केतु एक चमकने वाला ग्रह है। यह मोक्ष का कारक है। चंद्रमा के साथ बैठकर यह मानसिक विकार और अधिक भावुकता पैदा करता हैं। आत्महत्या की प्रेरणा देता है। यह मानसिक बल, बाल और रोम का कारक है। इसका स्वभाव मंगल व गुरू मिश्रित है। यह मोक्ष का कारक है। इसकी धातु कांसी और रत्न लहसुनिया है। अंगुलियों में अनामिका पर इसका प्रभाव है। इसके अशुभ प्रभाव दूर करने के लिये निम्न उपाय करने चाहिये-
प्रतिदिन कबूतरों को ज्वार या कोई सा भी गोल अनाज खिलाना चाहिये।
ALSO READ-राहु को शांत करने के उपाय
पूर्णिमा का व्रत रखकर एक समय भोजन करना चाहिये।
चंद्रग्रहण पर सलेटी रंग के ब्लाउज पीस में धुली हुई उडद की दाल बांध कर दक्षिणा सहित दान करना चाहियेे।
चिडी कबूतरों के लिये गर्मी में पीने के पानी की व्यवस्था करनी चाहिये।
पूर्णिमा के दिन चितकबरी गाय का दान करना चाहिये।
चंादी, तांबा, और सोने के तारों से गुंथी हुई अंगुठी दायें हाथ की अनामिका अंगुली में पूर्णिमा की रात को धारण करनी चाहिये।
ALSO READ- शनि शांति के सरल उपाय
किसी युवा व्यक्ति को केतु कपिला गाय, दुरंगा, कंबल, लहसुनिया, लोहा, तिल, तेल, सप्तधान्य शस्त्र, बकरा, नारियल, उड़द आदि का दान करने से केतु ग्रह की शांति होती है।
ज्योतिषशास्त्र इसे अशुभ ग्रह मानता है अतः जिनकी कुण्डली में केतु की दशा चलती है उसे अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। इसकी दशा होने पर शांति हेतु जो उपाय आप कर सकते हैं उनमें दान का स्थान प्रथम है।
ज्योतिषशास्त्र कहता है केतु से पीड़ित व्यक्ति को बकरे का दान करना चाहिए।
कम्बल, लोहे के बने हथियार, तिल, भूरे रंग की वस्तु केतु की दशा में दान करने से केतु का दुष्प्रभाव कम होता है।
गाय की बछिया, केतु से सम्बन्धित रत्न का दान भी उत्तम होता है। अगर केतु की दशा का फल संतान को भुगतना पड़ रहा है तो मंदिर में कम्बल का दान करना चाहिए।
केतु की दशा को शांत करने के लिए व्रत भी काफी लाभप्रद होता है। शनिवार एवं मंगलवार के दिन व्रत रखने से केतु की दशा शांत होती है।
ALSO READ-शुक्र को बली करने के उपाय
कुत्ते को आहार दें एवं ब्राह्मणों को भात खिलायें इससे भी केतु की दशा शांत होगी।
किसी को अपने मन की बात नहीं बताएं एवं बुजुर्गों एवं संतों की सेवा करें यह केतु की दशा में राहत प्रदान करता है।
केतु- ओम स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः
इस मंत्र के 17.000 जाप किसी विद्वान ब्राहमण से करवाने चाहिये। अथवा आप भी स्वयं प्रतिदिन एक माला जाप कर सकते है।
ALSO READ-गुरू को बली करने के उपाय
केतु गायत्रीः- ओम धूम्राय विद्महे कपोतवाहनाय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात।
केतु गायत्री मंत्र के प्रतिदिन एक माला जाप करके केतु के शुभ फल प्राप्त कर सकते है।
केतु के हवन में कुशा की समिधा लगती है। इसके अलावा कुशा को धुंआ रंग के कपडे में सिलकर पुरूष दायें हाथ में और स्त्री बायें हाथ में मंगलवार को बांध सकते है।
ALSO READ-बुध को बली करने के उपाय
अथ केतु स्तोत्र
केतुः कालः कलयिता धूम्र केतु विवर्णकः। लोक केर्तुमहा केतुः सर्व केर्तुभय प्रदः।।
रौद्रो रूद्र प्रियो रूद्रः क्रूर कर्मा सुगन्ध धृक्। पलाश धूम संकाश श्चित्र यज्ञोपवीत धृक्।।
तारागण विमर्दी च जैमिनेयो ग्रहाधिपः। पंच विंशति नामानि केतोर्यः सततं पठेत्।।
तस्य नश्यंति बाधाश्च सर्वाः केतु प्रसादतः। धन धान्य पशूनां च भवेद्वृद्धि संशय।।
ALSO READ- मंगल मचा रहा है आपके जीवन में दंगल। तो शांत कीजिये इन उपायों से।
प्रतिवर्ष चार महारात्रियाँ आती है। ये है - होली , दीवाली, कृष्ण जन्माष्टमी , और शिव रात्रि। इनके आलावा सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण ,नवरात्र , आदि में मंगल यंत्र को सिद्ध करने का सर्वोत्तम समय होता है। इस समय में भोजपत्र पर अष्टगंध तथा अनार की टहनी से बनी कलम से यह ग्रह यंत्र लिखकर पौराणिक या बीज मंत्र के जाप करके इन्हें सिद्ध किया जा सकता है। सिद्ध होने पर उसे ताबीज में डाल कर गले में या दाई भुजा पर पहना जा सकता है। इससे ग्रह जनित अशुभ फल नष्ट होते है. तथा शुभ फलों में वृद्धि होती है।
ALSO READ-चंद्रमा के शुभ फल प्राप्त करने के उपाय