Chathe bhav me ketu ka shubh ashubh samanya fal
छठे भाव में
केतुु का शुभ अशुभ सामान्य फल
शुभ फल :षष्ठ में केतु होने से जातक का शरीर नीरोग होता है। कदाचित् कोई रोग उत्पन्न हो तो वह शीघ्र दूर होता है। केतु छठा होने से बंधु को प्रिय, उदार, गुणवान्, दृढ़ प्रतिज्ञ होता है। जातक प्रसिद्ध, तथा विद्या के कारण यशस्वी होता है। जातक श्रेष्ठपद प्राप्त करनेवाला होता है। जातक की प्राय: इष्टसिद्धि होती है। छठे भाव के केतु से पशुपालक होता है। पशु धन विपुल होता है। गाए-भैंस, बकरी, घोड़ा आदि चौपाए जानवरों का सुख मिलता है। वाद-विवादरूप संग्राम में विवाद करने से भयंकर शत्रु का भी नाश होता है। केतु छठे होने से शत्रु दूर भाग जाते हैं। षष्ठ में केतु होने से शत्रुओं को पराजित करनेवाला होता है। जातक को द्रव्य लाभ होता रहता है। फिजूलखर्च नहीं होता। मितव्ययी होता है।
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अशुभ फल : छठे
भाव में केतु होने से जातक वात-विकारी, झगड़ालू, भूत-प्रेतजनित रोगों से रोगी,
कभी स्वस्थ कभी अस्वस्थ
रहने वाला होता है। मातृपक्ष से हानि उठाने वाला होता है। मामा का सुख कम मिलता
है। छठेस्थान में केतु से जातक का मानभंग मामा से होता है-अर्थात् मामा परस्पर
वैमनस्य होने से जातक का आदर-मान नहीं करता है। मातृकुल से और मामा से सुख (सम्मान)
अल्प मिलता है। धन की हानि होती है और धनाढ़्य नहीं होता है।छठे केतु होने से जातक
के दाँत या होठ के रोग उत्पन्न होते हैं।