Saturday, 9 May 2020

Dusre bhav me shukra ka shubh ashubh samanya fal / दूसरे भाव में शुक्र का शुभ अशुभ सामान्य फल

Posted by Dr.Nishant Pareek

दूसरे भाव में शुक्र का शुभ अशुभ सामान्य फल

 Dusre bhav me shukra ka shubh ashubh samanya fal


            
शुक्र का शुभ फल : शास्त्रकारों ने प्राय: शुभफल बताये हैं क्योंकि नैसर्गिक कुण्डली में शुक्र धनस्थान का स्वामी है। द्वितीय स्थान में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक सुन्दर दाँत वाला, शोभन मुख, बुद्धिमान, मधुरभाषी होता है। मुख से मधुर वचन बोलने वाला, नीतिपूर्ण बात कहने वाला और मिलनसार होता है।जातक की बुद्धि कुशाग्र और धार्मिकभावपूर्णा होती है। घर में परम्परा से चली हुई देवताओं की पूजा चालू रखता है। विद्यावान् और बहुश्रुत होता है। कई प्रकार की विद्याओं को जानता है। विद्वान्, बन्धुमान्य, नृपपूज्य, यशस्वी, गुरुभक्त और कृतज्ञ होता है। धर्म, नम्रता, सौंदर्य, दया, परोपकार इन गुणों वाला होता है। दान-पुण्य आदि करने वाला, दयालु, कीर्तिमान्, सुशील, राजपूजित होता है। सदाचार भरे चरित्रों से जातक का उज्ज्वल यश विश्व में फैलता है। विदेशों में यशस्वी होता है। रुचि अच्छे खाने-पीने की ओर होती है। मिष्टान्नभोजी, उत्तम भोजन, खाना-पीना अच्छा मिलता है। विविध खेलों और मनोरंजनों में भाग लेता है। अपनी विलासी प्रकृति और सुन्दर देह के कारण सुन्दर स्त्रियों का प्रिय बना रहता है। सर्वविध सौन्दर्यसम्पन्न स्त्रियों के उपभोग लेने का इच्छुक रहता है। 

जातक का चित्त स्त्रियों की ओर रहता है। जातक के कुटुम्ब में सभी कुछ सुन्दर अर्थात् उत्तम होता है। वस्त्र, अलंकार, धन और वाहन सभी उत्तम होते हैं। वस्त्र तथा धनादि से भंडार परिपूर्ण रहता है। उत्तम वस्त्र, अलंकार, जवाहरात आदि का शौकीन होता है। उत्तम, विविध रंगों के स्वच्छ वस्त्र पहनता है। श्रृंगारसाधन बहुत प्रिय होते हैं।जातक को विविध रीतियों से धन का संचय होता है। विद्या द्वारा या स्त्री से धन प्राप्त करता है। पैतृक सम्पत्ति बहुत मिलती है। चाँदी और सीसा के व्यापार से और धनी होता है। जौहरी, रत्नों का पारखी होता है। क्रय-विक्रय का व्यापार करनेवाला होता है। जातक का कोश भरपूर होता है। मित्रों से व्यवसाय में अच्छा लाभ होता है। जातक का कुटुम्ब बड़ा होता है। बांधवों में सुखी और बहुपालक होता है। 32 वें वर्ष उत्तम स्त्री तथा भूमि का लाभ होता है।

 द्वितीय स्थान के शुक्र का सामान्य फल है कि धनार्जन में स्थिरत नहीं, किन्तु धनाभाव भी नहीं। विवाह के बाद भग्योदय होता है। स्त्री भी धनार्जन करती है या ससुराल से धन मिलता है। आयु का पूर्वार्ध कष्टमय, मध्यकाल मे सुख-समृद्धि। मेष, सिंह या धनुराशि में शुक्र होने से नौकरी से धनलाभ होता है-पैतृक सम्पत्ति मिलती है किन्तु स्थायी नहीं होती। जातक सट्टा, लाटरी, रेस आदि का शौकीन होता है। सहसा धनसंचय करना चाहता है किन्तु असफल रहता है।
       अशुभ फल : वस्त्र, अलंकार, मनोरंजन आदि में खूब खर्च करता है। द्वितीय स्थान का शुक्र द्विभार्या योग करता है। जातक मित्र को दिलभर शराब पिलाकर अपने काम बना लेता है।

Powered by Blogger.