क्या आपके पति शारीरिक रूप से कमजोर है ? क्या आप संतुष्ट नहीं है ? तो करें ये सटीक उपाय और पाएं शारीरिक सुख:-
यदि आपके पति आपको शारीरिक रूप से संतुष्ट नहीं कर पाते है तो ये उपाय आपको जरूर आजमाना चाहिए। किसी भी पूर्णिमा को एक चांदी के कप या गिलास में कच्चा दूध डालें। उसमें थोड़ी सी मिश्री और केसर मिलाएं। किसी शांत कमरे में एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर सफ़ेद कपड़ा बिछाकर उसके बीच में चावल की एक या दो मुट्ठी रखें। इन चावलों के ऊपर दूध वाला चांदी का पात्र रखें। मानसिक रूप से अपने इष्टदेव , जिन्हें भी आप मानते है उनका ध्यान करें और इस पूजन कर्म की सफलता हेतु प्रार्थना करें। फिर धूप दीपक से पूजन करें। एक स्फटिक की माला लें और इस निम्नलिखित मंत्र का जाप कम से कम तीन माला अवश्य करें। -
ॐ ह्रीं फ़्रीम् ह्रीं फ़्रीम् फट मम् आरोग्यम् देहि मे स्वाहा.
मन्त्र करते समय न तो होठ हिलने चाहिये ओर् न हि जीभ हिलनी चाहिए। सिर्फ मानसिक जाप करने है। मंत्र जाप करने के बाद अपने हाथ से उस गिलास को स्पर्श करे और कार्य सिद्धि के लिए प्रार्थना करें। फिर 27 बार मंत्र का जाप करें और हर बार मंत्र बोलने के बाद दूध में फूंक दें। फिर हाथ से स्पर्श करें। इस तरह २७ मंत्रों का जाप चार बार दोहराएं और और आखिर में एक बार मंत्र बोले। चार बार ही गिलास या पात्र को स्पर्श करना है पर हर बार मंत्र के बाद फूंक मारनी है। फिर इस दूध को ३ घंटे के अंदर अंदर अपने पति को पिलाना है। इस प्रकार यह उपाय करना है। रोग जितना ज्यादा पुराना या गहरा होगा उतने ही पूर्णिमा को ये उपाय करना है। अर्थात बीमारी ज्यादा है तो चार या छ पूर्णिमा तक ये उपाय करना पड़ेगा। इससे आपका शारीरिक सुख पुनः प्राप्त होगा।
यदि आपके पति आपको शारीरिक रूप से संतुष्ट नहीं कर पाते है तो ये उपाय आपको जरूर आजमाना चाहिए। किसी भी पूर्णिमा को एक चांदी के कप या गिलास में कच्चा दूध डालें। उसमें थोड़ी सी मिश्री और केसर मिलाएं। किसी शांत कमरे में एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर सफ़ेद कपड़ा बिछाकर उसके बीच में चावल की एक या दो मुट्ठी रखें। इन चावलों के ऊपर दूध वाला चांदी का पात्र रखें। मानसिक रूप से अपने इष्टदेव , जिन्हें भी आप मानते है उनका ध्यान करें और इस पूजन कर्म की सफलता हेतु प्रार्थना करें। फिर धूप दीपक से पूजन करें। एक स्फटिक की माला लें और इस निम्नलिखित मंत्र का जाप कम से कम तीन माला अवश्य करें। -
ॐ ह्रीं फ़्रीम् ह्रीं फ़्रीम् फट मम् आरोग्यम् देहि मे स्वाहा.
मन्त्र करते समय न तो होठ हिलने चाहिये ओर् न हि जीभ हिलनी चाहिए। सिर्फ मानसिक जाप करने है। मंत्र जाप करने के बाद अपने हाथ से उस गिलास को स्पर्श करे और कार्य सिद्धि के लिए प्रार्थना करें। फिर 27 बार मंत्र का जाप करें और हर बार मंत्र बोलने के बाद दूध में फूंक दें। फिर हाथ से स्पर्श करें। इस तरह २७ मंत्रों का जाप चार बार दोहराएं और और आखिर में एक बार मंत्र बोले। चार बार ही गिलास या पात्र को स्पर्श करना है पर हर बार मंत्र के बाद फूंक मारनी है। फिर इस दूध को ३ घंटे के अंदर अंदर अपने पति को पिलाना है। इस प्रकार यह उपाय करना है। रोग जितना ज्यादा पुराना या गहरा होगा उतने ही पूर्णिमा को ये उपाय करना है। अर्थात बीमारी ज्यादा है तो चार या छ पूर्णिमा तक ये उपाय करना पड़ेगा। इससे आपका शारीरिक सुख पुनः प्राप्त होगा।