Sunday 9 January 2022

kalsarp yog or vivah jivan / कालसर्प योग और विवाह जीवन

Posted by Dr.Nishant Pareek

 kalsarp yog or vivah jivan


कालसर्प योग और विवाह जीवन

कालसर्प योग का नाम सुनते ही प्रत्येक व्यक्ति के मन में एक अजीब तरह का डर पैदा हो जाता है। उस योग के नाम से वह तरह तरह की बातें सोचने लगता है। नई नई कहानियां बनाने लगता है। अनेक तरह की घटनाओं को खुद से जोडने लगता है। उसे ऐसा लगता है कि अब दुनिया की सारी बुरी घटनाऐं उसके साथ ही घटित होने वाली है। उसकी रात की नींद और दिन का चैन गायब हो जाता है। और वह इसी उधेडबुन में रहता है कि इस योग से कैसे बचा जाये। या इस योग का निवारण कैसे किया जाये। जिससे कि जीवन में सुख शांति बनी रहे। और परिवार भी सुरक्षित रहे। जिसकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है, तो वह किसी न किसी तरह से उस व्यक्ति को पीडित अवश्य करता है। जिन भावों से संबंधित कालसर्प योग होता है, उसी भाव से संबंधित फलों से जुडी समस्याएं व्यक्ति को प्रदान करता है। उससे संबंधित सुखों में कमी करता है। 

कालसर्प योग देता है संतानहीनता, यदि इन भावों में हो तो, कहीं आप भी तो नहीं है इसके शिकार, जानिए इस लेख में।

इसी तरह जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प योग बनता है उनसे सम्बन्धित व्यक्तियों का दाम्पत्य जीवन नरक के समान हो जाता है। मेरे विचार से सुखद दाम्पत्य जीवन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंग है किसी व्यक्ति को जीवन में सबकुछ प्राप्त हो। यदि दाम्पत्य सुख से वंचित हो, प्रतिदिन कलह होती हो, विचारों में असहनीय मतभेद हो, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के कारण वैवाहिक जीवन में सदैव झगडे होते रहे तो किसी पल एक-दूसरे से कुछ समय के लिए पृथक रहकर शान्तिपूर्ण जीवन जीने की इच्छा प्रबल हो जाती है। 

कालसर्प योग से कैसी परेशानी आती है ? जानिए इस लेख में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

दाम्पत्य जीवन में कभी धन के कारण, कभी संतान के कारण, कभी आचरण के कारण मतभेद उत्पन्न हो, तो श्रेष्ठ पद तथा सामाजिक सम्मान और प्रतिष्ठा के बाद भी जीवन निराशा और उदासी के घोर अंधकार में डूब जाता है, इसलिये जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प योग उपस्थित हो, उन कुंडलियों में विवाह हेतु मिलान करते समय इस विषय पर भी गभीरता से विचार करना चाहिए। कुंडलियों में यह परीक्षण करना चाहिए कि एक कुंडली के दोष का संतुलन दूसरी कुंडली के साथ हो रहा है या नहीं। 

उल्लेखनीय है कि दाम्पत्य जीवन के आक्रान्त होने के लिए सप्तम भाव तथा द्वितीय भाव से सम्बन्धित ग्रह तथा उनके स्वामी और वहाँ पर स्थित ग्रहों की भूमिका पर भी गंभीरता के साथ विचार आवश्यक है। यदि किसी कुंडली में कालसर्प योग विद्यमान है तो उपरोक्त सभी स्थितियां उसके जीवन को पीडित नहीं करेंगी। इनमें से कोई एक या दो स्थितियाँ उस व्यक्ति को व्यथित करने के लिए पर्याप्त हैं। किस प्रकार का कालसर्प योग कुंडली में विद्यमान है, व्यक्ति की परेशानी का प्रकार इस पर निर्भर करता है। कालसर्प योग अनेक प्रकार के होते हैं जिनका विस्तृत विवेचन अग्रिम लेखों में करेंगें। 

संक्षिप्ततः यह ज्ञान आवश्यक है कि यदि समस्त ग्रह राहु और केतु की धुरी के मध्य स्थित हों, तो कुंडली के जिन भावों को वह प्रभावित करते हों तथा उन भावों के स्वामी भी यदि आक्रान्त हों, तो कालसर्प योग का विष जीवन को सुगम नहीं रहने देता। अनेक प्रकार से आक्रान्त कर देता है। योग्यता, प्रतिभा, परिश्रम तथा सम्यक् प्रयास के पश्चात भी अपेक्षित सफलता नहीं प्राप्त होती है।


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