Nave bhav me shukra ka shubh ashubh samanya fal
नवें भाव में शुक्र का शुभ अशुभ सामान्य फल
शुभ फल : नवमभाव में शुक्र होने से जातक पुष्ट
अर्थात् दृढ़ शरीर वाला होता है। शरीर का पूर्ण सुख होता है। जातक के पाँव पर
अच्छे सामुद्रिक लक्षण होते हैं। नवमभावस्थ शुक्र का जातक आनन्दी, सुस्वभावी, स्नेहल, धार्मिक, शुद्ध चित्त का, परोपकारी गुणवान होता है। जातक भगवान और धर्म पर
विश्वास करने वाला, आस्तिक, गुरु की सेवा में निरत, देव और अतिथियों का सेवक होता है। धर्मात्मा,
दयालु, उदार, सन्तोषी और क्रोध रहित होता है। 'विद्यमान तप:'-नवमभाव में शुक्र होने से जातक तपस्वी होता है, अर्थात् जातक पवित्रात्मा होता है। पवित्र तीर्थों की यात्रा करनेवाला, पवित्र स्वभाव का होता है। जपादिक कार्य करनेवाला होता है। धार्मिक वृत्ति
होने के कारण सदावर्त, दान आदि धर्म के कार्य
करता है जिससे जातक की दूर दूर तक प्रसिद्धि होती है।
नवमस्थान मे शुक्र होने से गायन, वादन, सिनेमा आदि ललितकलाओं में निपुणता तथा कीर्ति प्राप्त होती है। अभिनय में निपुणता स्वाभाविक होती है। काव्यनाटक आदि पढ़ने वाला, विद्या व्यासंगी होता है। अपने नगर में विशेष धनाढ़्य होता है। अपने बाहुबल से उपार्जित धन को भोगनेवाला होता है। सूद पर रुपया देने का व्यवसाय करता है। इस तरह धन की उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहती है। धन लाभ 15 वें वर्ष, तथा भाग्योदय 25 वें वर्ष होता है। सभी प्रकार के भौतिक सुख प्राप्त होते हैं। नौकरों से-दासों से-और अपने बंधु लोगों से सुख मिलता है।सहोदर भाइयों का सुख इसे विशेष रूप से मिलता है। जातक अतिथियों का आदर करनेवाला होता है। नृपति पूज्य, राजप्रिय एवं राजा से भाग्योदय प्राप्त करनेवाला होता है। शुक्र नवमभाव में हो तो जातक राजा की कृपा से कुल की उन्नति करता है। नवमभावगत शुक्र के जातक को अच्छे वस्त्रों की प्राप्ति होती है। मुनि के समान सादा कपड़ा पहिननेवाला अर्थात् सादा लिवास रखनेवाला और क्रोध रहित होता है। अपने भुजबल से, अपने उद्योग और परिश्रम से उन्नति करनेवाला होता है।
शुक्र नवमभाव में होने से जातक स्त्री, पुत्र मित्रों से युक्त होता है। नवम शुक्र से पिता एवं माता दीर्घायुष्य प्राप्त करते हैं। माता का दीर्घायु होना विशेष तथा अधिक मात्रा में पाया गया है। समुद्री प्रवास भी करता है। अलभ्य वस्तुओं की प्राप्ति के लिए भी यत्न करता है। विवाह में होने वाले आप्तों का साहाय्य अच्छा मिलता है। अपनी जाति में माननीय, विजयी, लोकप्रिय होता है। शुभग्रह साथ होने से भाग्योदय होता है। अधिकार पद प्राप्त होता है। नवमभाव का शुक्र मेष, सिंह, धनु, और कर्क, वृश्चिक तथा मीन राशियों का होने से प्राचीन लेखकों के शुभ फलों का प्राय: अनुभव होता है
शुक्र के शुभ फल प्राप्त करें इन सरल उपायों से
नवमस्थान मे शुक्र होने से गायन, वादन, सिनेमा आदि ललितकलाओं में निपुणता तथा कीर्ति प्राप्त होती है। अभिनय में निपुणता स्वाभाविक होती है। काव्यनाटक आदि पढ़ने वाला, विद्या व्यासंगी होता है। अपने नगर में विशेष धनाढ़्य होता है। अपने बाहुबल से उपार्जित धन को भोगनेवाला होता है। सूद पर रुपया देने का व्यवसाय करता है। इस तरह धन की उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहती है। धन लाभ 15 वें वर्ष, तथा भाग्योदय 25 वें वर्ष होता है। सभी प्रकार के भौतिक सुख प्राप्त होते हैं। नौकरों से-दासों से-और अपने बंधु लोगों से सुख मिलता है।सहोदर भाइयों का सुख इसे विशेष रूप से मिलता है। जातक अतिथियों का आदर करनेवाला होता है। नृपति पूज्य, राजप्रिय एवं राजा से भाग्योदय प्राप्त करनेवाला होता है। शुक्र नवमभाव में हो तो जातक राजा की कृपा से कुल की उन्नति करता है। नवमभावगत शुक्र के जातक को अच्छे वस्त्रों की प्राप्ति होती है। मुनि के समान सादा कपड़ा पहिननेवाला अर्थात् सादा लिवास रखनेवाला और क्रोध रहित होता है। अपने भुजबल से, अपने उद्योग और परिश्रम से उन्नति करनेवाला होता है।
शुक्र नवमभाव में होने से जातक स्त्री, पुत्र मित्रों से युक्त होता है। नवम शुक्र से पिता एवं माता दीर्घायुष्य प्राप्त करते हैं। माता का दीर्घायु होना विशेष तथा अधिक मात्रा में पाया गया है। समुद्री प्रवास भी करता है। अलभ्य वस्तुओं की प्राप्ति के लिए भी यत्न करता है। विवाह में होने वाले आप्तों का साहाय्य अच्छा मिलता है। अपनी जाति में माननीय, विजयी, लोकप्रिय होता है। शुभग्रह साथ होने से भाग्योदय होता है। अधिकार पद प्राप्त होता है। नवमभाव का शुक्र मेष, सिंह, धनु, और कर्क, वृश्चिक तथा मीन राशियों का होने से प्राचीन लेखकों के शुभ फलों का प्राय: अनुभव होता है
शुक्र के शुभ फल प्राप्त करें इन सरल उपायों से
अशुभ फल : शुक्र पुरुषराशि में होने से भाई अधिक और
बहिनें अल्प संख्या में होती है। लड़के कम और लड़कियाँ अधिक होती हैं। मेष, मिथुन, सिंह, तुला तथा धनु राशि का शुक्र होने से पत्नी
प्रत्येक प्रकार से सुन्दरी होती है। मस्तक विशाल,
आँखे बड़ी और
चमकीली, केश लम्बे, काले और चमकीले, स्वभाव आनन्दी, संसार में अनासक्ति, संतति के लिए विशेष इच्छा का अभाव होता है। शुक्र दूषित होने से विवाह विजातीय, या आयु में बड़ी स्त्री से या विधवा से होता है। अथवा इनसे अवैध सम्बन्ध रहता
है। जातक माता-पिता से विरोध रखता है। स्वयं स्त्रीवशवर्ती रहता है।