अपना ब्लड प्रेशर कंट्रोल करें, इस चमत्कारी मंत्र से।
हमारी संस्कृति में मंत्रों का बहुत महत्व है। प्राचीनकाल में हमारे ऋषि - मुनि आदि विभिन्न मंत्रों का जाप करते हुए कठिन तपस्या करते थे। फिर अपने इच्छित फल को प्राप्त करते थे। मंत्र द्वारा ही रोगों का निवारण भी किया जाता था। मैं आपको कुछ रोगों की शांति करने के लिए चमत्कारी मंत्र बता रहा हूँ , जो आजमाये हुए है। इनके जाप करने से व्यक्ति के रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते है।
ब्लडप्रेशर :- ब्लडप्रेशर नामक बीमारी में जब किसी का ब्लड अपनी सामान्य गति से नहीं अपितु तेज या कम गति से नसों में होता हुआ दिमाग में पहुंचे तो वह ब्लडप्रेशर नामक बीमारी कहलाती है। ज्योतिष में रक्त का प्रतिनिधि मंगल को माना गया है। जब कुंडली में मंगल अशुभ या पीड़ित हो या चन्द्रमा भी पीड़ित हो तो व्यक्ति को ब्लडप्रेशर की बीमारी होती है। कुंडली में यदि मंगल पापी ग्रह के साथ अकारक हो अथवा अग्नि तत्व राशि में अग्नि ग्रह के साथ हो तो व्यक्ति हाई ब्लडप्रेशर का रोगी होता है। यदि मंगल पीड़ित या निर्बल होकर चन्द्रमा के साथ हो या अन्य किसी जलीय राशि में हो तो लौ ब्लडप्रेशर का रोगी होती है। इसके अलावा मंगल के अशुभ होने या अशुभ भाव में होने से रक्त में विकार हो जाता है।
यदि किसी स्त्री की कुंडली में यह स्थिति हो तो उसे ब्लडप्रेशर की बीमारी के साथ मासिक धर्म की समस्या भी होगी। मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है जो कालपुरुष के सिर व गुप्तांग का प्रतिनिधित्व करती है।
इसमें रोग से मुक्ति पाने हेतु आपको पहले संकल्प लेना होगा कि रोग मुक्त होने तक मैं इतनी संख्या में मंत्र जाप करूंगा तथा रोग मुक्त होने पर श्री मंगलदेव और श्री हनुमान जी के निमित्त ये भोग लगाऊंगा या ये चढ़ाऊंगा। इसके बाद शुक्लपक्ष के पहले मंगलवार से लाल चंदन की माला से मंगल गायत्री का जाप आरम्भ करें। मंत्र इस प्रकार है -
ॐ अङ्गारकाय विद्महै शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् .
जाप के बाद रोजाना लाल गाय को चारा , गुड , चने का भोग , लगाकर बच्चों में प्रसाद बांटें। शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करें। मंत्र पूर्ण होने पर दशांश हवन कर किसी युवा क्षत्रिय को भोजन करवाकर लाल वस्त्र तथा दक्षिणा के साथ सवा किलो गुड़ और सवा किलो लाल मसूर का दान करें। यदि रोग ज्यादा हो तो आप मंगल यंत्र भी पहन सकते है। इस साधना काल में सभी नियम पालन करने होंगे। कुछ ही समय में आप लाभ महसूस करने लगेंगे। सवा लाख मंत्र जाप होने पर आप पूरी तरह से रोग मुक्त हो जायेंगे।
हमारी संस्कृति में मंत्रों का बहुत महत्व है। प्राचीनकाल में हमारे ऋषि - मुनि आदि विभिन्न मंत्रों का जाप करते हुए कठिन तपस्या करते थे। फिर अपने इच्छित फल को प्राप्त करते थे। मंत्र द्वारा ही रोगों का निवारण भी किया जाता था। मैं आपको कुछ रोगों की शांति करने के लिए चमत्कारी मंत्र बता रहा हूँ , जो आजमाये हुए है। इनके जाप करने से व्यक्ति के रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते है।
ब्लडप्रेशर :- ब्लडप्रेशर नामक बीमारी में जब किसी का ब्लड अपनी सामान्य गति से नहीं अपितु तेज या कम गति से नसों में होता हुआ दिमाग में पहुंचे तो वह ब्लडप्रेशर नामक बीमारी कहलाती है। ज्योतिष में रक्त का प्रतिनिधि मंगल को माना गया है। जब कुंडली में मंगल अशुभ या पीड़ित हो या चन्द्रमा भी पीड़ित हो तो व्यक्ति को ब्लडप्रेशर की बीमारी होती है। कुंडली में यदि मंगल पापी ग्रह के साथ अकारक हो अथवा अग्नि तत्व राशि में अग्नि ग्रह के साथ हो तो व्यक्ति हाई ब्लडप्रेशर का रोगी होता है। यदि मंगल पीड़ित या निर्बल होकर चन्द्रमा के साथ हो या अन्य किसी जलीय राशि में हो तो लौ ब्लडप्रेशर का रोगी होती है। इसके अलावा मंगल के अशुभ होने या अशुभ भाव में होने से रक्त में विकार हो जाता है।
यदि किसी स्त्री की कुंडली में यह स्थिति हो तो उसे ब्लडप्रेशर की बीमारी के साथ मासिक धर्म की समस्या भी होगी। मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है जो कालपुरुष के सिर व गुप्तांग का प्रतिनिधित्व करती है।
इसमें रोग से मुक्ति पाने हेतु आपको पहले संकल्प लेना होगा कि रोग मुक्त होने तक मैं इतनी संख्या में मंत्र जाप करूंगा तथा रोग मुक्त होने पर श्री मंगलदेव और श्री हनुमान जी के निमित्त ये भोग लगाऊंगा या ये चढ़ाऊंगा। इसके बाद शुक्लपक्ष के पहले मंगलवार से लाल चंदन की माला से मंगल गायत्री का जाप आरम्भ करें। मंत्र इस प्रकार है -
ॐ अङ्गारकाय विद्महै शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् .
जाप के बाद रोजाना लाल गाय को चारा , गुड , चने का भोग , लगाकर बच्चों में प्रसाद बांटें। शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करें। मंत्र पूर्ण होने पर दशांश हवन कर किसी युवा क्षत्रिय को भोजन करवाकर लाल वस्त्र तथा दक्षिणा के साथ सवा किलो गुड़ और सवा किलो लाल मसूर का दान करें। यदि रोग ज्यादा हो तो आप मंगल यंत्र भी पहन सकते है। इस साधना काल में सभी नियम पालन करने होंगे। कुछ ही समय में आप लाभ महसूस करने लगेंगे। सवा लाख मंत्र जाप होने पर आप पूरी तरह से रोग मुक्त हो जायेंगे।