शुक्र को बली करने के उपाय
शुक्र एक चमकीला ग्रह है। यह रजोगुणी है। इसके अशुभ प्रभाव के कारण शरीर में शुगर, वीर्य नाश, गुप्त रोग, आदि की पीडा होती है। यह वीर्य, मुख, गला, गुप्तेन्द्रिय, का कारक है। इसका स्वभाव राजसी सौम्य है। इसकी धातु चांदी व रत्न सफेद हीरा है। अंगुलियों में अनामिका पर इसका अधिकार है। इसके अशुभ प्रभाव के निवारण हेतु निम्न उपाय करने चाहिये-
हर शुक्रवार को चावलों की खील या सफेद ज्वार की फुल्ली में चीनी मिलाकर बछिया को कम से कम बीस शुक्रवार खिलाना चाहिये।
चांदी के सिक्के से अंगुठी बनवाकर शुक्रवार को प्रदोष काल में दायें हाथ की अनामिका अंगुली में पहननी चाहिये।
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चांदी के तार में छोटे छोटे शंखों से गुथी माला शुक्रवार सूर्यास्त के बाद धारण करनी चाहिये।
शुक्रवार पूर्णिमा को गन्ने के रस से भगवान महादेव का अभिषेक करना चाहिये। श्री सूक्त से हवन करना चाहिये।
किसी महिला आश्रम में सिलाई या बुनाई मशीन शुक्रवार के दिन दान करनी चाहिये।
उदित शुक्र के समय सफेद कपडे में चावल, चीनी, चांदी का टुकडा, मीठा फल, तथा दक्षिणा सहित ब्राहमण की कन्या को दान करना चाहिये।
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शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है। इस ग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देना चाहिए।
रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है। शुक्र से सम्बन्धित रत्न का दान भी लाभप्रद होता है।
इन वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्या काल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है। शुक्र ग्रह से सम्बन्धित क्षेत्र में आपको परेशानी आ रही है तो इसके लिए आप शुक्रवार के दिन व्रत रखें.
िमठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें। ब्राह्मणों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं.
मंगल मचा रहा है आपके जीवन में दंगल। तो शांत कीजिये इन उपायों से।
अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं.
शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें।
काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
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अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
शुक्र- ओम द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
इस मंत्र के किसी विद्वान ब्राहमण से 16.000 जाप करवाने चाहिये। तथा आपको भी प्रतिदिन एक माला अवश्य जपनी चाहिये।
शुक्र गायत्री मंत्रः- ओम भृगुवंश जाताय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नः कविः प्रचोदयात।
शुक्र गायत्री मंत्र की प्रतिदिन एक माला जपने से भी शुक्र के शुभ फल प्राप्त होते है।
शुक्र के हवन में समिधा के रूप में उदुम्बर की लकडी का प्रयोग होता है। इसके अलावा इसकी जड को शुक्रवार को सफेद कपडे में सिलकर पुरूष दायें हाथ में और स्त्री बायें हाथ में बांध सकते है।
अथ शुक्र नाम स्तोत्र
भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाण वंदितः। जीव पुत्राय यो विद्यां प्रदात्तस्मै नमोतमः।।
नमः शुक्राय काव्याय भृगु पुत्राय धीमहि। नमः कारण रूपाय नमस्ते कारणात्मने।।
स्तव राजमिमं पुण्यं भार्गवस्य महात्मनः। यः पठेच्छृणु या द्वापि लगते वांछितं फलम्।।
पुत्र कामो लभेत्पुत्रान् श्री कामो लभते श्रियम्। राज्य कामो लभे द्राज्यं स्त्रीः कामः स्त्रियमुत्तमाम्।।
प्रतिवर्ष चार महारात्रियाँ आती है। ये है - होली , दीवाली, कृष्ण जन्माष्टमी , और शिव रात्रि। इनके आलावा सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण ,नवरात्र , आदि में मंगल यंत्र को सिद्ध करने का सर्वोत्तम समय होता है। इस समय में भोजपत्र पर अष्टगंध तथा अनार की टहनी से बनी कलम से यह ग्रह यंत्र लिखकर पौराणिक या बीज मंत्र के जाप करके इन्हें सिद्ध किया जा सकता है। सिद्ध होने पर उसे ताबीज में डाल कर गले में या दाई भुजा पर पहना जा सकता है। इससे ग्रह जनित अशुभ फल नष्ट होते है. तथा शुभ फलों में वृद्धि होती है।