Monday, 13 July 2020

Gyarve bhav me ketu ka shubh ashubh samanya fal / ग्यारहवें भाव में केतु का शुभ अशुभ सामान्य फल

Posted by Dr.Nishant Pareek

Gyarve bhav me ketu ka shubh ashubh samanya fal


ग्यारहवें भाव में केतु का शुभ अशुभ सामान्य फल

शुभ फल : एकादश भाव में केतु होने से जातक निर्मल आकृति, दर्शनीय स्वरूप अर्थात् देखने में आकर्षक और मनोहर, विशेष कान्ति और बड़ा तेजस्वी होता है। जातक उत्तम वस्त्रधारण करनेवाला होता है। सुन्दर, स्वच्छवस्त्रधारी होता है। जातक परोपकारी, दयालु, उदार, सन्तुष्ट होता है। गुणवान होता है। जातक सुशिक्षित और सुविद्य (उत्तम विद्या युक्त), शास्त्ररसिक, विनोदी, विद्वान होता है। एकादशभाव में केतु होने से जातक सरस और मधुर बोलनेवाला होता है। अच्छा भाषण देता है। एकादश केतु से जातक प्रतापी, पराक्रमी, प्रतिष्ठित, लोकप्रिय, दूसरों द्वारा प्रशंसित, और राजा द्वारा आदृत होता है। जातक ऐश्वर्यसम्पन्न, वस्त्राभूषणों से युक्त तथा लाभयुक्त होता है। एकादशभाव में केतु होने से जातक को सर्वप्रकार से लाभ होता है। केतु एकादशभाव में होने से जातक पूर्ण भाग्यवान् होता है। अच्छे भोग भोगनेवाला, सुन्दर घर-बार वाला, उपभोग से समृद्ध, श्रंगार-शास्त्र में निपुण होता है। धनुर्धरों में सम्मानित तथा कीर्तिमान् होता है। लाभभावगत केतु होने से धन का संचय, सब अर्थों की सिद्धि, द्रव्य तथा उपकरणों की प्राप्ति होती है। जातक हाथ में लिए हुए काम को अधूरा नहीं छोड़ता है। और अच्छे काम करनेवाला होता है। बुध का योग होने से व्यापार में अच्छा यश मिलता है। जातक का धन अच्छे कामों में खर्च होता है। इस केतु के प्रभाव से जातक कवि, लेखक, राजमान्य, पशुधन समृद्ध, सर्व मनोरथ सिद्धि प्राप्त करनेवाला होता है। जातक के भय से शत्रु पीडि़त रहते हैं। लाभ भी शीघ्र होता है। जातक आलस्यहीन होता है।  

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अशुभ फल : ग्यारहवें भाव में केतु होने से जातक बुद्धिहीन, निज का हानि कर्ता होता है। मन में सदा चिंता रहती है। जातक की सन्तान अभागा होती है और भय से पीडि़त होती है। सन्तान वर्ग अत्यन्त विकल होता है। पुत्र भाग्यहीन होते हैं। निन्दित सन्तान वाला होता है। केतु एकादशभाव में होने से धन और पुत्र की विशेष चिन्ता रहती है। ग्यारहवें भाव के केतु से जातक पेट की बीमारियों से पीडि़त रहता है। गुदा में पीड़ा रहती है अर्थात् बवासीर-भगंदर आदि गुदा के रोग होते हैं।


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