Friday 3 March 2017

विधवा योग

Posted by Dr.Nishant Pareek
विधवा योग :-

                   यह एक ऐसा योग है जिसके किसी लड़की की कुंडली में विद्दमान होने पर उसे विधवा होने का दुःख झेलना पड़ता है।  हमारे समाज में इसे बहुत अशुभ माना जाता है।  ज्योतिष में सातवें भाव से जीवनसाथी और आठवें भाव से उसकी आयु या मृत्यु के कारण या स्त्री के मांगल्य के विषय में जाना जाता है।  इन दोनों ही भावों से विधवा योग का ज्ञान होता है।  इसलिए विवाह से पहले कन्या की कुंडली का इस विषय में अवश्य अध्ययन करवा ले तो इससे बचने के उपाय किये जा सकते है।

  •  यदि  दूसरे और सातवें  भाव में पाप ग्रह हो तथा चन्द्र से छठे  व आठवें भाव में भी पाप ग्रह हो तो लड़की विवाह के ८ वें वर्ष में विधवा होती है।  
  • यदि किसी कन्या की कुंडली में मंगल आठवें भाव में तो उसके विधवा होने की लगभग शत प्रतिशत संभावना होती है।  क्योकि   मंगल इस भाव में सबसे ज्यादा अशुभ होता है।  
  • यदि कुंडली में सातवें और आठवें भाव पर पाप ग्रह का प्रभाव हो तो आठवें वर्ष में विधवा होने का योग होता है। 

  • सप्तम भाव में मंगल की राशि में राहु किन्ही दो पाप ग्रहों के साथ बैठे हो तो लड़की विवाह के बाद जल्दी ही विधवा होती है।  
  • यदि कुंडली में सातवें और आठवें भाव के स्वामी किसी पाप ग्रह के साथ छठे या आठवें भाव में हो तो भी स्त्री जल्दी ही विधवा होती है।  
  • यदि सातवें वे आठवें भाव में मंगल पाप ग्रह के साथ हो तो स्त्री का पति दुर्घटना , अपघात , विष घात , विस्फोट , रक्तपात से मरता है। 
  • यदि सातवें भाव का स्वामी मंगल हो तथा   वह किसी त्रिक भाव में हो और राहु सप्तम भाव में हो तो स्त्री बहुत जल्दी विधवा होती है।  
  • यदि सातवें भाव में केतु पाप ग्रह के साथ हो तथा मंगल आठवें भाव में या बारहवें भाव में हो तो स्त्री विधवा होती है।  
  • यदि लग्न व सप्तम में पाप ग्रह हो तथा किसी शुभ ग्रह का प्रभाव न हो तो भी लड़की विधवा होती है।  
  • यदि पहले , सातवें , तथा आठवें भाव में शनि मंगल व राहु हो तो भी कन्या जल्दी ही विधवा होती है।  
  • यदि सप्तमेश और अष्टमेश में भाव परिवर्तन हो और पापी ग्रहों से देखा जाता हो तो भी कन्या अवश्य विधवा होती है।  
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