 

कर्क पति में कभी कभी शराब और खेल के प्रति एक साथ शौक जाग सकता है। इससे वह शराब पीकर लडखडा सकता है। प्रतीक्षा करती सिंह पत्नी की संभोग इच्छा पूरी करने में असमर्थ रहता है। 

कर्क -कन्याः-

जल का धरती से मेल है। फिर भी, कन्या जातक जल्दबाजी में उलटे-सीधे ढंग से किए गए काम को पसन्द नहीं करता। उसे हर काम करीने से चाहिए। कर्क जातक के अति-संवेदनशील होने के कारण उसके मन को जरा-सी बात पर चोट पहुंचती है। इसलिए कन्या जातक को कर्क जातक की गलती पर उसकी आलोचना से बचना चाहिए। कर्क जातक को भी महसूस करना चाहिए कि प्रेमाभिव्यक्ति में कन्या जातक अधिक दिखावटी नहीं होता।

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यदि पत्नी कर्क जातिका हो और पति कन्या जातक तो पति पत्नी के घरेलू गुणों को सराहेगा। इससे उसे सुरक्षा का अनुभव होगा, लेकिन मित्रों तथा सम्बन्धियों के आते रहने से उसे चिढ़ लग सकती है। सम्बन्धियों के प्रति कन्या जातक का इतना लगाव नहीं होता जितना कर्क जातक का । आर्थिक मामलों में कर्क पत्नियां समझदार होती हैं, किन्तु कन्या पत्नियों की भांति आलोचना नहीं करतीं। दोनों चाहते हैं कि उनका विशेष ध्यान रखा जाए, साथ ही अपने प्रियजनों से बात करते समय शब्दों पर संयम नहीं रख पाते। इससे वे अपना जीवन असह्य बना सकते हैं।

उनके जीवन में यौन-सम्बन्ध प्रमुख भूमिका नहीं निभाएंगे, क्योंकि दोनों में से किसी की यौन-भूख प्रबल नहीं होती है। फिर भी इससे उनके जीवन में कोमलता आएगी । इस बात की भी सम्भावना रहती है कि छोटे-मोटे झगड़े उनके सम्बन्धों की मधुरता को नष्ट कर दें।

यदि पति कर्क जातक है और पत्नी कन्या जातिका, तो एक ओर जहां पति अपनी रंगीली भावनाओं में डूबा रहेगा वहां पत्नी पर उसकी बुद्धि हावी रहेगी। इससे उनका जीना दूभर हो जाएगा। पत्नी को पति का भावनात्मक उत्साह निरर्थक और भीतकारी प्रतीत होगा। पति के माता-पिता तथा बहनों के प्रति अनुरक्ति भी दोनों के बीच विवाद का कारण हो सकती है। दो बातें अवश्य दोनों में समान होंगी-आर्थिक मामलों में फूंक-फूंककर कदम रखना और घर से प्यार ।

यौन सम्बन्धों में भी कर्क पति की अति-संवेदनशीलता समस्याएं पैदा कर सकता है। पत्नी को इतना उत्साही न पाकर वह उसे ठण्डी और संवेदनारहित समझ सकता है।

कर्क-तुला-

जल और वायु में अधिक तालमेल नहीं है, किन्तु दोनों राशियों के स्वामी चन्द्र और शुक्र में अनेक बातें समान हैं और उनकी निभ जाती है। कर्क जातक के मन को बहुत जल्दी चोट पहुंचती है, लेकिन तुला जातक उत्तेजना दिलाए बिना जानबूझकर संघर्ष पैदा करने वाला कोई काम नहीं करेगा। हां, तुला जातक भावना और तर्क के बीच सन्तुलन पसन्द करता है, अतः कर्क जातक की अत्यधिक भावना से कभी-कभी परेशान हो सकता है।

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यदि पत्नी कर्क जातिका है और पति तुला जातक तो उनके बीच किसी निर्णय पर पहुंचना कठिन होगा। पति बात को आगे बढ़ाता है जबकि पत्नी उसे टालती है । तुला जातक साझेदारी निभाने की चुनौती को स्वीकार कर इस दिशा में काफी प्रयास करेगा। वह नारी की इच्छाओं का पूरा पारखी होता है। किन्तु उसे अपना बनाए रखने के लिए कर्क पत्नी को अपनी बुद्धि का विकास करना होगा। तुला जातक बहुत शीघ्र बेचैन हो उठता है और ऊब जाता है । उसकी आंखें हमेशा नए शिकार की खोज में रहती हैं। अतः उसे वश में रखने के लिए कर्क पत्नी को सदा आकर्षक बने रहना होगा। तुला पति के लिए यौनाचार का भारी महत्व है और पत्नी उसे इस दिशा में व्यस्त रख सकती है। उसका रंगीला दृष्टिकोण ही काफी नहीं होगा। तुला पति को तरह-तरह की यौन विकृतियों के विचार से उत्तेजना मिल सकती है जबकि कर्क पत्नी का मन उनके प्रति विद्रोह करेगा।

यदि पति कर्क जातक है और पत्नी तुला जातिका, तो पत्नी का सामाजिक जीवन के प्रति प्रबल उत्कंठा पति के घरेलू जीवन में आनन्द लेने की प्रवृत्ति से टकराएगी। जितना पत्नी पति को घर से बाहर खींचने का प्रयास करेगी, उतना ही पति और अपनी जिद पर अड़ता जाएगा। अन्त में पत्नी सामाजिक जीवन में आनन्द लेना प्रारम्भ कर देगी और पति अपनी उदास घड़ियां घर में बिताएगा। बहस का भी कोई लाभ नहीं होगा। पति भावना से काम लेगा और पत्नी बुद्धि से। कर्क पति को तुला पत्नी का कपड़ों तथा साज-श्रृंगार पर व्यय भी पसन्द नहीं आएगा। उसकी समझ में यह बात नहीं आएगी कि इससे पत्नी का अहम् सन्तुष्ट होता है और उसमें अधिक नारी-भाव का विकास होता है, न यह कि साज- श्रृंगार उसके व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण अंग है। कर्क पति की रुचि किसी खेल में हो सकती है लेकिन पत्नी को घण्टों खड़े-खड़े उसका खेल देखना नहीं भाएगा।

उसका यौन-जीवन दिल और दिमाग का निरन्तर टकराव होगा। तुला पत्नी कर्क पति की भावना को नहीं समझ सकती और कर्क पति मानसिक उत्तेजना के लिए तुला पत्नी की आवश्यकता को नहीं समझ पाएगा।

कर्क-वृश्चिक- 

पानी का पानी के साथ मेल स्वाभाविक है, किन्तु इन राशियों के मेल में तर्क और तथ्य के स्थान पर भावनाएं हावी रहेंगी। दोनों में तालमेल होने पर यह जोड़ी काफी रचनात्मक बन सकती है । यदि टकराव हुआ तो भावनाओं पर कोई अंकुश नहीं रह जाएगा और स्पष्ट चिन्तन धूमिल हो जाएगा। दोनों ही राशियों के जातकों में अतीन्द्रिय ज्ञान होता है और वे एकदूसरे के मन की बात को समझ सकते हैं। इसलिए उनके बीच विश्वास होना आवश्यक है । वृश्चिक जातक कठोर और निरंकुश हो सकता है, यह समझने का कर्क जातक का अपना ढंग है।

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यदि पत्नी कर्क जातिका है और पति वृश्चिक जातक, तो पति पत्नी को सम्पूर्ण हृदय से प्यार करते हुए भी उस पर ईष्र्यालु दृष्टि रखेगा। कर्क पत्नी प्रायः उसे सन्देह या अविश्वास का कोई कारण नहीं देगी। वृश्चिक पति कठोर परिश्रम करने वाला होता है और दिन भर की थकान के बाद उसे घर में चैन चाहिए। वह दूसरी स्त्री की ओर नहीं देखेगा। लेकिन अपनी पत्नी से सभी कुछ चाहेगा। ऐसे अवसर भी आ सकते हैं जब कर्क पत्नी के मेहमानों पर अधिक ध्यान देने से वृश्चिक पति के मन में ईष्र्यालु जाग उठे। कर्क पत्नी आमतौर से कठोर आलोचक होती है लेकिन वृश्चिक पति के लिए उसके मन में भारी आदर का भाव रहता है।

यौन सम्बन्धों में वृश्चिक पति कर्क पत्नी को अन्य राशियों की पत्नियों की अपेक्षा अधिक प्रसन्न कर सकता है। पत्नी भी स्वयं को अधिक उन्मुक्तता से और अधिक उत्साह से अभिव्यक्त कर पाती है।

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कर्क पति और वश्चिक पत्नी की जोड़ी भी इतनी ही सफल रहने की भावना है । पति प्रबल, दृढ़ संकल्प वाली पत्नी को हर प्रकार से सन्तुष्ट करने में समर्थ होता है और उसके साथ पत्नी भावनात्मक सुरक्षा का अनुभव करती है। फलस्वरूप उसका ईष्र्यालु और संदेहशील स्वभाव शांत होता है। आर्थिक समस्याओं के बारे में भी दोनों एक ही तरह से सोचते है और कर्जदार उनके घर के चक्कर नहीं काटते। पति के लिये घर ही सब कुछ होता है और बाहर जाने के बजाय दोनों अपनी शाम घर में ही बिताना पसंद करते है। उनकी सामाजिक रूचियां भी समान ही होती है। 

भावनाओं पर आधारित होने के कारण उनका यौन-जीवन नीरस होने की सम्भावना कम ही होती है। उसमें पति-पत्नी दोनों की आवश्यकताओं की पूर्ति से उन्हें परम सन्तोष मिलता है।

कर्क-धनुः-

आग और पानी का यह मेल दोनों के स्वभाव में भारी अन्तर को प्रकट करता है। ऐसा लगता है जैसे वे दो अलग-अलग दुनिया में जी रहे हो। धनु जातक बहुत स्वच्छन्द और स्वतन्त्रता प्रिय होता है। कर्क जातक उसे घर से बांधकर नहीं रख सकता। उसकी स्वतन्त्रताप्रियता के कारण कर्क जातक स्वयं को असुरक्षित अनुभव कर सकता है। दोनों अपने-अपने ढंग से उदार हैं। कर्क जातक में चिपकने की प्रवृत्ति होती है, जिससे धनु जातक स्वयं को जाल में फंसा समझ सकता है।

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यदि पत्नी कर्क जातिका है और पति धनु-जातक तो दोनों को गरमा-गरम वाद-विवाद के लिए प्रस्तुत रहना चाहिए। धनु पति बहुत सक्रियता वाला जीवन पसन्द करता है। वह चाहता है कि इसमें पत्नी भी उसका साथ दे। कर्क पत्नी से इसकी आशा कम ही है । धनु जातक के लिए प्रेम का मतलब यह नहीं कि वह अन्य स्त्रियों से मिलजुल नहीं सकता। उसके ऐसा करने पर कर्क पत्नी हंगामा खड़ा करने लगती है। पति महसूस करने लगता है कि उसने ऐसी पत्नी चुनकर गलती की है।

यौन-व्यवहार में धनु पति बहुत सक्रिय रहता है। इसमें उसे विशेषता प्राप्त होती है और एक चुनौती समझकर शीघ्र सन्तुष्ट हो जाने वाली पत्नी को भी देर तक उत्तेजित करने में सफल हो जाता है। दोनों के सम्बन्धों में प्यार और घृणा साथ-साथ चलते हैं।

यदि पति कर्क जातक हो और पत्नी धनु जातिका तो शुरू-शुरू में दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो सकते हैं, किन्तु फिर शीघ्र ही अपनी भूल महसूस लगेंगे। इस सम्बन्ध में पत्नी को सामाजिक जीवन चाहिए और पति घर में रहना पसन्द करता है। पति के सोच-समझकर पैसा खर्च करने की प्रवृति को उसकी कंजूसी समझ सकती है और कुछ अधिक ही खर्च की प्रवृत्ति प्रदर्शित कर सकती है।

यौन-सम्बन्धों में भी वे एक-दूसरे के अनुकूल सिद्ध नहीं होते। पति की भावनाएं अत्यन्त तीव्र और रूमानी होती हैं। इससे पत्नी में यह भाव पैदा हो सकता है कि वह पति को अपनी छोटी उंगली पर नचा सकती है । इस खेल से ऊबकर वह अधिक चुनौतीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास करेगी और एक निराश तथा टूटे हुए पति को घर में छोड़ जाएगी।

कर्क-मकर-

पानी का पृथ्वी से तालमेल बैठ जाता है, किन्तु राशिचक्र में ये दो राशियां आमने-सामने होने से न केवल वे एक-दूसरे की पूरक हो सकती हैं बरन् उनके बीच तीव्र प्रतियोगिता भी जन्म ले सकती है। जब मकर जातक अपनी महत्वाकांक्षा तथा सफलता को सर्वोपरि समझेगा तब कर्क जातक स्वयं को उपेक्षित या चोट खाया अनुभव करेगा। कर्क जातक मकर जातक में कर्तव्य और उत्तरदायित्व की भावना को सराह सकता है, किन्तु कभी-कभी मकर जातक में उन भावनाओं, हार्दिकता और प्यार का अभाव होता है, जिन्हें कर्क जातक अत्यन्त महत्वपूर्ण समझता है।

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यदि पत्नी कर्क जातिका है और पति मकर जातक, तो उनके बीच आर्थिक समस्याएं पैदा होने की सम्भावना नहीं है। दोनों रुपए-पैसे को सोच-समझकर खर्च करने वाले हैं। लेकिन मकर पति का धंधा उनके यौन सम्बन्धों में हस्तक्षेप कर सकता है। उसे शैय्या पर भी अपने कागज-पत्र पढ़ना अच्छा लग सकता है। पत्नी यदि चतुर है तो वह ऐसे में पति के व्यावसायिक कागजों में कुछ उत्तेजक साहित्य भी छिपाकर रख देगी। पति इसका संकेत स्वयं समझ सकता है।

यदि पति कर्क जातक है और पत्नी मकर जातिका, तो पति पत्नी की महत्वाकांक्षी प्रवृत्तियों से परेशान हो उठेगा और अपने घेरे में बन्द हो जाएगा जिससे पत्नी उससे मन की बात न कह सके। पति के स्वप्नशील और रूमानी मन को पत्नी अयथार्थवादी कहकर उसे चोट पहुंचा सकती है। हां, दोनों के बीच आथिक समस्याएं पैदा होने की संभावना नहीं है। उनके पास कितना भी कम पसा हो, वे जन्म दिन जैसे अवसर मनाना नहीं भूलेंगे। यह पति-पत्नी के सम्बन्धों को अधिक घनिष्ठ कर सकता है।

यदि पत्नी यौन सम्बन्धों में पति को प्रसन्न रखना चाहती है तो उसे अपने अन्दर रूमानीपन पैदा करना होगा। उधर पत्नी के निराशा के दौर में उसकी उदासीनता पति को स्वीकारनी होगी। कर्क जातक अत्यन्त जिद के होते हैं और वे पत्नी को अपने से और दूर कर सकते हैं।

कर्क-कुम्भ-

कर्क के स्वामी चन्द्र और कुम्भ के स्वामी यूरेनस के बीच कोई समानता नहीं है । कर्क जातक की संवेदनशील और चिपकू भावनाएं जातक को परेशान कर सकती हैं। उसे स्वतन्त्र और बेलगाम कार्यवाही के लिये समय चाहिए। एक प्रकार से कुम्भ जातक व्यक्ति-प्रेमी न होकर विश्व प्रेमी होता है, जो मित्रों तथा मानवता को अपनी दिलचस्पियां और प्यार बांटना चाहता है।

यदि पत्नी कर्क जातिका है और पति कुम्भ जातक हो तो पति दुनिया के साथ-साथ अपनी पत्नी को सुधारने का भी बीड़ा उठाएगा। जिद्दी पत्ना भला इस कैसे स्वीकार कर सकती है ! उसे अपने अतीन्द्रिय ज्ञान पर गर्व है और पति का अपने तर्क पर। मतभेद होना ही है। कुम्भ जातक सत्य को सर्वोपरि समझता है। पत्नी के मन में इससे गलतफहमी हो सकती है। उसे अपने गिले-शिकवे अधिक सही लगते हैं और अधिकांश का लक्ष्य बेचारा पति ही होता है ।

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यौन की भूख दोनों में प्रायः समान होती है, किन्तु पत्नी को सीखना होगा कि पति को किस प्रकार घर में रखा जाए । अन्यथा कोई अन्य दिलचस्पी उसे बाहर खींच ले जाएगी।

यदि पति कर्क जातक है और पत्नी कुम्भ जातिका, तो पति के सामने पत्नी को घर में बांधे रखने की समस्या होगी। पत्नी मिनटों में घर का काम निपटाकर किसी सभा-समारोह में जाने की प्रवृत्ति दिखाएगी और पति चाहेगा कि वह घर को अधिक समय दे। पति की अधिकार-भावना का भी उस पर कोई प्रभाव नहीं होगा। आर्थिक दृष्टिकोण उनके बीच तनाव का एक और कारण होगा। कर्क पति पैसे को दांतों से पकड़ता है और कुम्भ पत्नी के पास रुपए-पैसे के बारे में सोचने को शायद ही समय हो। घर में भी दोनों की रुचियां भिन्न होंगीं । पति विगत के बारे में सोचेगा, सुन्दर पूरा वस्तुएं एकत्र करेगा। पत्नी केवल भविष्य की बात सोचेगी।

यौन-सम्बन्ध भी स्थिति को संभालने में अधिक सहायक नहीं होंगे। पति की संवेदना पत्नी के लिए अत्यन्त तीव्र हो सकती है। अधिक रूमानीपन दिखाने पर पत्नी केवल उपहास ही कर सकती है जिससे पति की भावना चोट पहुंचेगी।

कर्क-मीन-

यह मेल दो जल राशियों का है, अतः उनके सम्बन्धों में तर्क और समझदारी के स्थान पर भावनाओं और अतीन्द्रिय ज्ञान का अधिक बोलबाला रहेगा। व्यावहारिक आवश्यकताएं उलट-पुलट सकती हैं। दोनों बहुत रूमानी हैं और प्यार पाना तथा करना उनकी बुनियादी जरूरत है।

पत्नी कर्क जातिका और पति मीन जातक होने पर दोनों के लिए एकदूसरे को बिना अधिक प्रयास के समझना सरल होगा। मीन पति के मन में हर संकटग्रस्त प्राणी के लिए सहानुभूति उमड़ पड़ेगी। फलस्वरूप उनका घर आवारा कुत्तों, बिल्लियों या निराश्रित पशु-पक्षियों का चिड़ियाघर बन सकता है।

निराशा के दौर में मीन पति में पीने तथा धुआं उड़ाने की प्रवृत्ति पनप सकती है तथा उसे काफी देखभाल की आवश्यकता है। यह सब अधिक वितंडावाद के बिना होना चाहिए। कर्क पत्नी में विद्यमान ममता की भावना का इसमें सदुपयोग हो सकता है।

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यौन-व्यवहार में कल्पना की महत्वपूर्ण भूमिका रहने की सम्भावना है। उसका उपयोग रूमानी ढंग से होगा जो दोनों के बीच प्रबल शारीरिक आकर्षण पैदा कर सकता है।

पति कर्क जातक और पत्नी मीन जातिका होने पर भी उनके बीच घनिष्ठ सम्बन्धों के लिए अच्छा आधार रहता है। दोनों को सुखी घरेलू जीवन चाहिए। उनका काफी समय अपने घर की साज-संवार में और उसे अधिक सुविधाजनक बनाने में बीतेगा। कल्पना उन्हें और निकट लाएगी क्योंकि वे एकदूसरे की आशाओं तथा सपनों में भागीदार हो सकते हैं।

उनका यौन-जीवन कोमल भावनाओं से पूर्ण होगा, जिसमें पाशविक इच्छा के बजाय रूमानीपन की प्रेरणादायी शक्ति रहेगी। इस युगल की सफलता की भारी सम्भावनाएं हैं।


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