Thursday, 24 June 2021

Janam nakshatra ke anusar kanya ka swabhav / जन्म नक्षत्र के अनुसार कन्या का स्वभाव

Posted by Dr.Nishant Pareek

Janam nakshatra ke anusar kanya ka swabhav




जन्म नक्षत्र के अनुसार कन्या का स्वभावः- 


जिस नक्षत्र में कन्या का जन्म होता है, उस नक्षत्र का कन्या के जीवन में बहुुत महत्व होता है। जन्म राशि भी इन्हीं नक्षत्रों पर आधारित रहती है। नक्षत्रों की जानकारी पंचांग से सरलता से हो सकती है। 

सत्ताईस नक्षत्रों में उत्पन्न होने वाली कन्याओं के गुण - अवगुण, स्वभाव - प्रभाव आदि का वर्णन इस प्रकार है-


(1) अश्विनी - अश्विनी नक्षत्रोत्पन्न कन्या गृहकार्यों में कुशल, सुन्दरी, सौभाग्यवती, पतिव्रता, धनवती, उत्तम संतान वाली, अपने परिवार के लोगों द्वारा आदरणीया, स्थूल देह और पति की प्रिय होती है।


(2) भरणी - भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाली कन्या रोगरहिता, नियम पालने वाली, धन, पुत्र और सुख से युक्ता, सुन्दरी और सत्यभाषिणी होती है। प्रायः इस नक्षत्र में उत्पन्न कन्या को संतान-सुख अच्छा नहीं मिलता, गर्भपात आदि की संभावना रहती है।


(3) कृत्तिका - कृत्तिका नक्षत्र में उत्पन्न कन्या भूख से आतुर रहने वाली, बहुत खाने वाली, दुःशीला, कृपण और अन्य पुरुष-गामिनी होती है। ग्रन्थान्तर के अनुसार दुर्बल शरीर वाली, बाँझ, गर्भपात की बीमारी युक्त या मृतक शिशुओं को जन्म देने वाली होती है।


4) रोहिणी - रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्त्री सुशीला. बोलने वाली, सुन्दरी, स्थिर बुद्धि, धन-धान्य-सहिता, देवताओं की पूजा करने वाली, उत्तम संतानों को जन्म देने वाली और पतिप्रिया होती है। इस नक्षत्र में उत्पन्न स्त्री सिद्धान्तवादिनी होती है।


(5) मृगशिरा - मृगशिरा नक्षत्र में उत्पन्न हुई नारी रूपवती, मानयुक्ता, प्रसन्नचित्त, प्रिय वाक्य बोलने वाली, आभूषणों की शौकीन, अनेक विद्याओं और शास्त्रों को जानने वाली, धर्मकार्य में सदैव तत्पर और श्रेष्ठ पुत्रों से युक्त होती है। प्रायः ऐसी स्त्री की प्रकृति चंचल और उसका स्वास्थ्य खराब रहता है अतः सदैव थकावट महसूस करती है।


(6) आर्द्रा  - आर्द्रा  नक्षत्र में जन्म लेने वाली कठोर हृदया, गर्वयुक्ता, उपकार न मानने वाली, पापिनी और झगड़ालू होती है। वह दूसरों के कार्यों की सदैव बुराई करती रहती है एवं स्वयं भी कफ और पित्त रोग से ग्रस्त रहती है। कहा भी है

पापकर्मप्रसक्ता च कुरूपा कलहप्रिया।

कन्यका दृढ़वैरा च जायते रौद्रदैवते॥ 


(7) पुनर्वसु - पुनर्वसु नक्षत्र में उत्पन्न होने वाली नारी अभिमानरहिता, अच्छी स्मरणशक्ति वाली, पुण्यवती, सौभाग्यवती, परिवार में पूजनीया, धर्म का मर्म समझने वाली, रूप और सुख से युक्त होती है। ऐसी स्त्री की संतान कई होती हैं और वह अस्वस्थ भी रहती है। 

(8) पुष्य - पुष्य नक्षत्र में उत्पन्न स्त्री सौभाग्य, धन, धर्म और पुत्र से युक्ता, पण्डिता, शान्त हृदया और गृहकार्य में कुशल होती है। सुन्दर शरीर वाली ऐसी स्त्री को मकान और भाइयों का सुख विशेष रूप से मिलता है।


(9) आश्लेषा - आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वाली कन्या अभक्ष्य को खाने वाली, कुरूपा, चंचला, कपटिनी, उपकार न मानने वाली, हिंसा करने में आनन्द समझने वाली और अनेक व्यसनों से युक्त होती है।  

(10) मघा - मघा नक्षत्र में उत्पन्न बालिका धर्मशीला, माता-पिता एवं पति में भक्ति रखने वाली, धनवती, बहुत नौकर-नौकरानियों वाली बहुत उद्योग करने वाली, राज्य के उच्च अधिकारी की पत्नी होती है। इसका शरीर दुबला होता है और वह संगीत की शौकीन होती है।


(11) पूर्वा फाल्गुनी - पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में उत्पन्न बालिका भाग्यवती, उत्तम पुत्रों वाली, उपकार मानने वाली, शत्रु पर विजय प्राप्त करने वाली, मधुरभाषिणी, राजा की पत्नी, सुन्दरी, चंचल प्रकृति और दान करने वाली होती है।


(12) उत्तरा फाल्गुनी - उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्म लेने वाली कन्या सौभाग्यवती, धन, पुत्र, विद्या और सुख से युक्ता, गृहकार्य में कुशल, स्वस्थ और पति की प्यारी होती है।


(13) हस्त - हस्त नक्षत्र में उत्पन्न कन्या अत्यन्त सुन्दरी, क्षमायुक्ता, शीलवती, धनवती, यशस्विनी, अच्छे स्वभाव की, आरामदायक जीवन व्यतीत करने वाली होती है। यहाँ मतान्तर भी है-

हस्तोद्भवांगना धृष्टा निर्दया पानतत्परा।  

उत्साहिनी सुरूपा च चैर्यकर्मपरायणा॥

(स्त्री जातकम श्लो० 13)


तीक्ष्णा च दृढकामा च परद्रव्यापहारिणी।

स्वकर्मकुशला कन्या जायते चार्कदैवते॥

 

(14) चित्रा - चित्रा नक्षत्र में उत्पन्न होने वाली बालिका सच्चरित्रा, सुलोचना, अनेक प्रकार के आभूषण और वस्त्रादि रखने वाली और पति की प्यारी होती है।


विशेष-(क) यदि इस नक्षत्र में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में जन्म हो तो बालिका विष-कन्या होती है। 

      (ख) शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन इस नक्षत्र में जन्म हो तो वह नारी दरिद्रा और पापिनी होती है। 

सारांश - चित्रा नक्षत्र में जन्म लेना शुभ है, लेकिन उस दिन चतुर्दशी नहीं होनी चाहिए। 

(15) स्वाती - स्वाती नक्षत्र में उत्पन्न कन्या बहुत मित्रों और सहेलियों वाली, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाली, किसी के वश में न होने वाली, व्यसनशीला, कीर्तियुक्ता, संतान-सुख से सुखी और साहस रखने वाली होती है। वह सेल्स गर्ल का कार्य कुशलता से कर सकती है।


(16) विशाखा - इस नक्षत्र में उत्पन्न कन्या सुन्दरी, बोलने में चतुर, ईष्र्या-लोभ से युक्ता, भाइयों की प्रिय, तीर्थ-यात्रा की शौकीन और धर्मपरायणा होती है।


(17) अनुराधा - अनुराधा नक्षत्र में उत्पन्न कन्या अच्छे मित्रों वाली, स्वार्थरहिता, सुशीला, दयावती, प्रिय-भाषिणी, अधिक क्षुधा वाली, घूमने वाली, धनवती और परदेश में रहने वाले की पत्नी होती है। 


(18) ज्येष्ठा - ज्येष्ठा नक्षत्र में पैदा होने वाली कन्या सुन्दरी, निर्भय वाक्य बोलने वाली, श्रेष्ठ भाग्यशाली, क्रोधयुक्ता, धर्म के प्रति आस्था रखने वाली, धनवती, पुत्र-सुख से युक्त और भाइयों की प्यारी होती है।


(19) मूल - मूल नक्षत्र में उत्पन्न कन्या थोड़े सुख वाली, विधवा, दरिद्रा, रोगयुक्ता, बे-समझ, बन्धुजनों से हीन, दूसरों के आश्रय में रहने वाली, नीच कार्यों में रत, अभिमानिनी और शत्रुओं से युक्त होती है। सामान्यतया मूल नक्षत्र के प्रथम तीन चरणों में अशुभ फल और चतुर्थ चरण में शुभ फल होता है।


(20) पूर्वाषाढ़ा - पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में उत्पन्न कन्या पवित्रा पति धन पुत्रादि के सुख से युक्ता, धीरा, उत्तम वस्त्र और भूषण वाली और ऐसी कन्या की आँखें बड़ी होती हैं और वह शुभ कार्यों को करने वाली, बन्धुजनों में मुख्य, धार्मिक कार्यों की नेत्री और उत्तम यश वाली होती है। 

(21) उत्तराषाढ़ा - उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में उत्पन्न होने वाली मन की बात समझने वाली, अनेक प्रकार के सुखों का भोग करने वाली विनययुक्ता और धर्म वाली, उपकार मानने वाली, सौभाग्य, पुत्र और मित्र जनों से युक्ता होती है।


(22) श्रवण - श्रवण नक्षत्र में उत्पन्न कन्या बहुत से विषयों को जानने वाली, लोकविश्रुता, धन पुत्र, सुरूप-सुशीलयुक्ता, नम्र, परोपकारिणी, सदा दान में तत्पर और उदार पुरुष की प्रिय पत्नी होती है।


(23) धनिष्ठा - धनिष्ठा नक्षत्र में उत्पन्न नारी कहानी और संगीत की शौकीन, सौभाग्यवती, वाहन सुख प्राप्त करने वाली, दान देने में तत्पर, धैर्यवती और उत्तम वस्त्र पहनने वाली होती है। ऐसी स्त्री का स्वभाव और चरित्र अत्यन्त श्रेष्ठ होता है।


(24) शतभिषा - शतभिषा नक्षत्र में उत्पन्न कन्या अपने परिवार में पूज्या, देवताओं का पूजन करने वाली. शत्रु को जीतने वाली स्पष्ट बात कहने वाली, कुछ व्यसनशीला और साहसी होती है।


(25) पूर्वा भाद्रपद - पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में उत्पन्न कन्या दुखितचित्ता, पति को वश में रखने वाली, पण्डिता, धन रहते हुए भी कृपणा, साधुओं का आदर करने वाली, विद्याओं को जानने वाली और बच्चों से प्रेम रखने वाली होती है।


(26) उत्तरा भाद्रपद - उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में उत्पन्न होने वाला कन्या सदैव अपने पति का हित करने में तत्परा, क्षमाशीला, बड़े-बूढ़ों में प्रीति रखने वाली, उत्तम पुरुषों के सुख से सुखी, शत्रु को जीतने वाली, बोलने में चतुरा और धनवती होती है।


(27) रेवती - रेवती नक्षत्र में उत्पन्न कन्या लोक में मान्या, धनधान्य-सौभाग्य और पुत्रों से युक्ता, अपने सम्पूर्ण अंगों से सुन्दरी, पुष्ट शरीर वाली, बहुत सी उत्तम सहेलियों वाली, वाहन सुखों का सेवन करने वाली और व्रत-तप का पालन करने वाली होती है।



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