Friday, 9 June 2017

साइटिका रोग से पीड़ित है तो ये उपाय देगा रोग में शांति।

Posted by Dr.Nishant Pareek
साइटिका रोग में व्यक्ति के पीठ , कमर , आदि निचले भाग में दर्द होता है। इसका मुख्य कारक शनि देव को माना गया है। यदि शनि कुंडली में थोड़ा सा भी अशुभ  या पीड़ित होता है तो व्यक्ति इस रोग से जरूर परेशान रहता है। विशेष रूप से उसके कमर में जरूर दर्द रहता है। इस रोग से पूरी शांति चाहने हेतु शनि की पूजा बहुत लाभदायक है। यदि शनि की पूजा शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर की जाये तो बहुत जल्दी लाभ मिलता है।
इसके लिए आप किसी भी पुष्य नक्षत्र में पूजा आरम्भ कर सकते है। पीपल का पेड़ आपको किसी भी मंदिर में मिल जायेगा। पुष्य नक्षत्र के दिन अँधेरा होने पर किसी बर्तन में गुड़ - दूध , व शहद , मिश्रित मीठा पानी , आटे का दीपक में सरसों का तेल के साथ कील , तिलक के लिए रोली - चावल , भोग के लिए प्रसाद , काली धूप- अगरबत्ती , काला आसन , काले हकीक की माला, सादा सूती धागा , जो काले रंग से रंगा हुआ हो ,साथ में लेकर जाएँ। सबसे पहले पीपल पर काले रंग के सूत को निम्न मंत्र को जपते हुए पीपल के सात बार लपेटे। फिर पीपल के रोली का तिलक करके ,धूप - दीप से पूजन करें। भोग लगाएं। फिर आसन पर बैठ के पीपल और शनिदेव से अपने रोग मुक्ति की प्रार्थना कर संकल्प करें। और काले हकीक की माला से निम्न मंत्र का जाप करें।


ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो  शनिः प्रचोदयात//
जितने मन्त्र प्रतिदिन जपने का सङ्कल्प् लिया है। उतने मंत्र जप कर मीठा जल पीपल में अर्पित करके बाएं हाथ से आठ बार पीपल की जड़ को स्पर्श करके अपने माथे पर लगाएं। अगले दिन पुनः मंत्र जाप करने के लिए आने निवेदन करके घर वापस आ जायें। घर में प्रवेश करने से पहले अपने हाथ पैर जरूर धोएं। जब साधना समाप्त हो जाये तो किसी विकलांग भिखारी को भोजन कराएं। साधना के पहले दिन ही आप किसी भी पीपल की थोड़ी सूखी लकड़ी तथा पीपल की जड़ को काले कपड़े में लपेट कर अपने सिरहाने तकिये में रखें। पूजा समाप्त होने के कुछ दिन बाद ही आप लाभ महसूस करने लगेंगे।
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