भारतीय समाज और संस्कृति में प्राचीनकाल से ही मंत्रों का बहुत महत्व रहा है। इनका प्रभाव इतना अधिक रहा है कि कभी कभी विश्वास करना भी मुश्किल हो जाता है। मंत्रों से अनेक कठिन समस्याओं का निवारण किया जाता था। बड़ी से बड़ी समस्या का अचूक उपाय मंत्र शक्ति में निहित था। कोई भी पीड़ा चाहे शारीरिक हो या मानसिक हो , मंत्र द्वारा ठीक की जाती थी। इसी संदर्भ में रोगों का भी क्रम था। कोई भी रोग हो। मंत्रो में इतनी शक्ति होती थी और है , जिससे कोई भी रोग ठीक हो जाता था और अब भी हो सकता है।
ह्रदय रोग - यह रोग बहुत ही भयंकर होता है। आजकल हर उम्र के बहुत से लोग इस घातक रोग से पीड़ित है। इस रोग का इलाज भी बहुत महंगा होता है। फिर भी कोई गारंटी नहीं कि आदमी पूरा जीवन सुरक्षित निकाल ले। परन्तु मंत्र शक्ति द्वारा इस बीमारी की रोकथाम सम्भव है। यदि व्यक्ति निरोगी है तो उसके ये रोग होगा नहीं और यदि ह्रदय रोग की पीड़ा आरम्भ हो गई है तो आगे बढ़ेगी नहीं। जहां है वही रहेगी और उससे भी कम होती जाएगी। आज डॉक्टर्स के पास भी इस रोग का कोई स्थाई उपचार नहीं है।
ज्योतिष में ह्रदय रोग का मुख्य कारक सूर्य, सिंह राशि , तथा चतुर्थ भाव को माना गया है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ये दूषित या पीड़ित हो तो उसे हृदय रोग जरूर होगा। इसके अलावा उसे अस्थि रोग की भी संभावना होती है। इसलिए इन रोगों से बचने के लिए व्यक्ति को सूर्य के मंत्र ॐ घृणि सूर्य आदित्य ॐ का जाप करने से बहुत लाभ मिलता है। इसके लिए लिए संकल्प लेकर किसी रविपुष्य योग से सूर्य यंत्र के सामने लाल आसन पर बैठ कर लाल चंदन की माला से सवा लाख मंत्र का संकल्प लेकर जप आरम्भ करें। जाप के बाद नित्य आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें। सूर्य यंत्र को अभिमंत्रित करके धारण करें। रोजाना लाल गाय या लाल बैल को गुड़ और गेहूं खिलाएं। इससे कुछ ही समय में शुभ प्रभाव दिखाई देने लगेंगे। रोज जाप करने से पहले सूर्य को जल में गुड़ डाल कर जल चढ़ाएं। रोग में पूरी शांति मिलने पर सिर्फ को मंत्र जाप और स्तोत्र पाठ चालू रखें।
ह्रदय रोग - यह रोग बहुत ही भयंकर होता है। आजकल हर उम्र के बहुत से लोग इस घातक रोग से पीड़ित है। इस रोग का इलाज भी बहुत महंगा होता है। फिर भी कोई गारंटी नहीं कि आदमी पूरा जीवन सुरक्षित निकाल ले। परन्तु मंत्र शक्ति द्वारा इस बीमारी की रोकथाम सम्भव है। यदि व्यक्ति निरोगी है तो उसके ये रोग होगा नहीं और यदि ह्रदय रोग की पीड़ा आरम्भ हो गई है तो आगे बढ़ेगी नहीं। जहां है वही रहेगी और उससे भी कम होती जाएगी। आज डॉक्टर्स के पास भी इस रोग का कोई स्थाई उपचार नहीं है।
ज्योतिष में ह्रदय रोग का मुख्य कारक सूर्य, सिंह राशि , तथा चतुर्थ भाव को माना गया है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ये दूषित या पीड़ित हो तो उसे हृदय रोग जरूर होगा। इसके अलावा उसे अस्थि रोग की भी संभावना होती है। इसलिए इन रोगों से बचने के लिए व्यक्ति को सूर्य के मंत्र ॐ घृणि सूर्य आदित्य ॐ का जाप करने से बहुत लाभ मिलता है। इसके लिए लिए संकल्प लेकर किसी रविपुष्य योग से सूर्य यंत्र के सामने लाल आसन पर बैठ कर लाल चंदन की माला से सवा लाख मंत्र का संकल्प लेकर जप आरम्भ करें। जाप के बाद नित्य आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें। सूर्य यंत्र को अभिमंत्रित करके धारण करें। रोजाना लाल गाय या लाल बैल को गुड़ और गेहूं खिलाएं। इससे कुछ ही समय में शुभ प्रभाव दिखाई देने लगेंगे। रोज जाप करने से पहले सूर्य को जल में गुड़ डाल कर जल चढ़ाएं। रोग में पूरी शांति मिलने पर सिर्फ को मंत्र जाप और स्तोत्र पाठ चालू रखें।