Friday 9 June 2017

डायबिटीज कंट्रोल करें बिना दवा। इस आसान मंत्र से।

Posted by Dr.Nishant Pareek
 शुगर की बीमारी बहुत ही घातक होती है। इसमें शरीर के बाहरी भाग में रोग दिखाई नहीं देता।  परन्तु शरीर को अंदर से बहुत बीमार बना देता है। इसमें व्यक्ति अपने स्वाद की कोई मीठी वस्तु नहीं खा पाता। ज्योतिष में शुगर रोग का कारण छटा भाव , उसमे शनि का होना , शुक्र का प्रभावहीन होना , और गुरु का हस्तक्षेप होता है। इसमें यदि सिर्फ  शुक्र ही बलहीन हो तो शुगर होता है। परन्तु यदि  साथ में मंगल भी पापी या अकारक हो तो ब्लडशुगर हो जाता है। ज्योतिष में शुक्र को गुप्तांग और वीर्य का मुख्य कारक माना गया है। शुगर रोगी को भविष्य में गुप्त रोग होने की संभावना भी होती है। अतः इस रोग से निवृति के लिए मुख्य रूप से शुक्र के जाप अति आवश्यक है। यदि ब्लडशुगर हो तो मंगल को शांति भी जरुरी है।  इस रोग की शांति हेतु आप किसी भी शुक्लपक्ष के पहले शुक्रवार से संकल्प लेकर शाम के समय माता लक्ष्मी की तस्वीर के सामने सफ़ेद आसन पर बैठकर स्फटिक की माला से शुक्र गायत्री के के जाप करें।- 


    ॐ भृगु जाताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात .
  जाप के बाद प्रतिदिन नौ वर्ष से कम आयु की कन्याओं को मिश्री से साथ कोई सफ़ेद प्रसाद दें। पीपल में दूध - गुड़ मिला जल चढ़ाएं। सरसों के तेल का दीपक जलाएं। केले के पेड़ में सादा जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। गाय को आटे की दो लोई , गुड़ और चने की गीली दाल का भोग लगाएं। शुक्र का रत्न या उपरत्न धारण करें। मंत्र जाप के अंतिम दिन किसी वृद्ध को ब्राहण को खीर व मिश्री का भोजन करवाएं। यह नियम पूर्ण मंत्र साधना में चलेगा। साधना समाप्त होने के बाद शुक्र मंत्र का जाप सिर्फ शुक्रवार को , पीपल में जल शनिवार को , तथा केले के पेड़ में जल व गाय को भोग सिर्फ गुरुवार को देना है। यदि ब्लडशुगर है तो शुक्र मंत्र जाप के साथ मंगल का जाप भी करना है।
Powered by Blogger.