Wednesday 13 May 2020

Pachve bhav me shukra ka shubh ashubh samanya fal / पांचवे भाव में शुक्र का शुभ अशुभ सामान्य फल

Posted by Dr.Nishant Pareek

Pachve bhav me shukra ka shubh ashubh samanya fal

 पांचवे भाव में शुक्र का शुभ अशुभ सामान्य फल 


    शुभ फल : प्राय: सभी ग्रंथलेखकों का मत है कि पंचमभावगत शुक्र का फल शुभ होता है। पाँचवें भाव में शुक्र होने से जातक सौन्दर्य सम्पन्न, सद्गुणी, आस्तिक, दानी, उदार, विद्वान्, प्रतिभाशाली, वक्ता होता है। धार्मिक, कर्मठ, मानी तथा दानी होता है। प्रौढ़ बुद्धि होने से काव्यकर्तृत्वशक्ति सम्पन्न यिक बुद्धि कातथा लेखक होता है। व्यवहार चतुर और न्यायप्रिय तथा न्यायपरायण होता है। व्यावहारिक और व्यावसा धनी होता है। साहसी, विद्याभिलाषी और विजयी होता है। पंचमभाव में शुक्र के होने से जातक स्वयं बहुत बुद्धिमान् होता है। अनेक शास्त्रों का ज्ञाता होता है। मन्त्र के जप से सर्वप्रकार की सिद्धि होती है। संगीत आदि कलाओं में निपुणता प्राप्त करता है। पांचवे भाव में स्थित शुक्र के कारण जातक को जीवन में सफलताएं अधिक और विफलता नाम मात्र की मिलती हैं।

पंचमस्थ शुक्र जातक को संतति सुख देता है। शीघ्र ही पुत्र की प्राप्ति होती है। पंचम शुक्र पुत्र और कन्याएँ दोनों प्रकार की सन्तति देता है। पुत्रों से कन्याएँ अधिक होती हैं। पुत्र सुन्दर, आज्ञाकारी, माँ-बाप को प्रसन्न रखने वाले होते हैं। पहली सन्तान (पुत्र हो या कन्या) बहुत सुन्दर और आकर्षक होती है। ललितकलाओं में रुचि रखती है। नाटक-सिनेमा आदि देखने का शौकीन होता है। विशेष प्रयास न करने पर भी धन मिलता है। सहसा प्रचुर धन का लाभ होता है। हर कदम पर सुख और समृद्धि मिलती है। उपभोग और अलंकार प्राप्त करनेवाला होता है। सर्वप्रकार से वस्तुओं से परिपूर्ण होता है। विविध प्रकार के सुखों का उपभोक्ता होता है। धनधान्य से सम्पन्न वैभवशाली होता है। व्यवहारी तथा लौकिक सुख प्राप्त करनेवाला होता है। सदा मिष्टान्न भोजन का सुख होता है। 

पंचमभावगत शुक्र होने से जातक सुखी होता है। राजनीतिज्ञ, मंत्री या न्यायाधीश होता है। राजकुल में सम्मानित होता है और राजा से आदर पानेवाला होता है। कामग्रीड़ा में निपुण स्त्रियाँ प्यार करती है या विलासिनी स्त्री का पति होता है। स्त्रियों में आसक्त रहता है। तरुणा स्त्री का सौभाग्य प्राप्त होता है। स्त्री सदैव प्रसन्न रहती है। जातक वाहनों से समृद्ध होता है, अर्थात् गाड़ी, घोड़ा, हाथी, स्कूटर, मोटर आदि वाहनों का सुख रहता है। उत्तम तथा विश्वसनीय मित्र होते हैं। पंचमभावगत शुक्र होने से द्विभार्यायोग भी सम्भव है।       

शुक्र पुरुषराशि में होने से पुत्र होते हैं-कन्या एक ही होती है और यह एक कन्या भी कई पुत्रों के अनन्तर होती है और कभी एक भी कन्या नहीं होती है। शुक्र शुभ सम्बन्ध में होने से जातक मतिमान् तथा नीतिमान् होता है। पंचमभाव का शुक्र बलवान् होने से सट्टा, लाटरी, द्युत आदि से आकस्मिक लाभ करवाता है। शुक्र मेष, सिंह तथा धनुराशि में होने से जातक अर्ध शिक्षित होते हुए भी विद्वान् माना जाता है। जातक आरामपसन्द होता हैं-खर्चीले होने से पैसा बचता नहीं-आर्थिक कष्ट में ग्रस्त रहते हैं। जातक की प्रसिद्धि कलाकार के रूप में हो सकती है। 36 वर्ष तक अस्थिरता में रहता हैं। बहुत कामुक होने के कारण पत्नीव्रत होते हुए भी परस्त्रियों से अवैध सम्बन्ध रखता हैं। सन्तति हो या न हो-जातक सन्तति से निरपेक्ष होता है। पुरुषराशि का शुक्र हो तो स्त्रियों के प्रति आदर-भाव होता है। 
शुक्र के शुभ फल प्राप्त करें इन सरल उपायों से
 अशुभ फल : पंचम शुक्र पापी ग्रह के साथ में, पापग्रह के राशि में, शत्रुक्षेत्री या नीच राशिगत होने से जातक जड़बुद्धि अर्थात् मूर्ख होता है। पुत्रों का मरण होता है। कीर्तिरहित होता है।


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