Saturday 13 June 2020

Chate bhav me rahu ka shubh ashubh samanya fal / छठे भाव में राहु का शुभ अशुभ सामान्य फल

Posted by Dr.Nishant Pareek

Chate bhav me rahu ka shubh ashubh samanya fal 


छठे भाव में राहु का शुभ अशुभ सामान्य फल

शुभ फल : छठे भाव में राहु अरिष्टनिवारक होता है। सब अरिष्ट दूर करता है। संकट नष्ट होते हैं। छठे स्थान में राहु होने से जातक प्रबल पराक्रमी, शक्ति-सम्पन्न होता है। जातक उदारहृदय, धैर्यवान्, स्थिरचित, मतिमान् तथा बुद्धिमान् होता है। साहसिक कार्य कराता है एवं बडे़-बडे़ कार्य करनेवाला होता है। शरीर नीरोग, नीरोगी, महान् बलशाली, और दीर्घायु होता है। जातक शत्रुनाशक, शत्रुहन्ता, शत्रुओं को जीतनेवाला वाला होता है। शत्रुओं से कष्ट नहीं होता है। राजा जैसा मान्य और विख्यात होता है। राजा की कृपा होती है। विधर्मियों द्वारा लाभ, धन प्राप्ति होती है। राहु छठेभाव में होतो मनुष्य को म्लेच्छ राजा से धनलाभ होता है, बड़ा अमीर होता है। जातक वाहन, भूषण, अधिक धन से युक्त तथा भाग्यवान् होता है। राहु के साथ शुभग्रह होने से धन का सुख मिलता है। जातक बहुत सुखी और कुलीन होता है। जातक की पत्नी अच्छी होती है। राहु और शनि या केतु बलवान होने से घर में भैंसे बहुत होती है।

अशुभ फल : जातक उग्रकुल में उत्पन्न होता है। जातक बलहीन, बुद्धिहीन, मातृपितृद्वेषी होता है। जातक व्यभिचारी होता है। जातक निम्नश्रेणी (दुष्ट व्यक्तियों) के साथ मैत्री कराता है। जातक का सम्बन्ध म्लेच्छों से अर्थात् विदेशियों से होता है। जातक शत्रुओं से पीडि़त रहता है। जातक की कमर में पीड़ा होती है। कटिदेश में रोग होता है। छठे में राहु के होने से पेट में ब्रण होता है। छठेभाव में राहु होने से जातक को दाँत या होंठ के रोग होते हैं। जातक को सेना या जहाजों की नौकरी से खतरा होता है। राहु नौकरी के लिए अच्छा नहीं है-प्रगति कठिनता से हो पाती है। पैन्सन लेने से सुख होता है। जातक नीचों के व्यवसाय करता है। जातक निर्धन और चोर होता है। बचपन अच्छा नहीं व्यतीत होता, नजर लग जाती है-पिशाचबाधा होती है, नखविष फैलता है-मस्तिष्क के रोग आदि से कष्ट होता है। कहीं-कहीं पर मिरगी-कोढ़ आदि उपद्रव भी होते हैं।

 राहु की शांति के सरल उपाय

षष्ठ भाव के राहु से जातक की मृत्यु, लकड़ी या पत्थर के आघात से, चौपाए पशु द्वारा, पेड़ पर से गिरने से, अथवा पानी में डूबने से होती है। राहु छठे होने से मामा नि:संतान होता है अथवा सिर्फ कन्याएँ होती हैं। मामा के वंश का कोई व्यक्ति विदेश में मरता है। मौसी की संतान की मौत होती है, वह विदेश जाती है, विधवा होती है। चाचा, मामा आदि से कोई सुख प्राप्त नहीं होता है। पिता या मामा का चितस्थिर नहीं होता है। जातक के पशुओं को पीड़ा होती है। इस भाव के राहु से जातक परस्त्रीगामी होता है। राहु क्रूरुग्रह से पीडि़त होने से जातक गुदरोगी होता है। पुरुषराशि का षष्ठ में राहु होने से खेलों में चोटें लगती हैं-पोलो आदि में अपघात से कष्ट होता है। छठेभाव में राहु पुरुषराशियों में होने से उपर दिये अशुभफल अनुभूत होंगे।


Powered by Blogger.